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आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :

1. राज्य में निर्माण हो रहे एन एच से सम्बंधित जनहित याचिकाओं पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ विकास कुमार व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

2. पटना हाईकोर्ट में विभिन्न जिलों में वाटर Bodies ( जलीय क्षेत्रों) में हुए अतिक्रमणों से संबंधित जनहित याचिका सुनवाई की जाएगी।रामपुनीत चौधरी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ सुनवाई करेगी।

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पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टल गयी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

कल एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि पटना के बिहार विद्यापीठ का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए राज्य केबिनेट ने अध्यादेश पारित कर दिया हैं।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन अपने हाथ में लेने हेतु कानून बनाने को कहा।कोर्ट ने कहा था कि अगर विधान सभा यदि सत्र में नहीं हो,तो इसके लिए अध्यादेश लाया जा सकता है, जिसे बाद में कानून का रूप दिया जा सकता है।

बिहार विद्यापीठ द्वारा एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें की सुनवाई 25 जुलाई,2022 को निर्धारित की है।

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कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार को पटना स्थित बिहार विद्यापीठ का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए विशेष प्रस्ताव राज्य सरकार को पारित करने को कहा था।

इस मामलें पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा गौरव सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को राज्य के एयरपोर्ट के सुधार पर बैठक कर अगली सुनवाई में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।उन्होंने राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मुद्दे को उठाया।
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।

कोर्ट को उन्होंने बताया कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।उन्होंने बताया कि छपरा के पास इसके लिए पर्याप्त और सस्ती भूमि उपलब्ध हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी कोप तलब किया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और वर्तमान निर्देशक को भी तलब किया था।

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साथ ही कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को भी नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार को गया एयरपोर्ट के विकास के सन्दर्भ में बताने को कहा था कि 268 करोड़ रुपए की धनराशि कब तक दिया जाएगा।

इससे पहले की सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक कोर्ट में उपस्थित हो कर पटना एयरपोर्ट की स्थिति बताते हुए कहा था कि हवाई जहाज लैंडिंग की काफी समस्या है।सामान्य रूप से रनवे की लम्बाई नौ हज़ार फीट होती हैं,जबकि पटना में रनवे की लम्बाई 68 सौ फीट हैं।

कोर्ट को राज्य के गया,पूर्णियां और अन्य एयरपोर्ट के विस्तार,विकास और भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित समस्यायों के बारे में बताया गया।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की समस्या हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 28जुलाई,2022 को की जाएगी।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :-

1. पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने इससे पूर्व याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा था।

2. पटना हाईकोर्ट ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने समक्ष विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में राज्य सरकार से बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन अपने हाथ में लेने हेतु कानून बनाने को कहा था।

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3. पटना हाई कोर्ट में नारायणपुर – मनहारी- पूर्णिया हाईवे के निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करेगी।

पिछली सुनवाई में एन एच ए आई को बताने को कहा गया था कि नए वृक्षारोपण के लिए क्या कार्रवाई की जा रही हैं।साथ ही वृक्षारोपण के मामलें मे ग्राम पंचायत की अधिकार और भूमिका के सम्बन्ध में भी जानकारी तलब किया गया।

4. पटना हाईकोर्ट में राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा गौरव कुमार सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी क तलब किया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और् निर्देशक को भी पिछली सुनवाई में तलब किया था।

पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड प्रोजेक्ट के लिए संपत्ति अधिग्रहण के दौरान याचिकाकर्ताओं के घरों को अधिग्रहण से अलग रखने हेतु दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार किया

जस्टिस संदीप कुमार ने रजनीश कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस आदेश को पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण से अपने घरों को अलग रखने के लिए आदेश देने का आग्रह किया था।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का कहना था कि भूमि अधिग्रहण के मामले में अपने भूमि को अधिग्रहण से अलग रखने का भी प्रावधान है। गया स्थित बिहार प्रशासनिक भवन के अधिग्रहण के मामले को अधिसूचना से अलग रखने को अधिसूचना को समाप्त किया गया था ।

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किन्तु याचिकाकर्ता ओं के मामलों में ऐसा नहीं किया जा रहा है। यदि सरकार उचित समझती है, तो इस तरह का निर्णय लेती है। पहाड़ी मौजा के संबंधित वार्ड नम्बर 56 के वार्ड से सम्बंधित है।कोर्ट ने मेट्रो रेल को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा।चार सप्ताह बाद इस मामलें पर सुनवाई होगी।

पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई अधूरी रही

जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामलें पर सुनवाई की।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।

कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया कि अगर इस तरह का निर्माण हो रहा हैं, तो उसे कड़ाई के साथ रोका जाए।साथ ही इस प्रकार के निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जवाब दायर किया।

पिछली सुनवाई कोर्ट ने जानना चाहा था कि जब हाउसिंग बोर्ड को खुद अतिक्रमण हटाने की शक्ति है, तो ज़िला प्रशासन क्यों अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की।ज़िला प्रशासन को अतिक्रमण हटाने को कब कहा गया।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वहां रह रहे नागरिकों को बिजली और पानी आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया था, लेकिन कोर्ट को बताया गया कि बिजली विभाग ने विद्युत् आपूर्ति अब तक बहाल नहीं की हैं।आज साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के वकील कुमार मनीष ने कोर्ट को बताया कि 23 घरों में अस्थायी रूप से बिजली बहाल कर दी गई है।

आज कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि अनाधिकृत रूप बसे लोगों के भी कानूनी अधिकार है।

ज़िला प्रशासन ने इसकी अनदेखी करते हुए मनमाने ढंग से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की, जो सही नहीं हैं।

अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से बहस जारी होगी।साथ ही राज्य सरकार व आवास बोर्ड की ओर से भी पक्षों को प्रस्तुत किया जाएगा।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 21 जुलाई,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को अबतक तक नहीं स्थापित नहीं किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर किया

इस जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने करते हुए राज्य सरकार को ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की समय सीमा बताने को कहा।ये जनहित याचिका बिहार आदिवासी अधिकार फोरम ने की है।

सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की प्रक्रिया में एक वर्ष का समय लगेगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस इंस्टिट्यूट को स्थापित करने के वित्तीय,प्रशासनिक और अधिकारियों व कर्माचारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया में एक वर्ष का समय लगेगा।

इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर राज्य सरकार गंभीर क्यों नहीं है।कोर्ट ने सम्बंधित सचिव को इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी देते हुए एक सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया।

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सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में जिलों में आदिवासियों की जनसंख्या और स्कूलों की सूची प्रस्तुत किया। कोर्ट ने इस सूची को देख कर कहा कि कई जिलों में आदिवासी जनसंख्या अच्छी खासी हैं। राज्य में बीस आवासीय स्कूल हैं।

इससे पहले की सुनवाई में सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया था कि 30 जून,2022 को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई।इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व मंत्री सह विधायक तेजप्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय की अपील पर सुनवाई 18 अगस्त,2022 को की जाएगी

जस्टिस आशुतोष कुमार सिंह और जस्टिस जीतेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने इस अपील पर सुनवाई की।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को सुलह का प्रयास करने को कहा था।

इसके लिए पहले की सुनवाई में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को इनके बीच बैठक कर सुलह के मुद्दे पर संभावना तलाशने को कहा था।

पिछली सुनवाई में तेजप्रताप और ऐश्वर्या न्याय कक्ष में उपस्थित थे।इनके साथ तेजप्रताप की माँ पूर्व सी एम राबडी देवी और ऐश्वर्या के पिता न्याय कक्ष में उपस्थित थे।सारी सुनवाई बंद कक्ष में हुआ था।

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ऐश्वर्या की ओर से वरीय अधिवक्ता पी एन शाही ने कोर्ट के पक्ष रखा।तेज प्रताप के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने बताया कि घरेलू हिंसा को लेकर ऐश्वर्या राय के विरुद्ध पारित आदेश व भरणपोषण(मेंटेनेन्स) से जुड़े मामले में राशि को बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट में अपील दायर किया गया है।

इस मामलें की सुनवाई अब अगली सुनवाई 18अगस्त, 2022 को की जाएगी।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :-

1. पटना हाई कोर्ट में राज्य के पूर्व मंत्री सह विधायक तेजप्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय की अपील पर सुनवाई की जाएगी। जस्टिस आशुतोष कुमार सिंह और जस्टिस जीतेन्द्र कुमार की खंडपीठ इस अपील पर सुनवाई करेगी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुलह का प्रयास करने को कहा। इसके लिए दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को इनके बीच बैठक कर सुलह के मुद्दे पर संभावना तलाशने को कहा था।


2. पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी।जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करेंगे।

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने जवाब दायर किया था।


3. पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने इससे पूर्व याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा था।

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4. पटना हाई कोर्ट ने पटना -गया -डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ समक्ष अधिवक्ताओं की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पेश किया था।

कोर्ट ने इस निर्माणधीन एन एच के स्थल निरीक्षण करने के लिए तीन अधिवक्ताओं की टीम का गठन किया गया था। अधिवक्ता प्रिय रंजन,आलोक कुमार राही और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष गुप्ता इसमें शामिल थे।


5. पटना हाईकोर्ट ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने समक्ष विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में राज्य सरकार से बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन अपने हाथ में लेने हेतु कानून बनाने को कहा था।


6. पटना हाई कोर्ट में नारायणपुर-मनहारी-पूर्णिया हाईवे के निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करेगी।

पिछली सुनवाई में एन एच ए आई को बताने को कहा गया था कि नए वृक्षारोपण के लिए क्या कार्रवाई की जा रही हैं।साथ ही वृक्षारोपण के मामलें मे ग्राम पंचायत की अधिकार और भूमिका के सम्बन्ध में भी जानकारी तलब किया गया।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन अब तक नहीं लगाए जाने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई की।इस जनहित याचिका पर निर्णय 28 जुलाई,2022 को दिया जाएगा।

आज राज्य सरकार की ओर से सीटी स्कैन और एम आर आई मशीन सभी मेडिकल कालेजों में लगाने के लिए पाँच महीने का समय माँगा जा रहा था।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि ये मशीन कब तक लग कर चालू होगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि आम जनता को सरकारी अस्पताल में इस तरह की जांच कम पैसे में होती है,जबकि निजी अस्पतालों में काफी पैसा खर्च करना होता हैं, तो अब तक सरकार ने इन्हें क्यों नहीं लगाया।

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ये जनहित याचिका 2015 में दायर की गई थी।इन वर्षो में कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी मेडिकल कालेजों में इन मशीनों को लगाने व चालू करने के कई आदेश दिया।लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।इसका नतीजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के बार बार आदेश करने के बाद भी सीटी स्कैन और एम आर आई मशीन इन अस्पतालों में अब तक नही लगाया गया है।इससे आमलोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।

उन्होंने बताया कि जहाँ सरकारी अस्पताल में इन जांचो में काफी कम खर्च होता हैं,वहीं निजी अस्पतालों में आमलोगों को काफी खर्च करना पडता हैं।इससे उन्हें काफी आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ता हैं।
इस जनहित याचिका पर 28 जुलाई,2022 को कोर्ट निर्णय सुनाएगा।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :-

1. पटना हाईकोर्ट में राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन एक लंबे अरसे के बाद भी नहीं लगाए जाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी।जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा था कि ये मशीन कब तक लग कर चालू होगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट के बार बार आदेश करने के बाद भी सीटी स्कैन और एम आर आई मशीन इन अस्पतालों में अब तक नही लगाया गया है।इससे आमलोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।


2. पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने इससे पूर्व याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा था।


3. पटना हाई कोर्ट ने पटना -गया -डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ समक्ष अधिवक्ताओं की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पेश किया।इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 जुलाई,2022 को होगी।

कोर्ट ने इस निर्माणधीन एन एच के स्थल निरीक्षण करने के लिए तीन अधिवक्ताओं की टीम का गठन किया गया था। अधिवक्ता प्रिय रंजन,आलोक कुमार राही और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष गुप्ता इसमें शामिल थे।

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4. पटना हाईकोर्ट ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने समक्ष विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में राज्य सरकार से बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन अपने हाथ में लेने हेतु कानून बनाने को कहा था।


5. पटना हाई कोर्ट में नारायणपुर – मनहारी- पूर्णिया हाईवे के निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में एन एच ए आई को बताने को कहा गया था कि नए वृक्षारोपण के लिए क्या कार्रवाई की जा रही हैं।साथ ही वृक्षारोपण के मामलें मे ग्राम पंचायत की अधिकार और भूमिका के सम्बन्ध में भी जानकारी तलब किया गया।

पटना हाईकोर्ट ने एक 26 वर्षीय कनाडा की महिला नागरिक के ग़लत तरीक़े से भारत की सीमा में प्रवेश कर जाने के मामले में उसे राहत देते हुए उसके ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर, संज्ञान लेने के आदेश और आरोप तय करने का आदेश रद्द कर दिया

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने कनाडा की महिला विलियम्स रेबेका की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया ।

कनाडाई महिला पर आरोप लगाया गया था कि वह बग़ैर वीज़ा के नेपाल से लगी भारतीय सीमा में 31.03.2021 में प्रवेश कर गई थी। अप्रवास अधिकारी ने इस बात की सूचना रामगढ़वा पुलिस थाने को दी और महिला को गिरफ़्तार किया गया ।

उससे पूछ ताछ के क्रम में सामने आया कि उसके पास भारतीय वीज़ा नहीं है । उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 447, विदेशी अधिनियम की धारा 14 बी, और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 52 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। उसे उसी दिन हिरासत में लिया गया था और हिरासत में 6 महीने बिताने के बाद उसे पटना हाईकोर्ट द्वारा 03.09.2021 जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा इस मामले में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गई थी ।

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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता सृष्टि सिंह ऐवं प्रणव कुमार ने कोर्ट को बताया कि जांच एजेंसी द्वारा दायर प्राथमिकी के साथ-साथ निचली अदालत के संज्ञान लेने का आदेश एवं आरोप पत्र में त्रुटि है। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता कई गम्भीर मानसिक स्वास्थ्य समस्यायों के साथ साथ खाने के विकारों से पीड़ित है ।

इस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं पाते हुए मामले में दर्ज एफआईआर, संज्ञान लेने के आदेश और आरोप तय करने का आदेश भी रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कनाडा के दूतावास के परामर्श से याचिकाकर्ता को उसके अपने देश भेजने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर के ब्रह्मपुरा अंतर्गत राजन साह की 5 वर्षीय पुत्री खुशी के अपहरण के मामले पर सुनवाई की

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद के समक्ष सुनवाई के दौरान मुज़फ़्फ़रपुर के एसएसपी कोर्ट में उपस्थित थे ।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस केस में संलिप्त संदिग्ध का पॉलीग्राफी टेस्ट करवाया जाएगा। एक बार पुनः इस केस को नए सिरे से अनुसंधान किया जाएगा ।

उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में कोई सकारात्मक परिणाम निकाल कर देंगे । इस पर कोर्ट ने कहा मुज़फ़्फ़रपुर के एसएसपी से कहा कि इस केस को चैलेंज के रूप में ले और सकारात्मक जांच रिपोर्ट 4 सप्ताह में दायर करें।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में एकलपीठ ने अनुसंधान पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि पूर्व के अनुसंधानकर्ताओं ने अनुसंधान के नाम केवल काग़ज़ी कार्यवाही की है । कोर्ट ने केस डायरी का अवलोकन कर यह पाया कि पुलिस ने संदिग्धों पर उचित ढंग से कार्यवाही नहीं करते हुए अनुसंधान में उदासीन रवैय्या अपनाया ।

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कोर्ट ने इस मामले पहले से गठित एसआईटी को समाप्त कर मुज़फ़्फ़रपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में नए एसआईटी को गठित करके जांच करने का आदेश दिया था । हाईकोर्ट ने मामले के अवलोकन पर पाया कि अनुसंधान में पाए गए संदिग्ध व्यक्ति आकाश कुमार के बयान को भी पुलिस द्वारा नज़रअंदाज़ किया गया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओमप्रकाश ने कोर्ट को बताया कि 16 फरवरी 2021 को बच्ची का अपहरण कर लिया गया था लेकिन 1 साल 4 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने करते हुए राज्य के अपर मुख्य सचिव को पुनः विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई में

मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया है।मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पी एम सी एच या एम्स ,पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें।इनमें आँख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो।

इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं।साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था,लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था।

याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी।

मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया था। पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था।

इस मामले पर अगली सुनवाई 18 जुलाई, 2022 को की जाएगी।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :-

1.नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी। आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करेगी।
इस मामलें में कोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का मोहलत दिया था।

याचिका में यह कहा गया है कि अन्य राज्यों में नगर निगम को आवंटित धनराशि का उपयोग करने का अधिकार नगर निगम को ही हैं।साथ किस मद में पैसा कैसे खर्च करना हैं,इसका निर्णय भी नगर निगम ही लेता है।लेकिन बिहार में नगर निगमों को ऐसी स्वायतता नहीं है।

2.राज्य के शिक्षण संस्थानों में छात्रों को शुद्ध और साफ पेय जल उपलब्ध कराने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट सुनवाई करेगी। जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी।

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पटना हाईकोर्ट ने पटना के लोगों द्वारा सामना किये जा रहे स्ट्रीट वेंडिंग, ड्रेनेज, जल जमाव, सीवरेज, भूमि विकास, अतिक्रमण व सड़क निर्माण समेत अन्य समस्यायों पर सुनवाई की

जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के राजस्व व भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, पटना के एसएसपी व पटना के जिलाधिकारी समेत अन्य आलाधिकारियों को नोटिस जारी कर कार्रवाई रिपोर्ट माँगा है। विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की गई।

याचिकाकर्ता ने पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा 27 जुलाई, 2019 को पारित किए गए आदेश को कोर्ट के समक्ष रखा। इसमें उम्मीद जताई गई थी कि इन मामलों को लेकर ईमानदार प्रयास किया जाएगा।

अतिक्रमण को हटाया जाएगा और ट्रैफिक जाम के मुद्दे का हल दक्षतापूर्वक किया जाएगा। कोर्ट द्वारा इस बात को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त किया गया था कि उक्त बुनियादी आवश्यकताओं को लेकर राज्य सरकार को एक सिस्टम बनाना चाहिए, ताकि सभी विभागों के बीच एक समन्वय स्थापित किया जा सके।

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क्योंकि जो बुनियादी मुद्दे हैं वो एक दूसरे विभाग से जुड़े हुए हैं और वो एक विभाग के लिए चिंता का विषय नहीं है।

कोर्ट ने एक ऐसा समन्वय स्थापित करने वाली बॉडी बनाने की बात कही थी, जिसमें सिर्फ नौकरशाह ही नहीं ,तकनिकी/ एक्सपर्ट टाउन प्लानर भी शामिल हो।

इस मामलें पर फिर 4 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

अदालत से तथ्यात्मक मामलों को छिपा कर कोर्ट को गुमराह करने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने रिट याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है

जस्टिस संदीप कुमार ने संतोष कुमार द्वारा दायर रिट आवेदन को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

यह राशि कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जमा की जानी है। पटना के दनियावां गांव में 0.255 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के मुआवजे के भुगतान के लिए ये रिट याचिका दायर की गई थी, जो वास्तव में एक विधवा को जमीन स्वामित्व के बारे में पूछताछ करने के बाद भुगतान किया गया था।

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याचिकाकर्ता ने इस तथ्य को दबा कर कहा था कि उसका विधवा के परिवार से कोई संबंध नहीं था।साथ ही भूमि पर उसके दावों को भी उसके द्वारा दायर एक मालिकाना मुकदमे में दीवानी अदालतों द्वारा सुना गया था।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन एक लंबे अरसे के बाद भी नहीं लगाए जाने को काफी गम्भीरता से लिया

जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि ये मशीन कब तक लग कर चालू होगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि आम जनता को सरकारी अस्पताल में इस तरह की जांच कम पैसे में होती है,जबकि निजी अस्पतालों में काफी पैसा खर्च करना होता हैं, तो अब तक सरकार ने इन्हें क्यों नहीं लगाया।

ये जनहित याचिका 2015 में दायर की गई थी।इन वर्षो में कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी मेडिकल कालेजों में इन मशीनों को लगाने व चालू करने के कई आदेश दिया।लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।इसका नतीजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के बार बार आदेश करने के बाद भी सीटी स्कैन और एम आर आई मशीन इन अस्पतालों में अब तक नही लगाया गया है।इससे आमलोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।

उन्होंने बताया कि जहाँ सरकारी अस्पताल में इन जांचो में काफी कम खर्च होता हैं,वहीं निजी अस्पतालों में आमलोगों को काफी खर्च करना पडता हैं।इससे काफी आर्थिक बोझ उन पर पड़ता हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 18 जुलाई,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को चार सप्ताह मे जवाब देने को कहा कि इस मामलें को जांच के लिए क्यों नहीं CBI को सौंपा जाए

जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह और डा अंशुमान की खंडपीठ ने वेटरन फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार की ओर से अपार महाधिवक्ता एस पी यादव ने कोर्ट ने एक सप्ताह समय देने का अनुरोध किया,ताकि इस मामलें की सुनवाई में एडवोकेट जनरल राज्य सरकार का पक्ष सके।

कोर्ट ने जानना चाहा कि इस तरह की अमानवीय घटना के मामलें में राज्य सरकार ने क्या किया।राज्य सरकार को इस मामलें ज्यादा संवेदनशीलता दिखाना चाहिए था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 46 हज़ार होने की सम्भावना है। बीमा राशि लेने के चक्कर में 82 पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया।

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इस मामला के खुलासा होने के बाद मानवाधिकार आयोग ने 30 अगस्त,2012 को स्वयं संज्ञान लिया था आयोग ने 2015 में राज्य सरकार व अनुसन्धान एजेंसी को विस्तृत जानकारी देने को कहा था।

इसमें कितने आपरेशन किये गए और कितनी महिलाओं के उनकी सहमति के बगैर उनके गर्भाशय निकाले गए और उनकी उम्र कितनी थी।पीड़ितों को दिए गए मुआवजे का भी ब्यौरा माँगा गया था।

लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।मानवाधिकार आयोग और पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं दिया गया है।साथ ही सार्वजनिक।धन के वापसी के लिए भी अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद की जाएगी।

राज्य में किसानों और कृषि कार्य में सहायता के लिए लगाए गए राजकीय नलकूपों के बेकार पड़े होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने गुड्डू बाबा ऊर्फ विकास चन्द्र की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में सिंचाई कार्य के लिए दस हजार से अधिक राजकीय नलकूपों को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लगाया गया।इनमें से लगभग एक तिहाई नलकूप ही चालू हालत में रहे।बाकी 6636 नलकूप बेकार पड़े रहे।इस कारण राज्य में कृषि कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए।

कोर्ट को बताया गया कि पिछली कुछ वर्षो में मरम्मती और नलकूपों को चालू करने के बड़े पैमाने पर धन आवंटित किया गया।लेकिन आज भी 161 नलकूप ही चालू हालत में हैं,जबकि 6500 नलकूप अभी चालू हालत में नहीं हैं।

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राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राजकीय नलकूपों के रख रखाव और मरम्मत का जिम्मा ग्राम पंचायत को देने का प्रस्ताव दिया गया था।अब तक इन्हें राज्य लघु सिंचाई विभाग के द्वारा रखरखाव और देखभाल किया जाता रहा हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद की जाएगी।