Press "Enter" to skip to content

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को चार सप्ताह मे जवाब देने को कहा कि इस मामलें को जांच के लिए क्यों नहीं CBI को सौंपा जाए

जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह और डा अंशुमान की खंडपीठ ने वेटरन फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार की ओर से अपार महाधिवक्ता एस पी यादव ने कोर्ट ने एक सप्ताह समय देने का अनुरोध किया,ताकि इस मामलें की सुनवाई में एडवोकेट जनरल राज्य सरकार का पक्ष सके।

कोर्ट ने जानना चाहा कि इस तरह की अमानवीय घटना के मामलें में राज्य सरकार ने क्या किया।राज्य सरकार को इस मामलें ज्यादा संवेदनशीलता दिखाना चाहिए था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 46 हज़ार होने की सम्भावना है। बीमा राशि लेने के चक्कर में 82 पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

इस मामला के खुलासा होने के बाद मानवाधिकार आयोग ने 30 अगस्त,2012 को स्वयं संज्ञान लिया था आयोग ने 2015 में राज्य सरकार व अनुसन्धान एजेंसी को विस्तृत जानकारी देने को कहा था।

इसमें कितने आपरेशन किये गए और कितनी महिलाओं के उनकी सहमति के बगैर उनके गर्भाशय निकाले गए और उनकी उम्र कितनी थी।पीड़ितों को दिए गए मुआवजे का भी ब्यौरा माँगा गया था।

लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।मानवाधिकार आयोग और पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं दिया गया है।साथ ही सार्वजनिक।धन के वापसी के लिए भी अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद की जाएगी।

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »