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पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने वकीलों की टीम को निर्माण कार्य का निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने वकीलों की टीम को निर्माण कार्य का निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

यह वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण के लिए इस सप्ताह के अंत में जाएगी। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में आ रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

पिछली सुनवाई में इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।इससे पूर्व में भी कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

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इस राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में बाधा बने धार्मिक स्थलों सहित स्कूल तथा अन्य अवरोध को हटाने के लिए कोर्ट ने जहानाबाद तथा गया के डीएम एवं एसपी को निर्देश दिया था।

कोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का आदेश दिया था।कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।

वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रही है।

इस मामलें पर 14 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।

नीतीश कैबिनेट में 18 एजेंडों पर मुहर; कंप्यूटर शिक्षक के पदों के सृजन की दी गई स्वीकृति

पटना ।  बुधवार को बिहार सचिवालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैबिनेट की चल रही मीटिंग खत्म हो गई है। मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण एजेंडों पर मुहर लगी है। इस बैठक में कुल 18 एजेंडों पर कैबिनेट की मुहर लगी है।

CM कैबिनेट बैठक में सरकार ने युवाओं के लिए बड़ा फैसला किया है।  टीचरों के लिए बड़ा उपहार दिया है। राज्य में अब मिडिल और हाई स्कूलों में स्टूडेंट के लिए कंप्यूटर टीचर बहाल होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने 7360 पदों का सृजन किया है। सभी मिडिल और हाई स्कूलों में एक – एक कंप्यूटर टीचर का पद सृजन किया गया है। 

नीतीश कैबिनेट की खास बातें

  • सरकारी स्कूल कंप्यूटर के शिक्षक होंगे बहाल
  • सरकार ने 7360 पदों का सृजन किया है 
  • सासाराम प्रमंडलीय व्यवहार न्यायालय एवं कैदी हाजत भवन के लिए राशि स्वीकृत
  • 33 करोड़ 81 लाख रुपये की राशि हुई स्वीकृति
  • छपरा नगर निगम में नमामि गंगे परियोजना के लिए 254 करोड़ की मंजूरी
  • पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को सौगात
  • 7 जिलों में 100 बेड के छात्रावास का कराया जाएगा निर्माण
  • छात्रावास के लिए 4 करोड़ 98 लाख रुपये की स्वीकृति
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गोपालगंज के भोरे में एक नए बिजली सब स्टेशन, संचरण लाइन एवं हथुआ ग्रिड सब स्टेशन में दो लाइन बे निर्माण के लिए 123 करोड़ 83 लाख रुपये की योजना की स्वीकृति दी गई है । वहीं सासाराम प्रमंडलीय व्यवहार न्यायालय एवं कैदी हाजत भवन के लिए 33 करोड़ 81 लाख रुपये की राशि स्वीकृति की है । साथ ही छपरा नगर निगम में नमामि गंगे परियोजना के लिए 254 करोड़ की मंजूरी दी है । इसके अलावा बैठक में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं का भी ध्यान रखा गया है। सरकार ने 7 जिलो में 100 बेड के छात्रावास का निर्माण कराया जाएगा। जिसके लिए 4 करोड़ 98 लाख रुपये की राशि स्वीकृति की गई है ।

साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत संचालित 38 राजकीय अभियंत्रण महाविधालय एवं 46 राजकीय पोलटेक्निक संस्थान में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत पीएचडी और एमटेक डिग्री में नामांकन के लिए  शिक्षकों को अनुमति और अवकाश की स्वीकृति मिली है। 

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नीतीश कैबिनेट ने उर्जा विभाग, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सामान्य प्रसाशन विभाग, शिक्षा विभाग, समेत अन्य विभागों से जुड़े महत्वपूर्ण एजेंडों पर मुहर लगाई है।

इसके साथ ही खगड़िया में चौथम अंचल में जवाहर नवोदय विद्यालय खगड़िया की स्थापना के लिए फ्री जमीन हस्तांतरित किया गया है। इसके अलावा रोहतास न्यायमंडल अंतर्गत अनुमंडलीय के व्यवहार न्यायालय में 10 कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 33 करोड़ 81 लाख 82 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई है। 

बिहार में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।

राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है।कोर्ट ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार के महाधिवक्ता पी के शाही को दो तीन वरीय आई पी एस अधिकारियों के नामों का सुझाव देने को कहा,जो कोर्ट और राज्य सरकार के मध्य कॉर्डिनेट करें।

जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कोर्ट के अधिकारी के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।

इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।

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इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।लगभग आठ सौ थाने ऐसे है,जो सरकारी भवन में चल रहे है।
उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।

कोर्ट ने उनके द्वारा दिए गए तथ्यों को सुनते हुए कहा कि आगे की सुनवाई में इन मुद्दों विचार किया जाएगा।इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है। साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया है,जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है।कोर्ट ऐसे जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेगा।

पिछली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था।

वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था।

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पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 9 फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने समस्तीपुर में कथित रूप से जाली राशन कार्ड जारी करने के मामलें में सुनवाई की

पटना हाई कोर्ट ने समस्तीपुर में कथित रूप से जाली राशन कार्ड जारी करने के मामलें में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मोहम्मद इशाक़् की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि समस्तीपुर ज़िला में बड़े पैमाने पर जाली राशन कार्ड का धंधा चल रहा है। जो लोग वहां के निवासी भी नहीं है, उनके नाम भी राशन कार्ड में शामिल है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो लोग मर चुके है,उनके नाम भी राशन कार्ड में लगे हुए है।उनका कहना था कि गरीबों को सब्सिडी पर दिए जाने वाले अनाज और किरासन तेल टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (कंट्रोल) आर्डर, 2015 के विपरीत गलत लोगों को दिया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि इस मामलें न जाली राशन कार्ड का मामला है,बल्कि पीडीएस को चलाने वाले भी आम जनता को लूट रहे है।उन्हें घटिया अनाज दे रहे है और वह भी पूरा बजन नहीं दे रहे है और लाभ कमा रहे है।

इसकी शिकायत पिछले साल समस्तीपुर के जिलाधिकारी से की गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं देखने को मिला।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

इस मामले में आगे की सुनवाई अब चार सप्ताह बाद कि जाएगी।

निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया

पटना हाइकोर्ट ने निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर कड़ा रुख अपनाया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस तरह की गलत जनहित याचिकाओं के दायर करने वाले सख्त चेतावनी दी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाओं के दायर करने वालोंं की न सिर्फ याचिकाएं खारिज की जाएगी,बल्कि उन पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिकाओं का उद्देश्य जनता से जुड़े उचित मामलों को कोर्ट के समक्ष लाना,न कि अपनी निजी स्वार्थ के लिए जनहित याचिकाओं का दुरूपयोग करना।

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कोर्ट ने आज ही जनहित याचिका के रूप में कॉन्ट्रेक्ट से सम्बंधित मामलें दायर करने पर याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलें को जनहित याचिका के रूप में दायर करना इस व्यवस्था का दुरूपयोग है।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो माह के भीतर ये राशि बालसा के खाते में डालने का निर्देश दिया।

इसी तरह के एक अन्य मामलें जनहित याचिका को निजी स्वार्थ वाला कहा।इस मामलें में याचिकाकर्ता पर पाँच हज़ार रुपये का आर्थिक दंड लगाया।कई दायर जनहित याचिकाओं को अधिवक्ताओं ने खुद ही वापस ले लिया।

सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जातीय और सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्य सभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जातीय और सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है।

छपरा में राजद समर्थकों द्वारा एक युवक की निर्मम पिटाई कर हत्या के बाद आज तक मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पूरे इलाके में भारी तनाव है। हत्या के बाद आक्रोश में क्रूद्ध भीड़ द्वारा की गई घटनाओं की आड़ में निरपराध लोगों को परेशान कर रही है। अपराधियों को पकड़ने के बजाय आम नागरिकों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है।

उसी प्रकार गोपालगंज में क्रिकेट के दौरान एक युवक की हत्या के बाद इलाके में काफी तनाव है।

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महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद समर्थित अपराधी निरंकुश हो गई है। सत्ता संरक्षण के कारण पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री भी राजद समर्थकों पर कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं।

श्री मोदी ने छपरा और गोपालगंज में लोगों से शांति बनाए रखने और उत्तेजित नहीं होने की अपील की है और अविलंब अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

पटना हाइकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना में आयी धनराशि में अनियमितता बरतने के मामलें को गम्भीरता से लेते हुए जांच के लिए छह सप्ताह का समय दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य भारत सरकार के योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना में आयी धनराशि में अनियमितता बरतने के मामलें को गम्भीरता से लिया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने हरि नारायण पासवान की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के अपर प्रधान सचिव को राज्य में इस तरह की अनियमितता की जांच करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमन कुमार सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि समस्तीपुर ज़िला के सिंघिया प्रखंड के तहत बारी ग्राम पंचायत राज के मुखिया ने केंद्रीय योजना के तहत आये फंड का दुरूपयोग किया है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो पंचायत को फंड मिला,उसमें मुखिया ने अनियमितता बरती।उन्होंने अफसरों की मिलीभगत से फंड का दुरूपयोग किया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस अनियमितता की जानकारी देते हुए उच्च अधिकारियों को कई बार अभ्यावेदन(रिप्रेजेंटशन) दिया गया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला।

आज कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को राज्य में इस योजना में हुए घपले की करने के छह सप्ताह का समय दिया।इस मामलें पर अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद की जाएगी।

छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में भी कोर्ट आदेश क्यों देना होता है? इस तरह कि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है।

पटना हाइकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों में भी कोर्ट आदेश क्यों देना होता है। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह कि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है।

कोर्ट ने पटना समेत राज्य के सभी जिलों के सम्बन्ध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई में पूरा रिपोर्ट चार्ट के रूप में पेश करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने ये जिम्मेदारी अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है।कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की थी।

अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है।इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के बहुत से स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं पढ़ती है।इनकी संख्या काफी अधिक होने के वाबजूद भी कई स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए एक ही शौचालय है।

उन्होंने बताया कि नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं।पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियों बीच में ही पढ़ाई क्यों छोड़ देती हैं।

उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है।डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं।

उन्होंने कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में क्या कहा जा सकता हैं।

इस् मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 13फरवरी,2023 को तय की गई है।

पटना हाइकोर्ट ने बीपीएससी द्वारा संचालित 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली सुनवाई करते हुए परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

जस्टिस पी वी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन वह कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।इस परीक्षा में राज्य में 214सिविल जज(जूनियर डिवीजन)- न्यायिक दंडाधिकारी परीक्षा में सफल हुए।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि की न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ , इस मामले में पारित अंतिम फैसले के फलाफल पर निर्भर करेगा।
रिट याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि चयन करने वाली बिहार लोक सेवा आयोग ने भर्ती नियमावली और इस परीक्षा हेतु प्रकाशित विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन किया है।आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में प्रथम दृष्टया अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुलाकर पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी किया है।आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फ़ीसदी अंक कम था।

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एक और भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में 5 फ़ीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है ,लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया।

शानू ने दूसरा आरोप यह लगाया के इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी ,जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 फ़ीसदी कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फ़ीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया।

वहीं दूसरी तरफ यह रिट याचिका कर्ता, जिन्हें औसतन मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ से 80 फ़ीसदी अधिक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया। पूरे साक्षात्कार की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने पूरे रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया की कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण दोष के आधार पर नए सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार कराया जाए।

हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी।

अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस, नीतीश और वामपंथियों का चरित्र दोहरा: सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उद्योगपति गौतम अडाणी के मामले में कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है और संसद में चर्चा करने के बजाय सदन को बाधित कर रही है।

  • अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस, नीतीश और वामपंथियों का चरित्र दोहरा
  • बिहार सरकार ने इंवेस्टर्स मीट में अडाणी के प्रतिनिधि को क्यों आमंत्रित किया ? क्या नीतीश कुमार बिहार को बेच रहे थे?
  • राजस्थान में अशोक गहलोत ने अडाणी से सौर ऊर्जा क्षेत्र में 65000 करोड़ का निवेश कराने के लिए कौड़ियों के भाव जमीन दी।
  • केरल सरकार आडानी द्वारा बनाए जा रहे विझिजाम अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह के पक्ष में खुटा ठोक कर कड़ी है।
  • अडाणी मुद्दे पर सरकार संसद में चर्चा के लिए तैयार, इसमें न सरकार की कोई भूमिका, न कोई रियायत दी गई।

श्री मोदी ने कहा कि राहुल गांधी “भारत जोड़ो यात्रा” के दौरान अडाणी समूह पर अनर्गल आरोप लगाते रहे, जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अडाणी से सौर ऊर्जा क्षेत्र में 65000 करोड़ का निवेश कराने के लिए इसी अडाणी समूह को कौड़ियों के भाव जमीन देने की घोषणा करते हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही नहीं, बिहार में नीतीश कुमार और केरल में वाम मोर्चा सरकार भी अपने यहाँ पूंजी निवेश के लिए तो अडाणी की आरती उतारते हैं, लेकिन जब इस समूह को भाजपा शासित राज्य में कोई काम दिया जाता है, तब “देश बेच दिया” का शोर मचाया जाता है।

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श्री मोदी ने कहा कि अगर अडाणी समूह में पेशेवर ईमानदारी की कमी है, तो बिहार सरकार ने इंवेस्टर्स मीट में अडाणी के प्रतिनिधि को क्योंआमंत्रित किया था? नीतीश कुमार ने उनसे निवेश की अपील क्यों की थी? तब क्या नीतीश कुमार बिहार को बेच रहे थे ?

उन्होंने कहा कि अडाणी को लेकर विपक्षी पाषंड की पराकाष्ठा यह कि केरल की वाम मोर्चा सरकार विझिजाम में बन रहे अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह के पक्ष में खडी है, जबकि स्थानीय जनता आडानी द्वारा विझिजाम में बन रहे अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह का विरोध कर रही है।

राजस्थान और केरल के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और आंध्र प्रदेश में राज्य सरकारों के सहयोग से आडानी समूह खरबों रुपए का निवेश कर रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि अडाणी समूह के मुद्दे पर केंद्र सरकार नियमानुसार चर्चा के लिए तैयार है। राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट पर जो कुल 24 घंटे चर्चा के लिए तय हैं, उसमें विपक्ष कम से कम 6 घंटे अडाणी सहित किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रख सकता है। लेकिन विपक्ष की मंशा चर्चा की नहीं, केवल हंगामा कर प्रचार पाने की है।

उन्होंने कहा कि अडाणी मामले में न सरकार की कोई भूमिका है और न इस समूह को कोई रियायत देने या पक्षपात करने का प्रमाण सामने आया है। विपक्ष का अभियान दुराग्रह और दोहरेपन से संचालित है।

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श्री मोदी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने साफ कर दिया है कि अडाणी समूह को जो भी कर्ज दिये गए हैं, उसके एवज में आर्थिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की गई है।

उन्होंने कहा कि जब अडाणी के शेयर संबंधी मामलों की निगरानी सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक कर रहे हैं, तब विपक्ष को छाती पीटने की जरूरत नहीं है। देश की अर्थव्यवथा ईमानदार और मजबूत हाथों में है।

Bihar News Latest Breaking of this hour: NIA ने बिहार में टारगेट किलिंग की साजिश रचने के आरोप में PFI के दो और कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार

Live News of Bihar – इस समय की बड़ी खबरें

  • Bihar News: मोतिहारी में NIA की छापेमारी 8 जगहों पर जारी, कई दस्तावेज और हथियार भी बरामद।
  • पटना: माघपूर्णिमा के अवसर पर गंगा नदी पर लोगो ने किया गंगा स्नान। गंगा नदी के तट पर गंगा में स्नान कर श्रध्दालुओं ने की पूजा अर्चना।
  • सहरसा: बाहुबली पूर्व सांसद आनन्द मोहन जेल से निकले बाहर। 15 दिनों के लिए पुत्री की विवाह के लिए मिला पेरौल।
  • Bihar News: शिक्षा मंत्री का बड़ा ऐलान, 7वें चरण की शिक्षक बहाली जल्द शुरू होगी । महीने भर के अंदर सातवें चरण की शिक्षक बहाली की नियोजन नियमावली जारी कर दी जाएगी।
  • शिवहर: पुलिस ने भारी मात्रा में देसी शराब के साथ 5 लोगों को किया गिरफ्तार। हीरम्मा थाना पुलिस ने अटकोनी गांव में की कार्रवाई ।
  • पटना-हाजीपुर NH पर देर रात चलती कार में आग लग गई, कार में सवार सभी 5 लोगों ने कूदकर अपनी जान बचाई।
  • Bihar News: CM नीतीश नीतीश आज समाधान यात्रा के तहत अररिया में रहेंगे मछली पालन और मखाना खेती का लेंगे जायजा ।
  • औरंगाबाद: नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, छापेमारी में भारी मात्रा में हथियार बरामद ।
  • भोजपुर: 10 हजार रिश्वत लेते निगरानी विभाग ने एक कर्मचारी को किया गिरफ्तार ।
  • पूर्णिया: जिले के बैसी में माला-सकरबलिया रोड पर स्थित दुमुहनी नाले पर बन रहा 20.10 मीटर लंबा पुल ढह गया।  निर्माणाधीन पुल गिरने से दो मजदूरों घायल हो गए। 
  • गोपालगंज: अंकित हत्याकांड का मुख्य आरोपी सोनू मियां गिरफ्तार; अबतक अंकित की हत्या के 8 आरोपी हुए गिरफ्तार ।
  • सारण: शादी वाले घर में भोज के बाद पांच दर्जन लोग बीमार। गांव में पहुंची मेडिकल टीम, प्रभावित लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जा रह है।
  • Bihar News: बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने BSSC CGL 3 Exam 2022 रद्द कर दिया। रद्द की गयी परीक्षा पुनः दिनांक 05.03.2023 को संभावित है।

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चीफ जस्टिस संजय करोल ने आई टी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने को लेकर लखीसराय(किऊल) में रेलवे कोर्ट बिल्डिंग, ई- रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर का भी उदघाट्न किया

पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने इंफ्रास्ट्रक्चर आई टी को बढ़ावा देने को लेकर लखीसराय(किऊल) में रेलवे कोर्ट बिल्डिंग का उदघाटन किया गया। साथ ही साथ गया में मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग के निर्माण, जजों के लिये गेस्ट हाउस तथा गया में 80 पी ओ क्वार्टर के लिए आधार शिला रखने का काम किया गया।

‘ गो ग्रीन ‘ और पेपरलेस के अनुरूप, राज्य के सभी न्यायालयों में ई – फाइलिंग 3.0 की भी शुरुआत चीफ जस्टिस ने पटना हाई कोर्ट में किया। पटना हाई कोर्ट में ई- रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर का उदघाट्न भी हुआ। इसके शुरू हो जाने से रजिस्ट्री का फ़ाइल पेपरलेस प्रोसेसिंग के जरिये डिजिटल मोड में हो जाएगी।

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इसका आयोजन जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह व जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों की उपस्थिति में किया गया। इस मौके पर पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि सचिव, राज्य के सभी जिला जज और न्यायिक अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित थे।

इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के उदघाटन से न सिर्फ जजों को फायदा होगा, बल्कि अधिवक्ताओं के साथ ही साथ आम लोगों को भी। यह न्याय आम लोगों को आसानी से पहुंचाने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा।

पटना हाईकोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने का आदेश दिया

पटना हाई कोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आदेश दोनों जिला के डीएम को दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अपने 23 पन्ने का आदेश दिया।

कोर्ट ने ईट भट्टों को फ्लाई ऐस ब्रिक्स में परिवर्तन के बारे में तेजी से कार्रवाई करने का आदेश दिया।वही प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये हर जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया। लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का भी आदेश दिया।

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कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरण कानून का पालन करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने आदेश की प्रति वैशाली एवं नालंदा जिला के डीएम को भेजने का आदेश दिया।

इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि पर्यावरण वन एवं वातवरण बदलाव विभाग की ओर से थर्मल पावर प्लांट के तीन सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी सरकारी कामों फ्लाई ऐस ब्रिक्स का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।

पटना हाई कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह को हाईकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया

पटना हाई कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह को हाई कोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।आज केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इस आशय का अधिसूचना जारी किया है।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाये जाने के बाद पटना हाई कोर्ट में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा। चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने आज सुनाया।

ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया।इस मामलें पर कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि राज्य में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।

उन्होंने कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है।कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते है।

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साथ ही राज्य सरकार की इस दलील को भी रद्द कर दिया कि राज्य के आस पास दूसरे राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है,इसीलिए बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जहां कृषि योग्य भूमि नहीं है,उन्हें चिन्हित कर वहां ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार हो,ताकि राज्य की जनता को सुरक्षित,विकसित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हवाई यात्रा उपलब्ध हो सके।

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया।vइस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के सभी जज,बिहार सरकार एडवोकेट जनरल पी के शाही, वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, वरीय विधि पत्रकार अरविन्द उज्ज्वल, मुकेश कुमार, सरकारीवकील प्रशांत प्रताप व बड़ी तादाद में अधिवक्तागण उपस्थित रहे।वहाँ उन्होंने उन्हें बधाइयाँ और शुभकामनाएं दी।

पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस अहसानुद्दिन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने 13दिसम्बर,2022 को सुप्रीम कोर्ट मे पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की थी।

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राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल,पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी बी संजय कुमार,पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुउद्दीन अमानुल्ला और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए जाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट ने की थी।

इनके द्वारा सोमवार 6 फरवरी,2023 को शपथ ग्रहण करने की संभावना है।

केके पाठक को निलम्बित करें नीतीश, बचायें नहीं: सुशील कुमार मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के आदती और पूरी औपनिवेशिक अकड़ से काम करने वाले आइएएस केके पाठक ने अब तक दर्जनों मंत्रियों, विधायकों और अफसरों का अपमान किया, फिर भी मुख्यमंत्री उन्हें संरक्षण देकर कार्यपालिका का मनोबल गिरा रहे हैं।

  • पत्रकार को पीटा, दर्जनों मंत्रियों को अपमानित किया, फिर भी सीएम के कृपापात्र रहे पाठक
  • बिना निलम्बित किये प्रशासनिक जांच सिर्फ दिखावा

श्री मोदी ने कहा कि केके पाठक के डिप्टी कलक्टर स्तर के अधिकारी से गाली-गलौज की भाषा में बात करने का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें तुरंत निलम्बित किया जाना चाहिए। केवल खेद व्यक्त करना काफी नहीं है।

उन्होंने कहा कि पाठक ऐसे अफसर हैं, जिन्हें नियम-कानून से कोई मतलब नहीं। उनके शब्द ही कानून हैं । वे दर्जनों लोगों पर मानहानि का मुकदमा ठोक चुके हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि पाठक खुद को जनता का सेवक नहीं, बल्कि अंग्रेज़ों के जमाने का कठोर शासक समझते हुए काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि जो अफसर एक पत्रकार को अपने चैम्बर में बुलाकर पीट चुका हो और जिसके उद्योग विभाग का वरिष्ठ अधिकारी रहते उद्योग संगठनों को सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ा हो, उसके मानसिक स्वास्थ्य की जांच करायी जानी चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि केके पाठक को निलम्बित किये बिना उनके विरुद्ध कोई भी प्रशासनिक जांच निष्पक्ष नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति मुख्यमंत्री को प्रिय है और जो मुख्यसचिव की भी नहीं सुनता हो, उसके खिलाफ जांच कौन कर सकता है?

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है। हर्षित शरण द्वारा दायर अपील पर जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ को ये जानकारी बीपीएससी के अधिवक्ता दिया।

याचिकाकर्ता ने जस्टिस मधुरेश प्रसाद के सिंगल बेंच के उस आदेश को एलपीए दायर कर चुनौती दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आयोग द्वारा लिए गए परीक्षा में गलत दिए गए 10 प्रश्नों को चुनौती दिया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के रिट याचिका को खारिज कर दिया था।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया बीपीएससी द्वारा द्वारा ली गई 67वीं के मुख्य परीक्षा में 10 प्रश्न गलत थे।इस बात की जानकारी कोर्ट को देने के बाद भी सिंगल बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को सुनने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता से पूछा इस परीक्षा का परिणाम कब तक प्रकाशित होगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगली सुनवाई तक इस परीक्षा का परिणाम प्रकाशित होने की संभावना कम है।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 21 फरवरी,2023 निर्धारित किया है।

बिहार के IAS अधिकारी ने बैठक के दौरान किया अभद्र भाषा का प्रयोग; अपनी बातों पर खेद जताया, लेकिन बिहार प्रशासनिक सेवा संघ BASA के सामने नहीं झुकने का भी एलान कर दिया

बिहार प्रशासनिक सेवा संघ (बासा) के सदस्यों ने मांग की है कि राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक को एक बैठक के दौरान उनके और बिहार के लोगों के खिलाफ कथित रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के लिए बर्खास्त किया जाए, जिसका एक वीडियो क्लिपिंग वायरल हो गया है।

एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी पाठक के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है।

बासा के सदस्य शुक्रवार को अपने संघ का पंजीकरण रद्द किए जाने के विरोध में काला बिल्ला लगाएंगे।

“पाठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में उपस्थित अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए देखा जा सकता है। बासा के महासचिव सुनील कुमार तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, पाठक सरकारी अधिकारियों और राज्य के लोगों के खिलाफ उग्र लग रहे थे।

हालांकि, बीपार्ड ने एक बयान में कहा, “डीजी ने बासा अधिकारियों के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद व्यक्त किया है जैसा कि वीडियो में दिखाया गया है।” वायरल वीडियो में पाठक बिहार की राजधानी पटना की ट्रैफिक समस्या के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं.

“क्या तुमने कभी किसी को सड़क पर सिग्नल लाल होने पर हॉर्न बजाते देखा है? लेकिन पटना के बेली रोड पर रेड लाइट पर लोग हॉर्न बजाते रहते हैं. चेन्नई में लोग नियमों का पालन करते हैं। मैं डिप्टी कलेक्टरों को फटकार लगाऊंगा, “केके पाठक क्लिपिंग में बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं।