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बिहार में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।

राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है।कोर्ट ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार के महाधिवक्ता पी के शाही को दो तीन वरीय आई पी एस अधिकारियों के नामों का सुझाव देने को कहा,जो कोर्ट और राज्य सरकार के मध्य कॉर्डिनेट करें।

जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कोर्ट के अधिकारी के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।

इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।

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इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।लगभग आठ सौ थाने ऐसे है,जो सरकारी भवन में चल रहे है।
उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।

कोर्ट ने उनके द्वारा दिए गए तथ्यों को सुनते हुए कहा कि आगे की सुनवाई में इन मुद्दों विचार किया जाएगा।इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।

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