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“बिहार में बहुत अधिक जातिवाद है, हर क्षेत्र में; नौकरशाही, राजनीति, सेवा…” SC ने पटना हाईकोर्ट से जाति सर्वेक्षण पर रोक वाली याचिका पर 3 दिन में सुन कर अंतरिम आदेश करने को कहा

दिल्ली/पटना । बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट 3 दिन में याचिका को सुन कर अंतरिम आदेश दे।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जातिवाद बिहार में बड़े पैमाने पर है और नौकरशाही या राजनीति हर क्षेत्र में प्रचलित है।

जस्टिस एमआर शाह और जेबी पर्दीवाला की पीठ राज्य में चल रहे जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर विचार कर रही थी।

न्यायमूर्ति शाह ने टिप्पणी की, “वहां बहुत अधिक जातिवाद है। हर क्षेत्र में। नौकरशाही, राजनीति, सेवा।”

“बिहार में हर क्षेत्र में इतना जातिवाद”: सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट से जाति सर्वेक्षण पर रोक के लिए याचिका पर फिर से विचार करने को कहा।

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याचिकाकर्ता ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ का कहना है कि पूरी प्रक्रिया बिना उचित कानूनी आधार के हो रही है. लोगों को जाति बताने के लिए बाध्य करना उनकी निजता का भी हनन है।

बिहार सरकार राज्य में जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जाति जनगणना करा रही है।सरकार का कहना है कि इससे आरक्षण के लिए प्रावधान करने और विभिन्न योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।

पटना उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के लिए सर्वेक्षण पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अंतरिम राहत देने या न देने का निर्णय लेने से पहले उच्च न्यायालय को गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई करनी चाहिए थी।

भाजपा सांसद व पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी को पटना हाइकोर्ट ने भाईयों के बीच विवाद को आपसी सहमति से निपटाने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने भाईयों के बीच विवाद को आपसी सहमति से निपटाने का निर्देश भाजपा सांसद व पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी को दिया। जस्टिस डा. अंशुमान ने सांसद रूडी के भाई सेवानिवृत एयर कमांडर रणधीर प्रताप की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि दोनों सम्मानित परिवारों को आपसी सहमति से विवाद सुलझा लेना चाहिए।

इसी बीच सीआरपीएफ की ओर से जबाबी हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि सांसद के सुरक्षा में तैनात अंगरक्षकों ने उनके भाई एवं उनकी पत्नी को नहीं पहचान सकें। इस कारण उन्हें घर में घुसने से रोक दिया गया।

सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी सुरक्षा गाइड लाइन का पालन किये है। गाइड लाइन के तहत अप्रत्याशित आगंतुकों को बिना अनुमति के प्रवेश नहीं करने देना है, जबतब कि घर के सदस्यों की ओर से उन्हें आने देने की अनुमति नहीं दे दी जाये।

घटना के समय सांसद घर पर नहीं थे,जिस कारण यह समस्या उत्पन्न हुई।कोर्ट ने सांसद के वकील को दो सप्ताह के भीतर जबाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।इस बीच आपसी सहमति से मामले को निपटाने का निर्देश दिया।

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आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदक भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त है।इनकी बेहतर सेवा पर केंद्र सरकार ने विशिष्ट सेवा मेडल दिया।लेकिन उनके माँ के देहांत के बाद भाईयो में सम्पति को लेकर विवाद होने लगा।जिसको लेकर छपरा सिविल कोर्ट में बटवारा केस भी दायर किया गया है।

सीआरपीएफ के जवान उन्हें एवं उनकी पत्नी को पुश्तैनी घर में प्रवेश करने से रोक दिया था।यही नहीं, जवान उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया।इसकी शिकायत सीआरपीएफ के डीजी सहित राज्य के डीजीपी, सारण के एसपी से किया गया।लेकिन कही से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पटना हाईकोर्ट ने डी एम, पटना को बीसीए के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के फर्जी ढंग से निर्वाचित होने के मामलें की जांच 45 दिनों के अंदर पूरा कर विधि सम्मत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया

पटना हाईकोर्ट ने डी एम, पटना को बीसीए के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के फर्जी ढंग से निर्वाचित होने के मामलें की जांच 45 दिनों के अंदर पूरा कर विधि सम्मत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है।याचिकाकर्ता ओम प्रकाश तिवारी की याचिका पर जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट को बताया गया कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रावधानों व सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार बीसीए के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और जिला प्रतिनिधि पद पर चुनाव वही लड़ने का अधिकार रखते हैं, जो जिला संघों (पूर्ण सदस्य) के प्रतिनिधि हो।

लेकिन बीसीए में हुए पिछले चुनाव में सर्वप्रथम असंवैधानिक तरीके से गोवा का एक निर्वाचन चुनाव पदाधिकारी नियुक्त कर चुनावी प्रक्रिया पूरा किया गया।इसमें बीसीए के चुनाव पदाधिकारी द्वारा जारी मतदाता सूची में बीसीए के तीन पूर्व पदाधिकारी राकेश कुमार तिवारी अध्यक्ष, दिलीप सिंह उपाध्यक्ष और आशुतोष नंदन सिंह कोषाध्यक्ष का नाम इस मतदाता सूची में कहीं नहीं है।

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फिर भी फर्जी तरीके से खुद को बीसीए के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष निर्वाचित करा लिए,जो कि पूरी तरह से अवैध है।

कोर्ट ने इस मामलें पर सभी सम्बंधित पक्षों को सुनने के बाद उक्त आदेश दिया।

JDU के पूर्व नेता, प्रवक्ता अजय आलोक BJP में हुए शामिल

पटना ।  जदयू के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर अजय आलोक ने दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में सदस्यता ग्रहण किया। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अजय आलोक को बीजेपी की सदस्यता दिलाई गई । मौके पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे थे।

इस मौके पर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन क्लियर है, राष्ट्र प्रथम और इसी विजन के साथ वह देश को आगे बढ़ा रहे हैं। आज बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर आए दिन कई नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। अजय आलोक BJP में आज शामिल हुए हैं इनके आने से बीजेपी को नई मजबूती प्रदान होगी।

BJP Ajay Alok

BJP की सदस्यता लेने के बाद अजय आलोक ने कहा, भाजपा में आकर मुझे ऐसा लग रहा है कि “मैं अपने परिवार में ही आया हूं जिसके मुखिया मोदी जी हैं। अगर मेरा एक प्रतिशत योगदान भी मोदी विज़न में हो सका तो यह मेरे लिए गर्व की बात होगी।”

अजय आलोक को पिछले साल JDU ने बाहर का रास्ता दिखाया था । लालू प्रसाद यादव और RJD के विरोधी अजय आलोक महागठबंधन बनने के बाद से ही नाराज़ चल रहे थे। उन्होंने कई बार सीएम नीतीश कुमार पर भी हमला किया जिसके बाद पार्टी ने उन्हें आरसीपी सिंह का करीबी बता उनसे इस्तीफा मांग लिया था।

इस मौके पर अजय आलोक ने बिहार के CM नीतीश कुमार को भी आड़े हाथों लिया और कहा, “नीतीश कुमार को बहुत लोग पलटीमार कहते हैं जो बिल्कुल सही है. उन्होंने ही 87 साल बाद जेल मैन्युअल में संशोधन किया था और यह क्लॉज डाला था कि अगर सरकारी सेवक की हत्या होगी तो उसे कभी रिहा नहीं किया जाएग, अब आनंद मोहन और बाकी कैदियों को उन्हें रिहा करना था इसलिए उन्होंने संशोधन किया.”

AJAY ALOK BJP

अजय आलोक के निजी जीवन की बात करें तो वे डॉक्टर हैं। उनके पिता गोपाल सिन्हा भी प्रसिद्ध डॉक्टर हैं। वहीं, वे बसपा से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा, वे टीवी डिबेट का चर्चित चेहरा हैं।

देश की ख्याति प्राप्त लोक गायिका शारदा सिन्हा को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन से वंचित करने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग और ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी से जवाब तलब किया है और आदेश दिया है कि उनकी पेंशन का भुगतान शीघ्र किया जाए

देश की ख्याति प्राप्त लोक गायिका शारदा सिन्हा को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन से वंचित करने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग और ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि उनकी पेंशन का भुगतान शीघ्र किया जाए।

जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने पद्मभूषण शारदा सिन्हा की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता के वकील विकास कुमार ने कोर्ट को बताया की 1979 में शारदा सिन्हा की नियुक्ति इस विश्वविद्यालय में संगीत शिक्षिका के तौर पर हुई थी।वह समस्तीपुर स्थित महिला महाविद्यालय से 2017 रिटायर हुई ।

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उसके बाद अचानक कुछ विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्तियों गड़बड़ी पाते हुए एक जांच बैठाया गया। इसमें 7 लोगों की नियुक्तियों में गड़बड़ी पाई गई, उसमें शारदा सिन्हा का भी नाम कहां से आ गया, इसका कोई आधार नहीं बताया गया।

फलस्वरुप सेवानिवृत्ति के बाद शारदा को अपने पेंशन के जाने के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है ।कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक को आदेश दिया की शारदा सिन्हा के पेंशन उन्हें तुरंत भुगतान किया जाए।

इस मामले की अगली सुनवाई 27 जून,2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा का स्थानांतरण पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट किए जाने की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा का स्थानांतरण पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट किए जाने की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी । जस्टिस शर्मा ने अपने ख़राब स्वास्थ्य एवं पटना में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण अपना स्थानांतरण राजस्थान हाईकोर्ट करने का निवेदन किया था ।

उन्होंने अनुरोध किया था कि यदि राजस्थान हाईकोर्ट में उनका प्रत्यावर्तन होना संभव नहीं है, तो उन्हें पंजाब हरियाणा के हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

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जस्टिस शर्मा राजस्थान के रहने वाले हैं । वे 16 नवंबर 2016 को राजस्थान हाईकोर्ट के जज बने थे । 01जनवरी ,2022 को उनका स्थानांतरण पटना हाईकोर्ट हुआ था ।

पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस-मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई गर्मी के अवकाश के बाद की जाएगी

पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई गर्मी के अवकाश के बाद की जाएगी। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए पुनः समय दिया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस बारे में पटना नगर निगम को विस्तृत जानकारी देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था।पिछली सुनवाई में पटना नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है।

निविदा की कार्रवाई की जा रही है। पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने के लिए पटना नगर निगम ने तीन सप्ताह की मोहलत मांगी,जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था।

ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की है। अधिवक्ता मानिनी जयसवाल ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से छोटे लड़कों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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याचिकाकर्ता के वकील मानिनी जयसवाल ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि खुले और अवैध रूप से चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा तत्काल बंद कराया जाना चाहिए ।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर खुले में मांस मछ्ली की बिक्री होती है।

अधिवक्ता मानिनी जयसवाल ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि अस्वस्थ और बगैर उचित प्रमाणपत्र के ही जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।

साथ ही जनता को भी स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त मांस मछली मिल सके।इस मामलें पर अगली सुनवाई गर्मी के अवकाश के बाद होगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार में राज्य अनुसूचित जाति आयोग व महिला आयोग के क्रियाशील नहीं होने के मामले में राज्य सरकार से जबाव तलब किया है

पटना हाइकोर्ट ने बिहार में राज्य अनुसूचित जाति आयोग व महिला आयोग के क्रियाशील नहीं होने के मामले में राज्य सरकार से जबाव तलब किया है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राजीव कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता राजीव कुमार के वकील विकास कुमार पंकज ने कोर्ट को बताया कि राज्य अनुसूचित जाति आयोग, जो मई 2016 से कई रिक्त पड़े हैं।राज्य महादलित आयोग, जो 2017 से कई पद रिक्त पड़े है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग है, जो 2018 से सभी पद रिक्त है। वह भी प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर रहा है।इसका खामियाजा आमलोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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उन्होंने बताया कि राज्य महिला आयोग की स्थिति भी कोई अलग नहीं है।वहां भी नवम्बर 2020 से सभी पद रिक्त पड़े है।इस कारण महिलाओं की समस्यायों का समाधान नहीं हो पा रहा है।

राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने जवाब देने के 3 सप्ताह का वक़्त माँगा।कोर्ट ने इस अनुरोध को मंजूर करते हुए अगली सुनवाई के लिए 23 जून,2023 की तिथि निर्धारित की है।

पटना हाइकोर्ट ने लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में बिहार सरकार से जबाब तलब करते हुए 20 जून,2023 तक जवाब देने की मोहलत दी है

पटना हाइकोर्ट ने लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में राज्य सरकार से जबाब तलब किया है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राधेश्याम ठाकुर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को 20 जून,2023 तक जवाब देने का मोहलत दी है।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है, जबकि राज्य में कमार जाति नहीं के बराबर है।

उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में लोहार जाति होने की बात मानी है। उनका कहना था कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के लिए गत पहली मार्च को अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत जाति सर्वेक्षण का दूसरा चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू कर 15 मई तक पूरा करना है।

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लेकिन राज्य सरकार की ओर से जारी जाति कोड में लोहार जाति के लिए कोई कोड निर्धारित नहीं किया गया है। लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है।

उनका कहना था कि 1941 की जनगणना में लोहार जाति को अलग जाति के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन इस जातिय जनगणना में इस जाति को अपना जाति कोड नहीं दिया गया,जबकि राज्य में लोहार जाति सबसे कमजोर जातियों में से एक है।

इसी कारण राज्य सरकार ने 2016 में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने की सिफारिश केंद्र से की थी।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 342 का हवाला देते हुए लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में रखने के सरकारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 जून, 2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने HIV मरीजों के लिये “ओआई“(ऑपोर्ट्यूनिस्टिक इन्फेक्शन) मेडिसिन की उपलब्धता के मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार एवं बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी को 3 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है

पटना हाई कोर्ट ने एचआईवी मरीजों के लिये “ओआई“(ऑपोर्ट्यूनिस्टिक इन्फेक्शन) मेडिसिन की उपलब्धता के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार एवं बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी को तीन सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है । चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने वीरांगना सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई की ।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास कुमार पंकज ने कोर्ट को बताया कि एचआईवी मरीजों के लिये राज्य के एआरटी सेंटरों में दवा उपलब्ध नहीं रहती है । इन दवाओं के अभाव में मरीज़ों का उपचार नहीं हो पा रहा है , जबकि इन दवाओं को उपलब्ध कराना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

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एचआईवी मरीजों के लिए दवा उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ।इस पर खंडपीठ ने एआरटी सेंटर पर दवाओं की उपलब्धता, एचआईवी रोगियों के निबंधन एवं उनके इलाज से संबंध में जानकारी माँगी है ।

इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों समेत ज़िला अस्पतालों में वेंटीलेटर,एमआरआई मशीन,सिटी स्कैन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 4 सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों समेत ज़िला अस्पतालों में वेंटीलेटर,एमआरआई मशीन,सिटी स्कैन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने रणजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया राज्य के बहुत सारे प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रो के अपने भवन नहीं है।इसके लिए राज्य सरकार को भूमि उपलब्ध करा कर अपने भवन प्राथमिक चिकित्सा केंद्र हेतु बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के सभी नौ सरकारी मेडिकल कालेजों में जो सिटी स्कैन मशीन लगाए गए हैं, वे पीपीपी मोड पर लगाए गए है।इन्हें मेडिकल कॉउन्सिल ऑफ इंडिया मान्यता नहीं देता है।

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इसी तरह से राज्य के पाँच मेडिकल कालेजों में एमआरआई मशीन लगाया है, जो कि पीपीपी मोड पर लगाया गया कि।उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के बार बार आदेश देने बाद भी सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन नहीं लगाया गया।

कोर्ट के 3 अगस्त,2022 के आदेश के छह महीने पूरा होने के बाद भी इन्हें अस्पतालों में अबतक नहीं लगाया गया है।इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दीनू कुमार और अधिवक्ता रितिका रानी ने याचिकाकर्ता की ओर से और एडवोकेट जनरल ने राज्य सरकार की ओर से पक्षों को प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार द्वारा हलफनामा पर गहरा असंतोष जाहिर किया

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा हलफनामा पर गहरा असंतोष जाहिर किया।जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में एडवोकेट जनरल को स्वयम कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

आज जो राज्य सरकार की ओर से जो हलफनामा दायर किया गया, उस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जानना चाहा कि अबतक जांच में क्या हुआ।राज्य सरकार के हलफनामा में ये कहा गया कि कोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में पुनः जांच का कोई आदेश नहीं दिया गया है।जैसे ही कुछ नए सबूत या तथ्य प्राप्त होंगे ,तो कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने कहा कि ये सही ढंग से कार्रवाई नहीं हो रही है।इसके लिए एडवोकेट जनरल खुद स्थितियों से अगली सुनवाई में कोर्ट को अवगत कराए।

अधिवक्ता अलका वर्मा ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य में आफ्टर केअर होम और उनमें रहने वाली लड़कियों की दयनीय अवस्था है।उनका हर तरह से शोषण किया जाता है।लेकिन राज्य सरकार द्वारा न तो मामलें की ढंग से जांच की जा रही है और न प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि मामलें की जांच तो जरूरी है,लेकिन जो इन आफ्टर केअर होम की व्यवस्था भी अपंग हो चुकी।इसमें वहां रहने वाली महिलाओं की सुविधाओं का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है।इससे उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित हो कर तथ्यों की जानकारी दी थी।

इससे पहले अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया था कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने जानकारी दी थी कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब है।

पटना हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

नीतीश कुमार की यात्राएँ सिर्फ फोटो सेशन और राजनीतिक पर्यटन: सुशील कुमार मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केवल चर्चा में बने रहने के लिए नीतीश कुमार एक ऐसे समय में विपक्षी एकता का प्रयास करते दिखते रहने चाहते हैं, जब शरद पवार अडाणी मुद्दे की हवा निकाल चुके हैं और यहाँ तक कह चुके कि महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन के कल का कोई ठिकाना नहीं है।

  • शरद पवार पहले ही निकाल चुके अडाणी मुद्दे की हवा
  • पश्चिम बंगाल में भाजपा शून्य से 64 विधायकों, 18 सांसदों की पार्टी बनी
  • क्या बंगाल में कांग्रेस, माकपा और टीएमसी एक मंच पर आ सकते हैं?
  • यूपी में सपा-कांग्रेस, बुआ-बबुआ मिल कर भी नहीं जीत पाए

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की दिल्ली, कोलकाता या लखनऊ की यात्रा राजनीतिक पर्यटन और फोटो सेशन के सिवा कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा शून्य से 64 विधायकों और 18 सांसदों की पार्टी बन गई। अब नीतीश कुमार क्या बंगाल में कांग्रेस, माकपा और टीएमसी को एक मंच पर ला सकते हैं?

sushil modi vs nitish kumar

श्री मोदी ने कहा कि बिहार में टीएमसी नहीं और बंगाल में जब जदयू- राजद का कोई जनाधार नहीं है, तब नीतीश-ममता एक-दूसरे की क्या मदद कर सकते हैं? वे सिर्फ साथ में चाय पी सकते हैं और बयान दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यूपी में एक बार दो लड़के ( राहुल-अखिलेश) मिलकर भाजपा को हराने में विफल रहे तो दूसरी बार बुआ-बबुआ ( बसपा-सपा) मिल कर लड़े। दोनों बार एकजुट विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने टिक नहीं पाया।

श्री मोदी ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें मिलीं, जबकि सपा मात्र 03 सीट पा सकी। बसपा को 10 सीट मिली, लेकिन चुनाव बाद बुआ ने बबुआ का साथ छोड़ दिया। क्या नीतीश कुमार काठ की यही जली हुई हांडी फिर से आग पर चढा पाएँगे?

उन्होंने कि आज के हालात न 1977 जैसे हैं, न भाजपा-विरोध के अलावा कोई राष्ट्रीय मुद्दा है और न विपक्ष के पास कोई सर्वमान्य नेता है।

श्री मोदी ने कहा कि यदि समय काटने के लिए कोई मेढक तौलने का मजा लेना चाहता है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

लोकसभा 2024 में BJP का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को मिलकर रणनीति बनाने की जरूरत : CM नीतीश-ममता मुलाकात

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए BJP के खिलाफ एकजुट हो, दलों को एक करने में नीतीश कुमार अहम भूमिका निभा रहे हैं । बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी इस बैठक में मौजूद रहे।

राज्य सचिवालय नबन्ना में बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा, ‘यह एक बहुत ही सकारात्मक चर्चा थी, विपक्षी दलों को एक साथ बैठने और रणनीति बनाने की जरूरत है’। ममता बनर्जी यह कहते हुए बैठक से बाहर निकलीं, ”हमें यह संदेश देना है कि हम सब एक साथ हैं।”

इस बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने नीतीश जी से यही अनुरोध किया है कि जयप्रकाश जी का आंदोलन बिहार से हुआ था तो हम भी बिहार में ऑल पार्टी मीटिंग करें। हमें एक संदेश देना है कि हम सभी एक साथ हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिहार के CM नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ आज संक्षिप्त मुलाकात के बाद कहा कि विरोधी दलों के महागठबंधन को लेकर ‘अहंकार’ का कोई टकराव नहीं है । अगले साल होने वाले आम चुनाव जनता बनाम बीजेपी का होगा।

nitish-mamata

नीतीश कुमार ने दावा किया, “भारत के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है, जो सत्ताधारी हैं, वे केवल अपने विज्ञापन में रुचि रखते हैं।” विपक्षी नेता बढ़ती बेरोजगारी, रुपये के गिरते मूल्य और बढ़ती कीमतों के साथ-साथ सरकारी विज्ञापनों पर खर्च की आलोचना करते रहे हैं।

CM नीतीश कुमार ने कहा कि जो सत्ता में हैं वे सिर्फ अपनी चर्चा करते हैं और कुछ नहीं, ये आजादी की लड़ाई है, हमे अलर्ट रहना है. ये लोग इतिहास बदल रहे हैं। अब पता नहीं, ये इतिहास बदल देंगे या क्या कर देंगे? सभी को सतर्क होना है इसलिए हम सभी के साथ बातचीत कर रहे हैं। हमारे बीच बहुत अच्छी बात हुई है, आवश्यकता अनुसार हम भविष्य में अन्य पार्टियों को साथ में लाकर बातचीत करेंगे। ममता जी के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई।

Patna High Court News : बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी

बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पूर्व की सुनवाई में Patna High Court ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था।ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने Patna High Court को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है।

वे बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटते है।जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है।उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है,बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलबाड़ है।

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उन्होंने Patna High Court को बताया कि फार्मेसी एक्ट,1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए।लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।इस आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

उन्होंने Patna High Court से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट,1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए। ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें,क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है।

उन्होंने Patna High Court को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है।राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी।

‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गाँधी को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत, निचली अदालत के आदेश पर लगाई रोक

मोदी सरनेम मामलें पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर 15 मई, 2023 तक का रोक लगाते हुए राहुल गांधी को फिलहाल राहत दी।

जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई की।

पटना की निचली अदालत ने उन्हें 12 अप्रैल,2023 को कोर्ट में उपस्थित हो कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा था।

निचली अदालत के उस आदेश के विरुद्ध राहुल गांधी ने आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।

Rahul Gandhi HighCourt

कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें राहत दी।अब उन्हें पटना की निचली अदालत में उपस्थित नहीं होना पड़ेगा।

गौरतलब है कि 2019 उन्होंने कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मोदी सरनेम को ले कर टिप्पणी की थी।

इसी मामलें में बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पटना के सिविल कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया था।

इस मामलें में सूरत की कोर्ट ने उन्हें दो वर्षों की सजा सुनाई थी,जिस कारण उन्हें अपनी संसद सदस्यता खोनी पड़ी थी।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 15 मई, 2023 की जाएगी।

बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने निगरानी विभाग को जांच करने के लिए तीन माह की और मोहलत दी

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई की। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए निगरानी विभाग को जांच करने के लिए तीन माह की और मोहलत दी।

राज्य सरकार व निगरानी विभाग हलफनामा दायर किया था।उन्होंने कोर्ट को बताया कि 75 हज़ार ऐसे शिक्षक हैं,जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें,जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं।साथ ही वे वेतन उठा रहे है।

इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है,उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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26अगस्त,2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत है और वेतन ले रहे है।

कोर्ट ने मामलें को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था।उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया।31जनवरी,2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है,लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए।कोर्ट ने इस मामलें को काफी गम्भीरता से लिया।कोर्ट ने सम्बंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 अगस्त,2023 को की जाएगी।

‘दलित विरोधी है बिहार सरकार’ आनंद मोहन की रिहाई के पहले नीतीश सरकार के फैसले पर भड़कीं मायावती

पटना । बिहार में पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में चर्चित पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ अब आवाज उठने लगे हैं। देशभर के दलित नेताओं के साथ अब मायावती ने भी ट्वीट कर नीतीश कुमार को दलित विरोधी करार दे दिया है।

पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे। अभी आनंद मोहन बेटे चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर हैं।

आनंद मोहन के समर्थकों की मांग को देखते हुए नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियम में फेरबदल किया है। सरकार ने बीते 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में जरूरी बदलाव किया है। जिसके बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है।

BSP चीफ मायावती ने रविवार को आनंद मोहन मामले में दो ट्वीट किए। इसमें उन्होंने कहा, ‘बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनंद मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देशभर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।’

मायावती ने दूसरे ट्वीट में लिखा ‘आनंद मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी और अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किंतु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।’

बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 के पहले बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा किए जाने के लिए बिहार सरकार के निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं । लोगों का कहना है कि आनंद मोहन पर एक दलित आईएएस की हत्या के आरोप में वो जेल में हैं और सरकार यदि उन्हें रिहा करती है तो इससे साफ है बिहार सरकार दलित विरोधी है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शराबबंदी से जुड़े पूछे 10 सवाल, आम माफी की अपील

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शराबबंदी कानून के तहत अभी तक गिरफ्तार सभी 8.35 लाख लोगों पर से मुकदमें वापस लेने पर जोर देते हुए सरकार से कई सवाल पूछे।

श्री मोदी ने कहा कि ये लाखों लोग हत्या, अपहरण, बलात्कार, बैंक लूट या ट्रेन डकैती जैसे किसी गंभीर अपराध में नहीं पकड़े गए हैं कि इन्हें माफ कर सुधरने का कोई मौका नहीं दिया जाए।

उन्होंने कहा कि केवल शराब पीने के कारण इतनी बड़ी संख्या में जो लोग बिहार में ‘गुनहगार’ हैं, वे दूसरे राज्यों में होते, तो अपराधी के श्रेणी में नहीं आते।

SushilKumarModi

श्री मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ऐसे गरीबों को जेल में डाला जा रहा है, जो 2000 हजार रुपये जुर्माना नहीं दे सकते। अमीर लोग आसानी से छूट जाते हैं।

श्री मोदी ने सरकार से पूछा

1- कि जब 6 साल के दौरान शराबबंदी कानून में तीन बार संशोधन किया जा सकता है, तो एक बार आम माफी क्यों नहीं दी जा सकती ?

2- शराबबंदी से जुड़े 4.58 लाख मुकदमों का अभी तक निष्पादन क्यों नहीं हुआ?

3- शराब पीने के कारण जो 6.06 लाख लोग गिरफ्तार हुए, उन्हें सजा क्यों नहीं हो पायी?

4 – शराब पीते पकड़े गए लोगों को गंभीर अपराधियों से अलग रखने के लिए डिटेंशन सेंटर क्यों नहीं बनाये गए?

5- शराब से जुडे मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए विशेष अदालतों के भवन आज तक क्यों नहीं बनें?

6- ज़हरीली शराब पीने से मौत की 30 से ज्यादा घटनाएँ हुईं, लेकिन एक भी शराब माफिया को सजा क्यों नहीं हुई?

7- शराबबंदी कानून के तहत अभी तक गिरफ्तार 8.35 लोगों में दलित, आदिवासी और पिछड़ा समुदाय के लोगों की संख्या कितनी है?

8- पासी समाज के लाखों लोगों के पुनर्वास की योजना क्यों विफल हुई?

9- नीरा उद्योग के प्रोत्साहन का वादा पूरा क्यों नहीं हुआ?

10-शराबबंदी के बाद राज्य में भांग, अफीम, गांजा जैसे मादक पदार्थों का सेवन क्यों बढ़ा?

एक यूट्यूबर पर NSA क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने NSA लगाने पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

नई दिल्ली । यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से सवाल किया। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने प्रदेश में आप्रवासी बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरों को फर्जी बताते हुए यूट्यूबर मनीष कश्यप पर कई केस दर्ज किए थे।

SC ने यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ कई एफआईआर को क्लब करने और उन सभी को बिहार स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ बिहार और तमिलनाडु सरकारों को एक ही पृष्ठ पर पाया।

इस मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे सवाल पूछा, “मिस्टर सिब्बल, इसके लिए NSA क्यों? इस आदमी से इतना प्रतिशोध क्यों?

बिहार सरकार के वकील ने यहां तक ​​कहा कि यूट्यूबर मनीष कश्यप एक “आदतन अपराधी” थे और उनके खिलाफ राज्य में आठ मामले दर्ज थे।

SC on ManishKashyap

वरिष्ठ वकील ने कहा कि यूट्यूबर मनीष कश्यप के सोशल मीडिया पर काफी संख्या में फॉलोअर्स हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कथित तौर पर उनके द्वारा फैलाई गई गलत सूचना के कारण तमिलनाडु में हिंसा हुई थी। सिब्बल ने कहा, ”लोग मारे गए हैं.”

SC ने तमिलनाडु को यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरै सेंट्रल जेल से स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया, और मामले को 28 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया।

दरअसल, मनीष कश्यप पर लगाए गए NSA को हटाने की माँग करते हुए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। यूट्यूबर मनीष कश्यप पर गलत सूचना फैलाने का आरोप है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर हमला किया गया था। उन्होंने शीर्ष अदालत से उनके खिलाफ तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को बिहार के पटना में स्थानांतरित करने का आग्रह किया है।