The BiharNews Post : December 5, 2022 बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में सोमवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान जारी है। दोपहर 1 बजे तक 37% मतदान की खबर है।
मतादाताओं के अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 320 मतदान केंद्र बनाए गए ।
मतदाता सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। ठंड के बावजूद कई मतदान केंद्रों पर सुबह ही मतदाता पहुंच गए, इस कारण मतदाताओं की लंबी कतार मतदान केंद्रों पर देखी जा रही है।
इस उपचुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के उम्मीदवार भी मैदान में हैं। लेकिन महागठबंधन की ओर से चुनावी मैदान में उतरे मनोज कुशवाहा और भाजपा के प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है।
The BiharNews Post : December 5, 2022 पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए हुए अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगा दिया था।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।
उन्होंने कहा कि वे पार्क के सौंदर्यीकरण का समर्थन करती है,लेकिन पार्क के मूल उद्देश्य में परिवर्तन नहीं हो। अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।उन्होंने कोर्ट को बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।
लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को की जाएगी।
The BiharNews Post : December 5, 2022 पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर जिला के अंतर्गत राजन साह की 6 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के चर्चित अपहरण के मामलें के जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।
जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के लिए एस एस पी, मुजफ्फरपुर को निर्देश दिया है।
कोर्ट ने सीबीआई को इस मामलें मे यथाशीघ्र कार्रवाई कर अपहृत बालिका को ढूंढने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने एस एस पी, मुजफ्फरपुर को इस मामलें से सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौपने का निर्देश दिया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई और निर्देशक,सी एफ एस एल,नई दिल्ली को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था।
पूर्व की इस मामलें की सुनवाई के दौरान एसएसपी मुज़फ़्फ़रपुर जयंतकांत ऑनलाइन उपस्थित रहे थे। अपहृता के वकील ओम प्रकाश कुमार ने कोर्ट को बताया कि एसएसपी,मुजफ्फरपुर द्वारा आज़तक सिर्फ कागजी कार्रवाई किया गया है।
उन्होंने बताया कि लगभग 3 महीना से सिर्फ पॉलीग्राफी टेस्ट का बहाना बना कर कोर्ट का समय बर्बाद किया गया।
पिछली सुनवाई मे अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि एक ऑडियो रेकॉर्डिंग है ,जिसमे संदिग्ध राहुल कुमार की आवाज है।वह अपहृत खुशी के बारे में जानता है।इस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह ऑडियो क्लिप एस एस पी को दिया जाए। एसएसपी ऑडियो की पुष्टि करके करवाई करें।
लेकिन जो शपथ पत्र एसएसपी के द्वारा हाई कोर्ट में फ़ाइल किया गया था ,उसमे ऑडियो क्लिप का कोई जिक्र नही किया गया।
कोर्ट ने पाया कि इस कांड का उद्भेदन अब एस एस पी, मुज़फ़्फ़रपुर द्वारा नही हो सकता है।कोर्ट ने पिछली सुनवाई में यह भी आदेश दिया था कि 14.10.2022 तक सभी कागजात सीबीआई को मुहैया करवाई जाए।कोर्ट ने सीबीआई के वकील को भी कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।
यह मामला 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण से जुड़ा है। इसका सुराग आज तक नहीं मिला है। खुशी के पिता मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली से संतुष्ट नही थे, जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर किया था।ये याचिका अधिवक्ता ओमप्रकाश कुमार ने याचिकाकर्ता की ओर से दायर किया था।
इसमे याचिकाकर्ता ने मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बच्ची को जल्द से जल्द ढूंढ़वाने का आग्रह किया था।
The BiharNews Post : December 5, 2022 बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में सोमवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान जारी है। मतादाताओं के अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 320 मतदान केंद्र बनाए गए ।
मतदाता सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। ठंड के बावजूद कई मतदान केंद्रों पर सुबह ही मतदाता पहुंच गए, इस कारण मतदाताओं की लंबी कतार मतदान केंद्रों पर देखी जा रही है।
इस उपचुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के उम्मीदवार भी मैदान में हैं। लेकिन महागठबंधन की ओर से चुनावी मैदान में उतरे मनोज कुशवाहा और भाजपा के प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है।
कुढ़नी विधानसभा उप चुनाव को कवर करने के दौरान पटना मुजफ्फरपुर मुख्य मार्ग स्थिति तुर्की फ्लाई ओभर के नीचे से बाये एक रास्ता जाती है जो आगे पताही वाली सड़क में मिल जाती है रास्ते में बीजेपी नेता सुरेश शर्मा का मेडिकल कॉलेज भी है सड़क के किनारे दोनों तरफ कई किलोमीटर में दलित जाति के लोग झोपड़ी बनाकर रहता है संयोग ऐसा रहा है जहां कहीं भी मतदाताओं का नब्ज़ टटोलने रुकते थे थोड़ी देर में जदयू के नेता महेश्वर हजारी भी पहुंच जाते थे शायद उन्हें इन इलाकों की जिम्मेदारी दी गयी थी महेश्वर हजारी को कोई जगह मतदाताओं के गुस्से का भी शिकार होना पड़ा वो सब देखते लोगों से बात करते आगे बढ़ रहे थे ।
इसी दौरान एक दरवाजे पर कुछ अलग तरह की भीड़ दिखाई दी गाड़ी रोका और कुछ समझने कि कोशिश कर ही रहा था कि मेरी नजर एक महिला के ऊपर पड़ जो किसी से लिपट कर जोड़ जोड़ से रो रही थी गाड़ी से उतरे और आगे बढ़ लोगों से पूछा क्या हुआ पता चला उस महिला का बेटा शराब मामले में तीन माह से जेल में बंद था और आज ही जेल से बाहर निकला है ।
उत्सुकता बस मैं उस महिला के पास चला गया और पूछा क्या हुआ फिर उस महिला ने जो बताया सच कहिए तो मुझे नीतीश कुमार के जिद्द से नफरत हो गया उसका एक बेटा है जो दिल्ली में कमाता था दुर्गा पूजा में घर आया था ,मित्र के साथ शराब पीते पकड़ा गया पुलिस घर पर आयी सर्च के दौरान जो भी 15 से 20 हजार रुपया कमा कर लाया था वो राशी भी पुलिस वाले साथ लेकर चले गये ।
घर में अकेली एक माँ बेटे को जेल से बाहर निकालने में उसके पास ससुर का दिया एक कट्ठा जमीन बेचना पड़ा और 18 हजार रुपया बेल कराने में खर्च हुआ जिसमे उक्त महिला की माने तो 10 हजार रुपया जज साहब भी लिए और 8 हजार रुपया वकील इसमें कितनी सच्चाई है कहना मुश्किल है लेकिन कोर्ट कचहरी देखने वाले इसके एक दूर के रिश्तेदार ने इसी नाम पर पैसा लिया जमीन बेचने और और पैसा के व्यवस्था में करीब तीन माह लग गया तब तक उसका बेटा जेल में ही रहा ।
जैसे जैसे उसे भरोसा हो रहा था कि सामने वाला पत्रकार मेरी बात को लोगों तक पहुंचाएगा वैसे वैसे वो खुल रही थी सर नीतीशवा मिल जाए तो झाड़ू से मरवाई ,भूमिहरवा सब शराब बेच भी रहा है और पी भी रहा है उसको पुलिस कुछ नहीं करता गरीब सब को पकड़ पकड़ कर जेल भेज रहा है नीतीशवा देखते देखते 25 से 30 महिला पहुंच गई और फिर क्या था सर शराबबंदी कानून के लिए लड़े हम लोग और उलटे हम्ही लोगों का बेटा भतार जेल जा रहा है और शराब का काम करने वाला मस्त है सर सामने में जो घर देख रहे हैं शराब बेच कर बनाया है, तीन ट्रक चल रहा है इसका और जेल जा रहे हैं हम लोग ई बार नीतीशवा के बता देवई गरीब के मार देलक ई शराबबंदी ।
जहां भी गये जिस गांव में गये बस एक ही चर्चा शराबबंदी शराबबंदी बातचीत से तो ऐसा ही लगा भ्रष्टाचार और अफरशाही से जितना लोग परेशान नहीं हुआ उससे कहीं अधिक शराबबंदी कानून से आम लोग परेशान है जो हाल देखने को मिला है वो अगर वोट में परिणत हो गया तो नीतीश कुमार की सबसे बड़ी हार कुढ़नी में होगी ।
दिसम्बर 2, 2022 । पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य के चीफ सेक्रेट्री को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता एस एस सुंदरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार सहित अन्य राज्य राज्य सरकार के वकीलों की तुलना में यहाँ के सरकारी वकीलों को काफी कम फीस का भुगतान किया जाता है। कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि 2 हफ्ते के अंदर इस जनहित याचिका पर विस्तृत जवाब दे।
याचिककर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता एवं सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने बहस करते हुए कहा कि पटना हाई कोर्ट में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहाँ रोजाना फीस न्यूनतम 9 हज़ार रुपये है, वहाँ बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाई कोर्ट में रोजाना अधिकतम फीस रू 2750 से 3750 तक ही है।
वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी दी कि पंजाब व हरियाणा, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल में भी वहाँ के सरकारी वकीलों का फीस बिहार के सरकारी वकीलों से ज्यादा है।
एडवोकेट विकास कुमार ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) पटना बेंच में तो मूल वाद पत्र दायर कर उसपे बहस करने वाले केंद्र सरकार के वकीलों को रोजाना हर मामले पर 9 हज़ार रुपये फीस मिलता है।
सबसे दयनीय स्थिति राज्य के सहायक सरकारी वकीलों की है, जिन्हे रोजाना मात्र 1250 रुपये फीस पर ही काम करना पड़ता है।
कोर्ट ने इस मामले को एक गंभीर जनहित याचिका करार देते हुए मुख्य सचिव को शीघ्र प्रभावी कदम उठाने को आदेश दिया है।कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को भी कहा कि हाईकोर्ट के आज के आदेश को फौरन मुख्य सचिव तक प्रेषित करें । बिहार में राज्य सरकारों के वकीलों के फीस में वृद्धि 14 साल पहले बिहार के महाधिवक्ता पी के शाही के ही कार्यकाल में ही हुई थी।
इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर,2022 को की जाएगी।।
Bihar By Election: कुढ़नी विधानसभा चुनाव निलाभ और ओवैसी के बीच फंसा गया है । वैसे नीतीश कुमार की अलोकप्रियता और राजद के वोटर का आक्रामक ना होना बीजेपी को रेस में बनाये हुए हैं। वैसे तेजस्वी के सभा के बाद बदलाव जरूर हुआ है लेकिन स्थिति ऐसी नहीं है कि महागठबंधन की जीत तय हो।
कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव के बहाने काफी लम्बे अरसे बाद गांव के लोगों के बीच घंटों रहने का मौका मिला इस दौरान सभी वर्ग जाति और समुदाय से जुड़े लोगों से हर मुद्दे पर खुलकर चर्चा हुई, हैरान करने वाली बात यह रही कि चुनाव जदयू लड़ रही है लेकिन नीतीश कुमार कहीं चर्चा में नहीं है,नीतीश को लेकर एक अजीब तरह की बेरुखी देखने का मिला ,नीतीश पर चर्चा करने को तैयार नहीं है।
महिला वोटर नीतीश का नाम सुनते ही उसके चेहरे का भाव बदल जाता था और उनमें नीतीश के नाम के साथ एक अलग तरह का विश्वास झलकता था लेकिन उसके चेहरे से वो विश्वास और भरोसा खत्म हो गया है एक अजीब तरह का निराशा देखने को मिला ।
कुढ़नी के दलित बस्ती में लोगों से बात करने के बाद समझ में आया कि मांझी शराबबंदी को लेकर बार बार क्यों बयान दे रहे हैं भ्रष्टाचार और अफरशाही से कहीं अधिक लोग शराबबंदी के नाम पर उत्पाद विभाग और पुलिस के जुल्म से परेशान है जो शराब नहीं भी पीता है वह भी गुस्से में है गांव शराब माफिया के हवाले हो गया है और सब कुछ वही तय कर रहा है नीतीश की अलोकप्रियता के पीछे शराबबंदी एक बड़ी वजह है।
हालांकि कुढ़नी विधानसभा मुजफ्फरपुर शहर और पटना समस्तीपुर फोरलेन पर होने के कारण शहरीकरण काफी तेजी से हुआ है और उसका असर यहां रहने वाले लोगों के मानसिकता पर साफ दिखता है और इसका लाभ स्वाभाविक तौर पर बीजेपी को है लेकिन निलाफ अभी भी मैदान में बहुत ही मजबूती से डटा हुआ है और उसके साथ का भूमिहार का युवक अभी भी डटा हुआ और उसी अंदाज में साहनी वोटर भी निलाफ के साथ खड़ा है इस वजह से बहुत कुछ अभी भी स्पष्ट नहीं है।
वही मुसलमान का युवक ओवैसी के साथ है लेकिन इन सबके बीच नीतीश की अलोकप्रियता महागठबंधन के लिए भारी पड़ रहा है क्यों कि अति पिछड़ा वोटर भी नीतीश के साथ उस मजबूती के साथ खड़ा नहीं है महंगाई को लेकर जनता त्रस्त है और वो बोल भी रहा है कि मुफ्त में चावल गेहूं देकर दाल और खाने वाले तेल का दाम बढ़ा दिया है।
महंगाई बड़ा मुद्दा है और 2024 का चुनाव कुछ अलग होगा ऐसा महसूस हो रहा है लेकिन नीतीश महागठबंधन के लिए लायबिलिटी ना बन जाए इसका खतरा साफ दिख रहा है वैसे नीतीश इस तरह की स्थिति से बाहर निकलने के माहिर खिलाड़ी रहे हैं ।
पटना हाईकोर्ट ने पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन भवन को तोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश दिया। उपेंद्र नारायण सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को बताने को कहा कि वकीलों और उनके स्टाफ के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था की जानकारी तलब की।साथ ये भी बताने को कहा कि वकीलों के लिए बन रहे भवन का निर्माण कार्य कब तक पूरा होगा।
वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि पटना के जिलाधिकारी ने ये कहा कि वकीलों के बैठने की व्यवस्था विकास भवन में की जा सकती है।इसके लिए कार्रवाई की जा रही है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से वकीलों के लिए आधुनिक और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने को कहा था।वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन के भवन को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि वकीलों के बैठने और काम करने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशन के भवन या तो है ही नहीं या काफी बुरी स्थिति में है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित पटना के प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि पटना के जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में बैठक किया।
उस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था।इसमें कहा गया कि वकीलों के बैठने के लिए भवन निर्माण किया जाएगा।जबतक वकीलों को बैठने के लिए विकास भवन में बैठने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।
कोर्ट ने बिहार राज्य बार कॉउन्सिल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशनों के भवनों की हालत के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा। वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में वकीलों को बैठने और कार्य करने के लिए न तो उचित व्यवस्था है और न ही भवन हैं।
ऐसे में वकीलों के पेशागत कार्य करने में बहुत कठिनाई होती हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 6 दिसम्बर,2022 को की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने पटना के फ्रेजर रोड स्थित तंदूर हट को अवैध रूप से खाली कराने व तोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई की।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस मामलें पर नाराजगी जाहिर करते हुए बिहार राज्य वित्त आयोग को एम डी से बताने को कहा कि इस तरह की कार्रवाई किस अधिकार के तहत किया। कोर्ट ने प्रशासन द्वारा इस तरह की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में अपनी कार्य योजना अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी और एसएसपी व बिहार स्टेट फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक को तलब किया था।
वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि कानून के विरुद्ध जाकर अवैध ढंग से इस कार्य को अंजाम दिया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 4 सितम्बर,2022 को रविवार को छुट्टी के दिन प्रशासन ने तंदूर हट को तोड़ने की कार्रवाई की।
उन्होने कहा कि पटना के जिलाधिकारी व बिहार स्टेट फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन द्वारा किसी कानून का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कॉर्पोरेशन को सिविल कोर्ट के समक्ष रेस्टोरेंट को खाली करवाने के लिए जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री सेक्रेटरी के इशारे पर प्रबंध निदेशक द्वारा पटना के जिलाधिकारी को रेस्टोरेंट को खाली करवाने के लिए पुलिस बल उपलब्ध करवाया गया था।
वरीय अधिवक्ता का कहना था कि न सिर्फ रेस्टोरेंट को खाली करवाया गया, बल्कि रेस्टोरेंट को भी तोड़ दिया गया।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शिव शंकर प्रसाद व उनके सहायक अधिवक्ता संजय कुमार कोर्ट के समक्ष सरकार का पक्ष रखा।इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 7 दिसंबर,2022 को की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा होने के बाद एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा निकायों में कार्य संभाले जाने के मामलें पर सुनवाई 19 दिसंबर,2022 तक टल गयी।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने अंजू कुमारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।
एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव तिथियों की घोषणा कर दी है।दो चरण में ये चुनाव होंगे 18 दिसंबर और 28 दिसंबर,2022 चुनाव होंगे।31दिसम्बर,2022 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
पिछली कोर्ट ने उनसे जानना चाहा है कि क्यों नहीं प्रावधानों और कानूनों के उल्लंघन को मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दिया जाए।
कोर्ट को राज्य सरकार के अधिवक्ता किंकर कुमार ने बताया था कि डेडीकेटेड कमीशन का गठन हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कर दिया गया है।उसका रिपोर्ट आते ही राज्य में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है। लेकिन बिहार में बहुत ऐसे नगर निकाय हैं, जिनको विघटित हुए एक बरस से ज्यादा की अवधि हो गई है ।इसके बावजूद इसके अभी भी उन नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है, जो कानूनी रूप से सही नहीं है।
कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के कार्यों को गैरकानूनी माना है।याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जिस प्रकार पंचायत में परामर्श दात्री समिति का गठन किया गया है ,उसी प्रकार नगर निकाय में भी परामर्श दात्री समिति का गठन किया जाए।
उन्होंने बताया कि इससे नगर निकाय का कार्य सुचारू रूप से चुनाव संपन्न होने तक हो सकेगा।चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता संजीव निकेश ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट के निर्देशानुसार डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट आ जाने के बाद नगर निकाय का चुनाव सम्पन्न करा लिया जाएगा।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 19दिसंबर, 2022 को की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने बियाड़ा की आवंटित भूमि को अस्पताल और निजी मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटित करने और राज्य सरकार व बियाड़ा को अपनी औद्योगिक नीति में परिवर्तन लाने के सम्बन्ध में जवाबतलब किया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने एक कंपनी की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य के औद्योगिक विभाग के प्रधान सचिव संदीप पॉन्ड्रिक से स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
इस दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर भी मौजूद थे। महाधिवक्ता व प्रधान सचिव पॉन्ड्रिक दोनों ने कोर्ट को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि पटना हाईकोर्ट के हाल के आदेशों के आलोक में ही बियाडा अपनी भूमि आवंटन नीति को और भी लचीला कर दिया है।
चूंकि बिहार में जमीन के उपजाऊ होने के कारण, उनके दाम बहुत ज्यादा हैं, इसीलिए बियाडा ने बिहार के बाहर से आने वाले उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए भूमि के वर्तमान बाजार मूल्य में 20 से 80 फ़ीसदी तक की रियायत दे रही है।
सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के आसपास बड़े तालाब में स्वच्छ और ताज़ा पानी आने के लिए बनाया गए नाले बंद होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने रोहतास के डी एम, डीसीएलआर,सासाराम नगर निकाय के अधिकारियो समेत केंद्र सरकार के अधिकारी और एएसआई की बैठक कर विस्तृत कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने प्राची पल्लवी को इस जनहित की सुनवाई में कोर्ट की मदद करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया हैं।कोर्ट ने कहा कि ये ऐतिहासिक धरोहर है,जिसकी सुरक्षा और देखभाल करना आवश्यक हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर ने कोर्ट को बताया कि सासाराम स्थित शेरशाह का मकबरा राष्ट्रीय धरोहर हैं।इसके तालाब में साफ और ताज़ा के लिए वहां तक नाले का निर्माण किया गया।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2018 से 2020 तक सिर्फ पचास फी सदी नाले का काम हुआ।इसे बाद में खराब माना गया।इसमें लगभग आठ करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
इसमें काफी अनियमितताएं बरती गई, जिसकी जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।उन्होंने बताया कि ये नाला कूड़ा से भरा पड़ा है।जिस कारण शेरशाह के मकबरे के तालाब में साफ पानी नहीं पहुँच पाता है।
वह तालाब गंदा और कचडे से भरा हुआ है।वहां जो पर्यटक आते है,उन्हें ऐसी हालत देख कर निराशा होती है।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों की मॉनिटरिंग करते हुए राज्य के जिला जजों को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किया हैं। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य के सभी जिला जजों से तुरंत सभी जिलाधिकारियों, हितधारकों, एवं पुलिस अधीक्षक की बैठक बुला कर मामलो की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा।
कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के महानिबंधक को इस आदेश की प्रति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी जिला जजों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया । गौरतलब है कि अदालत ने जिला जजों से पूर्व ऐवं वर्तमान एमपी /एमएलए के ख़िलाफ़ लंबित मामलों की सुनवाई की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था ।
लेकिन खंडपीठ ने इन रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए कहा कि यह रिपोर्ट आधी -अधूरी और बगैर समय रेखा इंगित किये बनाई गई है |
दूसरी ओर कोर्ट ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा दायर रिपोर्ट की सराहना करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट ज्यादा विस्तृत है और मामलों की समय रेखा भी इंगित करती है | अपर मुख्य सचिव द्वारा दायर रिपोर्ट अनुसार पांच महीनों (फरवरी से जुलाई)में अब तक 164 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है |
कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन भवन को तोड़े जाने और वकीलों के लिए वैकल्पिक बुनियादी सुविधायें उपलब्ध जाने के मामले पर जस्टिस पार्थ सारथी ने देर शाम कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन का निरीक्षण किया । हाईकोर्ट ने इससे पूर्व अपने आदेश में राज्य सरकार को वकीलों के लिए आधुनिक एवं बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था ।
इसके लिए एक कमिटी भी बनाई थी । चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ के समक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पटना कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के भवन को तोड़ने का काम चल रहा है ,लेकिन वकीलों के बैठने और कार्य करने की अतिरिक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसी स्थिति में अधिक्वताओं और उनके क्लाइंट को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशन की स्थिति बेहद चिंताजनक है।वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि जस्टिस पार्थ सारथी के द्वारा स्वयं निरीक्षण करने के दौरान जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया कि विकास भवन में इन वकीलों को बैठने की जगह एवं अन्य सुविधाएं जल्द उपलब्ध कराई जाएगी।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अनियंत्रित जनसंख्या जिस प्रकार से संसाधनों पर दबाव डाल रही है और विकास को बेअसर कर रही है, उसे देखते हुए नीतीश सरकार को भी जनसंख्या नियंत्रण कानून या नीति बनाना चाहिए और इसके राजनीतिक विरोध की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
नगर निकाय चुनाव और कई योजनाओं में दो बच्चों की नीति पहले से लागू
धर्म से नहीं, जनसंख्या नियंत्रण का संबंध संसाधनों पर बढते दबाव से
विकास को बेअसर कर रही है बढती आबादी
श्री मोदी ने कहा कि जब भाजपा साथ थी, तब नीतीश सरकार ने 2008 में कानून बना कर दो से अधिक बच्चे वालों को नगर निकाय चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया था।
उन्होंने कहा कि बिहार में जननी सुरक्षा जैसी कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ केवल दो बच्चे वालों तक सीमित किया गया है।
श्री मोदी ने कहा कि इसे नीति कहें या कानून, इसका उद्देश्य कम बच्चे वालों को प्रोत्साहित करना और आबादी पर नियंत्रण न रखने वालों को हतोत्साहित करना ही है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ कम बच्चे वालों को प्रोत्साहित करना और दूसरी तरफ वोट बैंंक पर नजर रख कर जनसंख्या नियंत्रण कानून का अंधविरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्री मोदी ने कहा जनसंख्या नियंत्रण कानून या नीति का किसी धर्म से संबंध नहीं, बल्कि यह कानून बढते प्रदूषण, घटते भूगर्भ-जल स्तर और स्कूल,अस्पताल, रेलवे जैसे अनेक संसाधनों पर बढते बोझ से निपटने के लिए अब अपरिहार्य हो गया है।इस पर राजनीति करना मानवता के लिए आत्मघाती है।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इन बच्चे की सही ढंग से पढ़ाई के लिए क्यों नहीं सोचते है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।
इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।इस मामलें पर आगे की सुनवाई की जाएगी।
जस्टिस असाउद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी और एसएसपी व बिहार स्टेट फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक को तलब किया है।
वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि कानून के विरुद्ध जाकर अवैध ढंग से इस कार्य को अंजाम दिया गया है।
पटना के जिलाधिकारी व बिहार स्टेट फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन द्वारा किसी कानून का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि कॉर्पोरेशन को सिविल कोर्ट के समक्ष रेस्टोरेंट को खाली करवाने के लिए जाना चाहिए था। इंडस्ट्री सेक्रेटरी के इसारे पर प्रबंध निदेशक द्वारा पटना के जिलाधिकारी को रेस्टोरेंट को खाली करवाने के लिए पुलिस बल उपलब्ध करवाया गया।
वरीय अधिवक्ता का कहना था कि न सिर्फ रेस्टोरेंट को खाली करवाया गया, बल्कि रेस्टोरेंट को भी तोड़ दिया गया। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शिव शंकर प्रसाद व उनके सहायक अधिवक्ता संजय कुमार कोर्ट के समक्ष सरकार का पक्ष रखा।
इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 1 दिसंबर,2022 को की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया से रोक हटा ली है । जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया को जारी रख सकती है, लेकिन इनकी बहाली अपील याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगी।
गौरतलब है कि 15 सितम्बर,2022 को एक अन्य खंडपीठ ने इन शिक्षकों के बहाली पर रोक लगा दिया था।राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रियदर्शी मातृशरण ने बहस किया।
ये मामला हाई स्कूलों शिक्षक नियोजन के छठे चरण से जुड़ा है। इसी वर्ष 09 फ़रवरी को पटना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रीति प्रिया एवं अन्य की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फ़ैसला सुनाया था ।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जिन उम्मीदवारों का बीएसआईटीईटी परिणाम वर्ष 2012 में प्रकाशित हुआ था और जिन्होंने खुद को बीएड के लिए नामांकित किया है, वे सत्र 2016-18 तक नवीनतम पाठ्यक्रम और बी.एड. नियुक्ति के छठे चरण के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि होने की अंतिम तिथि से पहले डिग्री पात्र होंगे।
इस कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा था कि जिन उम्मीदवारों के परिणाम वर्ष 2012 में प्रकाशित हुए हैं, लेकिन उन्होंने बी.एड. में अपना नामांकन कराया है। सत्र 2017-19 में पाठ्यक्रम के बावजूद कि उन्होंने बी.एड प्राप्त किया है।
कट-ऑफ तिथि से पहले डिग्री पात्र नहीं होंगे, लेकिन उन्हें चयन / नियुक्ति के लिए अपने मामलों पर विचार करने के लिए संबंधित प्रतिवादी से संपर्क करने की स्वतंत्रता होगी। इसके साथ -साथ जिन उम्मीदवारों का बीएसआईटीईटी परिणाम वर्ष 2013 में प्रकाशित हुआ है और जिन्होंने बी.एड. सत्र 2017-19 तक नवीनतम पाठ्यक्रम और अपना बी.एड. कट-ऑफ तिथि से पहले की डिग्री फिर से उसी सिद्धांत पर पात्र होंगे।
पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित पर सुनवाई दूसरे बेंच द्वारा की जाएगी। पंकज प्राणरंजन द्विवेदी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए इस जनहित याचिका को दूसरे बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
इस जनहित याचिकाकर्ता में ये शिकायत की गई है कि असामाजिक तत्वों द्वारा मंदिर,मठ और संस्थाओं से देवी देवता की मूर्तियों को हटाया जा रहा है और मठों व मंदिरों के लोगों की हत्या की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
साथ ही इनकी सम्पत्ति और भूमि पर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध कब्ज़ा करने की घटनाएं राज्य के विभिन्न जिलों में होती रही है।इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी न तो राज्य सरकार और न ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इस जनहित याचिका में ये माँग की गई है कि मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं की भूमि,संपत्तियों की रक्षा के प्रभावी और सख्त कदम राज्य सरकार व बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड उठायें।साथ ही मठों और मंदिरों में रहने वाले महन्त, पुजारियों और साधु के जान माल की सुरक्षा की प्रभावकारी व्यवस्था की जाए।
इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई है कि असामाजिक तत्वों और स्थानीय दबंगो के विरुद्ध सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाए,क्योंकि इनके लिए न तो कानून का डर है और ना ही सम्मान है।
इस जनहित याचिका पर अब दूसरे बेंच द्वारा सुनवाई की जाएगी।