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पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाबतलब किया

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाबतलब किया है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई।बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।

इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है।2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी।

कोर्ट को ये बताया कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है।गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है।इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है,जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के भूमि की कमी है।

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कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दिया।यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है।इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए।

कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कंचन कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया। इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

मुस्लिम कर्मचारियों को बिहार सरकार का तोहफा: रमज़ान के महीने में निर्धारित समय से एक घंटे पहले ऑफिस आ-जा सकेंगे

पटना । बिहार सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को निर्धारित समय से एक घंटे पहले कार्यालय आने और निर्धारित समय से एक घंटे पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति दे दी है। 

बिहार सरकार द्वारा शुक्रवार (17 मार्च 2023) को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सरकार का यह आदेश हर साल रमजान के महीने में स्थायी तौर पर लागू रहेगा।

इस आदेश को बिहार सरकार के प्रधान सचिव की ओर से सभी विभागों, उनके अध्यक्षों, डीजीपी, जिले के अधिकारियों और अन्य अहम अधिकारियों को भेजा गया है। 

नीतीश सरकार के फैसले का RJD ने स्वागत किया है । सरकार के इस निर्णय को सत्ताधारी पार्टी JDU और RJD ने धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने वाला बताया। इस कदम से देश की गंगा-जमुनी तहजीब और मजबूत होगी। 

वहीं, विपक्षी दल भाजपा ने तंज कसा है। सरकार के इस फैसले पर भाजपा ने कहा कि नीतीश कुमार ने नवरात्रि के दौरान हिंदुओं के लिए ऐसा कोई सुविधा नहीं दी गई।

हाईकोर्ट से रोक के बाद भी निजी भूमि पर सड़क का निर्माण किए जाने पर पटना हाइकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की

पटना हाइकोर्ट ने निजी भूमि पर सड़क बनाने पर हाईकोर्ट से रोक के बाद ईट की सोलिंग कर सड़क का निर्माण किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने नाग नारायण सिंह की याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने उपस्थित छपरा के जिलाधिकारी को हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि वे स्वयं विवादित जमीन पर जाकर लगाए गए ईट की सोलिंग को अपने सामने हटवा दें। अगली सुनवाई में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस सम्बन्ध में 20मार्च,2023 को इस बात की जानकारी शपथ पत्र पर जानकारी दी जाए।

सुनवाई के दौरान छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही छपरा सदर के अंचलाधिकारी, और सड़क निर्माण कराने वाले इंजीनियर कोर्ट में उपस्थित थे।याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता के निजी जमीन पर सरकार द्वारा कराए जा रहे सड़क निर्माण पर हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था।

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हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने की जानकारी याचिकाकर्ता ने छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही छपरा सदर के अंचलाधिकारी और निर्माण करने वाले इंजीनियर को दे दिया था।

कोर्ट को डॉ आलोक कुमार सिन्हा ने बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा सड़क निर्माण पर लगाए गए रोक के बाद भी, याचिकाकर्ता की जमीन पर सरकार द्वारा ईट का सोलिंग लगाकर सड़क का निर्माण कर दिया गया है।यह अदालती आदेश की अवमानना है।इसी मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही अन्य संबंधित अधिकारियों को हाई कोर्ट में तलब किया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20मार्च, 2023 को की जाएगी।

CBI की पूछताछ से कब तक भागेंगे तेजस्वी, जाँच में सहयोग करें: सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में तेजस्वी प्रसाद यादव अब पूछताछ , ट्रायल और सजा से बच नहीं पाएँगे।

  • ललन सिंह इतने पुख्ता सबूत सीबीआई तक पहुँचा चुके हैं कि सभी आरोपियों के अपराध प्रमाणित होंगे
  • तेजस्वी बतायें, फ्रेंड्स कालोनी में डेढ़ सौ करोड़ के चार मंजिला मकान के मालिक कैसे बन गए?

श्री मोदी ने कहा कि सीबीआई के समन पर उपस्थित न होना, फिर पत्नी की तबीयत का हवाला देना, समन के खिलाफ कोर्ट जाना और फिर विधानसभा की कार्यवाही में उपस्थिति को पूछताछ से बचने का बहाना कब तक बनाया जा सकता है? बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी?

उन्होंने कहा कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह इस मामले में इतने पुख्ता सबूत सीबीआई तक पहुँचा चुके हैं कि लालू प्रसाद , राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित सभी प्रमुख आरोपियों के अपराध प्रमाणित होंगे और उन्हें सजा मिलेगी।

Sushil Modi vs Tejashwi

श्री मोदी ने कहा कि सीबीआई जानना चाहती है कि तेजस्वी यादव दिल्ली की फ्रेंड्स कालोनी में डेढ़ सौ करोड़ के चार मंजिला मकान (डी-1088) के मालिक कैसे बन गए?

उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में हजारी राय के दो भतीजों ( दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार) को जबलपुर और कोलकाता में रेलवे की ग्रुप-डी की नौकरी मिली। हजारी राय से एक जमीन 21 फरवरी 2007 को एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम लिखवा ली गई।

श्री मोदी ने कहा कि दिल्ली की फ्रेंड्स कालोनी वाले मकान का स्वामित्व इसी एके इन्फोसिस्टम्स के पास था। बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव इस कंपनी के मालिक बन गए।

उन्होंने कहा कि सीबीआई इस तरह के मामलों में यदि सच जानना चाहती है, तो तेजस्वी यादव की भलाई पूछताछ से भागने में नहीं, बल्कि सहयोग करने में है।

Patna High Court News: बिहार के स्कूलों में छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव, पर्याप्त सुरक्षा का प्रबन्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के स्कूलों में छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव, पर्याप्त सुरक्षा का प्रबन्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। इस सम्बन्ध में दायर जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने कहा कि स्कूलों की अवस्था और व्यवस्था पर राज्य के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव निगरानी रखेंगे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य के सभी जिलों के अधिकतर स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा की कमी है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई स्कूल ऐसे है,जो जर्जर मकान में चलते है। इनमेंं कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।

इन स्कूलों में छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है। शुद्ध पेय जल,शौचालय, जलपान गृह की व्यवस्था नहीं है।बहुत सारे स्कूलों में बिजली नहीं है,जिससे पढ़ाई में बाधा आती है।

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छात्रों की सुरक्षित आने जाने के लिए फुट ओवरब्रिज नहीं है। आग बुझाने के लिए संयंत्र स्कूलों में नहीं लगाए गए है,जिस कारण कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

राज्य सरकार द्वारा विभिन्न हलफनामों के माध्यम से स्कूलों की स्थिति में का ब्यौरा दिया जाता रहा है। कोर्ट को बताया गया कि जो भी स्कूल भवन खराब या जर्जर हालत में है, उनकी मरम्मती और निर्माण किया गया है।

छात्रों को बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए भी काफी कार्रवाई की गई।साथ ही बहुत सारे स्कूलों मे विद्युतीकरण किया गया है। स्कूलों में आग बुझाने के लिए संयंत्र भी स्थापित किये गए है।

कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को संतोषप्रद माना, लेकिन स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए लगातार कार्रवाई होने की उम्मीद जताई। इसके साथ ही कोर्ट ने इस जनहित को निष्पादित कर दिया।

बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई पटना हाइकोर्ट में हुई

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई की। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें, जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं।साथ ही वे वेतन उठा रहे है।

इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है,उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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26अगस्त,2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत है और वेतन ले रहे है।

कोर्ट ने मामलें को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा।उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया।31जनवरी,2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है,लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए।कोर्ट ने इस मामलें को काफी गम्भीरता से लिया।कोर्ट ने सम्बंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई। साथ ही ये भी बताने को कहा गया कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते है। उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए। इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

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राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है।

कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है।वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है।बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है।

इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी।

पूर्व में हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी। बाद मे इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी थी।

उस समय हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दाखिला सिर्फ 2021-22 सत्र के लिए ही होगा।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले साल के सत्र के लिए बीसीआई से फिर मंजूरी लेनी होगी।

सुनवाई के समय समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद फिर की जाएगी।

बिहार की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई की

पटना । पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई की। आत्मबोध की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने कला व संस्कृति सचिव व उद्योग विभाग के निर्देशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कल कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही, साथ ही मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है,लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है।

उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है।इसी का लाभ बिचौलिए उठाते है।उनकी पेंटिंग का बाहर ले जा कर महंगे दामों में बेचते है, जबकि उन कलाकारों को थोड़ी सी रकम दे देते है।

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उन्होंनेे कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई। ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है लेकिन इसका आजतक रेजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। इसके सम्बन्ध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है।इसका फायदा बिचौलिए उठा लेते है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई कल की जाएगी।

लालू परिवार के परिसरों पर छापे से बहुत खुश हैं नीतीश कुमार: सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ” नौकरी के बदले जमीन ” घोटाले में लालू परिवार के परिसरों पर जांच एजेंसियों के छापे पर नीतीश कुमार चाहे जो बयान दें, लेकिन सबसे ज्यादा खुश भी वही हैं।

  • ताजा कार्रवाई से तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव टला
  • जाँच में तेजी और जल्द सजा दिलाना चाहते हैं ललन सिंह
  • राजद नेताओं को सजा हुई तो 2025 तक निष्कंटक राज करेंगे नीतीश

श्री मोदी ने कहा कि जांच-पूछताछ की कार्रवाई के कारण तेजस्वी प्रसाद यादव को जल्द मुख्यमंत्री बनाने का राजद का दबाव टल गया है। यह जदयू के लिए राहत की बात है।

nitish sushil modi

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के कहने पर ललन सिंह ने सीबीआई को सबूत के कागजात उपलब्ध कराये। उन्हें पता है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सहित सभी 16 अभियुक्तों का जेल जाना तय है।

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार जाँच की धीमी गति पर सवाल उठा रहे हैं। दरअसल, वे चाहते हैं कि जांच तेज हो, अभियुक्तों को सजा जल्द हो और वे 2025 तक निष्कंटक मुख्यमंत्री बने रहें।

बिहार के नए राज्यपाल ने 7 कुलसचिवों के कार्य पर लगाई रोक; जानें विश्वविद्यालयों के नाम

पटना । शनिवार को राजभवन की ओर से बिहार के नए राज्यपाल ने बिहार के सात विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों के सभी प्रकार को कार्यों और कर्तव्यों के निर्वहन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी हैं।

राज्यपाल सचिवालय द्वारा पत्र में , लिख कर निर्देश दिया गया है और कहा गया है कि नियुक्ति और पदस्थापित कुलसचिव के सभी कार्यों पर अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जाती है। इसका अक्षरशः पालन करने का निर्देश दिया गया है।

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ये विश्वविद्यालय है शामिल:

नीचे लिखे 7 कुलपतियों को पत्र जारी कर कुलसचिवों के कार्यों पर रोक लगाई है।

  • कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा
  • वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा
  • मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर
  • मगध विश्वविद्यालय बोधगया
  • पटना विश्वविद्यालय पटना
  • मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय पटना
  • पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय पटना

सभी विश्वविद्यालयों को इसकी प्रति भी भेज दी गई  है।

“जमीन दो, नौकरी लो” मामले में जांच का सामना कर रहा लालू परिवार सहानुभुति पाने के लिए गर्भवती बहू और बच्चों को टार्चर किये जाने का झूठा प्रचार कर रहा है: सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि “जमीन दो, नौकरी लो” की नीति से अरबों रुपये की अवैध सम्पत्ति बनाने के मामले में जांच का सामना कर रहा लालू परिवार सहानुभुति पाने के लिए गर्भवती बहू और बच्चों को टार्चर किये जाने का झूठा प्रचार कर रहा है।

• लालू के नाती-नातिन, पुत्रबधू से कोई पूछताछ नहीं, “टार्चर” की कहानी झूठी
• सहानुभूति पाने और जाँच को बदनाम करने के लिए किया जा रहा दुष्प्रचार
• नीतीश घोषणा करें कि गर्भवती महिला, बच्चों के घर में रहते नहीं होगी कोई पूछताछ
• हेमा यादव बतायें, हृदयानंद और ललन चौधरी ने क्यों उन्हें गिफ्ट की थी सम्पत्ति ?
• तेजस्वी यादव फ्रेंड्स कालोनी स्थित 200 करोड़ के मकान के मालिक कैसे बने?
• क्या इस संबंध में पूछताछ करना “टार्चर” करना है?
• नीतीश कुमार और ललन सिंह दे रहे भ्रष्टचार को पोलिटिकल कवर

श्री मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव की गर्भवती पत्नी राजश्री और लालू प्रसाद के नाती-नातिन जब किसी मामले में आरोपी ही नहीं हैं और उनसे कोई पूछताछ भी नहीं हुई, तब टार्चर कहाँ हुुआ? राजद झूठा प्रचार करने पर उतर आया है।

उन्होंने तेजस्वी यादव के जल्द पिता बनने के समाचार के लिए उन्हें बधाई दी और कहा कि जाँच एजेंसियों के छापे की इस उपलब्धि पर तो कोई विवाद नहीं होगा।

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श्री मोदी ने पूछताछ के दौरान टार्चर की फर्जी कहानी को खारिज करते हुए नीतीश कुमार और ललन सिंह को यह घोषणा करने की चुनौती दी कि अपराध चाहे कितना भी गंभीर हो, बिहार में अभियुक्तों के घर में गर्भवती महिला और बच्चों के रहते कोई पूछताछ नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि कल के छापे में लालू प्रसाद के परिवार जनों के घर से डेढ़ किलो सोने के गहने और आधा किलो सोने का बिस्कुट, 1 करोड़ रुपये नकद और 6 सौ करोड़ रूपये से ज्यादा की अवैध सम्पत्ति के कागजात भी बरामद हुए, जबकि ललन सिंह दावा करते हैं कि छापे में कुछ नहीं मिला।

श्री मोदी ने कहा कि जब एमएलए-एमएलसी बनाने या नौकरी दिलाने के बदले में लालू प्रसाद अपनी बेटियों के नाम से करोड़ो रुपये की सम्पत्ति लिखवा रहे थे, तब किसी ने विरोध क्यों नहीं किया?

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद की पुत्री हेमा यादव को हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी ने कीमती सम्पत्ति क्यों गिफ्ट की थी? बाद में यह सम्पत्ति 350 करोड़ में बेच दी गई।

श्री मोदी ने कहा कि हेमा यादव को इस सम्पत्ति को दान में लेने और बेचने के बारे में सच बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इसी तरह तेजस्वी प्रसाद यादव को बताना चाहिए कि वे दिल्ली की फ्रेंड्स कालोनी स्थित 200 करोड़ के चार मंजिला मकान के मालिक कैसे बने? क्या इस संबंध में पूछताछ करना “टार्चर” करना है?

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार और ललन सिंह सुनियोजित भ्रष्टचार को पोलिटिकल कवर दे रहे हैं।

भ्रष्टाचार से समझौता कर लालू परिवार को बचा रहे नीतीश कुमार: सुशील कुमार मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम बनने के अपने महत्वांकाक्षी सपने के दबाव में भ्रष्टचार से समझौता कर लिया और वे चारा घोटाला से लेकर “जमीन के बदले नौकरी घोटाले” तक में संलिप्त लालू परिवार को बचाने में लगे हैं।

  • 2008 में लालू प्रसाद के विरुद्ध जांच के लिए शरद यादव, ललन सिंह ने पहल की थी
  • जदयू ने सारे दस्तावेज सीबीआई को उपलब्ध कराये थे
  • ललन सिंह ने मनमोहन सिंह को दिया था ज्ञापन, आज कार्रवाई रोकने के लिए चिट्ठी लिख रहे
  • लालू प्रसाद ने एक ही मंत्र अपनाया “-तुम मुझे जमीन दो, मैं तुम्हें नौकरी दूँगा।”
  • किसी और ने नहीं, खुद लालू ने पूरे परिवार को फँसा दिया
  • तेजस्वी यादव 29 साल की उम्र में कैसे बने अरबों रुपये की 52 सम्पत्ति के मालिक ?
  • अबू दोजाना वही हैं, जो पटना में तेजस्वी यादव का 750 करोड़ का मॉल बनवा रहे थे

श्री मोदी ने कहा कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई होने पर बार-बार लालू परिवार को फँसाने का जो झूठा प्रचार किया जाता है, उसमें कोई दम होता तो लालू प्रसाद चारा घोटाला के सभी पांच मामलों में अदालत से दोषी नहीं पाये जाते।

उन्होंने कहा कि 2008 में लालू प्रसाद के विरुद्ध भ्रष्टचार के मामलों की जांच के लिए स्वर्गीय शरद यादव और ललन सिंह ने पहल की थी। जदयू ने सारे दस्तावेज सीबीआई को उपलब्ध कराये और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन भी दिया था। आज यही लोग लालू प्रसाद पर कार्रवाई रोकने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं।

lalu nitish modi

श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद ने सत्ता में रहते हुए यही बस एक ही मंत्र अपनाया “-तुम मुझे जमीन दो, मैं तुम्हें नौकरी दूँगा।”

उन्होंने कहा कि हर काम के लिए जमीन लेते हुए गरीब परिवार में जन्मे लालू प्रसाद सबसे बड़े जमींदार बन गए। उनके पास पटना में 1 लाख वर्ग फुट से ज्यादा कीमती जमीन है।

श्री मोदी ने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव को बताना चाहिए कि वे दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कालोनी में अरबो रुपये के चार मंजिला मकान के मालिक कैसे बन गए?

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने इंटरमीडिएट तक भी पढाई नहीं की, क्रिकेट में विफल रहे , लेकिन बिना कोई उद्योग-व्यापार किये मात्र 29 साल की उम्र में वे 52 सम्पत्तियों के मालिक कैसे बन गए? क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए ?

श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद ने विधायक, सांसद, मंत्री, एमएलसी बनावाने के बदले कीमती जमीनें परिवार के सदस्यों के नाम से लीं और खुद ही पूरे परिवार को फँसा दिया। उन्हें किसी दूसरे ने नहीं फँसाया।

उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक अबु दोजाना वही हैं, जो पटना में तेजस्वी यादव का 750 करोड़ का मॉल बनवा रहे थे ।

जाने ‘ऑपरेशन तमिलनाडु’ के पीछे का सच; बिहार के 87 यूट्यूबर थे शामिल

मनीष कश्यप आज के बिहार का यूथ आइकन है वजह किसी तरह से 5 से 10 लाख रुपया महीना कमा लेता है ।   लेकिन ये जिस आग से खेल रहा था उसका ये हस्र होना तय था। 

ऑपरेशन तमिलनाडु के पीछे का सच अब पूरी तौर पर सामने आ गया है इस खेल का मास्टमेंड Manish Kashyap ही है इस खेल मेंं बिहार का 87 यूट्यूबर शामिल था ।      

जो खुद मजदूर बना और पेट में, तो कहीं सिर में ,तो कहीं चेहरा पर बैंडेज लगा कर चैनल पर घूम घूम कर बाइट दे रहा था सबसे चौकाने वाली बात यह है कि गोपालगंज का रहने वाला यूट्यूबर राकेश रंजन कुमार पिछले ही महीना ही जक्कनपुर पटना में डेरा लिया था और 6 मार्च को मजदूर वाला वीडियो वायरल करके डेरा खाली कर पटना से निकल गया ।

इस खेल को पूरी सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था सब कुछ स्क्रिप्टेड था किस यूट्यूबर को कहा रहना है किसको मजदूर बनना है किसको वीडियो वायरल करना है किसको नेता का बाईट लेना है ।

वही Manish Kashyap तमिलनाडु में बिहारी मजदूर के नेता के भी संपर्क में था जो वहां तय रणनीति के तहत वीडियो बना कर मनीष कश्यप को भेजता था चूकी टीम मनीष कश्यप का  व्यूअरशिप 8 मिलियन के करीब है जिस वजह से वीडियो दस मिनट में बिहार के गांव गांव में पहुंच गया।

ManishKashyap

हालांकि इस खेल में सूरत लांबी का भी बड़ा हाथ है जो त्रिरपुर के विकास से चिढ़ा हुआ है पिछले वर्ष भारत सरकार अचानक धागा का दाम बढ़ा दिया था जिस वजह से बड़ा बवाल मचा था एक सप्ताह तक पूरा मिल बंद रहा था। सूरत का रेडीमेड रमेंट मिल  को तिरुपुर काफी पीछे छोड़ दिया है इससे सूरत लांबी हमेशा कोशिश में लगा रहता है कि तिरुपुर के माहौल को गाड़ते रहे ।

इस घटना के पीछे इस मानसिकता वाले कॉरपोरेट घराने का भी हाथ बताया जा रहा है जिसके हाथों में मनीष कश्यप जैसे लोग खेलते रहते हैं । पुलिस जांच में यह भी पता चला कि मनीष कश्यप के बैंक खाते में पिछले एक माह के दौरान कई तरह के अनलिगल ट्रांजेक्शन हुआ है। आर्थिक अपराध इकाई इसके खातों को फ्रीज करने की तैयारी शुरु कर दिया है ।

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जो भ्रष्टचार के आरोपी हैं, वे ही खुद को पीड़ित बताने की राजनीति करने लगे; तेजस्वी बतायें, नौकरी के बदले जमीन देने वाले ललन चौधरी कौन ? – सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के समय ललन सिंह और स्व० शरद यादव ने तत्कालीन रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद पर नौकरी के बदले जमीन घोटाला का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। आज यही लोग सीबीआई के दुरुपयोग का शोर मचा रहे हैं।

• तेजस्वी बतायें, नौकरी के बदले जमीन देने वाले ललन चौधरी कौन ?
• लालू प्रसाद के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग ललन सिंह, स्व० शरद यादव ने की थी
• जो भ्रष्टचार के आरोपी हैं, वे ही खुद को पीड़ित बताने की राजनीति करने लगे
• राबड़ी से पूछताछ न्याय प्रक्रिया का हिस्सा, केंद्र पर आरोप अनर्गल

श्री मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव और ललन सिंह इधर-उधर की बातें करने के बजाय ग्रुप डी की नौकरी के बदले कीमती जमीन लालू परिवार के नाम करने वाले ललन चौधरी के बारे में क्यों नहीं बताते? ये ललन चौधरी कौन हैं और क्यों इनकी जमीन गिफ्ट में ली गई?

Sushil Modi vs Tejashwi

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद सत्ता का दुरुपयोग कर सम्पत्ति बनाने के आदती हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने चारा घोटाला किया और रेल मंत्री बनने पर जमीन के बदले रेलवे की नौकरी बाँटने का घोटाला किया।

श्री मोदी ने कहा कि रेलवे की नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले की जांच बंद नहीं हुई है। इस मामले में लालू- राबड़ी देवी सहित 15 आरोपियों को समन भेजना और पूछताछ करना न्याय प्रक्रिया का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि जब भी किसी घोटाले की जांच होती है, इसमें आरोपी लालू परिवार खुद को पीड़ित बताकर सहानुभुति पाने की राजनीति करने लगता है।

श्री मोदी ने कहा कि क्या यह सही नहीं कि नीतीश कुमार के कहने पर ललन सिंह ने लालू परिवार के भ्रष्टचार से संबंधित कागजात सीबीआई को पहुँचाये थे ?

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद से मिल कर महागठबंन सरकार बनाने से पहले जो लोग लालू प्रसाद के विरुद्ध जांच में तेजी लाना चाहते थे, आज वे ही इस मामले में भाजपा और केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।

लैंड फॉर जॉब स्कैम: पूछताछ के लिए CBI राबड़ी देवी के घर पहुंची

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर सोमवार को CBI की टीम पहुंची । जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में सीबीआई की टीम पहुंची है । CBI के अधिकारी राबड़ी देवी से पूछताछ कर रहे हैं ।

उनके बेटे और नीतीश कुमार कैबिनेट के मंत्री तेज प्रताप यादव भी घर में मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि राबड़ी के घर वकीलों की एक टीम भी पहुंची है।

Lalu-Rabri

जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में CBI ने अक्टूबर 2022 में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी के अलावा 14 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

सीबीआई का आरोप है कि लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए बड़े पैमाने पर रेलवे में नौकरी देने में गड़बड़ियां की गई थीं। 15 मार्च को कोर्ट में राबड़ी, लालू और मीसा पेश होने के आदेश दिया है।

पटना हाईकोर्ट में होली अवकाश 6 मार्च, 2023 से 10 मार्च, 2023 तक; 13 मार्च, 2023 को खुलेंगे कोर्ट

पटना हाईकोर्ट में 6 मार्च, 2023 से 10 मार्च, 2023 तक होली अवसर पर बंद रहेगा। पटना हाईकोर्ट 13 मार्च, 2023 को होली के अवकाश के बाद खुल जाएगा।

Patnahighcourt

इस बीच किसी प्रकार का न्यायिक कार्य हाईकोर्ट में नहीं किया जाएगा।

बिहार के वैशाली में ‘होली स्पेशल’ लेबल वाली अवैध शराब बरामद

वैशाली। बिहार के वैशाली जिले के हरपुर गांव में एक तालाब के अंदर छिपाकर रखी गई करीब 17 कार्टन शराब बरामद की गई है। आबकारी विभाग की टीम मछली तालाब में छिपाकर रखी गई लाखों रुपये की शराब को बरामद करने में सफल रही है।

महुआ थाना क्षेत्र के हरपुर गांव स्थित एक तालाब में छिपाकर रखी गई शराब जिसको होली के दौरान इसका सेवन किया जा सके, लेकिन आबकारी विभाग की टीम ने वहां छापा मारा तो 17 कार्टन विदेशी शराब मिली। हालांकि इस कार्रवाई में किसी कारोबारी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन आबकारी विभाग ने शराब माफिया के मंसूबों को नाकाम कर दिया है.

पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. थाना प्रभारी वैशाली सुरेश प्रसाद चौधरी ने कहा, ”मामले में प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.”

पुलिस के मुताबिक होली मनाने के लिए हरियाणा से स्पेशल ‘होली स्पेशल’ वाली अवैध शराब लाई गई थी। थाना प्रभारी वैशाली सुरेश चौधरी ने कहा, “होली के मद्देनजर वैशाली जिले में शराब माफिया सक्रिय हो गए हैं और वे पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।”

नीतीश नहीं दिला सके पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा, सपना पीएम बनने का : सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले और विपक्षी एकता के बड़बोले दावे करने वाले नीतीश कुमार अपनी पार्टी (जदयू) को राष्ट्रीय दल का दर्जा भी भी नहीं दिला सके।

  • नीतीश नहीं दिला सके पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा, सपना पीएम बनने का
  • लोजपा (रामविलास) का प्रदर्शन बेहतर, 8 फीसद वोट के साथ जीतीं दो सीटें
  • टीएमसी, एनसीपी, बसपा और आप राष्ट्रीय दल, जदयू को कौन पूछेगा?

श्री मोदी ने कहा कि पिछले दिनों नीतीश कुमार नगालैंड गए थे और ललन सिंह ने विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत लगा थी, फिर भी जदयू मुश्किल से एक सीट जीत पाया और उसका वोट भी घट कर मात्र 3.25 फीसद रह गया।

sushil modi vs nitish kumar

उन्होंने कहा कि नगालैंड में जदयू से बेहतर प्रदर्शन लोजपा (रामविलास) का रहा। उसने दो सीटें जीतीं, 8.6 फीसद वोट हासिल किये और आठ सीटों पर यह पार्टी दूसरे स्थान पर रही। वहाँ राजद और कांग्रेस का खाता नहीं खुला। लोजपा (रामविलास) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। ये दोनों नेता अपने बल पर मुख्यमंत्री बनते रहे।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार न कभी अपने बल पर मुख्यमंत्री बने, न इनकी पार्टी राष्ट्रीय दर्जा पा सकी।

श्री मोदी ने कहा कि बिहार-केंद्रित जदयू को किसी दूसरे हिंदीभाषी प्रदेश में नहीं, बल्कि अरुणाचल और मेघालय जैसे प्रदेश में राज्य पार्टी का दर्जा मिला है। इन उत्तर-पूर्वी राज्यों में बिहार के लोग नाम-मात्र के हैं।

उन्होंने कहा कि जब शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती और केजरीवाल की पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है, तब विपक्षी एकता के लिए नीतीश कुमार और उनकी राज्य-स्तरीय पार्टी को कोई क्यों महत्व देगा?

श्री मोदी ने कहा तीन उत्तर-पूर्वी राज्यों के चुनाव परिणामों ने जहाँ प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा कायम रखा, वहीं जदयू के महत्वाकांक्षी सपने तोड़ दिये।

गया एयरपोर्ट को मिली उड़ाने की धमकी, बढ़ाई गयी सुरक्षा

गया। गया एयरपोर्ट प्रशासन को एक चिट्ठी मिली है, जिसमें लिखा है कि गया एयरपोर्ट को ड्रोन से उड़ा दिया जाएगा।

इसके बाद गया एयरपोर्ट प्रशासन ने एयरपोर्ट के अंदर और बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

यह चिट्ठी किसके द्वारा भेजी गई है यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है, इसकी जांच चल रही है।