इश्क और जंग में सब जायज़ है यह विचार अहंकार और दंभ को प्रदर्श करता है जबकि मानव मूल्य की परीक्षा इसी दो जंग में होती है ।
इसलिए जब कभी भी इश्क और जंग की चर्चा होती है तो ऐसे नायक की लोग तलाश करते हैं जिसने इश्क और जंग में मूल्य के लिए अपना सब कुछ गवा दिया है । ऐसे सेनापति और राष्ट्रअध्यक्ष को आज भी लोग स्वीकार नहीं करते जिसने युद्ध में युद्ध नीति का पालन नहीं किया है उसी तरह प्यार पाने वालों में भी चर्चा लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट और शीरीं-फरहाद की ही होती है जिसने प्यार के लिए कुर्वान हो गयी। आज यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है भले ही पुतुन यह युद्ध जीत ले लेकिन रुस एक ऐसा युद्ध हारने जा रहा है जिसे कभी मानव सभ्यता माफ नहीं करेगा यूक्रेन में बिहार के बहुत सारे बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करते हैं उनमें से कई से हमारी पहले से बातचीत होती रही है और युद्ध शुरु होने के बाद तो लगातार संपर्क में है। इस स्थिति में भी कॉलेज प्रबंधक और कॉलेज के शिक्षक बच्चों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है।
बच्चे सुरक्षित निकले इसके लिए शिक्षक बच्चों को गाड़ी खुद चला कर बॉर्डर वाले इलाके में पहुंचा रहे हैं ।बिहार के बच्चों से जब भी बात होती है तो यह जरुर कहता है कि यूक्रेनवासी जैसा ईमानदार ,जिंदादिल और खुशमिजजा लोग कहीं नहीं मिलेगा
अभी जो यूक्रेन का राष्ट्रपति है जिसके जान के पीछे पुतुन पड़ा है वह व्यक्ति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की पटकथा लेखक और हास्य अभिनेता रहा है ,इनकी लिखी पटकथा हमेशा मानव मूल्य के साथ खड़ा दिखता है हास्य अभिनेता के रूप में इन्होंने जितनी फिल्मों और टीवी शो में काम किया है हंसते हंसते कुछ ना कुछ ऐसा संदेश देने कि कोशिश करते दिखते हैं जो मानव मूल्य को बनाये रखने के लिए समर्पित रहता है ।
अभी थोड़ी देर पहले यूक्रेन के इस 44 वर्षीय राष्ट्रपति का एक संदेश आया है जंग में सबने अकेला छोड़ दिया, जिन्होंने जान गंवाई वे यूक्रेन के हीरो से कम नहीं हैं।’ उन्होंने नागरिक ठिकानों पर रूसी हमलों की निंदा की। यूक्रेन में अब तक 137 सैनिकों व नागरिकों की मौत की खबर है। बमबारी में 316 लोग घायल हुए हैं।
अमेरिका सहित पूरी दुनिया जिस तरीके से यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद खेल खेल रहा है आने वाले समय में जिस दौर से दुनिया गुजर रही है वो दिन दूर नहीं है जब हर बड़ा देश छोटे देश को निगलना शुरु कर देगा। आज जो खामोश है या फिर जो युद्ध से डर रहे हैं या फिर जो तटस्थ है समय उनका भी अपराध लिखेगा।
भारत में यूक्रेन के राजदूत डॉक्टर आइगोर पोलिखा ने कहा कि अपने देश में रूस की सैन्य कार्रवाई को लेकर भारत के रुख़ से मैं ”काफ़ी असंतुष्ट हूं”.उन्होंने कहा है “हम इस मौक़े पर ये अपेक्षा कर रहे हैं कि पीएम मोदी किसी तरह पुतिन पर प्रभाव डालने की कोशिश करें. इसके साथ ही पीएम मोदी अगर यूक्रेन के समर्थन में कोई बयान देते हैं या कारगर ढंग से मदद करते हैं तो यूक्रेन इसके लिए शुक्रगुजार रहेगा।
लेकिन जो बात हुई है उससे ऐसा कुछ भी संदेश नहीं जा रहा है।उन्होंने आगे कहा, ”हम अपने सभी मित्र देशों से मदद मांग रहे हैं ताकि इस युद्ध को रोका जा सके. यूक्रेन एक शांतिप्रिय देश है. वो लड़ने के लिए तैयार है लेकिन शांति सबसे अच्छा समाधान है. हम अपने सभी साझेदारों से कह रहे हैं कि वे किसी तरह हमारी मदद करें।
वैसे रूस की जनता ने जिस तरीके से इस युद्ध के खिलाफ पुतिन के धमकी के बावजूद सड़क पर आकर विरोध किया है बहुत कुछ संदेश दे रहा है ,वही इस युद्ध को लेकर भारत की वामपंथी पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं और रूस के इस प्रवृत्ति को साम्राज्यवाद कहने से कन्नी काट रहा है इनका भी इतिहास लिखेगा ।
यह युद्ध भेल ही रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा है लेकिन इसका असर दूसरे विश्व युद्ध से भी बड़ा पड़ेगा क्यों कि यूक्रेन का शासक सद्दाम हुसैन नहीं है बगदादी नहीं है यह हमला मानव सभ्यता पर हमला है और उस पर चुप्पी मानवता के लिए चुनौती ।
ऐसे में इस समय पूरी दुनिया जिस घने अंधेरे के दौर से गुजर रहा है उस अंधेरे को चीर कर कही ना कही से रोशनी जरुर निकलेगी ।
फिलहाल हमारे देश के जो बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं उनको कैसे बाहर लाया जाए साथ ही यूक्रेन के शांति प्रेमी जनता इस संकट से कैसे बाहर निकले इस पर कुछ करने कि जरूरत है ।
वैसे युद्ध के दौरान ये दो तस्वीर काफी है कि उम्मीद अभी बाकी है ।
1–पहली तस्वीर रूस की है जहाँ युद्ध के खिलाफ लोग सड़क पर विरोध कर रहे हैं।
2–दूसरी तस्वीर यूक्रेन के मेट्रो स्टेशन का है जहाँ प्रेम युगल एक दूसरे को फिर मिलेगे इसका भरोसा जता रहे हैं ।