अग्निपथ को लेकर आज चौथे दिन भी पूरे देश में हंगामा जारी है वही बिहार में सुबह से ही छात्र अपने अंदाज में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिए जा रहे हैं। इस बीच दिल्ली से खबर ये आ रही है की केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तमाम सीनियर अधिकारियों को अपने आवास पर बुलाया है और उनसे अग्निपथ योजना को लेकर उत्पन्न हालात पर चर्चा कर रहे हैं ।वही मीडिया इस मसले को ऐसे दिखा रहा है कि यह समस्या सिर्फ बिहार का है जबकि इसको लेकर पूरे देश में हंगामा हो रहा है ।
1—मोदी से देश की जनता लड़ रही है
2014 में जब से मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से मोदी ने देश,जनता और संविधान की विरुद्ध जितने भी फैसले लिए हैं उस फैसले साथ लोकतंत्र का स्तम्भ कहे जाने वाला मीडिया ,न्यायपालिका और ब्यूरोक्रेसी पूरी तौर पर मोदी के फैसला के साथ खड़ा रहा है वही इस देश में मोदी के साथ साथ जो एक नया वर्ग पैदा लिया है जिसे हम लोग गोबर वीर कहते हैं ये वीर ऐसा है जो मोदी फैसला लिए नहीं कि उनके फैसले के पक्ष में पहले राजा के दरबार में जो भाट रहा करता था उसी भाट के तरीके से गुन गुन करना शुरू कर देता है।विपंक्ष का हाल यह है कि वो अभी भी इसी उम्मीद में बैठा है कि जनता तस्तरी लाकर उसे सत्ता दे दे।
इतनी प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद इस देश की जनता में आज भी इतनी ताकत बची हुई है जिसके सहारे मोदी जैसे मजबूत प्रधानमंत्री को नोटबंदी,जीएसटी ,सीसीए एनआरसी और किसान बिल जैसे नीतिगत फैसलों में सुधार लाने को मजबूर किया है जिसके अच्छाई को लेकर मीडिया ,ब्यूरोक्रेसी और गोबर वीर 24 घंटे स्तुतिगान कर रह थे ।
2—अग्निवीर योजना में भी सुधार का सिलसिला शुरु हो गया है
मोदी के आठ वर्षो के शासनकाल पर गौर करिएगा तो यह महसूस होगा कि नीतिगत फैसले ऐसे लेते हैं जैसे कोई इभेन्ट हो ।कोई चर्चा नहीं कोई विचार नहीं बस अचानक घोषणा कर देना है नोटबंदी से शुरू करिए और अग्निवीर तक पहुंच जाइए ,घोषणा पहले हुआ और जैसे ही हंगामा हुआ सरकार निर्णय में बदलाव लाना शुरु कर दिया ये सरकार के कामकाज का तरीका नहीं है क्यों कि किसी भी नीतिगत निर्णय लेने से पहले सरकार को संसद या फिर संसदीय कार्य समिति है जिसमें चर्चा करनी चाहिए इससे बहुत सारी बाते पब्लिक डोमेन आनी शुरु हो जाती है लेकिन मोदी को इस लोकतांत्रिक तरीके पर भरोसा ही नहीं है और यही समस्या है जिसके कारण मोदी को कई फैसले वापस लेना पड़ा है ।योजना की घोषणा के बाद से अभी तक दो सुधार हो चुके हैं और जिस तरीके से देश की राज्य सरकार मोदी के इस फैसले पर सवाल खड़े करने लगे हैं इससे लग रहा है कि आने वाले समय में कई और सुधार हो सकते हैं ।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अभी भी भारत सरकार के नौकरी में 10 प्रतिशत सेना को आरक्षण है लेकिन 2014 के बाद केन्द्र सरकार जिस तरीके से लगातार वैकेंसी में कभी कर रहा है ऐसे में पूर्व सैनिकों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ कहा मिल रहा है, लाखों सैनिक अभी बेरोजगार है जो पेंशन के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर है वही नौकरी को लेकर सरकार की जो नीति है उसमें आने वाले समय में सरकारी नौकरी पुलिस और अर्धसैनिक बल को छोड़ दे तो अधिकांश सेक्टर का तो निजीकरण होने जा रहा है ऐसे में जो कहां जा रहा है कि पूर्व सैनिकों को नौकरी मिलेगा वो कहां सम्भव है बात निजी सेक्टर की करे तो सेना को ऐसा क्या पढ़ाया जाएगा जिनके सहारे वो निजी सेक्टर में नौकरी लेने में कामयाब हो सकते हैं वहां तो और भी प्रतियोगिता है मोदी भक्त एक पूर्व सैनिक के शब्दों में कहे तो यह फैसला देशद्रोह के समान है ।
3—अग्निवीर सिर्फ बिहार का मसला नहीं है
पूरा देश का यूथ इस फैसले के खिलाफ है ये बात सही है कि अग्निवीर के खिलाफ सबसे उग्र प्रतिक्रिया बिहार से ही शुरु हुआ है और आज भी जारी है लेकिन इस योजना के खिलाफ सिर्फ बिहार के ही बच्चे हैं ऐसा कतई नहीं है ,यूपी सहित देश के अन्य राज्यों में भी विरोध हो रहा है वहां के बच्चे सबसे अधिक सेना में, हां विरोध का तरीका अलग अलग है जरूर है ।