चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को पद से हटाने का निर्देश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 24 घंटों के भीतर पदेन सदस्य कार्यभार संभाल लेंगे।याचिकाकर्ता उमा शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को चौबीस घंटे के भीतर अस्थायी रजिस्ट्रार की नियुक्त करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष अनियमित ढंग से लाइसेन्स देते थे।उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे मनमानी ढंग से नियमों की अनदेखी कर लाइसेन्स फोन पर ही दे दिया करते थे।
कोर्ट ने मामलें को काफी गम्भीरता से लेते हुए राज्य निगरानी विभाग को पूरे मामलें की जांच करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने निगरानी के डीआईजी को चार सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के पूर्व रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया है।कोर्ट ने अगली सुनवाई में बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष को कोर्ट में तलब किया था।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को रजिस्ट्रार के पद पर नए अधिकारी को अविलम्ब नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
इससे पूर्व में कोर्ट ने सेवानिवृत रजिस्ट्रार द्वारा लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दिया था। कथित तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद भी बिहार फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति स्थाई तौर पर पटना हाई कोर्ट द्वारा एक अवमानना मामले में 19 अगस्त, 2011 को दिए गए आदेश को गलत तरीके से बगैर किसी विज्ञापन, साक्षात्कार किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया था कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार सेवानिवृत हो चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें इस पद पर रखकर काम कराया जा रहा है, जोकि गैर कानूनी है।
इस मामले में अगली सुनवाई 23 जून,2022 को की जाएगी।