पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की गई हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई की। जस्टिस संदीप कुमार ने इन मामलों पर सुनवाई की।
कोर्ट मे सुनवाई के दौरान सेबी के संबंधित अधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे ।कोर्ट ने जब उनसे पूछा कि जितनी भी हस्तक्षेप याचिकाये हाईकोर्ट में दायर की गई है, उन्होंने उन याचिकाओं में से कितने याचिकाओं की छानबीन कर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेजा है ।इस पर सेबी की ओर से बताया गया कि उन्होंने अभी तक करीब 430 हस्तक्षेप याचिकाओं की जांच की है ।साथ ही अन्य याचिकाओं की जांच भी की जा रही है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जल्द से जल्द जांच कर संबंधित अधिकारी के पास इस मामले को भेज दें ,ताकि लोगों उनका पैसा लौटने की करवाई हो सके।
कोर्ट ने कहा कि बिहार एक गरीब राज्य है और यहां की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा, जो सहारा कंपनी द्वारा विभिन्न स्कीमों में अपने यहां जमा करवा कर रखा गया है और जमा कर्ताओं को भुगतान नहीं किया जा रहा है ,यह बहुत ही गलत है।
कोर्ट ने जब सहारा इंडिया के अधिवक्ता से पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर सेवी 1000 करोड़ रूपया भी उन्हें दे देती है ,तो वह बिहार के निवेशकों का पूरा पैसा उससे लौटा देंगे।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सेबी को कहा है कि दो कंपनियों के पैसे को छोड़कर बाकी पैसा सेबी सहारा को लौटा दे, लेकिन सेबी ऐसा नही कर रहा है ।
उन्होंने कोर्ट को बताया की कोर्ट को बताया कि सहारा इंडिया के दो स्कीम सहारा हाउसिंग और सहारा रियल स्टेट में जमा किए गए पैसों को भुगतान करने के लिए अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नही है।
कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में अगली सुनवाई तक आप जानकारी प्राप्त कर बताएं कि इन दो स्कीमों के बाद वाले स्कीमों का पैसा क्यों नहीं लौटाने का निर्देश सहारा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को दिया जाय।
कोर्ट को इकोनामिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू ) की ओर से बताया गया कि आम जनता का पैसा जमा कराने वाले निधि कंपनियों के खिलाफ 10 प्राथमिकी दर्ज कर जांच की गई है। इसमें जांच के बाद आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया गया है।5 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।आगे भी कार्रवाई की जा रही है ।
इस मामले पर अब 20 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।