पटना हाईकोर्ट ने मृत सरकारी कर्मी के विधवा के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने विधवा को पेंशन पति के बकाये वेतन तथा पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा के साथ 18 प्रतिशत सूद दो माह के भीतर देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को मुआवजा राशि की वसूली दोषी कर्मी से करने की पूरी छूट दी है। वही राज्य सरकार को कर्मियों के शिकायत निवारण के लिए एक वेब पोर्टल बनाने का आदेश दिया ताकि कर्मी अपना शिकायत दर्ज कर सके।
कोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता को बिहार लिटिगेशन पॉलिसी को अच्छी तरह लागू करने के बारे में सभी विभागों के प्रधान सचिव व सचिव के साथ बैठक कर अमल में लाने को कहा है।
कोर्ट ने मृत सरकारी कर्मी के विधवा लीलावती मिश्रा की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद अपने 38 पन्नों के फैसला में कई अहम निर्देश दिया है।आवेदिका के वकील अनुराग सौरभ ने कोर्ट को बताया कि कर्मी की नियुक्ति 5 दिसम्बर 1961 को छोटानागपुर अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अस्थायी अनुमानक के रूप में हुई थी।
उनका कहना था कि 1966 से लेकर 1995 के बीच कई जगह स्थानांतरण किया गया। 1 फरवरी 1994 को कर्मी को सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे मुंगेर प्रमंडल के सड़क निर्माण विभाग में पदस्थापित किया गया।
लेकिन विभाग ने पदभार ग्रहण नहीं किया और इसी बीच कर्मी 31 दिसम्बर 1996 को सेवानिवृत्त हो गया।
उनका कहना था कि कर्मी को वेतन तक नहीं दिया गया।सेवानिवृत्त के बाद कर्मी ने विभाग सहित हर बड़े अधिकारी के पास पेंशन, भत्ता एवं अन्य के भुगतान की गुहार लगता रहा।लेकिन कहीं से कुछ नहीं मिला।
इसी बीच 7 अप्रैल 2011 को कर्मी की मौत हो गई।कर्मी की मौत के बाद कर्मी के विधवा ने दफ्तरों का चक्कर लगाने शुरू किया।विभाग विधवा से सर्विस बुक सहित अंतिम वेतन भुगतान स्लिप का मांग किया।
जो भी कागजात उसे प्राप्त हुआ विभाग को दे दिया गया।लेकिन विभाग ने उसे पेंशन चालू करने का आदेश नहीं दिया।थक हार कर आवेदिका ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर पेंशन बकाये वेतन सहित अन्य लाभ का भुगतान करने का गुहार लगाई।
कोर्ट ने राज्य सरकार को इस केस में जबाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।कई दिनों तक लम्बी बहस के बाद कोर्ट ने अहम फैसला दिया।