जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई उत्पाद कोर्ट समेत अन्य कोर्ट में बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर कड़ा रुख अपनाया।
कोर्ट ने कहा कि राज्य में उत्पाद क़ानून से सम्बंधित मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित हैं।लेकिन उत्पाद कोर्ट के गठन और सुविधाएं उपलब्ध कराने की रफ्तार धीमी हैं।
कोर्ट ने उत्पाद कानून में राज्य सरकार द्वारा किये गए संशोधन की प्रति अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रखने को कहा।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने पक्ष प्रस्तुत हुए कहा कि इस सरकार द्वारा शराब पर लगे प्रतिबन्ध को नहीं हटाया जाएगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने हाल में ही व्यवहारिक कठिनाई को देखते हुए इस क़ानून में संशोधन किया हैं।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि उत्पाद कोर्ट के गठन,जज,कर्माचारियों की नियुक्ति और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातर कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने बताया कि सामान्य और उत्पाद कोर्ट के जुडिशियल ऑफिसर को बुनियादी सुविधाएं, पेय जल,शौचालय,बैठने व कार्य करने का स्थान उपलब्ध कराया जा रहा हैं।साथ ही उन्हें लैपटॉप भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है,तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।
महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं।साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं।
उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इन उत्पाद कोर्ट के एक फ्लोर उपलब्ध कराने की जाने की व्यवस्था की जा रही। सही ढंग से के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल,2022 को की जाएगी।