पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेत्रहीन बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों के बदहाल स्थिति पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे सरकार की असंवेदनशीलता दिखती है । एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में विस्तृत और सही स्थिति बताते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूलों की स्थिति, योग्य शिक्षकों की बहाली,छात्रों के पढ़ाई के सम्बन्ध पूरी और यथार्थ जानकारी देने का निर्देश दिया।कोर्ट ने इस बात को काफी गम्भीरता से लिया कि इन स्कूलों में नेत्रहीन छात्र आठवीं कक्षा के बाद बड़ी संख्या में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।
कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा कि ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई।कोर्ट ने कहा कि ये बहुत ही चिंतनीय विषय है कि जहां आठवीं क्लास में लगभग सत्ताईस हज़ार छात्र पढ़ते है,वहीं नवीं से वारहवीं कक्षा में दो हज़ार छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं।
कल कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।उन्होंने कोर्ट को कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल की रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि इस स्कूल को शिक्षकों का स्वीकृत पद ग्यारह है,लेकिन वहां फिलहाल 15 शिक्षक कार्य कर रहे है।इनमेंं एक शिक्षक हाल में ही सेवानिवृत हुए है।इनमें सिर्फ दो शिक्षक ही नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित है।
भागलपुर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में मात्र तीन ही शिक्षक है।इससे नेत्रहीन बच्चों की शिक्षा के बारे में राज्य सरकार की गम्भीरता समझी जा सकती है।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव 2014 भेजा गया था,लेकिन उनका चयन कर आयोग ने नहीं भेजा।कोर्ट ने जानना चाहा कि सरकार ने अबतक क्या किया।
इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।
इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।