जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने पुनर्वास प्रशिक्षण अधिकारी संजू श्रीवास्तव औऱ बशिष्ठ मुनि पांडेय को दो अलग अलग अग्रिम जमानत हेतु याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया। सी बी आई द्वारा दर्ज किए गए उक्त केस की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता प्राथमिकी में नामित नहीं किये गए थे और इनका नाम नाबालिग लड़कियों द्वार सीआर पी सी की धारा 164 के तहत दिए गए बयान में आया था। इस कांड के मुख्य अभियुक्त पिंटू पाल के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट व आई पी सी की धारा 354 के तहत कांड दर्ज किया गया था, जिसे पटना हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।
इसके अलावा और भी आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने पुलिस में शिकायत करना सही नहीं समझा। इसके साथ ही पैसों और कागजात के गबन का भी आरोप था।
शुरुआत में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के महिला विकास निगम के अंतर्गत आने वाले एन जी ओ ग्राम स्वराज सेवा संस्थान, लालापुर, कुदरा केअर होम के विरुद्ध भभुआ स्थित महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसे बाद में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मामले को सी बी आई ने ले लिया था।