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पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को विस्तृत जानकारी देने को कहा था।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा।

कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्कीम और फंड के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा।

पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मावीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर हैं।

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कुछ अस्पताल,मनोचिकित्सक और नर्स पर्याप्त नहीं है।उन्होंने कहा कि आम लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और उसके समाधान के लिए राज्य में कोई व्यवस्था नहीं है।

जो केंद्र सरकार के स्कीम और फंड है,उसका भी राज्य में सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है। अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना हैं।इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

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