आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर अधिवक्ताओं, आर टी आई कार्यकर्ताओं व समाजसेवियों के संयुक्त तत्वाधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम का आयोजन पटना हाई कोर्ट के नजदीक स्थित बिहार स्टेट बार कॉउन्सिल परिसर में अपराह्न चार बजे किया गया।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की स्थापना 10 दिसंबर, 1948 को यू एन ओ द्वारा की गई थी।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध समाजसेवी, गंगा बचाओ अभियान के अध्यक्ष विकास चंद्र उर्फ गुड्डु बाबा ने कहा कि अब आगे से और भी जोश – खरोश के साथ काम करूंगा।उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता चला है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज होते है। यह एक उत्साह बर्धक बात है।
उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकार के क्षेत्र में काम किये जाने से न्यायालयों में मुकदमों की संख्या में भी कमी आएगी। इससे लोगों के बीच जागरूकता बढ़ेगी और लोगों का शोषण भी रुकेगा।
लोगों के जागरूक होने से अधिकारी भी कानून का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगे, जोकि आम जन के लिए मददगार साबित होगा।
यह एक ऐसा कानून है जो जाति और धर्म को नहीं देखते हुए समान रूप से न्याय करता है। इस मौके पर अधिवक्ता अरुण कुमार ने बताया कि मानवाधिकार एक्ट वर्ष 1993 में आया और 1994 में लागू हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि लोग कुछ मामलों को हाई कोर्ट और सुप्रीम के समक्ष ले जाते हैं, जबकि वही काम मानवाधिकार में आसानी से हो जाएगा।लेकिन जागरूकता की कमी होने की वजह से मानवाधिकार में पहुँच नहीं पाते हैं।