सुप्रीम कोर्ट में आज फिर शराबबंदी कानून को लेकर सुनवाई हुई है इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू किये जाने के बाद बढ़ते हुए मुकदमों की संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है।
अदालत ने बिहार सरकार से इस मामले में सवाल भी किया और पूछा कि क्या इस कानून को लागू करने के पहले अदालती ढांचा के बारे में विचार किया गया था या नहीं।
न्यायालय में जमानत याचिका की जो स्थिति है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की.
आरोपित सुधीर कुमार यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस किशन कौल ने सुनवाई के दौरान अदालत में कहा कि बिहार की निचली अदालतों में शराबबंदी कानून से जुड़े मुकदमे काफी अधिक है अधिकांश जज इसी सुनवाई में लगे हैं वही पटना हाईकोर्ट के 26 में 16 जज शराब से जुड़े मामलों को देखने में ही व्यस्त हैं।
आरोपितों को जमानत नहीं दी गयी तो जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ती जाएगी. अदालत ने सवाल किये कि क्या बिहार में मद्य निषेध और उत्पाद कानून लागू करते समय सरकार ने इसपर अध्ययन किया था? क्या यह देखा गया था कि इसके लिए न्यायिक ढांचा तैयार है या नहीं?र एम एम सुंदरेश की बेंच में हुई
बेंच ने कहा कि बिहार से इस तरह के कई मामले लगातार सर्वोच्च न्यायालय आ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण पटना हाईकोर्ट में जजों के ऊपर मुकदमों के बढ़े लोड को समझा गया।
अदालत ने सरकार से यह सवाल किया कि इतना बड़ा फैसला लेते समय अदालती ढांचे का ख्याल रखा गया था या नहीं? इस कानून में बिहार सरकार प्ली बारगेनिंग प्रावधान जोड़ेगी या नहीं, इसके बारे में भी पूछा गया. बता दें कि अगर किसी अपराध का आरोपित केस की सुनवाई के दौरान जज के सामने अपने ऊपर लगे आरोप को स्वीकार कर लेता है तो कोर्ट सजा में कुछ नरमी बरत देती है. अब इस मामले की सुनवाई 8 मार्च को होगी. बिहार सरकार को सभी बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.