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कृषि कानूनों पर माफी मांगी जाने पर आंदोलनकारी किसान ने कहा MSP लागू होने तक आन्दोलन जारी रहेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तीन कृषि कानूनों पर माफी मांगी है, जिन पर सरकार एक साल से अधिक समय तक किसानों को उन्हें स्वीकार करने के लिए “समझाने में विफल” रही।

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं देश की जनता से सच्चे और नेक दिल से माफी मांगता हूं। हम किसानों को नहीं समझा पाए। हमारे प्रयासों में कुछ कमी रही होगी कि हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए।

पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा


पीएम मोदी की इस घोषणा के साथ ही सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया है। किसान नेताओं का कहना है कि वे प्रधानमंत्री के बयान को अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा अभी नहीं की गई है।

किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे राकेश टिकैत का कहना है कि एक साल बाद में सरकार की समझ में किसान शब्द आया है, हम इसे अपनी जीत मान रहे हैं। सरकार से बातचीत का रास्ता खुला है। सरकार जब संसद में कानून लेकर जाएगी, वहां क्या होगा, ये मायने रखता है। MSP हमारा मुद्दा है। सरकार MSP गारंटी कानून लेकर आए। जब तक सभी मुद्दों पर समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।

वही इसको लेकर बिहार में भी सियासत चरम पर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीनों कृषि बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर कहा कि केंद्र सरकार का निर्णय पहले जो था वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था अब उन्होंने जो निर्णय लिया वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था इसलिए इस पर बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।

कृषि कानून के रद्द होने पर नीतीश ने पीएम मोदी पर फोड़ा ठीकरा

वही लालू प्रसाद ने कहा कि विश्व के सबसे लंबे,शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई।पूँजीपरस्त अहंकारी सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।

राजद सासंद ने कृषि कानून के वापसी पर पीएम मोदी को लिया आड़े हाथ

तेजस्वी यादव ने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है। यह पूँजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है।विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूँजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया।आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी।भाजपाई उपचुनाव हारे तो इन्होंने पेट्रोल-डीज़ल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया।

कृषि बिल वापस लेने पर कांग्रेस नेता ने भी मोदी को लिया आड़े हाथ

उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड,पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि क़ानून वापस लेने पड़ रहे है।विगत वर्ष 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात किसानहित में हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे।इसी दिन किसान विरोधी नीतीश-भाजपा ने गाँधी मैदान में इन कृषि कानूनों का विरोध एवं किसानों का समर्थन करने पर मुझ सहित हमारे अनेक वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया।अंततः सत्य और किसानों की जीत हुई।

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