बिहार में सरकार डवांडोल हैं । गठबंधन के नेता आपस में मुँह लड़ा रहे हैं । नीतीश जी ने मौन साध लिया है. गठबंधन पर उनकी पकड़ पहले जैसी नहीं रही । सरकार पाँच वर्ष की अवधि पुरा कर पाएगी, इस पर लोग संदेह करने लगे हैं ।
सरकार की डवांडोल स्थिति की वजह से प्रशासन भी उहापोह की स्थिति में है. अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है. बाकरगंज जैसे भीड़भाड़ वाले बाज़ार में कल अपराधियों जिस तरह का तांडव मचाया वह इसके पहले राजधानी में कभी नहीं हुआ था ।
आए दिन व्यापारियों को धमका कर उनसे रंगदारी माँगी जा रही है. जो नहीं दबते हैं उनपर गोली चलती है. पटना सरकार की नहीं बल्कि अपराध की राजधानी के रूप में तब्दील होता जा रहा है. नीतीश जी पर शराबबंदी का नशा सवार है. इसके अलावा बाक़ी सबकुछ उपेक्षित है ।
बिहार में भयंकर गैर बराबरी बढ़ी है.उसी अनुपात में ग़रीबी और बेरोज़गारी भी बढ़ी है. लाखों लोग अवैध और अपराध जनित कर्मों से अपना परिवार चला रहे हैं । हर ओर, चाहे जैसे हो, लखपति-करोड़पति बनने की होड़ मची हुई है. दिल्ली और पटना की सरकारों की नीतियों का यह नतीजा है । नीतीश जी की सरकार की विकास नीति ग़रीबी और बेरोज़गारी को दूर करने के बदले बढ़ा रही है. यह विकास नीति ही अपराध को भी बढ़ा रही है. इसीलिए अपराध के ख़िलाफ़ सरकार की सारी कार्रवाइयाँ पानी में लाठी पीटने के समान साबित हो रही हैं ।
लेखक – शिवानंद तिवारी