नीतीश प्लान बी पर आगे बढ़े
बिहार में भाजपा और जदयू का रिश्ता बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है कभी कभी भी तलाक की घोषणा हो सकती है तैयारी दोनों ओर से चल रही है कहां ये जा रहा है कि लालू प्रसाद नीतीश कुमार से गठबंधन को तैयार है लेकिन तेजस्वी तैयार नहीं है ।तेलंगाना सीएम के॰ चंद्रशेखर राव से तेजस्वी की मुलाकात लालू के पहल पर हुई है क्यों कि 2005 में जब चंद्रशेखर राव दिल्ली में मंत्री थे उस वक्त लालू प्रसाद और चन्द्रशेखर का बंगला अगल बगल था और दोनों के बीच परिवारिक रिश्ता था उसी रिश्ते के सहारे लालू प्रसाद चंद्रशेखर राव से तेजस्वी से बात करने का आग्रह किया था । चंद्रशेखर राव की तेजस्वी से मुलाकात उसी की एक कड़ी है कहा ये जा रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में नीतीश से गठबंधन क्यों जरुर है इस पर लम्बी बातचीत हुई है हालांकि बात अभी बनी नहीं है लेकिन चर्चा बड़ी गम्भीरता से चल रही है ।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग का जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ना फिर मंत्रिमंडल में सुशील मोदी का शामिल नहीं होना और बाद में बिहार बीजेपी के संगठन महामंत्री नागेन्द्र जी को दरकिनार करना यह समझने के लिए काफी था कि नीतीश कुमार को इस बार बीजेपी फ्री हैंड देने को तैयार नहीं है इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार भी सरकार के गठन के दिन से ही पार्टी को मजबूत करने के साथ साथ नये गठबंधन की तलाश शुरु कर दिये थे उसी कड़ी में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी की घेराबंदी शुरु किये हैं। वैसे लालू प्रसाद से उपेन्द्र कुशवाहा और हाल के दिनों में ललन सिंह की भी मुलाकात हुई है अंदर खाने में बातचीत चल रही है लेकिन जदयू को उम्मीद थी कि यूपी चुनाव के परिणाम आने तक सब कुछ शांत रहेगा लेकिन चुनाव से पहले ही जिस अंदाज में बीजेपी हमलावर हुआ है उससे जदयू थोड़ा असहज जरूर महसूस कर रहा है क्यों कि जदयू वामपंथी और कांग्रेस को इस गठबंधन में मजबूती के साथ साथ रखना चाह रही है और अभी ये सम्भव नहीं दिख रहा है इसलिए नीतीश जल्दबाजी करना नहीं चाह रहे हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि एक और जहां यूपी में बीजेपी पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लग रहा है ऐसे में नीतीश की सरकार को अस्थिर करना राजनीति की समझ रखने वाले भी हैरान है क्यों कि अगर नीतीश अस्थिर होते हैं तो उसका असर यूपी के चुनाव पड़ भी पड़ेगा यह तय है ऐसे में एक जनवरी को पीएम मोदी बीजेपी नेता राजेंद्र सिंह के ट्विटर को फॉलो करना शुरू करते हैं और 10 दिनों बाद ही जदयू के एक साधारण प्रवक्ता के बयान पर जिस तरीके से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिफरे वो भी हैरान करने वाली बात है , इसका मतलब है कि मोदी और शाह भी बिहार को लेकर शीघ्र निर्णय लेने के मूड में है। वैसे विवाद का तात्कालिक कारण डीएम और एसपी की पोस्टिंग में संघ और पार्टी की सूची को नजरअंदाज करना है जहां तक मुझे जानकारी मिली है विजय निकेतन,संजय जायसवाल और नित्यानंद राय की और से अधिकारियों की एक सूची चंचल कुमार को दिया गया था लेकिन उनमें से अधिकांश अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं हुई इतना ही नहीं नित्यानंद राय और संजय जायसवाल ने समस्तीपुर,मोतिहारी और बेतिया में जिन अधिकारियों की पोस्टिंग करने कि इच्छा व्यक्त कि थी उसको भी सीएम हाउस ने नजरअंदाज कर दिया ।
संजय जायसवाल के गुस्सा की एक वजह ये भी मानी जा रही है वैसे संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक संघ कार्यालय में 19 से 21 जनवरी के बीच होनी है जिसमें इन मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो सकती है क्यों कि संघ इस बात को लेकर नाराज है कि सरकार में रहने के बावजूद पार्टी का कार्यकर्ता उपेक्षित है सही काम भी नहीं हो रहा है इस वजह से बीजेपी का कोर वोटर बीजेपी से दूर होता जा रहा है । पिछली बैठक में नीतीश के शासन काल में कितने व्यवसायी की हत्या हुई है इसकी सूची संघ ने उप मुख्यमंत्री तारकिशोर और संजय जायसवाल को सौंपा था और कहां था कि ये क्या हो रहा है जब आपके राज्य में भी व्यापारी सुरक्षित नहीं है तो फिर सरकार का क्या मतलब है। देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन गठबंधन में गांठ पड़ गयी है यह तो साफ दिखने लगा है ।