पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1995 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 के संसदीय चुनाव तक नीतीश कुमार की पार्टी जब भी अकेले चुनाव लड़ी, उसे अपनी औकात का एहसास होता रहा। हर चुनाव में भाजपा की सफलता दर ( स्ट्राइक रेट) जदयू से ज्यादा रही।
- 1995 से अब तक भाजपा का स्ट्राइक रेट हमेशा जदयू से ज्यादा रहा
- उनका वोट कहाँ था, जब विधानसभा की 7 और लोकसभा की 2 सीटें मिली थीं
- जदयू की कम सीटों के बाद भी हमने वर्ष 2000 और 2020 में उन्हें सीएम बनाया
- लालू प्रसाद को सजा दिलाने में नीतीश, शिवानंद और ललन सिंह का हाथ
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बार-बार भाजपा की शरण में आते और पलटी मारते रहे, लेकिन अब उनके लिए हमारे दरवाजे बंद हो चुके हैं।
श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार जिस अल्पसंखयक वोट को “हमारा वोट” कह रहे हैं, वह कहाँ था, जब उन्हें विधानसभा की मात्र 7 सीट और संसदीय चुनाव में केवल 2 सीटें मिली थीं ?
उन्होंने कहा कि सन् 2000 के चुनाव में भाजपा को 65 सीटें और जदयू को 35 सीटें मिली थीं, फिर भी हमने उन्हेंं मुख्यमंत्री बनाया था।
उन्होंने कहा कि 2015 में जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने और 9 महीने में उनकी कुर्सी छीनने के बाद हताश नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ आने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें दूर ही रखा।
श्री मोदी ने कहा कि मात्र दो साल में लालू प्रसाद से मोहभंग के बाद जब नीतीश कुमार ने 2017 में अपनी सरकार बचाने के लिए फिर भाजपा के द्वार खटखटाए, तब जंगलराज की वापसी टालने के लिए भाजपा ने उनका बिना शर्त समर्थन किया था।
उन्होंने कहा कि 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार की लोकप्रियता इतनी घट गई कि जदयू मात्र 44 सीटों पर सिमट गया। इसके लिए कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं। जदयू की कम सीटों के बावजूद भाजपा ने वर्ष 2000 की तरह नीतीश कुमार को फिर मुख्यमंत्री बनाया। अब वे सब-कुछ भुला देना चाहते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज लालू प्रसाद की जो हालत है, उसके लिए भी नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। उनके इशारे पर ही चारा घोटाला और बेनामी सम्पत्ति जैसे मामलों में शिवानंद तिवारी और ललन सिंह अदालत या जांच एजेंसियों को सबूत के कागजात उपलब्ध कराते रहे। आज भले ये तीनों लोग लालू प्रसाद के हितैषी बन रहे हों, लेकिन उन्हेंं सजा दिलाने में इन्हीं का हाथ था।