आरसीपी सिंह के राज्यसभा जाने को लेकर अभी भी संशय बरकरार है आज भी नीतीश कुमार पटना से बाहर रहेंगे वैसे नीतीश कुमार अक्सर शनिवार को ही बड़े फैसले लेते रहे हैं। इस बीच नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच हुए मुलाकात को लेकर एक सूचना ये आ रही है कि नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह से पुछा है कि आपने मीडिया में जो बयान दिया है कि नीतीश जी के सहमति से मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे ये सही है क्या ऐसा क्यों बोल रहे हैं।
ललन जी बताइए इनके मंत्री बनने को लेकर मैंने सहमति दिया था क्या जिस समय मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात हो रही थी आप थे और वशिष्ठ भाई थे मैंने ऐसा कुछ कहा था क्या, आपको इस तरह से मीडिया में नहीं बोलना चाहिए था। जानकार भी बता रहे हैं कि इसी नाराजगी की वजह नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटाया था ऐसा नहीं है पहले भी दो पद पर रहते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नीतीश कुमार और शरद यादव रहे हैं।
1—नीतीश कुमार आरसीपी सिंह को लेकर असहज क्यों हैं बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आरसीपी सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच दूरी बढ़ी है ऐसा कई मौके पर देखने को मिला है वही जब से राज्यसभा सीट को लेकर चर्चा शुरू हुई है उसके बाद से नीतीश कुमार की जो गतिविधि रही है वो सारी गतिविधि आरसीपी सिंह के विरुद्ध रहा है ।
राज्यसभा सीट को लेकर उम्मीदवार के चयन का अधिकार खुद लेना फिर ऐसे विधायक जिनका आरसीपी सिंह से बहुत ही करीबी का रिश्ता रहा है उससे साफ साफ यह पूछना की आरपीसी सिंह को लेकर आपकी कोई राय तो नहीं है फिर किंग महेंद्र जिनका कार्यकाल बचा हुआ था उसके परिवार वाले चाह भी रहे थे जिस आधार पर किंग महेंद्र को राज्यसभा भेजा जाता है वो पूरा करेगा फिर भी नीतीश नहीं माने और अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेज दिये जबकि इस सीट के सहारे बिहार के भूमिहार राजनीति को साधा जा सकता है जो आज कल नीतीश से नाराज चल रहा है ।
लेकिन नीतीश कुमार ने अनिल हेगड़े को टिकट देकर राजनीति में शुचिता का एक लकीर खींचने की कोशिश ,इसके अलावे इस बीच कई ऐसे मौके आये है जिस दौरान नीतीश आरसीपी सिंह से दूरी बना रहे हैं ऐसा देखने को मिला है ।चाहे वो नीतीश कुमार के पारिवारिक सदस्य हरेन्द्र कुमार के बेटे की शादी का मौका रहा हो चाहे बेटे हरेन्द्र सिंह के बेटे के रिसेप्शन का मौका रहा हो या फिर विजय चौधरी के बेटे की शादी का मौका रहा हो इसके अलावा भी कई ऐसी बात हुई हो जो दिखा रहा है कि नीतीश आरसीपी सिंह को लेकर सहज नहीं है।
2—आरसीपी सिंह के विभीषण बनने पर क्या नुकसान हो सकता है उसके आकलन में लगे है नीतीश एक ये भी चर्चा है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह को हटाने का निर्णय लेते हैं तो क्या क्या नुकसान हो सकता है इसके मूल्यांकन की वजह से नीतीश राज्यसभा सीट पर उम्मीदवार कौन हो इसको लेकर वक्त ले रहे हैं हालांकि नीतीश कुमार उम्मीदवार चयन में जितना वक्त ले रहे हैं उसका असर यह हो रहा है कि आरसीपी सिंह के समर्थक भाषाई मर्यादा तक तोड़ दिया है ।
सोशल मीडिया पर आरसीपी सिंह के करीबी ललन सिंह को निशाने पर ले रहे हैं, नीतीश पर भी हमला बोल रहा है, सीबीआई का डर दिखाया जा रहा है ऐसे में नीतीश अंतिम क्षण में आरसीपी सिंह को टिकट देते भी हैं तो पार्टी को एकजुट रखना नीतीश के लिए मुश्लिक हो जायेगा ।
वही आरसीपी सिंह का टिकट काटना का फैसला भी नीतीश के लिए बहुत ही मुश्किल भरा निर्णय होगा क्यों कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के राजदार रहे हैं उन्हें नीतीश कुमार की खासियत और कमजोरी सब पता है ऐसे में नीतीश के लिए आरसीपी सिंह को बाहर का रास्ता दिखाना इतना आसान नहीं होगा क्यों कि आरसीपी सिंह बाहर होते हैं जो बीजेपी के नीतीश कुमार के घर का दूसरा ऐसा विभीषण मिल जायेंगा जिसके पास नीतीश कुमार के हर राजनीतिक दांव और ताकत की जानकारी है इसलिए आरसीपी सिंह को राज्यसभा का टिकट काटना नीतीश के लिए बहुत आसान नहीं होगा ।
वैसे आरसीपी सिंह गये तो यह तय है कि नीतीश 2024 से पहले बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतर सकते हैं लेकिन यहां समस्या यह है कि नीतीश के इस फैसले के साथ ललन सिंह ,संजय झा और अशोक चौधरी जैसे मिडिल ऑर्डर के खिलाड़ी खड़े नहीं होंगे ये भी एक संकट है ऐसे में नीतीश कुमार के सामने विकल्प बहुत ही सीमित है लेकिन इतना तय है इस परिस्थिति में भी नीतीश अगर आरसीपी सिंह को टिकट से वंचित कर देते हैं तो यह तय है कि नीतीश कुमार 20-20 के अंदाज में राजनीतिक पारी खेल सकते हैं क्यों इनके पास खोने के लिए अब कुछ नहीं बचा है ।