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बिहारियों के उत्थान के बगैर देश के उत्थान की बात करना बेमानी –राजीव प्रताप रुढ़ी

बिहारियों की उपेक्षा नहीं, 14 करोड़ की आबादी को लेकर चलना होगा साथ, तभी होगा नये भारत का निर्माण

· लोकसभा में सांसद रुडी ने शून्यकाल के जोरदार तरीके से उठाया राज्य के पिछड़ेपन का मुद्दा

· नीति आयोग द्वारा जारी देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (बहुआयामी गरीबी सूचकांक-MPI) में बाल एवं किशोर मृत्यु दर सबसे अधिक, स्कूली शिक्षा, स्कूल में उपस्थिति और सेनिटेशन में भी बिहार का सबसे खराब स्थान

· बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे ज्यादा है, मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी का प्रतिशत अधिक, कैसे बनेगा विकसित बिहार

· रुडी ने कहा कि मेरा राज्य पिछड़ा तो मैं भी पिछड़ा, 14 करोड़ की आबादी की नहीं की जा सकती उपेक्षा

नई दिल्ली, 07 दिसम्बर 2021 । बिहार भारत का अभिन्न अंग है। इसकी प्रगति देश की प्रगति है। 14 करोड़ बिहारियों के विकास को नजर अंदाज कर भारत को कभी विकसित नहीं माना जा सकता। नये भारत के निर्माण में बिहार की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।

उक्त बात आज लोकसभा में बिहार के सारण से लोकसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने लोकसभा में कही। उन्होंने इस दौरान नीति आयोग के आंकड़े का हवाला देते हुए बिहारियों के पिछड़ेपन पर सवाल उठाया। भाजपा सांसद रूडी ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गरीबी सूचकांक में बिहार सबसे नीचे है, तमिलनाडु सबसे ऊपर है।

उन्होंने कहा कि बिहार काफी पिछड़ गया है। देश तब तक नहीं बढ़ सकता है जब तक बिहार आगे नहीं बढ़ पाएगा। रूडी ने कहा कि एक पिछड़े राज्य का पिछड़ा व्यक्ति होने के नाते मै सरकार से मांग करता हूँ कि बिहार की इस स्थिति को लेकर जरूरी कदम उठाने चाहिए।

बता दें कि पिछले दिनों सदन में ही रुडी ने बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया था और कहा था कि यदि मेरा राज्य बिहार पिछड़ा है तो वहां का नागरिक होने के नाते मैं भी पिछड़ा हूँ।

सांसद रुडी ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। रुडी ने कहा कि पिछड़े राज्य के पिछड़ा व्यक्ति होने के नाते मैं राज्य के पिछड़ेपन का मुद्दा उठा रहा हूँ। तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से सरकार को कहा कि सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार राज्य की आबादी में गरीबी का अनुपात सबसे अधिक है। पूरे देश में सबसे गरीब हम हैं।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 28 राज्यों में राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक बिहार का 51.91 प्रतिशत है जबकि वहीं तमिलनाडु 4 प्रतिशत के अंदर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक है, पोषण के मामले में हम 52 प्रतिशत कम है।

रुडी ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बिहार की प्रगति के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। लगभग 14 करोड की आबादी की उपेक्षा कर देश आगे नहीं बढ़ सकता।

सदन के बार मीडिया से बात करते हुए सांसद रुडी ने कहा कि इतनी योजनाओं-परियोजनाओं के बावजूद आखिर क्या कारण है कि बिहार विकसित नहीं हो पा रहा है। बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।

मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी का प्रतिशत, बाल एवं किशोर मृत्यु दर सबसे अधिक, स्कूली शिक्षा से वंचित आबादी, स्कूल में उपस्थिति और खाना पकाने के ईंधन तथा बिजली से वंचित आबादी के प्रतिशत के मामले में भी बिहार का सबसे खराब स्थान है। विदित हो कि 01 जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन वर्तमान राजग सरकार ने किया है।

नीति आयोग देश की नीति निर्धारण करने वाली सबसे बड़ी सरकार संस्था है। इसके अध्यक्ष पदेन प्रधानमंत्री होते है और उपाध्यक्ष नियुक्त किये जाते है। वर्तमान में राजीव कुमार उपाध्यक्ष है जिनके नाम का उल्लेख रुडी ने अपने वक्तव्य के दौरान किया।

नीति आयोग ने देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (बहुआयामी गरीबी सूचकांक-MPI) जारी किया है जिसके आंकड़ों के आधार पर सदन में सांसद रुडी ने उक्त बाते कही।

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