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क्या नीचता को रोकने को लेकर जबावदेह नहीं है सरकार

2020 में मेरी बेटी 10वीं की परीक्षा दी थी रिजल्ट आने के एक सप्ताह के बाद बेटी के नामांकन को लेकर जो फोन कॉल आना शुरू हुआ वो अभी तक जारी है कभी देहरादून से जो कभी कटक से तो कभी बेंगलुरु से इस कॉलेज या फिर स्कूल से बोल रहे हैं आप चाहे तो नाम लिखा सकते हैं।                

कोटा के इस कोचिंग संस्थान से बोल रहे हैं आपकी बेटी का रिजल्ट बहुत अच्छा है आईआईटी कम्पीट कर सकती है दो वर्ष के लिए हमारे कोचिंग संस्थान में भेज दीजिए सभी तरह कि सुविधाएं मौजूद हैं दिल्ली के कोचिंग संस्थान से बोल रहे हैं आप अपनी बेटी को कोचिंग के लिए नाम लिखा सकते हैं इससे पहले ऑल इंडिया स्तर पर एक ऑनलाइन टेस्ट होने जा रहा है उसमें पास करने पर कोचिंग के फीस में 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है ना जाने इस तरह के कितने फोन काॅल अभी भी आ रहे हैं मैसेज की तो बात ही छोड़ दीजिए।    

मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था कि मेरा मोबाइल नम्बर इन लोगों के पास कैसे पहुंच गया पता चला बेटी के फर्म भरने के दौरान मैंने अपना नम्बर लिख दिया था मतलब यह नम्बर कही ना कही सीबीएसई  से ऑल ओवर इंडिया के कोचिंग संस्थान और कॉलेज चलाने वाले लोगों के पास पहुंच गया ।                                        

2020 में ही मेरे साथ साइबर क्राइम हुआ था जांच में पता चला कि मेरा मोबाइल नम्बर बैक से ही सार्वजनिक हुआ था बैंक में आज कल हो क्या रहा है बैंक से जुड़े उपभोगता ज्यादा से ज्यादा क्रेंडिट कार्ड ले इसके लिए निजी लोगोंं को बैक आज कल हमार आपका डाटा उपलब्ध करता रहता है जिसमें नम्बर के साथ साथ आपके किस तरह के ग्राहक है वर्ष में कितना लेन देन करते हैं उसकी जानकारी उन लोगों को मिल जाता है फिर वही से वो डाटा साइबर क्राइम से जुड़े अपराधियों के पास पहुंच जाता है इतना ही नहीं मेरे बैंक खाते से जितनी भी राशी निकाली गयी थी वो सारी राशी पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा और महाराष्ट्र के साथ साथ दिल्ली के 30 से अधिक खाते में आंन लाइन ट्रान्सफर हुआ था सभी खाते आधार से लिंक था लेकिन जिस व्यक्ति का आधार का इस्तमाल किया गया था उसको पता भी नहीं है कि उसके नाम पर कोई बैंक खाता है और सारे खाते को आंन लाइन ट्रानजेक्सन की सुविधा उपलब्ध है कई स्टेट की पुलिस से हमारी बात हुई कहां रोजाना लाखो ऐसे खाता खोले जा रहा है और एक फ्रोड के बाद खाता बंद हो जाता है इसी तरह इस पूरे घटना में खाते के साथ जो मोबाइल नम्बर लिखा हुआ था या फिर जिस मोबाइल नम्बर से सारा खेल हुआ वो सभी के सभी आधार से लिंक था लेकिन आधार का गलत इस्तमाल हुआ है यह साफ दिख रहा था ।               

रोजाना इस देश में एक लाख से अधिक साइबर फ्रॉड हो रहा है हाई प्रोफाइल मामला रहा तो पुलिस कार्यवाही करती है नहीं तो इस तरह के मुकदमों को पुलिस झांकने तक नहीं जाती है । इस घटना का मैं जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि दो दिन पहले लोकसभा में फर्जी वोटिंग रोकने के लिए एक बिल पास हुआ है सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने पर फर्जी मतदान को रोका जा सकता है पता नहीं इस बिल के पास होने से फर्जी वोटिंग पर कितना रोक लगेगा क्यों कि फर्जी वोटिंग तो मतदान केन्द्रों पर मौजूद पार्टी के पोलिंग एजेंट या फिर मतदान पदाधिकारी के मिली भगत से ही होता है ।   लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया पर मंत्री नेता और पदाधिकारी के बारे में टिप्पणी करने पर आप जेल जा सकते हैं लेकिन मेरा डाटा जो लिंक करता है या फिर आधार कार्ड का जो गलत इस्तेमाल करता है उसको लेकर  कठोर कानून क्यों नहीं बन रहा है जबकि आज साइबर फ्रॉड से हर कोई परेशान है मॉल में या किसी भी बड़े दुकान पर अपना मोबाइल नम्बर देना क्यों अनिवार्य है इस पर क्यों नहीं कानून बन रहा है बहुत सारी ऐसी बाते है जिसको लेकर कठोर कानून बनाने कि जरूरत है लेकिन सरकार इस पर चर्चा करने से क्यों बचती है ।

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