जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामलें पर सुनवाई की।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।
कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया कि अगर इस तरह का निर्माण हो रहा हैं, तो उसे कड़ाई के साथ रोका जाए।साथ ही इस प्रकार के निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जवाब दायर किया।
पिछली सुनवाई कोर्ट ने जानना चाहा था कि जब हाउसिंग बोर्ड को खुद अतिक्रमण हटाने की शक्ति है, तो ज़िला प्रशासन क्यों अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की।ज़िला प्रशासन को अतिक्रमण हटाने को कब कहा गया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वहां रह रहे नागरिकों को बिजली और पानी आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया था, लेकिन कोर्ट को बताया गया कि बिजली विभाग ने विद्युत् आपूर्ति अब तक बहाल नहीं की हैं।आज साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के वकील कुमार मनीष ने कोर्ट को बताया कि 23 घरों में अस्थायी रूप से बिजली बहाल कर दी गई है।
आज कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि अनाधिकृत रूप बसे लोगों के भी कानूनी अधिकार है।
ज़िला प्रशासन ने इसकी अनदेखी करते हुए मनमाने ढंग से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की, जो सही नहीं हैं।
अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से बहस जारी होगी।साथ ही राज्य सरकार व आवास बोर्ड की ओर से भी पक्षों को प्रस्तुत किया जाएगा।
इस मामलें पर फिर सुनवाई 21 जुलाई,2022 को होगी।