दरभंगा में जमीन विवाद को लेकर भूमाफिया ने भाई बहन को जिंदा जलाकर मारा।मोतिहारी में जमीन रजिस्ट्री कराने आये एक युवक की रजिस्ट्री ऑफिस में घूस कर गोली से छलनी कर दिया।मोतिहारी में ही कांग्रेस नेता शाश्वत गौतम के जमीन पर कब्जा करने को लेकर उनकी हत्या की साजिश रची गयी।
मोतिहारी में ही जमीन माफिया ने आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की सीओ के दफ्तर के सामने गोली से छलनी कर मार दिया ।आये दिन बिहार के अलग अलग हिस्सों से इस तरह की घटनाएं घटती रहती है।
बिहार में आज जिनके पास जमीन है वो सबसे ज्यादा असुरक्षित है गांव गांव में जमीन पर कब्जा को लेकर पुलिस और अंचल ऑफिस के मिली भगत से सिडिकेंट चल रहा है और बिहार में हो रही हत्या के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो 80 फीसदी हत्या और मारपीट की घटना जमीन के विवाद की वजह से हो रही है ।
1—बिहार में 15 वर्षो में जमीन के दाम में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जब बिहार में सरकार बनी तो अपराध मुक्त समाज का माहौल बना ।वही बिहार के विकास को लेकर बड़ी बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ गांव गांव में सड़क का जाल बिछने लगा और इसका प्रभाव यह हुआ कि गांव के छोटे छोटे चौक चौराहे से लेकर फोरलेन और स्टेट हाईवे और ग्रामीण सड़कों के किनारे व्यावसायिक कार्यों में काफी तेजी।
और इस वजह से रातो रात जमीन का दाम आसमान छूने लगा स्थिति यह हो गया है कि अब गांव में भी सड़क के किनारे जो जमीन है उसकी कीमत दो लाख से पांच लाख रुपया कट्ठा हो गया है। इसका असर यह हुआ कि वर्षों पहले बिहार छोड़ चुके ऐसे बिहारी जो अपने हिस्से का जमीन भाई भतीजा को खेती करने के लिए छोड़ दिये थे ऐसे लोग रातो रात जमीन देख अपने हिस्से का जमीन बेचने के जुगत में लग गये हैं ।
वही जमीन के मालिकाना हक की बात करे तो कागजात पीढ़ी दर पीढ़ी से दादा परदादा के नाम से मौखिक बटवारे में चला आ रहा है इस वजह से जमीन बेचने में परेशानी हो रही है ऐसे भी गांव गांव भू माफिया खड़ा हो गया है जो इस तरह के जमीन बेचने वाले को निशाने पर लेता है इस वजह से गांव गांव में खून खराबा बढ़ गया है।
2–जमीन विवाद को खत्म करने का सरकारी प्रयास विफल है
जमीन को लेकर विवाद को देखते हुए नीतीश कुमार ने जमीन के खरीद बिक्री से लेकर मोटेशन (दाखिल खारिज) तक में बड़ा बदलाव किया गया है।
ऐसे जमीन मालिक जिसका जमीन पीढ़ी दर पीढ़ी से एक ही नाम से चला आ रहा है उसके लिए राज्य सरकार ने एक रुपया में रजिस्ट्री का नियमावली बनाया लेकिन ब्यूरोक्रेसी ने सरकार के फैसले को जमीन पर लागू नहीं होने दिया जिस वजह से मामला पेचीदा होता जा रहा है वही कोर्ट का हाल तो और भी बूरा है जिसका जमीन है अगर धोखे से किसी ने लिखा कर कब्जा कर लिया तो फिर उस जमीन को हासिल करने में कितना जमीन बेचना पड़ेगा कह नहीं सकते ।
3–बिहार में जमीन के खेल में डॉक्टर शामिल है
जी है बिहार में जमीन बिक्री को लेकर जो खेल चल रहा है उस खेल के तह में जायेंगे तो पता चलेगा कि अधिकांश मामले में डॉक्टर शामिल है दरभंगा में भी जमीन के लिए जिस तरीके से भाई बहन को जिंदा जला दिया गया है उस मामले में भी हकीकत यही है कि जो जमीन खरीदा है उसके पीछे डॉक्टर खड़ा है डॉक्टर ने ही पैसा लगाया है सामने वाले का सिर्फ नाम है पूरे बिहार में आप अपने आस पास जमीन खरीद बिक्री को लेकर जो खेल चल रहा है उप गौर करिए बड़े खरीदारों में 80 फीसदी डॉक्टर है ।
पटना से लेकर बिहार के अनुमंडल स्तर के शहर में आप चले जाये बड़ा मकान, बड़ा मार्केट कम्पलेक्स जमीन का बड़ा प्लोट ,बड़ा स्कूल ,बड़ा होटल पता कीजिए किसका है तो पता चलेगा डॉक्टर का है इस समय बिहार में काले धन का सबसे बड़ा निवेशक डॉक्टर है। दरभंगा से समस्तीपुर और दरभंगा से मुजफ्फरपुर चले जाये सड़क किनारे बीस बीस एकड़ में आपको बोन्ड्री देखने को मिलेगा सारे के सारे जमीन का मालिक डाँक्टर है ।
जमीन को लेकर जहां कही भी विवाद हो रहा है फसके पीछे कही ना कही आपको डाँक्टर मिलेगा।
यू कहे तो आज बिहार का सबसे बड़ा भूमाफिया कोई है तो डॉक्टर है।
4—जमीन विवाद के समाधान पर नये सिरे से काम करने की जरुरत है
बिहार में इन दिनों सर्वे का काम चल रहा है ,रजिस्टर टू को डिजिटल बनाया गया है थोड़ी सावधानी बरते तो आने वाले पीढ़ी को बिहार में जमीन को लेकर जारी खेल से राहत पहुंचा सकते हैं ।
थोड़ा समय देने कि जरूरत है और पीढ़ी दर पीढ़ी से जो जमीन दादा परदादा के नाम से चला आ रहा है उस पर आपस में बैठकर सुलझाने की कोशिश करिए ।ऐसे कानून बने है जो जमीन के शांतिपूर्ण बंटवारे और बिना खर्च के आपको मदद पहुंचा सकता है वक्त जो लगे मिल बैठ कर समाधान निकालने कि कोशिश करिए नहीं तो बिहार में आने वाले समय में घर घर में महाभारत होना तय है ।