पटना हाई कोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह ( आफ्टर केअर होम ) की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।
कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।
इस केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं वास करती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई। खबर के मुताबिक पीड़िता व केअर होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है।
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है। यहां तक कि बहुतों को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती है।
कमेटी द्वारा अन्य बातों के अलावा ऐसा देखा गया कि पीड़िता द्वारा आश्चर्यजनक देने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि अजनबियों को रिश्तेदार के रूप में बहाना बनाकर आने दी जाती है, जो आकर बेसहारा महिला को उठाते हैं।जो कि इनके जीवन और मर्यादा को और जोखिम में डाल देता है।
यह भी आश्चर्य जनक है कि पीड़िता द्वारा किये गए खुलासे के बाद भी कोई एफ आई आर दर्ज नहीं किये गए हैं।
इससे ज्यादा आश्चर्य जनक यह है कि समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर ने उक्त मामले में एक जांच किया है और सिर्फ केअर होम में लगाए गए सी सी टी वी के फुटेज के आधार पर वे इस निष्कर्ष पर तथाकथित पीड़िता द्वारा लगाया गया आरोप को बेबुनियाद और गलत बताया।
कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को प्रतिवादी बनाते हुए फौरन अपने स्तर से जांच करने का आदेश दिया है।
साथ ही साथ कोर्ट ने की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा को भी तत्काल लागू करने का आदेश दिया है। संस्थान के सुधार को लेकर और सी सी टी वी कैमरा लगाने, कमसे कम दो और प्रशिक्षित सलाहकार की नियुक्ति करने, संख्या को देखते हुए अन्य केअर होम की जरूरत, प्रशिक्षित स्टाफ, स्टाफ और अधीक्षक में चाइल्ड से संबंधित कानून और मुद्दों की जागरूकता समेत अन्य अनुशंसा किये गए हैं।
कोर्ट ने अगली तिथि के पूर्व अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने को भी कहा है। इस मामले पर आगे की सुनवाई 7 फरवरी, 2022 को की जाएगी।