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भ्रष्टाचारियों से लड़ना इतना मुश्किल क्यों होता जा रहा है

मुंबई के एक मित्र का दो दिन पहले फोन आया संतोष भैया सोनी लाइव पर एक सीरीज आया है व्हिसल ब्लोअर  जरूर देखिए व्यापम घोटाले में क्या क्या हुआ है उसी पर आधारित है।इतना ही नहीं संतोष भैया यह सीरिज देखे इसके लिए वो सोनी लाइव का अपना सब्सक्रिप्शन भी भेज दिया ।                                  

कल रात देखने का मौका मिला जैसे जैसे सीरिज बढ़ रहा था वैसे वैसे मेरी संवेदना शून्य होती जा रही थी और एक समय ऐसा आया कि टीवी बंद करके सोने चले गये लेकिन पूरी रात ठीक से सो नहीं सके बार बार मेरे जेहन में एक ही सवाल कुंद रहा था इसके लिए जिम्मेदार कौन है, शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार होते तो वो सरकार में नहीं होते उनकी जगह जेल में होता लेकिन ऐसा कुछ भी मध्यप्रदेश में नहीं हुआ तो फिर व्यापम पर आधारित सीरीज को देखने और व्यापम पर चर्चा करने का मतलब क्या है लेकिन सुबह जब उठा तो लगा नहीं व्यापम घोटाले को उजागर करने वाला व्हिसल ब्लोअर एक साधारण लड़का ही तो है आज भी साइकिल पर पुलिस बॉडीगार्ड के साथ इधर उधर घूमता रहता है ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए चाहे अंजाम सिफ़र ही क्यों ना रहे।भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी और मनमोहन सिंह की सरकार चली गयी फिर भी भ्रष्टाचार कभी इस देश में राजनीतिक मुद्दा से आगे नहीं बढ़ पाया जबकि इस देश में भ्रष्टाचार के बढ़ कर दूसरी कोई समस्या नहीं हैं देश की एक सौ 25 करोड़ आबादी इस समस्या को रोजाना लड़ रहा है लेकिन इस पर कैसे नियंत्रण पाया जा सके इसको लेकर चर्चा तक नहीं होती है।                  

 2– आज बड़ी मछलियों के साथ पूरी व्यवस्था खड़ी  है 
इस देश में भ्रष्टाचारियों को क्या सजा मिले यह कानून के बजाय परिवार और समाज पर छोड़ दिया गया था जब तक परिवार और समाज जैसी संस्थान मजबूत रही भ्रष्टाचार नैतिक बल के सहारे नियंत्रित रहा लेकिन अब वो स्थिति नहीं है लोक लज्जा पूरी तौर पर खत्म हो गया  पहले परिवार समाज भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े होने से परहेज करते थे लेकिन आज तो खुल कर साथ खड़े हो जाते हैं। इसलिए इस देश में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना है तो सबसे कड़े कानून बनाने की जरूरत है क्योंकि यही एक अपराध जिसको मजबूत ढांचा के सहारे नियंत्रित किया जा सकता है ।  कल कांपी घोटाले मामले में  मगध विश्वविद्यालय के विनोद कुमार लाइब्रेरी इंचार्ज प्रोफेसर जयनंदन प्रसाद सिंह, पुष्पेंद्र प्रसाद वर्मा रजिस्ट्रार और सुबोध कुमार असिस्टेंट को कल पुलिस ने गिरफ्तार किया है वही राजभवन कांपी घोटाले के किंगपिन कुलपति की छुट्टी स्वीकृत कर भागने का मौका दे रही है इतना ही नहीं  मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कुद्दू जो राजभवन में तैनात अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के साथ खड़े होने कि बात की तो उन्हें पद छोड़कर जाना पड़ा ।एक सप्ताह पहले निगरानी की टीम जिस लेबर एनफोर्समेंट अधिकारी (श्रम प्रवर्तन अधिकारी)दीपक शर्मा के घर से 2.25 करोड़ रुपए कैश बरामद किया था और इसके अलावा करोड़ों रुपए की कीमत वाले सोने के जेवरात, प्रॉपर्टी के पेपर और  कई बैंकों का अकाउंट डिटेल मिला था उस मामले में अपडेट यह है कि दीपक शर्मा की पत्नी निगरानी विभाग को डॉक्टर का एक रिपोर्ट सौपा है जिसमें लिखा है कि दीपक शर्मा का मेमोरी लॉस हो गया है इसलिए इनसे पूछताछ ना करे और अगर पूछताछ करते हैं तो उनकी तबीयत बिगड़ती है तो निगरानी के अधिकारी जिम्मेदार होंगे इस तरह का दुस्साहस कोई डॉक्टर कर रहा है तो समझ सकते हैं कि कितने बड़े स्तर पर भ्रष्ट अधिकारियों के साथ सिस्टम खड़ा है ।


 मोतिहारी के आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या को लेकर उसके परिवार वालो का आये दिन मैसेज करते रहते हैं अभी अभी मैसेज आया है कि हम लोग आज फिर सड़क पर उतर गये हैं क्यों कि अभी तक गिरफ्तार अपराधी के खिलाफ पुलिस चार्जशीट दायर नहीं किया और ना ही इस मामले में जिस नेता का नाम सामने आया उसे गिरफ्तार करना तो दूर पुलिस पुछताछ करने को तैयार नहीं है ।            

मतलब सिस्टम भ्रष्ट हो गया है  बात यही नहीं रहा बात इससे अब बहुत आगे निकल गया है सिस्टम अब भ्रष्ट लोगों के साथ खुल कर खड़ी हो गयी है ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना मुश्किल होता जा रहा है ।ऐसे में जरूरी है कि आये दिन भ्रष्टाचार से तबाह हो रहे लोग एक साथ खड़े हो तभी ये लड़ाई जीती जा सकती है नहीं तो यह बीमारी इस तरह फेल रहा है कि आने वाले समय में लाइलाज हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

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