यूपी में जारी सियासी घमासान का असर अभी से ही बिहार की राजनीति पर दिखने लगा है खबर ये आ रही है कि बिहार विधान परिषद चुनाव को मार्च तक के लिए टाल दिया गया है।जबकि पहले से जो तैयारी चल रही थी उसके अनुसार 10 मार्च को यूपी सहित जिन पांच राज्यों की वोटों की गिनती होनी थी उसी दिन बिहार के 24 विधान परिषद सीटों की गिनती होना तय हुआ था लेकिन अब इसकी संभावना खत्म हो गयी है।
चुनाव आयोग से जो खबर क्षण कर आ रही है वो खबर यह है कि बिहार विधान परिषद के मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले आयोग की राज्य के सभी डीएम से जो संवाद होना था उसकी तिथि निर्धारित नहीं हो पायी है जबकि सभी जिले में मतदाता सूची बन कर तैयार है लेकिन जब तक चुनाव आयोग मतदाता सूची को प्रकाशित करने का आदेश निर्गत नहीं करती है तब तक चुनाव की घोषणा नहीं हो सकती है।
वही 25 फरवरी से बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरु हो रहा है जो 31 मार्च तक चलेगा ऐसे में इस अवधि में चुनाव हो इसके लिए सरकार तैयार नहीं है उनका मानना है सत्र चलने की वजह से विधायक प्रचार अभियान में कैसे शामिल होगा।
वही दूसरी और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है और 11 फरवरी तक नगर निकाय के सीमांकन का कार्य पूरा करके आदेश है। जिस स्तर पर राज्य निर्वाचन आयोग तैयारी में जुटा है उससे यह लग रहा है अप्रैल मई में बिहार में नगर निकाय का चुनाव हो जायेगा।
बिहार विधान परिषद के चुनाव में नगर निकाय के सदस्य भी वोटर होते हैं ऐसे में ये भी खबरें आ रही है कि बीजेपी चाहती है कि नगर निकाय चुनाव के बाद बिहार विधान परिषद का चुनाव हो वैसे भी एक माह के लिए किसी भी वोटर को उसके वोटिंग राइट से वंचित करना गैर संवैधानिक माना जायेगा क्यों कि इस समय बिहार के अधिकांश नगर निकाय भंग है ।
वही हाईकोर्ट से भी एक खबर आ रही है कि पंच और सरपंच की और से एक याचिका दायर किया गया है जिसमें बिहार विधान परिषद के चुनाव में उन्हें वोटिंग राइट नहीं होना गैर संवैधानिक बताया है। हाईकोर्ट शीघ्र ही इस मामले की सुनवाई करने जा रही है वैसे खबर ये आ रही है कि इस याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार पंच और सरपंच को वोटिंग राइट मिले इस पर सहमति जाता सकता है अगर यह स्थिति बनी तो बिहार विधान परिषद का चुनाव जून तक के लिए टल जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।
राजनीतिक गलियारों से जो खबरें आ रही है कि बिहार विधान परिषद के 24 सीटों पर चुनाव होना है जो बिहार विधान परिषद में बहुमत के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में नीतीश कुमार की कोशिश है कि इस चुनाव को जितना दिन हो सके टाला जाये।
बीजेपी नीतीश कुमार की इस रणनीति को समझ रही है इसलिए चुनाव की घोषणा से पहले सीटों का बंटवारा कर लिया और नगर निकाय चुनाव तक विधान परिषद का चुनाव टल जाये इसकी पूरी कोशिश में बीजेपी लगी हुई है क्यों कि बीजेपी का मानना है कि नगर निकाय में जो जीत कर आएगा उनमें बीजेपी समर्थकों की संख्या ज्यादा होगी और इसी के काट के लिए जदयू की ओर से ही पंच और सरपंच को वोटिंग राइट मिले इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करवाया गया है ताकि संतुलन बना रहे वैसे इस बार के पंचायत चुनाव की बात करे तो राजद की पकड़ काफी मजबूत है और इसका एहसास जदयू और भाजपा दोनों को है वही यूपी चुनाव के बाद क्या स्थिति बनती है इस पर भी जदयू की विशेष नजर है क्यों कि जिस तरीके से भाजपा जदयू पर हमलावर रुख अख्तियार किये हुए हैं उससे नीतीश खासे नाराज है और नीतीश कुमार यूपी चुनाव के बाद बड़े फैसले ले सकते हैं और इसके लिए कांग्रेस से बातचीत भी चल रही है।