Press "Enter" to skip to content

उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके हुआ आस्था के महापर्व चैती’छठ’ का समापन

छठ अकेली ऐसी पूजा है, जिसमें उगते हुए और अस्त होते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। अस्त होता सूरज जहां आपको कालचक्र के बारे में बताता है तो वहीं उगता सूरज नई सोच और ऊर्जा का प्रतीक है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए इन दोनों चीजों का होना बहुत ज्यादा जरूरी है। आपको बता दें कि आम से लेकर खास तक सभी ने पूरी श्रद्धा के साथ छठ पूजा की और अपने परिवार की खुशहाली के लिए सूर्य भगवान और छठ मैया से प्रार्थना की।

बगहा
आस्था के महापर्व चैती’छठ’ आज सुबह बगहा औऱ रामनगर छठ वर्ती महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह ही घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। जिसके बाद उपवास रखने वाले व्रतियों ने छठ मैया का प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ा। आपको बता दें छठ पूजा करने का उद्देश्य जीवन में सूर्यदेव की कृपा और छठ मैया का प्रेम-आशीष पाना है। सूर्य की कृपा से आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है तो वहीं छठ मैया के आशीष से इंसान को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

बेगूसराय
बेगूसराय में उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चार दिवसीय चैती छठ पर्व समाप्त हो गया। इस मौके पर बेगूसराय जिले के भी झमटिया गंगा घाटों पर छठ व्रतियों ने सूप के साथ  भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया।  चैती छठ व्रत को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है एवं छठ व्रतियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोग गंगा घाटों पर मौजूद हैं। जिले के कई पोखरों के साथ-साथ घरों पर भी लोगों ने लोक आस्था का पर्व चैती छठ को पूरे धूमधाम से मनाया। 4 दिनों तक चलने वाले इस छठ पर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य की उपासना कर छठ पर्व का समापन हो गया। छठ व्रतियों ने घर परिवार समाज और देश की समृद्धि की कामना की है।

गया जिला के विभिन्न घाटों पर चैती छठ पूजा सम्पन हो गया, उगते हुए सूर्य का पूजा जल, दूध, धूप फल समर्पित कर किया गया।

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from पर्व त्यौहारMore posts in पर्व त्यौहार »
More from बिहार की विरासतMore posts in बिहार की विरासत »