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कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा – कन्हैया कुमार

काफी जद्दोजहद के बीच आज कन्हैया कुमार नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके साथ गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी भी कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया कुमार ने भाजपा और RSS पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश का भविष्य खराब करना चाहते हैं, कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। आज देश में गांधी की एकता, आंबेडकर की समानता और भगत सिंह के साहस की जरूरत है।
कन्हैया ने कहा कि हमारे देश का नेतृत्व कांग्रेस ही कर सकती है।

कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से लोकतांत्रिक पार्टी है। यह परिवार को छोड़ने के लिए नहीं कहती है। महात्मा गांधी पत्नी के साथ आजादी की लड़ाई लड़े थे। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो गांधी की विरासत को आगे ले जाएगी। सरोजिनी नायडू, आंबेडकर, नेहरू, अशफाक उल्लाह खान, भगत सिंह और मौलाना आजाद के रास्तों पर चलेगी।

यहां समानता और बराबरी कुछ लोगों के लिए सीमित नहीं है। ये भारतीय होने का इतिहास है और इस भारतीय होने के इतिहास को अगर कोई अपने आप में कोई समेटे हुए हैं तो वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है।

कन्हैया ने कहा कि मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं, क्योंकि यह सिर्फ एक पार्टी नहीं है, एक विचार है। यह देश की सबसे पुरानी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है। मैं ‘लोकतांत्रिक’ पर जोर दे रहा हूं… सिर्फ मैं ही नहीं कई लोग सोचते हैं कि देश कांग्रेस के बिना नहीं रह सकता।

मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं, क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वे एक सोच हैं। वे देश की सत्ता पर न सिर्फ काबिज हुए हैं, देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, इतिहास, वर्तमान, भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस एक बड़े जहाज की तरह है, अगर इसे बचाया जाता है, तो मेरा मानना है कि कई लोगों की आकांक्षाएं, महात्मा गांधी की एकता, भगत सिंह की हिम्मत और बीआर आंबेडकर के समानता के विचार की भी रक्षा की जाएगी। इसलिए शामिल हुआ हूं।

देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। हम कांग्रेस पार्टी में इसलिए शामिल हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस गांधी की विरासत को लेकर आगे चलेगी।

जदयू कार्यकारणी की हुई घोषणा पूराने चेहरे पर ही जताया भरोसा

जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने पार्टी की नई टीम का गठन कर दिया है। इसमें अधिकांश चेहरे पुराने ही हैं।

राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने केसी त्‍यागी (KC Tyagi) को फिर राष्‍ट्रीय प्रधान महासचिव (Secretary General) की जिम्‍मेदारी सौंपी है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) भी संसदीय दल के अध्‍यक्ष बने रहेंगे।

गोपालगंज के सांसद डा. आलोक कुमार सुमन को कोषाध्‍यक्ष बनाया गया है। टीम में लंबे अरसे बाद 18 सदस्‍यीय टीम में सांसद रामनाथ ठाकुर को महासचिव बनाया गया है।

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद मो अली अशरफ फातमी, पूर्व विधायक रामसेवक सिंह, बिहार सरकार के मंत्री संजय झा, विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी, आफाक अहमद खान, प्रवीण सिंह, विधान पार्षद कमरे आलम, हर्षवर्धन सिंह को भी महासचिव बनाया गया है।

कुल नौ महासचिव बनाए गए हैं, जिनमें चार अल्‍पसंख्‍यक हैं। इसके अलावा पांच सचिव बनाए गए हैं। इनमें सांसद आरपी मंडल, पूर्व विधायक विद्यासागर निषाद, रविंद्र प्रसाद सिंह, राज सिंह मान और राजीव रंजन प्रसाद शामिल हैं।

बिहार की राजनीति में बने रहने के लिए कांग्रेस से बेहतर कोई और विकल्प नहीं था ।

कन्हैया कुमार का कांग्रेस में जाना 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही तय हो गया था क्यों कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से राजद,भाकपा माले और सीपीआई कन्हैया को हराने के लिए घेराबंदी कर रहा था ऐसे में कन्हैया के सामने कांग्रेस में जाने के अलावे कोई विकल्प नहीं बचा था।

1—बिहार में कन्हैया के सामने कांग्रेस से बेहतर कोई विकल्प नहीं था
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चाहती थी कि कन्हैया बेगूसराय से महागठबंधन के उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़े और इसके लिए अहमद पटेल कई बार लालू प्रसाद से बात किये इतना ही नहीं बीजेपी के विचारधार से असहमति रखने वाले कई बड़ी हस्ती लालू प्रसाद से जेल में जाकर मिले लेकिन राज्यसभा सांसद मनोज झा का वह तर्क भारी पड़ा जिसमें उनका मनना था कि कन्हैया सांसद बन गया तो फिर तेजस्वी के लिए खतरा हो सकता है इतना ही नहीं कन्हैया महागठबंधन का उम्मीदवार ना हो इसके लिए मनोज झा के साथ भाकपा माले और बिहार सीपीआई के नेता भी शामिल थे ।

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल और लालू प्रसाद के परिवार बीच पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान जो दूरियां रही उसकी वजह कही ना कही कन्हैया भी रहा क्यों कि कांग्रेस का मानना था कि कन्हैया के महागठबंधन से बाहर रहने से मोदी के खिलाफ गोलबंदी कमजोर होगी और इसका प्रभाव भी देखने को मिल बिहार की चुनावी राजनीति में पहली बार लोकसभा चुनाव में राजद खाता तक नहीं खोल पाया।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीपीआई भले ही महागठबंधन का हिस्सा रहा लेकिन पूरे चुनाव के दौरान टिकट वितरण से लेकर प्रचार अभियान के तक कन्हैया को कैसे चुनावी प्रक्रिया से अलग रखे इसको लेकर मनोज झा के नेतृत्व में होटल मौर्या में वार रुम बना हुआ था इस खेल में भाकपा माले ,सीपीआई और कांग्रेस के भी कुछ सीनियर नेता शामिल थे ।

चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी के बाद राजद के उम्मीदवारों ने चुनावी सभा कराने के लिए सबसे ज्यादा मांग कन्हैया का ही किया था 90 से अधिक ऐसे राजद के उम्मीदवार थे जो कन्हैया का सभा अपने क्षेत्र में करााना चाह रहा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका ।

वही दूसरी और बीजेपी की पूरी टीम कन्हैया की पीछे पड़ी हुई है ऐसे में कन्हैया को राजनीति में बने रहने के लिए कांग्रेस से बेहतर विकल्प दूसरा कोई नहीं था क्यों कि बिहार में सीपीआई की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है वही राजद और बीजेपी के साथ खड़ी उन ताकतों के सामने सीपीआई आज की तारीख में खड़े होने की स्थिति में नहीं है ऐसे में कन्हैया के सामने कांग्रेस छोड़कर कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

2—-कन्हैया के साथ आने से बिहार में कांग्रेस मजबूत होगी
आज कांग्रेस की स्थिति 2014 जैसी नहीं है साथ ही आज की तारीख में राहुल पप्पू वाली छवि से बाहर निकल चुका है वही राष्ट्रीय स्तर पर राहुल यह साबित करने में कामयाब रहा है कि वो नरेन्द्र मोदी से मजबूती के साथ लड़ सकता है फिर भी उन्हें ऐसे युवा चेहरे की जरुरत है जो अपने बल पर कुछ वोट जोड़ सके ।

इस लिहाज से कन्हैया बिहार में भी उपयोगी है खास करके बिहार के यूथ का एक हिस्सा और मुस्लिम अभी भी कन्हैया का दिवाना है वही कन्हैया के आने से बिहार कांग्रेस को एक ऐसा चेहरा मिल जायेंगा जो अपने बल पर पांच से दस हजार लोगों की सभा कर सकता है जिसको सूनने के लिए लोग घर से बाहर निकल सकते हैं ।

3–कन्हैया मीडिया ब्वॉय है
भले ही निगेटिव खबर ही क्यों ना चलाये लेकिन मीडिया को आज भी कन्हैया की जरुरत है कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने की खबर आज सभी चैनल का हेडलाइन है बिहार में सीपीआई दफ्तर में मीडिया सुबह से ही स्टोरी करने में लगी हुई है कि कैसे कन्हैया सीपीआई दफ्तर में आना बंद किया तो जिस कमरे में कन्हैया रहता था वहां से AC निकलवा लिया है।
निगेटिव स्टोरी ही क्यों ना चलाये आज से कन्हैया मीडिया में जगह लेता रहेगा ।

कन्हैया आज कांग्रेस में शामिल होंगे

JNU छात्र संघ के पूर्व आध्यक्ष और CPI का फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार अपने साथ गुजरात विधानसभा के सदस्य जिग्नेश मेवानीअंशुल त्रिवेदी,सुशील और पीयूष रंजन झा आज दोपहर तीन बजे कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे।

कन्हैया कुमार दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगी।

कन्हैया CPI के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय सीट से लड़ा था, हालांकि वे हार गए थे।

सदस्यता से पहले भगत सिंह की प्रतिमा पर करेंगे माल्यार्पण
कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से पहले कन्हैया कुमार दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के ITO स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क जाएंगे।

यहां वे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद वे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचेंगे। कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार की राजनीति बदल सकती है ।

नक्सली उग्रवाद को केंद्र और राज्य को मिलकर लड़ने की जरूरत है ।

वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक मे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अभिभाषण का मुख्य बिन्दु ।

बिहार में विगत वर्षो में उग्ररवादी हिसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त हाेना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है। केन्द्र एवं प्रभावित राज्याें की सरकाराें काे इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष हाेनी चाहिए।

नक्सली हिंसा देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है और यह विकासोन्मुखी सरकार की नीतियों के सफल क्रियान्वयन में बाधक बनता है। बीते वर्षाें में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबाें का हित करना नहीं है, अपितु अलाेकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकाें का प्रयाेग कर गरीबों काे विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है। इनके कारण गरीब अपने वाजिब हक से तथा क्षेत्र में संचालित विकास याेजनाओं के लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर हाे जाते हैं परंतु इस तथ्य काे भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनाें में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं। नक्सली संगठनाें के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता काे निष्प्रभावी करने के लिए इन क्षेत्राें में समावेशी एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं कार्यान्वित करनी हाेगी। हमने पुलिस काे अधिक जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाया है। यदि लाेगाें की आस्था हमारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली में बढ़ेगी ताे समाज में इसके सकारात्मक परिणाम हाेंगे।

2018 में राज्य में सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में अच्छादित जिलों की संख्या 22 से घटकर 16 हो गई तथा पुनः वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर केवल 10 ( रोहतास कैमूर गया औरंगाबाद नवादा जमुई लखीसराय मुंगेर बांका बेतिया) रह गई है। वर्ष 2018 में अति उग्रवादी प्रभावित जिलों की संख्या 100 थी जो अब घटकर केवल 3 गया जमुई लखीसराय रह गई है ।अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से औरंगाबाद जिले को हटा दिया गया है। औरंगाबाद झारखंड के अति नक्सल प्रभावित पलामू जिले का सीमावर्ती है और पहाड़ एवं जंगलों से आच्छादित है । औरंगाबाद जिला को अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुनः शामिल करने की जरूरत है।

सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक आयाम रखने वाली नक्सली उग्रवाद की समस्या के एक छोटे भाग से पुलिस लड़ सकती है । इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने न्याय के साथ विकास की समावेशी रणनीति बनाई । विकास से वंचित और भटके हुए लोगों को सामाजिक आर्थिक मुख्यधारा में वापस लाने के लिए गंभीर विकासात्मक पहल किए गए हैं । वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में वंचित लोगों को आरक्षण महिलाओं को 50% आरक्षण देकर उन्हें क्षेत्र के विकास के निर्णय लेने का हक दिया गया। सभी थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधान के पृथक्करण किया गया है । कानून का राज एवं भयमुक्त शासन स्थापित करना बिहार सरकार की नीति रही है। सांप्रदायिक सौहार्द्र का वातावरण राज्य के सभी जिलों में कायम है ।

महिला सशक्तिकरण के तहत हमने पुलिस में 35% आरक्षण दिया है और इसी का नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 23% से अधिक संख्या में महिलाओं की है । उल्लेखनीय है कि महिलाओं की कमांडो टीम को विशेष टास्क फोर्स एवं आतंकवाद निरोधक दस्ता में सम्मिलित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है । एक अभिनव पहल के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थारू ,संथाल, उरांव और अन्य अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को लेकर बिहार स्वाभिमान बटालियन का गठन बाल्मीकि नगर पश्चिम चंपारण जिला में किया गया है । राज्य सरकार के इस कदम से बगहा एवं बाल्मीकि नगर के जंगल पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है।

नक्सली उग्रवाद प्रभावित जिलों में लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चलाई जा रही विभिन्न विकासोनमुखी एवं कल्याण संबंधी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण मुख्य सचिव बिहार सरकार के स्तर से किया जाता है । जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा संचार व्यवस्था के लिए पहचान किए गए बीएसएनल के ढाई सौ मोबाइल टावर का अधिष्ठापन कार्य राज्य में सबसे पहले पूर्ण कर उन्हें ऊर्जान्वित किया जा चुका है ।विभिन्न विकास मुखी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ था एवं ग्रामीण इलाकों में पहुंचने से सकारात्मक माहौल बना है ।

जहां एक तरफ घटनाओं में कमी आना प्रसन्नता का विषय है। वही घटनाओं का पूर्णता समाप्त नहीं होना यह इंगित करता है कि नक्सली हिंसा की संभावना अभी भी बनी हुई है। जिसे समूल समाप्त करने की दिशा में अत्यंत सचेत रहते हुए रणनीति बनाकर अभियानों के साथ-साथ समावेशी विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों और में और तीव्रता लाए जाने की आवश्यकता है ।

नक्सली हिंसा से निबटने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझाव।

1- विशेष आधारभूत संरचना योजना सीआईएस 2021-22 के बाद बंद होने की सूचना मिली है इसे आगे चलाने की आवश्यकता है ।

2- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान में यह अत्यंत आवश्यक है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाए । केंद्र सरकार द्वारा पुलिस अधिकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है ।समय के साथ-साथ इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है । इस योजना में केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40 रखा गया है । बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90 : 10 किया जाना चाहिए ।

3- केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सली उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति के अंतर्गत सुरक्षात्मक कार्यवाहियों के साथ-साथ विकाससोनामुखी कार्यक्रमों को भी अनुसरण किया जा रहा है ।प्रभावित जिलों की विशेष स्थिति के कारण निश्चित ही इस दिशा में संकेतिक पहल करने की आवश्यकता है । हमारा सुझाव होगा कि इन क्षेत्रों के लिए चयनित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने और उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त निजी उपलब्ध कराई जाए तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एवं मापदंडों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाए ।

4- नकली उग्रवाद के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियानों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग आवश्यक हो गया है । आधुनिक हथियार ड्रोन, रोबटिक यंत्र, संचार माध्यमों पर निगरानी आदि तकनीकी सिर्फ सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ाती है, संभावित जान के खतरे को भी कम करती है ,जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल और भी बढ़ता है । इसके साथ-साथ प्रत्येक राज्य में हेलीकॉप्टर की तैनाती अवश्यम्भावी रूप से की जाए जो सुरक्षा बलों की गतिशीलता को तो बढ़ाता ही है आवश्यकता पड़ने पर बचाव में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम चाहेंगे कि गृह मंत्रालय इस पर पुनर्विचार कर बिहार में अलग से हेलीकॉप्टर की स्थाई तैनाती करें ।

5- वर्तमान में बिहार राज्य में 7 . 5 बटालियन केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को उपलब्ध कराया गया है । जिसमें सभी बलों की प्रतिनियुक्ति बिहार झारखंड के सीमावर्ती जिलों में की गई है। इन बलों के माध्यम से लगातार अभियान चलाया जा रहा है ।वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार सीआरपीएफ की दो बटालियन बल बिहार से छत्तीसगढ़ राज्य में भेजी गई है। जिससे बिहार राज्य में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या घट गई है। इन बलों के जाने से क्षेत्र में सुरक्षा अंतराल बना है । जिससे अभियान की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है । अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा कैंप का निर्माण प्रस्तावित है , जिसके लिए अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की आवश्यकता है ।अतः मैं गृह मंत्रालय से अनुरोध करना चाहूंगा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की इन दोनों बटालियनओं को बिहार में वापस किया जाए।

6- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान हेतु यह भी आवश्यक है कि राज्यों के सुरक्षाबलों को गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रभावी रूप से दक्ष बनाया जाए । केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिहार के लिए अधिक कोटा निर्धारित किया जाए और निशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए ।

7- इस अवसर पर मैं केंद्र सरकार का ध्यान अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षाबलों पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति की नीति के की तरफ भी आकृष्ट करना चाहूंगा । आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सली हिंसा वादियों के खिलाफ या लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है परंतु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा भार राज्य सरकार के कोष पर पड़ जाता है ।अतः अनुरोध होगा कि इस खर्च का वाहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए । यह मैं यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति सदस्य जाग रही है और वर्तमान में कोई भुगतान लंबित नहीं है ।

नक्सली उग्रवाद के विरुद्ध अभियान केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त दायित्व है अतः इसका आर्थिक भार भी केंद्र और राज्यों के बीच बैठकर वहन किया जाना चाहिए ।

जातीय जनगणना को लेकर बिहार की सियासी पारा चढ़ा बीजेपी समझौते के मूड में नहीं ।

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामा को लेकर बिहार की सियासत में तुफान आ गया है कल नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव इस मामले को लेकर देश के 30 बड़े राजनीतिज्ञों को पत्र लिख कर समर्थन मांगा था ।
वही आज मैदान में खुद नीतीश कूद पड़े हैं नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री की बैठक में भाग लेने पहुंचे नीतीश कुमार ने आज बैठक समाप्ति के बाद बैठक को लेकर पूछे गये सवालों को नजरअंदाज करते हुए बेहद तल्ख लहजे में कहा कि बिहार के सभी दलों के लोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है. केंद्र सरकार फिर से ठीक ढ़ंग से इस पर विचार करें।

उन्होंने जातीय जनगणना को देशहित में बताया.मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा को लेकर कहा कि वे आर्थिक और समाजिक गणना को लेकर है. इसमें जातीय जनगणना को नहीं जोड़िए. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार इस पर ठीक ढ़ंग से विचार करें और ये देशहित का मामला है।

CM ने कहा कि 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी, वो जातीय जनगणना थी ही नहीं। वो आर्थिक आधारित जातीय जनगणना थी, जिसमें कई गलतियां थीं, इसलिए उसे प्रसारित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार अगर सबका विकास चाहती है तो जातीय जनगणना कराए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक बार फिर मिलकर सभी बातों को साफ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर अपने सभी दलों के साथ एक बार फिर से मीटिंग कर इस पर विचार करेंगे।

नीतीश कुमार के इस बयान के थोड़ी देर बाद ही बिहार बीजेपी के सीनियर नेता सुशील मोदी ने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार के मांग को खारिज करते हुए कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

नीतीश कुमार के बयान के बाद सुशील मोदी का जातीय जनगणना के मांग को पूरी तरह खारिज करने के साथ ही यह तय हो गया कि आने वाले समय में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी और नीतीश के बीच तल्खी बढ़ेगी क्यों कि मांझी और सहनी पहले ही बगावत के मूड में है वही तेजस्वी जिस तरीके से जातीय जनगणना को लेकर नीतीश पर दबाव बना रहे हैं ऐसे में आने वाले समय में बिहार की सियासत किसी और दिशा की और मूड़ जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। क्यों कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर जितने आगे बढ़ गये वहां से वापसी उनके लिए आत्मघाती हो सकता है ।

इस बीच लालू प्रसाद की बेटी डॉ. रोहिणी आचार्या ने एक ट्टीट करके नीतीश पर सीधे हमला बोला है उन्होंने कहा है कि ‘ बीजेपी का जो यार है.. जातीय जनगणना का विरोधी नीतीश कुमार है’। उन्होंने आगे लिखा है- ‘ भ्रम के जाल में उलझा, नीतीश कुमार कुर्सी का भूखा है।’ डॉ. रोहिणी ने लिखा है कि- ‘ओबीसी समाज के हितों का दुश्मन बीजापी का यार नीतीश कुमार है।’ऐसे में बिहार की सियासी फिजा एक बार फिर गर्माने लगा है ।

जातीय जनगणना की दुहाई देने वाले सुशील मोदी भी पलट गये ।

पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

राज्यों की अलग-अलग स्थितियां हैं, मसलन 5 राज्यों में OBC है ही नहीं, 4 राज्यों की कोई राजयसूची नहीं है, कुछ राज्यों में अनाथ व गरीब बच्चों को OBC की सूची में शामिल किया गया है। कर्नाटक सरकार ने तो 2015 में जातीय जनगणना कराई थी, मगर आज तक उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जा सके हैं।

झंझारपुर कोर्ट के जज अविनाश का पावर हुआ सीज फैसले को लेकर उठ रहे थे सवाल

पटना हाईकोर्ट ने मधुबनी जिला के झंझारपुर सिविल कोर्ट के एडीजे (प्रथम) अविनाश कुमार का पावर सीज करने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट के महानिबंधक की ओर से जारी आदेश में उनके न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा दी गई है। हाल के दिनों में एडीजे प्रथम अविनाश कुमार अपने जारी आदेश से काफी चर्चा में रहे हैं।

कभी डीएम-एसपी तो कभी अधिकारियों को ट्रेनिंग में भेजने की बात करते थे। हाल ही में उन्होंने कपड़ा और नाली साफ करने तथा बच्चों को आधा-आधा लीटर दूध पिलाने सहित अन्य आदेश पारित किये थे। हाईकोर्ट प्रशासन ने अब उनके न्यायिक कार्य करने के अधिकार पर अंकुश लगा दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने भभुआ (कैमूर) सिविल कोर्ट के एडीजे शिव प्रसाद शुक्ला को निलंबित कर दिया है| उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। साथ ही अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित रहने तक उन्हें बगैर अनुमति के मुख्यालय से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट प्रशासन ने बिहार ज्यूडिशियल सर्विस (क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील)-2020 के नियम 6 (1) के तहत कार्रवाई की है। निलंबन से संबंधित आदेश पटना हाईकोर्ट के महानिबंधक ने जारी कर दिया है।

अफरशाही से परेशान सीएम ने गृहविभाग के अपर मुख्य सचिव को लगायी फटकार

इन दिनों अफरशाही को लेकर सीएम का तेवर तल्ख होने लगा है आज मुख्यमंत्री पुलिस निगम द्वारा आयोजित थाना भवन, पुलिस लाइन के उद्घाटन एवं शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान यह पता चला कि अभी भी राज्य में 15 से अधिक ऐसा थाना है जिसके पास अपना भवन नहीं यह सूनते हैं सीएम गुस्से से लाल हो गये और गृह विभाग के अपर मुख्‍य सचिव को यहां तक कह दिये कि इनको चीजों की सही समझ नहीं है।

उन्‍होंने अधिकारियों से कहा कि पहले से सुधार हुआ है, लेकिन यह काफी नहीं है। कोई काम पूरा क्‍यों नहीं हुआ, इसे भी देखना होगा। उन्‍होंने कहा कि आखिर क्‍या बात है कि 15 थानों के लिए राज्‍य में अब तक जमीन ही नहीं मिल पाई है। अगर सरकारी जमीन उपलब्‍ध नहीं है तो जमीन खरीदकर भी इस मसला हल हो। जिस निजी जमीन पर थाना चल रहा है, उसी को खरीदने के विकल्‍प पर विचार करें।

अगर जमीन नहीं मिल रही है तो थाने की जगह बदलने की भी कोशिश हो सकती है।सीएम ने कार्यक्रम में मुख्‍य सचिव से लेकर विकास आयुक्‍त सभी का नाम लेकर कहा कि योजनाओं की मानिटरिंग सही तरीके से करें। कमियां दूर होनी चाहिए। योजनाओं में लेटलतीफी नहीं चलेगी।

अगर कोई बाधा है तो उसका निदान भी तत्‍काल होना चाहिए। उन्‍होंने शराबबंदी को लेकर भी अधिकारियों से कहा कि इसकी सही तरीके से निगरानी की जरूरत है।शराबबंदी को लेकर भी सीएम नराज दिखे और अधिकारियों ने कहां कि ये अब नहीं चलेंगा जिस तरीके से रोजाना शराब पहुंच रहा है यह दिखता है कि बड़े पैमाने पर अभी भी शराब की तस्करी चल रही है ।

छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है पंचायत चुनाव

बिहार पंचायत चुनाव 2021 के पहले चरण का चुनाव दोपहर तक छिटपुट घटना को छोड़ दे तो शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है लेकिन कोरोना को लेकर जारी गाइड लाइन का कही भी अनुपालन होता नहीं दिख रहा है दोपहर 12 बजे तक 20 से 25 प्रतिशत मतदान की खबर है सुबह से ही हर बूथ पर वोटर की लंबी कतार देखने को मिल रही है शातिपूर्ण चुनाव सम्पन्ना कराने को लेकर 2300 पुलिस पदाधिकारी और 10,000 से अधिक जिला बल गृह रक्षक बिहार पुलिस सशस्त्र वाहिनी सैप के जवान को चुनाव कार्य में लगाया गया है ।

पहले चरण में 15,328 प्रत्याशियों ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है। इनमें से 858 पदों पर प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हो गया है। वहीं, 72 पदों पर किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। पहले चरण में ग्राम पंचायत सदस्य के 22,33 पदों को लेकर 8611 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

ग्राम कचहरी पंच के 2233 पदों को लेकर 3225 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया। मुखिया के 151 पद के लिए 1294 ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। सरपंच के 151 पदों के विरुद्ध 772 नामांकन किए गए हैं। पंचायत समिति सदस्य के 195 पदों के लिए 1205 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है।

जिला परिषद के 22 पदों के लिए 221 प्रत्याशी हैं। 11 लाख 48044 वोटर इस चरण में वोटिंग करेंगे। यहां 14000 चुनाव कर्मियों को बूथों पर तैनात किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, 2119 मतदान केन्द्रों में 220 से वेब कास्टिंग की जा रही है।1609 मतदान भवनों में 2119 मतदान केन्द्र बनाए हैं। वोटिंग सुबह 7 बजें से शाम 5 बजे तक होगी।

बिहार न्यूज पोस्ट के खुलासे के बाद सामने आये उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहा मेरे परिवार के लोग नहीं हैं शामिल

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने दी टेंडर विवाद को लेकर दी सफाई ।

बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने ‘‘हर घर नल का जल‘‘ स्कीम के अंतर्गत कटिहार जिले में कराये गए कार्यों के संबंध में प्रकाशित खबर के विषय में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरे ऊपर लगाया गया आरोप तथ्यहीन एवं बेबुनियाद है
और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि सात निश्चय के अन्तर्गत क्रियान्वित ‘‘हर घर नल का जल‘‘ बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है एवं इन योजनाओं के क्रियान्वयन में संबंधित विभागों द्वारा सरकार की मार्गनिर्देशिका के मुताबिक क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया गया
है।

उन्होने कहा कि ‘‘हर घर नल का जल‘‘ स्कीम के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आम आवाम को प्रत्येक घरों में नल संयोजन के द्वारा पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। स्कीम की सफलता से घबराहट में विपक्ष अनर्गल प्रलाप कर रहा है।

उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने इस मामले में वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि जिन दो कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड एवं जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र किया गया है, उन प्रतिष्ठानों अथवा कंपनियों में मेरे परिवार या ससुराल के कोई सदस्य शामिल नहीं हैं।

प्रसांगिक कार्य कटिहार जिला अंतर्गत क्रियान्वित लगभग 2800 स्कीमों में से भवाड़ा पंचायत के 04 वार्डों में सिर्फ चार स्कीम का कार्य मेरे परिवार की श्रीमती पूजा कुमारी द्वारा किया गया है, जिसका कॉन्ट्रैक्ट सरकार की मार्गनिर्देशिका के अनुसार पी.डब्ल्यू.डी. कोड, निविदा प्रक्रिया एवं नियमों के मुताबिक वर्ष 2019 में ही किया गया है।

जैसा कि मैंने जानकारी ली है, उसके अनुसार उपरोक्त कॉन्ट्रैक्ट नवंबर 2019 में हुआ, जिसके अंतर्गत मात्र 01 करोड़ 87 लाख 08 हजार 766 रूपए का कॉन्ट्रैक्ट हुआ। इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत दिए गए कार्य भी एक वर्ष पूर्व सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। संबंधित क्षेत्रों में नियमित जलापूर्ति भी किया जा रहा है।

इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के पूर्व प्रसांगिक चारों स्कीमों के कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके थे। ऐसी स्थिति में मैं किस प्रकार डिप्टी सीएम के पदीय प्रभाव का इस्तेमाल कर सकता हूँ ?
प्रकाशित खबर में जिस प्रकार से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर साजिश के तहत पेश किया गया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसका प्रतिकार करता हूँ।

बिहार न्यूज पोस्ट के खुलासे से बिहार की राजनीति में आया भूचाल सीएम ने स्थिति स्पष्ट करने को कहां

बिहार न्यूज पोस्ट के खुलासे के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है सीएम ने नीतीश कुमार ने बीजेपी से उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद मामले में मीडिया में आयी खबर को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है वही इस मामले को लेकर नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव ने यादव सीएम नीतीश कुमार पर जबरदस्त हमला बोला है मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए इस मामले मेंं सीएम को पत्र लिखा है जिसमें उप मुख्यमंत्री पर पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों को टेंडर मैनेज करके ठेका दिलाया हैं इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायी जाये

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साथ ही तेजस्वी ने कहा कि नीतीश की आत्मा बंगाल की खाड़ी में डूब गई है क्या भ्रष्टचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा कहां खो गया है बीजेपी के नेता पर कार्रवाई करने को लेकर क्यों चुप हैं नीतीश कुमार।
वही आज बीजेपी के मंत्री और पार्टी के पदाधिकारी इस मामले पर चुप्पी साध लिया है कहां ये जा रहा है कि इस मामले के सामने आने के बाद पार्टी उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद से दूरी बनाने लगा है ।वही दूसरी और भाकपा माले ने इस मामले को लेकर बड़े आन्दोलन की चेतावनी दिया है ।

पंचायत चुनाव के दौरान मतदान केन्द्रों पर बिना मास्क के पहुंचने पर 50 रुपया भरना पड़ेगा जुर्वाना

उत्तरप्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान हुए कोरोना विस्फोट को देखते हुए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रथम चरण के मतदान से ठीक पहले कोरोना को लेकर कई सख्त आदेश जारी किया है इसमें बिना मास्क लगाये जो वोटर वोट गिराने आयेंगे उन पर 50 रुपया जुर्वाना लगाया जायेंगा।

आयोग ने चुनाव कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वोटरों से भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराये।और इसके लिए आयोग ने वैसे वोटरों पर फाइन लगाने का निर्देश दिया है जो मास्क नही लगाएंगे। हालांकि आयोग की तरफ से सभी बूथों के प्रवेश द्वार पर वैसे वोटरों को मास्क उपलब्ध कराने के निर्देश हैं जो बिना मास्क के वोट डालने पहुंचेंगे। लेकिन मास्क मिलने के बावजूद जो लोग मास्क नाक और मुंह पर लगाये नही दिखें, उन पर प्रशासन फाइन लगाएगा। ये फाइन 50 रुपए का होगा।

साथ ही पंचायत चुनाव में कोरोना पॉजिटिव वोटर भी वोट डाल सकेंगे । राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके लिए अलग से व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। आयोग ने ऐसे वोटरों के लिए टोकन व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। कोविड पॉजिटिव वोटर वोटिग के अंतिम घंटे में मतदान करेंगे।

बूथ पर ऐसे वोटरों के लिए पहले से 100 टोकन होंगे। बूथ पर आनेवाले सभी कोविड पॉजिटिव वोटरों को टोकन नंबर देकर वेटिंग लॉन्ज में बैठने की जगह दी जाएगी । मतदान के आखिरी घंटों में ये अपने टोकन के अनुसार अपना मत डालेंगे। कोविड पॉजिटिव वोटरों के वोटिंग के दौरान बूथ पर मौजूद सभी चुनावकर्मी पीपीई किट में होंगे ।

शरीर का तापमान हुआ ज्यादा तो आखिरी घंटों में डालना होगा वोट कोविड को देखते हुए की गई वोटिंग व्यवस्था में हर बूथ पर थर्मल स्कैनर की व्यवस्था की गई है । बूथ पर प्रवेश के दौरान सभी वोटरों के शरीर का तापमान लिया जाएगा । इस दौरान जिनके शरीर का तापमान ज्यादा होगा , उनका तापमान फिर से आधे घंटे बाद लिया जाएगा । दूसरी बार भी शरीर का तापमान ज्यादा होने पर ऐसे वोटरों को मतदान के आखिरी घंटों में मतदान का करने का मौका दिया जाएगा ।

इस बार पंचायत चुनाव की होगी लाइव वेब कास्टिंग

पंचायत चुनाव 2021 शांतिपूर्ण और निष्पक्ष सम्पन्न हो इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसके तहत लोकसभा और विधानसभा की तरह ही मतदान और मतगणना की लाइव वेब कास्टिंग होगी। राज्य निर्वाचन आयोग के इस फैसले को राज्य कैबिनेट ने भी मोहर लगा दिया है।

11 चरणों में हो रहे पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav 2021) में इस बार इलेक्ट्रॉनिक सर्वलान्स पर आयोग काफी भरोसा कर रहे हैं एक और जहां पहली बार मतदाताओं की पहचान के लिए बायोमीट्रिक मशीनों का सहारा लिया जाएगा वही स्ट्रांग रुम में इस तरह के ताले का इस्तमाल किया जा रहा है जिसके खुलने पर जिला से लेकर राज्यनिर्वाचन आयोग तक को सूचना मिल जायेगा।

कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि मतदान केंद्रों पर बायोमीट्रिक मशीन लगाने की जिम्मेदारी ब्राडकास्ट इंजीनियरिंग कंसलटेंट इंडिया लि. बेंगलुरू (बीईसीआइएल) को सौंपी गई है। मतदान और मतगणना की लाइव वेबकास्टिंग का कार्य नेशनल इंफोमेटिक सेंटर सर्विस इंक (एनआइसीएसआइ) को सौंपा गया है। बिहार में 11 चरणों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं, जिसके लिए करीब 1.13 लाख मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं।

बिहार का एक लाल हार्वर्ड विश्वविद्यालय छात्र संघ का बना अध्यक्ष

देश और दुनिया में बिहार का नाम रोशन करने वाला दूसरा बिहारी भी जीरादेई का ही लाल है जी है एक लाल डाँ राजेन्द्र प्रसाद हुए जो देश के पहले राष्ट्रपति बने और अब दूसरा लाल शरद सागर जो हार्वर्ड विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये हैं।

हलाकि सागर का बहुत कम वक्त जीरादेई में बीता है लेकिन आज भी उसके दिल और दिमाग पर जीरादेई का अमित छाप मौजूद है । इस चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए नौ उम्मीदवार खड़े थे। इसमें शरद को जीत हासिल हुई है।

वे मई 2022 यानी हार्वर्ड में अपने दीक्षांत समारोह तक इस पद पर बने रहेंगे। सागर को हार्वर्ड में उच्चतम स्कॉलरशिप प्राप्त है और वह प्रतिष्ठित केसी महिंद्रा स्कॉलर भी हैं। हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में पढ़ रहे 50 देशों के 1200 से अधिक छात्रों ने उनका चयन किया।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने मंगलवार यानी 21 सितंबर को चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा की। 14 सितंबर से 19 सितंबर के बीच मतदान हुआ था। अध्यक्ष के रूप में शरद सागर छात्र संघ का नेतृत्व करेंगे। इसमें एक उपाध्यक्ष, एक प्रशासक और अन्य निर्वाचित सीनेटर शामिल होंगे।

शरद सागर ने हार्वर्ड में उच्चतम स्कॉलरशिप प्राप्त किया है और वो प्रतिष्ठित के.सी महिंद्रा स्कॉलर भी हैं.
शरद सागर 16 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की, और 24 वर्ष की आयु में फोर्ब्स ने उन्हें 30 वर्ष तक की आयु के 30 सबसे प्रभावशाली उद्यमियों की सूची में शामिल किया.

वर्ष 2016 में शरद सागर राष्ट्रीय और वैश्विक तब सुर्खियों में आए थे, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें एकमात्र भारतीय के रूप में व्हाइट हाउस में होने वाले एक विशेष सभा के लिए आमंत्रित किया था. उसी वर्ष नोबेल शांति केंद्र ने सागर को नॉर्वे में होने वाले नोबेल शांति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. शरद सागर अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट प्रसिद्ध टेलीविजन गेम शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के विशेषज्ञ भी हैं।

कंपनी के नियमों की अनदेखी करके काम देने का मामला आया सामने

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और शुचिता का दावा करने वाली नीतीश सरकार इस बार अपने ही उपमुख्यमंत्री के कृत्य से बैकफुट पर है।मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे महात्वाकांक्षी योजना’हर घर नल का जल’ योजना से जुड़ी हुई है जिसमें उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद पर अपने पद के प्रभाव का इस्तमाल कर साले और दमाद की कम्पनी को काम दिलाने का आरोप है।

हलाकि इस आरोप के बावजूद पूरी बीजेपी तारकेश्वर प्रसाद के साथ खड़ी है तारकेश्वर प्रसाद भी कह रहे हैं की मैं राजनीति में हूं इसका क्या मतलब मेरे परिवार के लोग बिजनेस व्यापार करना छोड़ दे ये सारा काम मेरे उपमुख्यमंत्री बनने से पहले का है और काम के आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं है ।

उपमुख्यमंत्री के रिश्तेदार को मिला काम यह पूरा मामला उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के गृह जिले कटिहार से जुड़ा हुआ है जहां हर घर नल का जल’ योजना के तहत जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड को 48 करोड़ और 3 करोड 60 लाख का काम दिया गया है आरोप यह है कि इस दोनों कम्पनी के निदेशक मंडल में उपमुख्यमंत्री के साले और दमाद शामिल है यो दोनों कंपनी पटना के पते पर रजिस्टर्ड है ।

वन श्री जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का पता 319,ASHIANA TOWER EXHIBITION ROAD PATNA Patna BR 800001 दर्ज और दूसरी कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड का पता 74,SARSWATI APARTMENT, S.P. VERMA ROAD, PATNA BR 800001 दर्ज है ।

सरकारी काम करने के लिए योग्य नहीं है यह कपंनी आशियाना टावर कमरा नम्बर 319 में दो कपंनी का दफ्तर है
पहला BRITESKY BUILDCON( P )LTD. और दूसरा JEEVANSHREE INFASTRURE,(P)LTD का है। दोनों कंपनी के निदेशक मंडल में दो व्यक्ति संतोष कुमार और ललित किशोर का नाम शामिल है । इस कंपनी को 48 करोड़ रुपया का काम दिया गया है इस कंपनी का टर्नओभर काफी है लेकिन इससे पहले किसी भी तरह के सरकारी काम करने को लेकर कोई अनुभव नहीं है पीडब्लूडी नियमावली के अनुसार ऐसी कंपनी को काम नहीं दिया जा सकता है।

आशियाना टावर स्थित कमरा नम्बर 319 में जब बिहार न्यूज पोस्ट का रिपोर्टर पहुंचा तो दफ्तर में एक दो लोग बैठे थे जो इस मसले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया वही दूसरी कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड का जो पता दर्ज है 74,SARSWATI APARTMENT, S.P. VERMA ROAD, PATNA BR 800001 वहां जब बिहार न्यूज पोस्ट का संवाददाता पहुंचा तो दफ्तर का कोई भी साइनबोर्ड लगा हुआ नहीं था , कॉल बेल बचाया तो प्रदीप कुमार भगत निकले उनसे जब संवाददाता ने पुंछा कि इस पते पर एक कम्पनी का नाम दर्ज है और यहां तो आपका आवास है जबतक उनसे सवाल किया जाता तब तक वो रुम बंद करते हुए इतना ही कहा मेरे वकील से बात करिए मुझे कुछ भी नहीं कहना है ।

उपमुख्यमंत्री के साले की कंपनी की आँडिट रिपोर्ट कंपनी के फर्जी होने का दे रहा है प्रमाण
दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड के वर्ष 2019 और 2020 के ऑडिट रिपोर्ट पर गौर करे तो उस रिपोर्ट में कही भी किसी भी तरह के सरकारी कामकाज करने का जिक्र ही नहीं है वर्ष 2019–2020 के बीच कंपनी आँडिट रिपोर्ट में लिखा है कि इस वर्ष 78लाख 6 हजार 800 रेवेन्यू प्राप्त हुआ है जिसमें 44 लाख 26हजार 136 रुपया 68 पैसा समान खरीद बिक्री से और सर्विस में 33 लाख 80 हजार 664 रुपया आया है लेकिन इस आँडिट रिपोर्ट में कही भी टीडीएस देने की चर्चा नहीं है जबकि किसी भी तरह के काम में कंपनी को टीडीएस भरना ही है जबकि इस कंपनी को सरकारी ठेका मिला है गौर करने वाली बात यह है कि इस कंपनी के वित्तीय वर्ष 2018–2019 का जो आँडित रिपोर्ट है वो शून्य है मतलब उस वर्ष कंपनी कोई काम नहीं कि है। इस तरह के कंपनी को किस आधार पर सरकारी ठेका दिया गया एक बड़ा सवाल है ।हलाकि इस मामले में विभाग के अधिकारियों से जब सवाल किया गया तो कहां गया कि मामले की जांच चल रही है ऐसी कोई बात संज्ञान में आती है तो कारवाई होगी।

वही इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री और अब राष्ट्रीय जनता दल के नेता रामप्रकाश महतो का कहना है कि जब भी इससे संबंधित शिकायत की गयी तो पुलिस द्वारा ग्रामीणों को धमकाया जाता था.’हर घर नल का जल’ योजना का हाल बेहाल है, ग्रामीणों का कहना है कि जब से ‘हर घर नल का जल’ योजना का काम हुआ है तब से नल में पानी नहीं मिल रहा तो कहीं नल का पाइप टूटा हुआ है ।

पंचायत चुनाव के साथ ही बिहार में चुनावी हिंसा का दौर शुरु मुखिया प्रत्याशी के पुत्र की हुई हत्या

पंचायत चुनाव के साथ ही बिहार के ग्रामीण इलाकों से हिंसा की खबर आने लगी है ताजा मामला नक्सली प्रभावित शिवहर से आ रही है जहां शिवहर के तरियानी थाना क्षेत्र के विशंभरपुर पंचायत के निवर्तमान उप मुखिया मदन प्रसाद और मुखिया प्रत्याशी इंदु देवी के बेटे विक्की कुमार (22) की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

घटना सुल्तानपुर नदी घाट के पास ब की है। युवक की लाश धान के खेत में मिली। ग्रामीणों ने प्रथम दृष्टया हत्या का कारण चुनावी प्रतिद्वंदिता बताई है। हालांकि, पुलिस अभी कुछ भी कहने से इनकार कर रही है।

घटनास्थल पर ही एक मोबाइल मिला। इससे लोग आशंका जाहिर कर रहे हैं कि अपराधी के साथ विक्की की हाथापाई भी हुई होगी। इधर, ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय थाना पुलिस को दी। घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा मामले की जांच में जुट गई है।

बड़ी खबर शिवहर से आई है जहां एक मुखिया प्रत्याशी के बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। मृतक की पहचान 22 वर्षीय विक्की कुमार के रूप में हुई है। विक्की की लाश धान के खेत में मिली। मृतक विक्की कुमार तरियानी थाना क्षेत्र के विशंभरपुर पंचायत की मुखिया प्रत्याशी इंदु देवी का बेटा था।

इंदु देवी के पति मदन प्रसाद पंचायत के निवर्तमान उप मुखिया हैं। बुधवार को सुल्तानपुर घाट के पास धान के खेत में विक्की का शव मिला। मामले की जांच तरियानी थाना पुलिस कर रही है।

चुनावी माहौल में हत्या चुनावी माहौल में हुई इस हत्या को लेकर इलाके में तनाव है। इसे देखते हुए डीएसपी संजय कुमार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई है।डीएसपी ने कहा है कि जल्द ही इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली जाएगी। इधर प्रत्याशी इंदु देवी और उनके पति मदन प्रसाद बदहवासी की हालत में हैं। इसलिए वे कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं।

अखिलेश की तरह तेजस्वी भी अब टोपी में आयेंगे नजर लालू प्रसाद ने राजद कार्यकर्ताओं के लिए जारी किया ड्रेसकोर्ड

राजद के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के आखिरी दिन आज लालू यादव ने राजद कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को आनलाइन संबोधित किया। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए लालू यादव ने राजद नेताओं को टिप्स दिया जिस दौरान लालू प्रसाद ने कहा कि यूपी के तर्ज पर राजद कार्यकर्ताओं को भी अब ड्रेस कोड का पालन करना होगा। राजद सुप्रीमो ने अपने संबोधन के दौरान ही ड्रेस कोर्ड तय भी कर दिया ।

अब राजद के कार्यकर्ता और नेता हरी गमछी और टोपी पहने नजर आएंगे। इन्होंने आगे कहा कि पार्टी के प्र‍ति निष्‍ठावान बनें। बिहार आने के बाद मैं हर जिले का दौरा करुंगा और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी करुंगा। लालू यादव ने कहा कि हमारी पार्टी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है।

वोट हमारा कम नहीं होता है। जो हार जाता है वो पार्टी छोड़ देता है, जिसे टिकट नहीं मिलती वो अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हराने में जुट जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इस तरह की बातों पर उन्‍होंने घोर आपत्ति जताई। उन्‍होंने प्रशिक्षण शिविर के आयोजन की सराहना की और कहा कि आगे भी ऐसा होगा।

आरजेडी सुप्रीमो ने इस दौरान अपने छोटे बेटे व बिहार के पूर्व उप मुख्‍यमंत्री रहे तेजस्वी यादव को लेकर भी बड़ी बात कही। उन्होंने तारीफ करते हुए कहा कि तेजस्वी के नेतृत्व को बिहार की जनता ने स्वीकारा है। दूसरे दलों के नेता भी कहते हैं कि तेजस्वी काफी अच्छा कर रहे हैं। बिहार का भविष्‍य युवा हाथों में होना चाहिए।

इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी का हर कार्यकर्ता अपने घर पर आरजेडी का झंडा लगाए। यही हमारी पहचान है। वही प्रशिक्षण शिविर में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि दल की मर्यादा के लिये जो कुछ करना होगा करेंगे. बूथ, पंचायत, ज़िला कमेटी को को मजबूत करने से राजद का पताका फहरायेगा. अनुसाशन को अपनाओगे तो दुनिया से अराजकता समाप्त होगी ।

राम के सहारे बिहार की राजनीति साधने की तैयारी में लगा बीजेपी

जाति आधारित राजनीति का मक्का कहे जाने वाले बिहार में इन दिनों धर्म आधारित राजनीति को मजबूत करने को लेकर कशमकश तेज हो गई है और इसको लेकर आये दिन कुछ ना कुछ बखेड़ा खड़ा हो रहा है ।इस बार मामला रामायण की पढ़ाई को पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर खड़ा हुआ है ।बीजेपी मध्यप्रदेश के तर्ज पर ही बिहार में भी रामायण की पढ़ाई को पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने लगा है ।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सिलेबस में रामायण को शामिल करने की बात करते हुआ कहा कि रामायण हमें सदियों से सही राह दिखाती आई है. हम इतिहास पढ़ते हैं तो रामायण भी पढ़नी चाहिए. इतिहास के साथ हर वो विषय लोगों को पढ़नी चाहिए जो लोगों को बेहतर संदेश देती है.।

वहीं बिहार सरकार के वन एवं पर्यवरण मंत्री नीरज कुमार बबलू (Bihar Minister Neeraj Kumar Bablu) ने कहा कि बिहार के स्कूलों और कॉलेजों में भगवान श्री राम (Lord Shree Ram) से जुड़ी तमाम जानकारियों को सिलेबस में शामिल किया जाए ताकि लोग अधिक से अधिक भगवान श्री राम के बारे में जान सकें।

विवाद बढ़ते देख जदयू कोटे से मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि रामायण और गीता की जानकारी रखना सबके लिए अच्छी बात है, लेकिन इस तरह का कोई भी प्रस्ताव पर अभी तक शिक्षा विभाग के विचाराधीन नहीं है ।

लेकिन हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बयान से एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है जीतनराम मांझी ने भगवान श्रीराम (Lord Shree Rama) के अस्तित्व को ही काल्पनिक करार देते हुए कहा कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष व्यक्ति थे, ऐसा मैं नहीं मानता. पर रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है वो सीखने वाली है. रामायण कथा में कई श्लोक और संदेश ऐसे हैं जो लोगो को बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक है सिलेबस में शामिल हो मुझे कोई एतराज नहीं है ।

मांझी के इस बयान पर बीजेपी के विधायक काफी गुस्से में है बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचोल ने कहा कि राम के अस्तित्व पर सवाल करने वाले मांझी जी जरा बताये उनके माता-पिता जी जीतन राम मांझी की जगह जीतन राक्षस मांझी क्यों नहीं रखा।मांझी सेकुलर दिखने के चक्कर में ओछी राजनीति कर रहे हैं।जीतनराम मांझी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए हलाकि बीजेपी विधायक के इस बयान के बाद जीतनराम मांझी ने एक बार फिर अपने पूराने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि मैं माफी किस बात मांगू जो सही है वो मैंने कहा ।

उपेन्द्र कुशवाहा और शरद यादव की बीच हुई मुलाकात से बिहार की राजनीति गरमाई

जदयू के संसदीय दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा और शरद यादव के बीच बंद कमरे में दो घंटे तक चली बैठक के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गयी है और अटकलों का दौड़ शुरु हो गया है कि शरद यादव की घर वापसी हो रही है क्या।

बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद नीतीश कुमार अपने तमाम पूराने सहयोगियों के साथ लगातार सम्पर्क में है और उनके पार्टी में वापसी को लेकर खुद पहल कर रहे हैं और उस कड़ी की शुरुआत उपेन्द्र कुशवाहा के जदयू में शामिल होने से हुआ था ,और उसके बाद पूर्व विधायक मंजीत सिंह पूर्व विधान पार्षद विनोद कुमार सिंह सहित दो दर्जन से अधिक नेताओं की घर वापसी हुई है।

हलाकि शरद यादव की वापसी के सवाल को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा सहित पार्टी के अधिकांश नेता खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है लेकिन जिस तरीके से उपेन्द्र कुशवाहा मुलाकात की तस्वीर को सार्वजनिक किये हैं उससे कही ना कही यह लग रहा है कि अंदर खाने में कुछ ना कुछ खिचड़ी पक रही है।

क्यों कि नीतीश कुमार जिस तरीके से चिराग को निशाने पर ले रहे हैं ऐसे में बिहार में वापसी के लिए यादव वोट में डिवीजन कराने वाले बड़े चेहरे की जरुरत है भले ही इस बार कोसी का वो इलाका जदयू की प्रतिष्ठा को बचा लिया लेकिन आने वाले समय में जिस तरीके से विजेन्द्र यादव और नरेन्द्र नरायण यादव जैसे नेता बढ़ती उम्र के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हो रहे हैं ऐसे में जदयू की परेशानी आने वाले समय में बढ़ सकती है ।

इसलिए शरद यादव सिर्फ बिहार की चुनावी राजनीति के लिए ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर तीसरे मोर्चे को लेकर कोई सम्भावना बनती है तो उस समय शरद यादव की भूमिका महत्वपूर्ण हो जायेंगी क्यों कि इनका रिश्ता कांग्रेस से भी और लालू से भी बेहतर है। ऐसे में शरद आज की राजनीति में नीतीश की जरुरत है इस स्थिति में आने वाले समय में शरद यादव की वापसी हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।