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चौथे चरण के पंचायत चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में 20 अक्टूबर को होगा मतदान

पंचायत चुनाव के चौथे चरण के लिए 20 अक्टूबर बुधवार को होने वाले मतदान को लेकर सभी प्रशासनिक स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गई है। चौथे चरण के मतदान को लेकर राज्य में 11,318 मतदान केंद्रों का गठन किया गया है। इन मतदान केंद्रों को 7729 मतदान भवनों में बनाया गया है। इस चरण में 36 जिलों के 53 प्रखंडों में चुनाव निर्धारित हैं।

1- 799 पंचायतों में उम्मीदवारों के भाग्य का होगा फैसला
चौथे चरण के चुनाव के दौरान 799 पंचायतों में विभिन्न पदों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार चौथे चरण में सभी छह पदों के लिए कुल 75,808 नामांकन पत्र दाखिल किए गए है। इनमें 35525 पुरुष एवं 40283 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। आयोग के अनुसार ग्राम कचहरी पंच के कुल 10888 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर 17,553 उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि सरपंच के 799 सीटों के विरुद्ध 4190, मुखिया के 799 सीटों के विरुद्ध 5835, पंचायत सदस्य के 10,888 सीटों के विरुद्ध 41,120, जिला परिषद सदस्य के 119 सीटों के विरुद्ध 1131 और पंचायत समिति सदस्य के 1093 सीटों के विरुद्ध 5979 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

2- चुनाव आयोग ने की कार्यवाही
जमुई जिले के सोनो प्रखंड विकास पदाधिकारी को चुनाव कार्य से हटा दिया गया है निर्वाचन कार्य प्रबंधन में विफल सोनो प्रखंड विकास पदाधिकारी को चुनाव कार्य से हटा दिया गया है। उनकी जगह निर्वाचन पदाधिकारी की कमान वहां के अंचलाधिकारी राजेश कुमार को दी गई है। यह आदेश जिला पदाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने जारी कर दिया है।

वही राज्य में छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 90 हजार 762 पदों पर, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन में 32 हजार से ज्यादा पदों पर शिक्षक बहाली की प्रक्रिया चल रही है। निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव संपन्न होने तक शिक्षक नियोजन को जारी रखने की अनुमति देने से मना कर दिया है।

क्या बीजेपी असदुद्दीन ओवैसी को देश का दूसरा जिन्ना बनाने में लगा है?

क्या संघ और बीजेपी हिंदू महासभा की तरह असदुद्दीन ओवैसी को दूसरा जिन्ना बनाने में मदद कर रही है । सवाल उठना लाजमी है क्यों कि मीडिया में कवरेज को लेकर एक रिपोर्ट आयी है जिसमें पीएम मोदी के बाद सबसे अधिक किसी नेता को कवरेज मिल रहा है तो वो असदुद्दीन ओवैसी है । मीडिया ओवैसी को इस तरह से पेश कर रहा है जैसे देश के 25 करोड़ मुसलमान का वही एक आवाज है जैसे कभी ब्रिटिश सरकार उस दौर में जिन्ना को दिखाने की कोशिश कर रहा था।

1- क्या हैसियत है असदुद्दीन ओवैसी की 

देश के 545 लोकसभा सीट में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पार्टी का मात्र दो सांसद है एक खुद असदुद्दीन ओवैसी  है दूसरा महाराष्ट्र से गठबंधन में जीत करके आया है ।इसी तरह देश के 4126 विधानसभा सीटों में AIMIM के विधायकों की संख्या मात्र 14 है। तेलंगाना विधानसभा में विधायकों की संख्या सात है वो भी गठबंधन में, पांच बिहार में है और दो महाराष्ट्र में है।यही इसकी राजनीतिक हैसियत है ।  बात अगर वोट प्रतिशत की करे तो तेलंगाना विधानसभा चुनाव में  2.7 फीसदी वोट मिले थे AIMIM को ।बिहार में AIMIM को 1.24 फीसद वोट मिला है और इसी तरह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में AIMIM 1.34 प्रतिशत वोट मिला था ।और इस बार के बंगाल विधानसभा की बात करे तो AIMIM को 0.01%  वोट मिला था । मतलब पूरे देश में इसकी जमा पूंजी मात्र 4.66 प्रतिशत वोट का है और टीवी पर इसकी सभा और मुस्लिम विषय से जुड़े मामले में कुल समय की बात करे तो 99 प्रतिशत हिस्सा ओवैसी को मिलता है यह आंकड़ा हिंदी चैनल से जुड़ा है जहां इसकी जमा पूंजी 5 विधायक और 1.24 प्रतिशत वोटों का है ।

2- असदुद्दीन ओवैसी की राजनीति को स्थापित करने की कोशिश क्यों चल रही है

ये सवाल लाजमी है और इसको समझने की भी जरूरत है क्यों कि एक ऐसा नेता जिसकी राष्ट्रीय फलक पर कोई हैसियत नहीं है उसको इतनी तब्बजों क्यों दी जा रही है ।चलिए आजादी के आंदोलन के दौर में चलते हैं जिन्ना जो सूअर का मांस खाता था ,शराब पीता था मतलब वो दूर दूर तक मुसलमान नहीं था ब्रिटिश सरकार ने उसको मुस्लिम नेता के रूप में आगे बढ़ाया जबकि उस समय खान गफ्फार खान मौलाना आजाद जैसे बड़े नेता देश में मौजूद थे लेकिन सारे नेता टू नेशन थ्योरी के खिलाफ थे। अंग्रेज भारत को कमजोर करना चाहते थे जिन्ना उसके लिए जरुरी था इसलिए जिन्ना को स्थापित करने के लिए उस समय की मीडिया और अन्य संसाधनों का पूरा उपयोग किया । यही राजनीति ओवैसी के सहारे  बीजेपी कर रही है ताकि हिन्दी पट्टी में मुस्लिम वोट का बटवारा हो और बीजेपी सरकार को सरकार बनाने में परेशानी नहीं हो।

3- ओवैसी की राजनीति देश को तालिबान की तरफ धकेल रहा है  

दुनिया में भारत दूसरे नम्बर का देश है जहां सबसे ज्यादा मुसलमान रहता है फिर भी हालात अधिकांश मुस्लिम राष्ट्र से बेहतर भारत का है इसकी वजह भारतीय मुसलमान धार्मिक रूप से उतने कट्टर नहीं है जितने अन्य देशों में है। ओवैसी कर किया रहा है या फिर ओवैसी के परिवार की राजनीति हैदराबाद में क्या रही है कहने की जरूरत नहीं है। इसलिए सत्ता के लिए राजनीतिक दल किसी भी स्तर तक जाकर खेल खेलता है।

आज ओवैसी के सहारे बीजेपी भले ही सत्ता पा ले जैसे बिहार में मिल गया लेकिन इसका दुरगामी प्रभाव जिन्ना के टू नेशन थ्योरी जैसा हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी । यही सियासत है आजादी के आंदोलन के दौरान हिन्दू महासभा मुस्लिम लिंग के साथ सरकार चला रही थी और 1942 के आंदोलनकारियों पर गोली चलाने का हुक्म दे रहा था और आज उसके सहारे सत्ता में बने रहने के लिए ओवैसी जैसे नेता को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है ।

मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की

मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की

मुख्य बिन्दु

• सभी जिलों में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय खोलें।

• अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावासों, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावासों, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्रों, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालयों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति छात्रावासों के साथ-साथ सभी अल्पसंख्यक छात्रावासों में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु ऑन लाइन क्लास / कोचिंग की सुविधा प्रारंभ की जायेगी।

• जिन जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास निर्माणाधीन हैं, उनका निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण करें।
• अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेघावृत्ति योजनाओं के अंतर्गत छात्र/छात्राओं के बकाये छात्रवृत्ति / प्रोत्साहन राशि का भुगतान शीघ्र करें।

पटना, 09 अक्टूबर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की। बैठक में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार ने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की अद्यतन जानकारी दी।

उन्होंने मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधा वृत्ति योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधा वृत्ति योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग प्री मैट्रिक छात्र योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग प्रेवेशिकोत्तर योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास योजना, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल

सेवा प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग छात्रावास अनुदान योजना तथा छात्रावासों में खाद्यान आपूर्ति योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी जिलों में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय खोलें। जिन जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास निर्माणाधीन हैं, उनका निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण करें।

उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजनाओं के अंतर्गत छात्र / छात्राओं के बकाये

छात्रवृत्ति / प्रोत्साहन राशि का भुगतान शीघ्र करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावासों, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावासों, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्रों, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू

उच्च विद्यालयों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति छात्रावासों के साथ-साथ सभी अल्पसंख्यक छात्रावासों में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु ऑन लाइन क्लास / कोचिंग की सुविधा प्रारंभ की जायेगी इस हेतू सभी व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जानकारी दी गई है कि मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना से छात्र / छात्राएं काफी लाभान्वित हो रहे हैं, यह खुशी की बात है।

राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं, कई मेडिकल कॉलेज भी खोले जा रहे हैं ताकि यहां के छात्र/छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहूलियत हो ।

बैठक में उप मुख्यमंत्री-सह-पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की मंत्री श्रीमती रेणु देवी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव शिक्षा श्री संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री एस० सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री पंकज कुमार पाल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के विशेष सचिव श्री वीरेन्द्र प्रसाद यादव एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे।

रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के बहाने खुब हुई सियासत

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्‍थापक रामविलास पासवान की पहली पुण्‍यतिथि के मौके पर चाचा-भतीजे ने अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया। चाचा पशुपति पारस पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में, तो भतीजे चिराग पासवान ने दिल्ली स्थित 12, जनपथ में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था ।

पटना में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ,राज्यपाल ,नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव ,पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी केन्द्रीयमंत्री गिरिराज सिंह सहित कई नेता शामिल हुए।

वही दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बीजेपी पहली बार चिराग से दूरी बनाते हुए दिखे दिल्ली में रहने के बावजूद पीएम मोदी ,गृहमंत्री अमित शाह,बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड़्डा श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। बीजेपी के वैसे ही नेता शामिल हुए जिनसे रामविलास पासवान का व्यक्तिगत रिश्ता रहा था रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे थे हलाकि इस मौके पर राहुल गांधी, लालू प्रसाद सहित विपक्ष के कई नेता जरुर पहुंचे थे।

जिस गर्म जोशी से राहुल ,चिराग और लालू प्रसाद के बीच 15 मिनट से अधिक समय तक अकेले में बात हुई आने वाले भविष्य में एक अलग तरह की राजनीति के संकेत साफ दिख रहे थे हलाकि बीजेपी के सीनियर नेताओं के दूरी बनाये रखने के सवाल पर चिराग ने कहां ऐसी कोई बात नहीं है सभी लोगों का फोन आया था ।

छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर तीसरे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण सम्पन्न लगभग 60 प्रतिशत हुई है वोटिंग

छिटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो बिहार पंचायत चुनाव का तीसरा चरण शांतिपूर्ण ढ़ग से सम्पन्न हो गया ।हालांकि कई जिलों में मतगणना केंद्रों पर अभी वोटिंग चल रही है। लाइन में लगे सभी मतदाता वोटिंग कर रहे हैं। दो जगह पुनर्मतदान होगा और 200 सौ से अधिक उपद्रवियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है

हलाकि तीसरे चरण की वोटिंग के दौरान कई जिलों में हल्की झड़प हुई। भोजपुर के जंगल महाल पंचायत के बूथ नंबर 112 पर दो प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। विवाद के बाद हुई मारपीट में 2 लोगों का सिर फटा गया। इसके बाद बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया था। वहीं, नालंदा के नगरनौसा प्रखंड के खजुरा पंचायत के बूथ नंबर 19 पर थानाध्यक्ष नारद मुनी की गाड़ी पर ही लोगों ने पथराव कर दिया। इस मामले में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया।दरभंगा जिले के बहेड़ी प्रखंड की हावीडीह उत्तरी पंचायत के बसकट्टी गांव में बूथ संख्या 233 पर गड़बड़ी फैलाने के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

पंचायत चुनाव बिमार काका जी वोट देने पहुंचे हैं आक्सीजन सिलेंडर

इस बीच मीडिया से बात करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समस्तीपुर के उजियारपुर के वार्ड नंबर 8 में फिर से वोटिंग होगी आज 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया इस बार भी महिलाओं ने पुरुष से ज्यादा वोट डालें कुछ स्थानों पर अभी भी मतदान चल रहा है ।बायोमेट्रिक की व्यवस्था सफल हुई मुजफ्फरपुर के मुरौल में वार्ड नंबर 4 में दोबारा मतदान होगा और राज्य निर्वाचन आयुक्त ने मतदान केंद्रों पर कोविड-प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने मामले में कहा कि इस मामले को मैं खुद अपने स्तर से देख लूंगा और आगे इसको लेकर के व्यवस्था की जाएगी इस चरण में बोगस मतदान नहीं हुए हैं।

नाव पर चढ़कर लोग वोट देने पहुंचे

अभी तक जो जानकारी मिल रही उसके अनुसार लगभग 60 प्रतिशत वोटिंग होने की खबर है ।

क्या खास रहा तीसरे चरण के चुनाव में–
1—58.9 प्रतिशत वोटिंग हुई है

2–कुल 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया है

3–दरभंगा जिले के बहेड़ी प्रखंड की हावीडीह उत्तरी पंचायत के बसकट्टी गांव में बूथ संख्या 233 पर गड़बड़ी फैलाने के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

4—समस्तीपुर के उजियारपुर के वार्ड नंबर 8 में फिर से वोटिंग होगी

5– मुजफ्फरपुर के मुरौल में वार्ड नंबर 4 में दोबारा मतदान होगा

6–भोजपुर के जंगल महाल पंचायत के बूथ नंबर 112 पर दो प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। विवाद के बाद हुई मारपीट में 2 लोगों का सिर फटा गया।

7—समस्तीपुर –बूथ संख्या 244 पर हंगामा ,मतदाता और पुलिस कर्मी के बीच झड़प ,उजियारपुर प्रखंड के रामचन्द्रर पुर अन्हेल की घटना ।

इस बार भी महिलाए पुरुष से ज्यादा वोट दी है

8–हाजीपुर–जनदाहा प्रखंड के कजरी बुजुर्ग गाँव स्थित मतदान केन्द्र
संख्या 200 पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा अपनी पत्नी के साथ अपने मताधिकार का किया प्रयोग ।

9–मुजफ्फरपुर-मुरौल के हरसिंहपुर लौतन बूथ संख्या-82 पर वैलेट पेपर में मिसप्रिंट के कारण तीन घंटे बाद शुरू हुआ मतदान ।

10–गोपालगंज जिले के भोरे के हुस्सेपुर पंचायत में मतदान के दौरान बवाल हुआ। यहां मतदान करने आए वोटरों ने BDO पर गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाया है। नाराज लोगों ने बूथ से BDO को खदेड़ दिया।

11—नवादा –वोट का किया बहिष्कार
रजौली में सिरोडाबर पंचायत की बूथ संख्या-162 पर वोट देने के लिए वोटर नहीं पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो मुखिया प्रत्याशी के समर्थकों ने वोटिंग से पहले मारपीट की है। इसके विरोध में मतदान बहिष्कार कर दिया है।

12–बेतिया के सेमरी पंचायात के बूथ संख्या 305 पर बवाल। सेक्टर मजिस्ट्रेट की गाड़ी का लोगों ने तोड़ा शीशा।

13–भोजपुर के जगदीशपुर में गश्ती पार्टी की ओर से धनगाई थाने के समीप बसौना पंचायत की बूथ संख्या 49 के पास निवास करने वाले लोगों को घर में घुसकर पीटने के आरोप में लोगों ने तत्काल वोट डालना बंद कर दिया। आरा-बक्सर हाइवे पर धनगाई थाने के समीप सड़क जाम कर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

14–मुंगेर– जिले के संग्रामपुर प्रखंड के बूथ नंबर 35 एवं 43 पर EVM खराब होने की वजह से मतदान बाधित।
बक्सर के लखन डिहरा पंचायत के बूथ नंबर 2, 7, 8, 10 पर EVM पिछले 2 घंटे से खराब है।

15–बक्सर–
डुमरांव के मतदान केद्रों पर इस बार कोरोना की वैक्सीन भी देने की व्यवस्था कराई गई है।
दरभंगा–बहेड़ी के ग्राम पंचायत राज इनाई के बूथ संख्या 280 एवं 283 पर दो घंटे तक ईवीएम खराब रहने के कारण सुबह नौ बजे बजे के बाद शुरू हुई वोटिंग।

16—सुपौल–रानीगंज प्रखंड के छतियोना में पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय छतियोना बूथ संख्या 312 में जिला परिषद सदस्य पद का ईवीएम मशीन में गड़बड़ी होने के कारण 7 बजे से ही मतदान बंद है।

पंचायत चुनाव का तीसरा चरण छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शातिपूर्ण ढ़ग से चल रहा है

बिहार पंचायत चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग चल रही है छिटपुट घटना को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है सुबह 6 बजे से ही महिला और पुरूष मतदान केंद्र पर पहुंचने लगे थे हलाकि जैसे जैसे घूप तेज होती गयी मतदान का प्रतिशत कम होता चला गया दोपहर 2 दो बजे तक 30 से 40 प्रतिशत वोटिंग की खबर है हलाकि इस बार पहले के तुलना में ईभीएम के खराब होने खबर कम आयी फिर भी दो दर्जन मतदान केन्दों पर मतदान जरुर प्रभावित हुआ ।

मतदान केंद्र पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। इस चरण में 35 जिलों के 50 प्रखंडो में चुनाव होना है। सुबह 7 बजे से शुरू हुआ मतदान शाम 5 तक चलेगा। तीसरे चरण के कुल 23 हजार 128 पदों के लिए 81 हजार 616 उम्मीदवार मैदान में हैं।

गोपालगंज के भोरे इलाके की हुस्सेपुर पंचायत में मतदान के दौरान बवाल हो गया। यहां मतदान करने आए वोटरों ने BDO पर गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाया। इसके बाद नाराज लोगों ने बूथ से BDO को खदेड़ दिया। इधर, दरभंगा में चुनाव के दौरान गश्ती पर निकले SSP के काफिले पर पथराव हो गया है। एक गाड़ी का शीशा फूट गया है। मतदान केंद्र पर से भीड़ हटाए जाने के बाद आक्रोशित हो गए थे ग्रामीण।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष पत्नी संग वोट देने पहुंचे

वही रोहतास-पंचायत चुनाव के मतदान के दौरान ग्रामीणों का हंगामा।पुलिस प्रशासन पर गाली गलौज तथा एक तरफा कार्रवाई का आरोप।पुलिस पर एक मुखिया उम्मीदवार के पक्ष में काम करने का आरोप।कछवा ओपी के दनवार में लोगों ने सड़क किया जाम।एसपी आशीष भारती पहुंचे मौके पर दनवार पंचायत का है मामला।

पंचायत चुनाव अपडेट

1—2 बजे तक 30 से 40 प्रतिशत वोटिंग हुई है

2—कैमूर के चैनपुर प्रखंड के जगरिया पंचायत में बूथ पर बायोमैट्रिक सिस्टम में गड़बड़ी आ गई है। इस कारण मतदान विलम्भ से शुरु हुआ । जगदीशपुर प्रखंड में कौंरा पंचायत में बूथ संख्या 9,10 का EVM खराब होने कि वजह से मतदान विलम्भ से शुरु हुआ ।

3–मोतिहारी–घोड़ासहन के बूथ संख्या 192 पर EVM में आई खराबी के कारण मतदान विलम्भ से शुरु हुआ

4–भोजपुर के जगदीशपुर के तेंदूनी मध्य विद्यालय की मतदान संख्या 77 पर 60 मिनट से ईवीएम मशीन खराब रहने कि वजह से मतदान विलम्भ से शुरु हुआ ।

5—भोजपुर के कौंरा पंचायत के कौंरा गांव में बूथ संख्या 9,10 के ईवीएम भी आयी खराबी के कारण मतदान विलम्भ से शुरु हुआ

6– औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखंड की गोठौली पंचायत के बूथ संख्या 42 पर इवीएम मशीन में खराबी के कारण विलम्भ से शुरु हुआ मतदान

7—समस्तीपुर –बूथ संख्या 244 पर हंगामा ,मतदाता और पुलिस कर्मी के बीच झड़प ,उजियारपुर प्रखंड के रामचन्द्रर पुर अन्हेल की घटना ।

8–हाजीपुर–जनदाहा प्रखंड के कजरी बुजुर्ग गाँव स्थित मतदान केन्द्र
संख्या 200 पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा अपनी पत्नी के साथ अपने मताधिकार का किया प्रयोग ।

9–मुजफ्फरपुर-मुरौल के हरसिंहपुर लौतन बूथ संख्या-82 पर वैलेट पेपर में मिसप्रिंट के कारण तीन घंटे बाद शुरू हुआ मतदान ।

10–गोपालगंज जिले के भोरे के हुस्सेपुर पंचायत में मतदान के दौरान बवाल हुआ। यहां मतदान करने आए वोटरों ने BDO पर गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाया है। नाराज लोगों ने बूथ से BDO को खदेड़ दिया।

11—नवादा –वोट का किया बहिष्कार
रजौली में सिरोडाबर पंचायत की बूथ संख्या-162 पर वोट देने के लिए वोटर नहीं पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो मुखिया प्रत्याशी के समर्थकों ने वोटिंग से पहले मारपीट की है। इसके विरोध में मतदान बहिष्कार कर दिया है।

12–बेतिया के सेमरी पंचायात के बूथ संख्या 305 पर बवाल। सेक्टर मजिस्ट्रेट की गाड़ी का लोगों ने तोड़ा शीशा।

13–भोजपुर के जगदीशपुर में गश्ती पार्टी की ओर से धनगाई थाने के समीप बसौना पंचायत की बूथ संख्या 49 के पास निवास करने वाले लोगों को घर में घुसकर पीटने के आरोप में लोगों ने तत्काल वोट डालना बंद कर दिया। आरा-बक्सर हाइवे पर धनगाई थाने के समीप सड़क जाम कर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

14–मुंगेर– जिले के संग्रामपुर प्रखंड के बूथ नंबर 35 एवं 43 पर EVM खराब होने की वजह से मतदान बाधित।
बक्सर के लखन डिहरा पंचायत के बूथ नंबर 2, 7, 8, 10 पर EVM पिछले 2 घंटे से खराब है।

15–बक्सर–
डुमरांव के मतदान केद्रों पर इस बार कोरोना की वैक्सीन भी देने की व्यवस्था कराई गई है।
दरभंगा–बहेड़ी के ग्राम पंचायत राज इनाई के बूथ संख्या 280 एवं 283 पर दो घंटे तक ईवीएम खराब रहने के कारण सुबह नौ बजे बजे के बाद शुरू हुई वोटिंग।

16—सुपौल–रानीगंज प्रखंड के छतियोना में पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय छतियोना बूथ संख्या 312 में जिला परिषद सदस्य पद का ईवीएम मशीन में गड़बड़ी होने के कारण 7 बजे से ही मतदान बंद है।

रामविलास पासवान का पहली बरसी आज

रामविलास पासवान का पहली बरसी आज,पटना में पार्टी कार्यालय में आयोजित है श्रद्धांजलि
मंत्री पशुपति कुमार पारस के निर्देशन में चल रहा है कार्यक्रम,श्रद्धांजलि के बाद मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा किआज ही के दिन रामविलास पासवान जी का निधन हुआ था उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हम सब इकट्ठा हुए हैं।

रामविलास पासवान ने जो काम किया है उसको सदैव लोग जानते रहेंगे।हमारा संबंध रामविलास पासवान से बहुत पहले का है जब से जेपी मूवमेंट शुरू हुआ था तब से हमारा संबंध है।उनके जाने की अभी उम्र नहीं थी ,राम विलास पासवान की स्मृति को लोगों तक पहुँचाने के लिए काम किया जाएगा।

बीजेपी जातीय कुबना की राजनीति से बाहर निकल नहीं पायी चेहरा बदला है सोच वहीं पूरानी है

भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति में बिहार को जो भागीदारी मिली है उससे यह संकेत साफ है कि बिहार बीजेपी में सुशील मोदी ,नंद किशोर यादव,प्रेम कुमार,अश्वनी चौबे और सीपी ठाकुर युग का अब अंत हो गया है और अब पार्टी बिहार में संजय जयसवाल,गिरिराज सिंह ,नित्यानंद राय और मंगल पांडेय के सहारे आगे बढ़ेंगी ।

1—30 वर्षों बाद भी बीजेपी जातीय कुनबा वाली राजनीति से बाहर नहीं निकल पाया
बिहार में बीजेपी का दूसरा एरा लालू प्रसाद के सत्ता में आने के साथ ही 1990 से शुरू हुआ और उस दौर में सुशील मोदी पार्टी के युवा चेहरा हुआ करते थे झारखंड अलग होने के बाद उन्होंने कैलाशपति मिश्र के एरा को खत्म कर बीजेपी को सवर्ण और बनिया की पार्टी से बाहर निकालने की कोशिश शुरू किया।

हालांकि सुशील मोदी को भी इसमें खास सफलता हासिल नहीं हुई और यही वजह रहा कि सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी को आज भी नीतीश कुमार जैसे नेताओं की जरूरत है।

इस बार भी राष्ट्रीय कार्यसमिति में बिहार को जो भागीदारी मिली है उसको देखने से यही लगता है कि बीजेपी सिर्फ चेहरा बदला है सोच वही पुरानी है ।सुशील मोदी की जगह संजय जयसवाल ,सीपी ठाकुर की जगह गिरिराज सिंह ,नंद किशोर यादव की जगह नित्यानंद राय,अश्विनी कुमार चौबे की जगह मंगल पांडेय ,कीर्ति झा आजाद की जगह गोपाल जी ठाकुर और अति पिछड़ा प्रेम कुमार की जगह रेणु देवी को जगह दिया गया ,राजपूत नेता में टीम मोदी को राजीव प्रताप रूडी पसंद नहीं है ऐसे में इनके पास राधा मोहन सिंह को छोड़कर कोई दूसरा नेता है नहीं ।

2—- इन नये चेहरों से बिहार बीजेपी क्या साधना चाहती है
इन चेहरे के पीछे पार्टी की सोच को अगर देखे तो बीजेपी बिहार में गिरिराज सिंह के सहारे भूमिहार को साधना चाहती है, इनकी वैसी पहचान है क्या जो कैलाशपति मिश्र और सीपी ठाकुर का जगह ले सके । इसी तरह संजय जयसवाल कभी सुशील मोदी का जगह ले सकते हैं , मंगल पांडेय और गोपाल जी ठाकुर कभी भी बिहार बीजेपी के पुराने ब्राह्मण नेता की जगह ले सकते हैं।हलाकि नित्यानंद राय नंद किशोर यादव से यादव मतदाताओं के बीच ज्यादा प्रभावी हैं लेकिन नित्यानंद राय जब तक लालू प्रसाद का परिवार है यादव में उनका प्रवेश बहुत मुश्किल है।

फिर अति पिछड़े की बात करे तो रेणु देवा पर दाव लगाना उसी तरह है जैसे प्रेम कुमार 20 वर्षो से अधिक समय से विधायक और मंत्री रहे।
मतलब जिन नये चेहरे पर बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व भरोसा जताया है उसमें फिलहाल वो क्षमता नहीं है जिसके सहारे बिहार में बीजेपी कुछ खास कर पाए ।

3—बीजेपी प्रभारी में बदलाव का क्या प्रभाव पड़ेगा बिहार की राजनीति पर
नरेन्द्र मोदी बिहार को लेकर काफी सावधान रहे हैं क्यों कि बिहार ऐसा पहला राज्य था जहां उनके पीएम रहने के बावजूद कुछ करिश्मा नहीं कर पाये, 2015 के विधानसभा चुनाव में पूरी कमान मोदी और शाह उठा रखे थे लेकिन पार्टी औंधे मुंह गिर गयी थी।

पीएम मोदी अभी भी सुशील मोदी को माफ करने को तैयार नहीं है ऐसे में टीम मोदी शुरु से ही सुशील मोदी के विकल्प में लगा हुआ है इस बार बिहार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने के पीछे भी वजह यह रही है ।

हालांकि भूपेन्द्र यादव को जिस उद्देश्य बिहार का प्रभारी बनाया गया था उस उद्देश्य में बीजेपी कामयाब नहीं हो पाया पहली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यादव को सबसे ज्यादा टिकट दिया लेकिन अधिकांश उम्मीदवार उनके हार गये।

नित्यानंद राय को गृह राज्यमंत्री बनाया गया फिर भी यादव वोटर को खीच नहीं पाये उलटे मध्य बिहार के इलाके में बीजेपी का जो परंपरागत वोट रहा है वो साथ छोड़ दिया हालांकि अंतिम समय में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार भेज करके नाराज सवर्ण वोटर को बनाने की कोशिश कि गयी थी लेकिन वो सफल नहीं हुआ तो अंत में चिराग को मैदान में उतरना पड़ा ।

ऐसे में हरीश द्विवेदी को बिहार का प्रभारी बनाये जाने से कोई बड़ा बदलाव होता नहीं दिख रहा क्यों कि बिहार में बीजेपी का जो कोर वोटर है सवर्ण और बनिया वही बीजेपी से खफा है और इसका लाभ राजद 2020 के विधानसभा चुनाव में बनिया को टिकट देकर उठा चुका है।

वही हरीश द्विवेदी के आने से यूपी में जदयू का बीजेपी के साथ गठबंधन होने में सहजता होगी ऐसा भी नहीं दिख रहा तो फिर हरीश द्विवेदी को बिहार का प्रभारी बनाये जाने के पीछे बीजेपी की सोच क्या है आगे आगे देखिए होता है क्या लेकिन इतना तो तय दिख रहा है कि इस टीम से बीजेपी की निर्भरता नीतीश पर हमेशा बनी रहेगी ।

बीजेपी ने बिहार में जनसंख्या नियंत्रण पर उठाया सवाल कहां जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं हुआ तो विकास के पैमाने पर कभी भी बिहार खड़ा नहीं उतर सकता है ।

बिहार में नीति आयोग और जातीय जनगणना को लेकर जारी सियासत के बीच बीजेपी ने जनसंख्या नियंत्रण के सहारे बड़ा राजनैतिक दाव खेला है ।BJP के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि नीति आयोग के पैमाने पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है बिहार में सबसे बड़ी चुनौती जनसंख्या नियंत्रण है और उस पर गंभीरता से विचार करेने की जरुरत है।
बिहार को बचाना है तो बांग्लादेश जैसा काम करना होगा। बांग्लादेश में नमाज के बाद नमाजियों को छोटा परिवार रखने की सलाह दी जाती है। 2 ही बच्चे रखने को कहा जाता है।

जायसवाल ने कहा – नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का जो हाल दिखाया गया है, वो बढ़ती जनसंख्या का नतीजा है। रिपोर्ट पर सवाल उठाना गलत है। आयोग सभी राज्यों को एक पैमाने पर मानते हुए रिपोर्ट बनाता है। आज से 4 साल पहले बिहार और उत्तर प्रदेश लगभग बराबर थे। आज उत्तर प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर 3.6 से घटकर 2.5 हो गई है। बिहार में 3.5 से घटकर 3.2 पर है। दक्षिण के राज्यों ने भी जनसंख्या नियंत्रित किया है, जिसका फायदा उन्हें आगे बढ़ने में मिल रहा है। बिहार में ऐसा नहीं हो सका है। बिहार को जनसंख्या नियंत्रण पर काम करना होगा। नहीं तो विकास की गांड़ी कभी भी पटरी पर नहीं आएगी ।

कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला तेजस्वी के लिए आत्मधाती हो सकता है

बिहार विधानसभा के दो सीटों पर होने वाली उप चुनाव को लेकर बिहार में सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया है ।जदयू के लिए इन दोनों  सीटों पर चुनाव जीतना पार्टी के जीवन और मरण से जुड़ा हुआ है। वही राजद इस चुनाव के सहारे यह तय करना चाह रही है कि आने वाले समय में महागठबंधन का स्वरूप क्या होगा।

जदयू उप चुनाव में दोनों सीट पर जीत हासिल करे इसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है और पार्टी में चल रहे अंतर्विरोध पर विराम लगाते हुए नीतीश कुमार ने कुशेश्वर स्थान विधानसभा उप चुनाव का कमान आरसीपी सिंह को दिया है और तारापुर का कमान ललन सिंह को दिया है।

वही ऐसा लगा रहा है जैसे राजद 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर कांग्रेस की क्या हैसियत रहेंगी इसको लेकर लड़ाई लड़ रहा है।बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तेजस्वी के सामने प्राथमिकता मिल कर चुनाव लड़ने की होनी चाहिए थी क्यों कि उपचुनाव में जदयू दोनों सीट हार जाती है तो तेजस्वी और मजबूत होंगे।

लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से तेजस्वी के साथ बिहार के युवा जुड़े उससे तेजस्वी का विश्वास चरम पर है ऐसे में तेजस्वी बिहार विधानसभा के इस उप चुनाव के सहारे कांग्रेस के कन्हैया फैक्टर और चाचा नीतीश से एक साथ दो दो हाथ करने की तैयारी कर ली हालांकि जानकार कहते हैं तेजस्वी का यह फैसला आत्मघाती भी साबित हो सकता है और इस बात को लालू प्रसाद बखूबी समझ भी रहे हैं और यही वजह है कि लालू प्रसाद पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में बीमार रहने के बावजूद प्रचार करने का फैसला लिया है।

1–नीतीश कुमार का राह आसान हो गया  
2020 के विधानसभा चुनाव का जो परिणाम सामने आया था उससे नीतीश को काफी धक्का लगा भले ही नीतीश के उस हार का सेहरा चिराग के सिर बंधा था लेकिन सच्चाई ये भी था कि बिहार की जनता नीतीश से उब चुकी थी और कुछ नया करना चाह रही थी अभी भी नीतीश कुमार को लेकर जमीन पर अभी भी नजरिया नहीं बदला है लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी कांग्रेस को अलग करके महागठबंधन को तोड़ा है उससे नीतीश कुमार की राह आसान हो गयी ।

क्यों कि कांग्रेस से अलग होने की स्थिति में इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में चिराग फैक्टर कमजोर पड़ जायेगा क्यों कि नीतीश विरोधी वोट उस तरह के आक्रमक नहीं हो पाएगा जैसा 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला था ।ऐसा इसलिए होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग के साथ पासवान छोड़कर जो भी वोटर जुड़े थे उनकी एक ही मंशा था नीतीश को हराना है लेकिन इस उप चुनाव में कांग्रेस के अलग होने से नीतीश से नाराज वोटर चिराग के साथ पूरी तौर चला जायेगा ऐसा होता दिख नहीं रहा है क्यों कि नाराज वोटर के चिराग के साथ जाने के बावजूद नीतीश कुमार हारते हुए नहीं दिख रहे हैं ऐसे में बिहार को कोई वोटर अपना वोट बर्वाद नहीं करना चाहेगा क्यों कि बिहार के वोटरों का लक्ष्य स्पष्ट रहता है ।

 वैसे महागठबंधन साथ चुनाव लड़ता तो कुशेश्वर स्थान जहां कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक राम का अपना व्यक्तिगत संबंध 1980 से है जब उनके पिता बालेश्वर राम रोसड़ा से लोकसभा चुनाव लड़े थे और वो संबंध पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा है ।इसलिए राजद पूरी ताकत भी झौक देगी तब भी यादव और मुस्लिम वोट में 20से 30 प्रतिशत डिवीजन कराने में कामयाब हो जायेंगे इसके अलावा दलित में राम जाति का भी वोट वहां है।

वही बात चिराग की करे तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनका उम्मीदवार 13 हजार से अधिक वोट लाया था फिर भी जदयू सात हजार से अधिक वोट से जीत गया था इस बार अगर महागठबंधन साथ रहता तो चिराग यहां करिश्मा कर सकता था क्यों कि रामविलास पासवान का ननिहाल कुशेश्वर स्थान ही है और रामविलास पासवान और रामचंद्र पासवान रोसड़ा लोकसभा से जब चुनाव लड़ते थे उस समय कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ता था इसलिए रामविलास पासवान का भी इस इलाके से घरेलू रिश्ता रहा है और इस इलाके के ब्राह्मण और राजपूत वोटर से इनका व्यक्तिगत रिश्ता रहा है लेकिन महागठबंधन टूटने से चिराग खास करके सवर्ण वोटर जो जदयू प्रत्याशी शशी हजारी से खासा नाराज है ऐसे में चाह करके भी वोट नहीं दे पाएंगा क्यों कि इस स्थिति में राजद उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है अगर कांग्रेस रहता तो यहां को सवर्ण वोटर यह दांव खेल सकता था।

ऐसी ही स्थिति तारापुर विधानसभा में भी उत्पन्न हो सकती है चिराग के प्रत्याशी को  2020 के चुनाव में यहां सात हजार के करीब वोट आया था इस बार सात हजार वोट भी आ जाये तो बड़ी बात होगी क्योंकि यहां भी गठबंधन टूटने का असर दिखेगा अगर पप्पू यादव कांग्रेस से लड़ गया तो फिर राजद का हार निश्चित है ।

 2– अब उपचुनाव में तेजस्वी का साख दाव पर लग गया है 
हालांकि महागठबंधन साथ साथ चुनाव लड़ता और जदयू चुनाव जीत भी जाती तो राजद के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन अब अगर राजद दोनों सीट हार जाती है और कांग्रेस मुस्लिम वोट में डिवीजन कराने में कामयाब हो जाती है तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में चुनाव में राजद उस हैसियत में चुनाव नहीं लड़ पायेंगी जिस हैसियत राजद 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था वही दूसरी और जिस तरीके से कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा सहित कई विधायक राजद से दो दो हाथ करने की बात रह रहे हैं ऐसे में कांग्रेस आलाकमान थोड़ा कमजोर पड़े तो उप चुनाव बाद कांग्रेस के विधायकों में बड़ी टूट हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

 इसलिए तेजस्वी का यह दाव आत्मघाती साबित हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि कांग्रेस के अलग होने से नीतीश कुमार एक बार फिर मजबूत हो सकते हैं और ऐसे में नीतीश कुमार बीजेपी से और अधिक से अधिक मोलजोल करने की स्थिति में आ जायेंगे ।

बिहार के अस्पतालों के हाल पर तेजस्वी ने नीतीश पर बोला हमला कहां नीतीश जी भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह है ।

नीति आयोग के रिपोर्ट को लेकर घमासान शुरु हो गया है नीतीश कुमार ने कल मीडिया से बात करते हुए कहा था कि देश के सभी राज्यों को मापने का एक आधार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो विकसित राज्य हैं और जो पिछड़े हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखा जाना चाहिए। इससे पिछड़े राज्यों को आगे लाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद बिहार है लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से 12वें स्थान पर है।

1—नीति आयोग ने बिहार के साथ भेदभाव किया है

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर काम हुए हैं। याद करिए बिहार के अस्पतालों में कुत्ता सोया करता था उस दौर ये बिहार यहां पहुंचा आईजीआईएमएस काम नहीं कर रहा था। अब कितना अच्छा काम कर रहा है। नीति आयोग को पता है कि हमलोग पीएमसीएच को कितने बड़े अस्पताल के रूप में कन्वर्ट कर रहे हैं। देश में ऐसा अस्पताल नहीं है। 5400 बेड का अस्पताल बन रहा है, जिसका काम शुरू हो गया है।
तय कर दिया की चार साल के अन्दर यह काम पूरा होगा। प्रधानमन्त्री के जन्मदिन पर 33 लाख टीकाकरण किया। बापू के जन्मदिन पर 30 लाख का टीकाकरण किया गया, लेकिन काम भी देखना चाहिए। स्वास्थ्य मामलों को लेकर जो रिपोर्ट आई है, उस पर हम लोग अपनी बात नीति आयोग को भेजेंगे और अगली बार मैं खुद नीति आयोग के बैठक में शामिल होंगे ।

2– तेजस्वी का नीतीश कुमार पर बड़ा हमला

आज इसको लेकर तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है और बिहार के अस्पतालों का क्या हाल है उससे जुड़ी तस्वीरे जारी करके नीतीश कुमार से सवाल किया है कि भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह और बिहार के एडिटर इन चीफ़ श्री नीतीश कुमार जी कल कह रहे थे कि 30 बरस पहले बिहार के अस्पतालों में कुत्ते बैठते थे।

लगता है आदरणीय नीतीश कुमार जी को थकने के अलावा अब आँखों से दिखना और कानों से सुनना भी बंद हो गया है।

हाल की ही कुछ खबरें साँझा कर रहा हूँ ये उन तक पहुँचा देना, दिखा व सुना देना।

  1. ऑपरेशन थिएटर से इलाज के दौरान काटा हुआ पैर लेकर कुत्ता भागा।
  2. नवादा के अस्पताल में बेड पर बैठे कुत्ते
  3. नवजात की उँगलियाँ खा गए चूहे

यह सच्चाई देखने के बाद क्या नीति आयोग की रिपोर्ट की तरह वो यहाँ भी बोल देंगे कि यह सब झूठ है। उनकी इसी खुशफहमी ने बिहार को बर्बाद किया है।

बिहार में महागठबंधन टूटा राजद और कांग्रेस हुए जुदा जुदा

राहुल गांधी अभिमन्यु की तरह भारतीय राजनीति के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं अभी पंजाब,राजस्थान और छत्तीसगढ़ से बाहर निकल भी नही पाये थे कि बिहार में राजद वर्षो पूरानी गठबंधन को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस के परम्परागत सीट कुशेश्वरअस्थान से अपना प्रत्याशी उतार दिया है ।

कहां ये जा रहा है कि राजद कन्हैया को लेकर सहज नहीं है इसलिए उप चुनाव में राजद कांग्रेस के परम्परागत सीट पर उम्मीदवार उतार दिया है हलाकि कल से लगातार दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है लेकिन राजद कांग्रेस से आश्वासन चाहती है कि कन्हैया बिहार की राजनीति में दखल ना दे ।

1–सुविधाभोगी कांग्रेसी सकते में

वैसे बिहार के जो सुविधाभोगी राजनीति करने वाले कांग्रेसी हैं कन्हैया के आने से पहले से ही असहज थे ऐसे में राजद के इस रुख से उनकी बाँछें खिल गयी है, और अब वो मजा ले रहे हैं क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार कांग्रेस के प्रभारी गठबंधन को लेकर लालू प्रसाद से बात करने के बजाय राजद के श्याम रजक जैसे नेता से सीट को लेकर बात कर रहे थे जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है बिहार प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता बिहार उप चुनाव को लेकर संगठन के शीर्ष पर बैठे नेता और बिहार प्रभारी की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं ।

2—राहुल आर पार के मूड में है

ऐसे में राहुल के सामने बिहार को लेकर सिर मुड़ाते ही ओले पड़े वाली स्थिति उत्पन्न हो गयी है लेकिन आज सुबह राहुल ने स्पष्ट कर दिया है कि राजद कुशेश्वरअस्थान से उम्मीदवार वापस नहीं लेती है तो दोनों जगह से कांग्रेस चुनाव लड़ेंगी ।राहुल के संकेत के बाद बिहार कांग्रेस के नेता तेजस्वी पर सीधे सीधे हमला शुरु कर दिया है ।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक शकील अहमद शाह ने कहा कि बिहार उपचुनाव में महागठबंधन टूट चुका है तेजस्वी मनमानी पर उतर आये हैं उन्होंने कहा कि बिना पूछें घोषणा कर देने का मतलब है राजद भाजपा के खिलाफ वैचारिक लड़ाई से भाग रही है और कहीं ना कहीं उसे समर्थन दे रही है।

शकील अहमद खां यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि हम दोनों जगह से चुनाव लड़ेंगे और इसकी घोषणा बहुत जल्द करेंगे उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन बना था तब उस समय स्थिति ज्यादा अच्छी थी और हमारा वोटिंग का स्ट्राइक रेट भी बहुत अच्छा था राजद अपने गिरेबान में झाके क्यों जीतते जीतते हार गये ।

वही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा है कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान के लिए कांग्रेस अपना उम्मीदवार की घोषणा कल करेंगी राजद ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया और हमसे बिना पूछे राजद ने दोनों सीटों पर कैंडिडेट की घोषणा कर दी है ।

राजद के विधान पार्षद रामबली चंद्रवंशी ने कहा कि कांग्रेस के जीत का स्ट्राइक रेट कमजोर है इसलिए राजद चुनाव लड़ने का फैसला लिया है ताकि साम्प्रदायिक शक्तियां को रोक सके अब कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वो किसके साथ खड़ी रहती हैं।

देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन यह तय हो गया है कि आने वाले समय में अब राजद और कांग्रेस इस उप चुनाव में अलग अलग राह पकड़ लिये तो फिर बिहार की राजनीति की दिशा बदल जायेंगी । हो ना हो विधानसभा उप चुनाव में राजद कही दोनों सीट हार गया तो फिर तेजस्वी चक्रव्यूह में फंस जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी इसलिए लालू प्रसाद किसी भी स्थिति में चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होना चाह रहे हैं क्यों कि उन्हें भी पता है कि कांग्रेस से रिश्ता टूटा तो फिर तेजस्वी तभी मजबूत रहेगा जब उप चुनाव का दोनों सीट राजद जीत जाये ।

कन्हैया को बीजेपी पोलिटिकल पंचिंग बैग के रूप में तैयार किया है।

कन्हैया कुमार कम्युनिस्टों की प्याली में तूफान पैदा करने वाले पहले युवा नेता नहीं हैं। मुझे इस संदर्भ में देवी प्रसाद त्रिपाठी (डीपीटी) की याद आती है, जो 1975 से 1976 तक एसएफआई की ओर से जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। जेएनयू जब मैं आया, डीपीटी हम छात्रों के बीच आइकॉन थे। 1983 में ख़बर मिली कि डीपीटी तत्कालीन कांग्रेस महासचिव राजीव गांधी के सलाहकार हो गये। डीपीटी की क्रांतिकारी-वैचारिक छवि ऐसी भरभरा कर गिरी कि छात्रों का किसी भी आइकॉन पर से भरोसा उठ गया। मगर, डीपीटी की महत्वाकांक्षा 1999 में एनसीपी में आने के बाद पूरी हुई। 3 अप्रैल 2012 से 2 अप्रैल 2018 तक डीपीटी राज्यसभा सदस्य रहे।

लोक सभा के पूर्व सदस्य रामराज (अब डॉ. उदितराज) जेएनयू में एसएफआई राजनीति से निकले थे. इनकम टैक्स के एडिशनल कमिश्नर थे, 24 नवम्बर 2003 को पद से इस्तीफा देकर इंडियन जस्टिस पार्टी खड़ी की, फ़रवरी 2014 में बीजेपी ज्वाइन किया, और चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2019 में बीजेपी से टिकट मिलने की मनाही के बाद उदित राज ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. प्रश्न है, कांग्रेस में जाकर उदित राज अखिल भारतीय दलित चेहरा क्यों नहीं बन पा रहे? बिहार-बंगाल के चुनावों में पिछड़ों, अनुसूचितों के बीच उन्हें प्रोजेक्ट नहीं किया जा सका, पंजाब, यूपी के दलित पॉकेट में उदित राज का यदि इस्तेमाल नहीं हो रहा, तो कहीं न कहीं पार्टी के भीतर बाधा दौड़ है ।

शकील अहमद ख़ान एसएफआई के छात्र नेता थे जो 1992-93 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष बने, उनका भी राजनीतिक कायान्तरण हुआ और कांग्रेस के एमएलए बन गये। एक और एसएफआई नेता, जेएनयूएसयू के दो बार प्रेसिडेंट रहे बत्ती लाल बैरवा ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। सैयद नासिर अहमद एसएफआई से 1999 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। नासिर अहमद फिलहाल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सदस्य है। संदीप सिंह अल्ट्रा लेफ्ट सोच वाली आइसा को प्रतिनिधित्व देते हुए 2007-2008 में जेएनयूएसयू के प्रेसिडेंट चुने गये। क्रांतिकारी भाषण देते थे, अब सुना कि प्रियंका गांधी के भाषण लेखक संदीप सिंह ही हैं। आइसा के ही मोहित के पांडे ने ‘कांग्रेस शरणम गच्छामि’ का रास्ता चुना और प्रियंका के क़रीबी नेताओं में से एक हो गये।

मैं केवल जेएनयू का उदाहरण दे रहा हूँ, जहाँ से इतने सारे लेफ्ट छात्र नेता कांग्रेस में गये, क्या इससे कांग्रेस में ढांचागत परिवर्तन हो गया, या कांग्रेस मज़बूत हो गई? केवल महत्वाकांक्षा की मृगमरीचिका इन्हें मूल विचारधारा से बाहर की ओर खींच ले आती है। यदि डी. राजा, विनय विश्वम, अतुल अंजान या फिर अमरजीत कौर को ये भ्रम है कि कन्हैया कुमार को इन लोगों ने तैयार किया, तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता। दरअसल, कन्हैया कुमार को बीजेपी ने एक ऐसे ‘पोलिटिकल पंचिंग बैग’ के रूप में तैयार किया, जिसे तथाकथित राष्ट्रवादी जब चाहें टुकड़े-टुकड़े गैंग बोलकर घूंसे लगा सकते हैं। इससे कन्हैया कुमार का क़द बढ़ता है। जिस दिन ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ बोलना बंद हो जाएगा, कन्हैया की ब्रांडिंग धुमिल पड़ जाएगी। डीपी त्रिपाठी की तरह कन्हैया कुमार का लक्ष्य भी राज्यसभा है, या शायद उससे भी कहीं ज़्यादा. महत्वपूर्ण यह नहीं कि कन्हैया कांग्रेस में आ गये, महत्वपूर्ण यह है कि वहां कितने दिन टिक कर रहते हैं !

( पुष्पमित्र)
ईयू-एशिया न्यूज़ के नई दिल्ली संपादक.)

लालू प्रसाद को बंधक बनाने का आरोप गंभीर, सीबीआई संज्ञान ले – सुशील कुमार मोदी

लालू प्रसाद चारा घोटाला मामले में जमानत पर हैं, इसलिए उन्हें बंधक बनाये जाने के परिवार के बड़े बेटे के आरोप को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

लालू प्रसाद को बंधक बनाने का आरोप गंभीर, सीबीआई संज्ञान ले – सुशील कुमार मोदी

लालू को बंधक बनाये जाने वाले बयान को लेकर बिहार की राजनीति गरमाई

लालू के लाल तेज प्रताप द्वारा लालू के बंधक वाला दिए गए बयान के बाद बिहार के राजनितिक गलियारों में भूचाल आ गया है । इस बयान के बाद एनडीए को एक नया मुद्दा मिल गया है । तेज प्रताप के बयान देने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष् डॉ संजय जायसवाल ने एक बड़ा बयान दिया है ।

संजय जायसवाल ने कहा कि राजद अब औरंगजेब कि पार्टी बन गई है । क्योकि तेजस्वी यादव अपने पुरे परिवार को समाप्त कर राजद का मालिक बनना चाहते हैं । और आने वाले वक्त में दूसरा कोई नहीं बल्कि तेजस्वी के शादी के बाद उनका जो पुत्र जन्म लेगा वही राजद का राष्ट्रीय अध्यक्ष् बनेगा ।

क्या कहा संजय जयसवाल ने जरा सुनीय …..

लालू के लाल तेज प्रताप द्वारा लालू के बंधक बनाये जाने के बयान को लेकर बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है।तेज प्रताप कल छात्र संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ लोग राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहते हैं और इसके लिए मेरे पिता लालू जी को बंधक बनाये हुए हैं ।

जरा आप भी लालू प्रसाद को लेकर क्या कहा रहा है तेज प्रताप…

हलाकि तेज प्रताप का बयान सीधे तौर पर तेजस्वी पर हमला माना जा रहा है दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि लालू को बंधक बनाये जाने पर कहा कि
लालू प्रसाद यादव को बंधक बनाने की बात उनके व्यक्तित्व से नहीं मिलता है। लालू प्रसाद यादव ने कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे देश और बिहार के लोगों ने पहचानते हैं, लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे, रेल मंत्री रहे दो प्रधानमंत्री बनाया आडवानी को जेल भेजा है ऐसे विराट व्यक्तित्व को कौन बंधक बना कर रख सकता है

आप भी सुनिए लालू प्रसाद को बंधक बनाये जाने पर क्या कहां तेजस्वी…

कन्हैया को लेकर राजद असहज कहां कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दे कन्हैया को

कन्हैया को लेकर असहज राजद की और से शिवानंद तिवारी ने आखिरकार मौर्चा खोल ही दिया ,कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने पर शिवानंद तिवारी ने कहा है कि कन्हैया कुमार भाषण देने की कला में माहिर है उनके जैसा भाषण कोई नहीं दे सकता।

कांग्रेस जॉइन करते समय कन्हैया कुमार ने कहा था कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है, जिसे बचाना है। अगर बड़ा जहाज नहीं बचेगा तो छोटी-छोटी कश्तियों का क्या होगा? इस बयान को उन्होंने ऐतिहासिक करार दिया है।

शिवानंद तिवारी ने कहा कि एक समय वामपंथी कन्हैया कुमार में अपना भविष्य देख रहे थे। अब कांग्रेस उनमें अपना भविष्य देख रही है। कन्हैया कुमार को ही कांग्रेस अपना अध्यक्ष बना दे। पिछले दो साल से ऐसे भी वहां कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं है।

शिवानंद तिवारी यही नहीं रुके कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। उन्होंने पंजाब का जिक्र करते हुए सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की लड़ाई की बात कही शिवानंद तिवारी के इस बयान के बाद कांग्रेस भी शिवानंद तिवारी के सहारे राजद पर सीधे सीधे हमला शुरु कर दिया

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा राष्ट्रीय जनता दल का भविष्य ही इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस सहित तमाम सेकुलर पार्टियां कितना अधिक से अधिक कमजोर रहती हैं और खास तौर से कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्ध पार्टी की मजबूती से राष्ट्रीय जनता दल ज्यादा भयभीत रहती है।

कन्हैया कुमार एक राजनीतिक रूप से समझदार नौजवान हैं और उसके कांग्रेस में आने से बिहार कांग्रेस और मजबूत हुआ है,कांग्रेस नेता आनंद माधव ने शिवानंद तिवारी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि शिवानंद जी सठिया गए हैं। कन्हैया के बारे में निर्णय कांग्रेस को लेना है, वे अपना खून क्यों जला रहे हैं।

हलाकि इस तरह का बयावबाजी आने वाले समय में और तेज होगी क्यों कि कन्हैया को लेकर राजद का जो कोर ग्रुप है वो सहज नहीं है और उस ग्रुप का मानना है कि कन्हैया के मजबूत होने से राजद और तेजस्वी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है ।

बिहार विधानसभा उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान से कांग्रेस की ओर से अशोक राम का लड़ना तय

बिहार विधानसभा उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान से कांग्रेस पार्टी का चुनाव लड़ना तय हो गया है हलाकि पार्टी की ओर से अशोक राम का टिकट तय माना जा रहा है फिर भी कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी प्रत्याशी के चयन के लिए कांग्रेस(Congress) ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

कमेटी से चयनित उम्मीदवार के नामों की सूची दो अक्टूबर तक मांगी गई है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास ने इस विधानसभा क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी देने और उम्मीदवारों के चयन के लिए जो कमेटी बनाई है उसमें आनंद माधव, कपिल देव प्रसाद यादव, कैसर खान, आइपी गुप्ता और अजय पासवान को शामिल किया है।पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समीर कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश के मुताबिक कमेटी को अगले दो दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौपनी होगी।

2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से डा. अशोक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था। यहां से जदयू ने शशिभूषण हजारी को सिंबल दिया था।

शशिभूषण हजारी ने मुकाबले में उतरे कांग्रेस उम्मीदवार डा. अशोक कुमार को 7222 वोट से पराजित किया। शशिभूषण का इस वर्ष जुलाई महीने में निधन हो गया। जिसके बाद से कुशेश्वरस्थान की यह सीट खाली है।

कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से क्या बिहार की राजनीति बदलेगी

कांग्रेस का मिशन पंजाब जिस तरीके उलझ गया है उसको लेकर भले ही निशाने पर राहुल और प्रियंका है लेकिन कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बिहार की राजनीति में जो खामोशी देखी जा रही है वह चौंकाने वाला है। बिहार के कांग्रेसी चुप हैं ,राजद कन्हैया को लेकर सहज नहीं है, चिराग से भी सवाल किये गये तो वो भी टाल गये ,बिहार के वामपंथी भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं ।

लेकिन इस तरह के सवाल को नजरअंदाज करने वाले नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया आयी है और कहां कि हमारे रिश्ते भी रहे हैं कहां आते जाते हैं वो उनका फैसला।वही बीजेपी नेता सुशील मोदी जो आजकल छोटी बात पर भी प्रतिक्रिया देने से परहेज नहीं करते हैं उनका बयान सिर्फ इतना ही आया है कि कांग्रेस सत्ता के लिए देश विरोधी ताकतों के साथ।मतलब बिहार की जो वर्तमान राजनीतिक सेटअप है उसमें कन्हैया को लेकर मंथन जरूर चल रहा है ।

1—– क्या कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार की ठहरी हुई सियासत में बदलाव आ सकती है
मंडल आयोग के लागू होने के बाद बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार जिस सामाजिक समीकरण के आधार पर सियासत कर रहे हैं उससे यही लग रहा था कि बिहार फिलहाल मंडल ऐरा से बाहर निकल नहीं पायेंगा।

15 वर्षों तक पिछड़ा,दलित और मुस्लिम गठजोड़ से सहारे लालू प्रसाद के नेतृत्व में बिहार की राजनीति चलती रही, फिर नीतीश आये उन्होंने पिछड़ा को अतिपिछड़ा ,दलित को महादलित और मुस्लिम को पसमांदा मुस्लिम में बांट दिया और सवर्ण को साथ लेकर 15 वर्षो से बिहार पर राज कर रहे हैं । हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से जनता का मोहभंग नीतीश से हुआ उससे लगा कि बिहार की सियासत एक बार फिर से लालू प्रसाद के परिवार के हाथों में चली जायेगी लेकिन अंतिम चरण के चुनाव में बदलाव के लिए जो वोटर घर से निकले वो मतदान केन्द्र पर पहुंचते पहुंचते रुक गया वजह नीतीश के शासन व्यवस्था से जो वोटर ऊब गया था वो लालू के 15 वर्षो के कार्यकाल को याद करके ठहर गया।

कन्हैया के कांग्रेस में आने से बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि कन्हैया के आने से बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता है।हलाकि यह सोचना जल्दबाजी होगा क्यों कि जिस कांग्रेस पार्टी में कन्हैया शामिल हुआ है उसकी बिहार में हैसियत क्या है 1990 के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं हुई है धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जिस तरीके से राजद के कुशासन के साथ कांग्रेस खड़ी रही उसका नुकसान यह हुआ कि कांग्रेस का परंपरागत वोटर सवर्ण ,दलित और मुसलमान एक एक कर साथ छोड़ते चले गये और आज कांग्रेस के पास कोई जमा पूंजी नहीं बचा है जिसके सहारे कन्हैया बहुत कुछ कर सकता है ।

हालांकि कन्हैया को लेकर इस तरह की राय रखने वाले जानकार का कहना है कि बिहार की सियासत में मुस्लिम वोटर कभी भी पूरी तौर पर राजद के साथ खड़ा नहीं रहा है ,कांग्रेस के साथ भी था ,कुछ हिस्सेदारी रामविलास पासवान की भी रही ,जदयू ने पसमांदा के सहारे मुस्लिम वोटर में बड़ी सेंधमारी की।लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि राजद के पास ना शहाबुद्दीन है, ना तस्लीमुद्दीन है ,ना फातमी है और अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनाव हार चुके हैं ऐसे में राजद के पास फिलहाल कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं है।

वहीं जदयू और लोजपा मुस्लिम को लेकर सिम्बॉलिक पॉलिटिक्स में भरोसा करता रहा है ऐसे में कन्हैया के कांग्रेस में आने से बिहार के जो मुस्लिम वोटर का जो वोटिंग ट्रेंड रहा है उसमें बड़ा बदलाव आ सकता है क्योंकि एक तो कन्हैया की छवि मोदी विरोध को लेकर मुस्लिम यूथ में ओवैसी से भी बड़ा है। दूसरा एनआरसी को लेकर कन्हैया खुलकर मुस्लिम के साथ खड़े हुए थे ,गांव गांव में रैली किया था और फिर पटना के गांधी मैदान में रैली करके अपनी ताकत का एहसास भी कराया था ।

वही दूसरी और कन्हैया के वामपंथी होने की वजह से कमजोर ,दलित और गरीबों के बीच इसका सहज प्रवेश रहा है ।साथ ही कन्हैया की भाषण शैली और युवा पीढ़ी के बीच जिस तरह का नेटवर्क सोशल मीडिया से लेकर गांव स्तर तक विकसित किया है इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है ।अगर ऐसा हुआ तो फिर कन्हैया कांग्रेस का जो पुराना फॉर्मूला रहा है सवर्ण ,दलित और मुसलमानों को जोड़ने में कामयाब हो सकता है क्यों कि बिहार के 30 वर्षों की जो राजनीति रही है उसमें जिस तरीके सवर्ण राजनीति को लालू प्रसाद हो या फिर नीतीश कुमार हो जिस तरीके से समाप्त करने की सियासत को बढ़ाया है उससे सवर्ण मतदाता खासे नाराज हैं वही बिहार भाजपा में भी फिलहाल सवर्ण राजनीति हाशिए पर हैं।

ऐसे में जैसे ही कोई तीसरा विकल्प दिखेगा तो सवर्ण मतदाता रातो रात बदल जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में पहले और दूसरे फेज के चुनाव में ये देखने को भी मिला जहां चिराग के प्रत्याशी मजबूत सवर्ण नेता था वहां जदयू के उम्मीदवार को वोट नहीं किया।

2–कन्हैया के सामने चुनौती भी कम बड़ी नहीं है कागज पर भले ही कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से बड़े बदलाव की बात चल रही है लेकिन जमीन पर कन्हैया के सामने कम बड़ी चुनौती नहीं है। जिस वामपंथ के सहारे कन्हैया यहां तक पहुंचा है उस विचारधारा से जुड़े ऐसे लोग जो कन्हैया के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा था उसको कन्हैया अपने साथ कैसे जोड़े रख सकता है यह पहली चुनौती है।

क्यों कि वामपंथ की वजह से ही इनका प्रवेश गरीब.दलित और कमजोर वर्ग में हो सका है । साथ ही वामपंथी इंटेलीजेंसिया जो इसके साथ खड़ा रहा है और इस वजह से मीडिया और बौद्धिक जगत में कन्हैया की पकड़ मजबूत हुई वो वर्ग कन्हैया के साथ जुड़ा रहे ये भी बड़ी चुनौती कन्हैया के सामने हैं हालांकि बिहार कांग्रेस में अब कोई ऐसा नेता नहीं रहा जिससे कन्हैया को आमने सामने की टक्कर दे सके लेकिन ऐसे नेता का अभी भी भरमार है जो इसका खेल बिगाड़ सकता है ।

दूसरे चरण का चुनाव छिटपुट हिंसा के बीच सम्पन्न

बिहार पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में अपराधियों और उपद्रवियों पर मतदाता का जोश भारी पड़ा छिटपुट हिंसा के बीच चुनाव आज 34 जिलों के 48 प्रखंडों में वोटिंग हुई जिसमें 55 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
मुंगेर जिले के टेटियाबम्बर के टेटिया पंचायत में दो पक्षों के बीच पथराव हुआ है। इसके बाद कई राउंड फायरिंग हुई है। गोलीबारी में 7 लोग जख्मी हैं। एक की हालत गंभीर है। वहीं, इस मामले में 2 महिला समेत 8 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इधर, पटना के पालीगंज में गोलीबारी हुई है।

पटना के पालीगंज में मतदान के अंतिम क्षण में बूथ संख्या 306 एवं 307 पर कुछ असामाजिक ने गोलीबारी की है। गोलीबारी से वहां अफरातफरी का माहौल बन गया और मतदान के लिए आए लोगों में भगदड़ मच गई । ​​​​​​​इधर, भोजपुर जिले के तिलाठ बूथ संख्या 112,114 पर दो मुखिया प्रत्याशी के समर्थक आपस में एक बार फिर भिड़ गए हैं। दोनों तरफ के समर्थकों के बीच मारपीट के बाद फायरिंग भी की गई है। मारपीट में एक का सिर भी फट गया है। बुधवार की सुबह भी दोनों प्रत्याशी के समर्थक भिड़ गए थे। पीरो प्रखंड के तिलाठ पंचायत का है मामला।

एक नजर चुनाव के दौरान क्या खास रहा

  • समस्तीपुर में बूथ पर पिस्टल के साथ युवक गिरफ्तार। चार जिंदा कारतूस भी बरामद।
  • गया के टिकारी में दो जगहों पर मुखिया प्रत्याशियों के बीच झड़प।
  • पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड में मतदान केंद्र पर पल्स पोलियो और कोविड-19 टीकाकरण भी।
  • भोजपुर की बूथ संख्या 112, 114 पर दो मुखिया प्रत्याशी समर्थकों के बीच मारपीट के बाद फायरिंग।
  • भोजपुर के लहठान पंचायत के पिटरों गांव में बूथ संख्या 170 पर मतदाता की हार्ट अटैक से मौत।
  • भोजपुर के लहठान पंचायत में बूथ संख्या 170 पर जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे महिला मतदाता।
  • बेतिया के चनपटिया प्रखंड के उतरी घोघा पंचायत की बूथ संख्या 146 पर दो प्रत्याशियों में झड़प।
  • मोतिहारी के फेनहारा की बूथ संख्या 48 पर ASI ने बोगस वोटिंग से रोका तो दबंगों ने पीटा।
  • नालंदा के प्यारेपुर पंचायत के दुर्गापुर गांव में निवर्तमान मुखिया राकेश कुमार के घर छापेमारी। हिरासत में लिए गए।
  • मुजफ्फरपुर के सरैया पंचायत में फारयिंग का मामला सामने आया है। SDPO समेत कई अफसर मौके पर पहुंचे।
  • भोजपुर के छछूडिह गांव में बूथ संख्या -158 के पीठासीन पदाधिकारी को पुलिस ने हिरासत में लिया।
  • मुजफ्फरपुर में बूथ संख्या 325 पर बवाल, सुरक्षाकर्मियों ने लोगों को खदेड़ा।
  • भोजपुर के राजकीय मध्य विद्यालय तिलाठ बूथ संख्या 112,114 पर मतदान से पहले जमकर हंगामा।

कन्हैया का सीपीआई छोड़ना वामपंथ के लिए बड़ा नुकसान है।

बेगूसराय से किसी मित्र ने यह तस्वीर भेजी है गौर से देखिए कौन है, जी है ये कन्हैया है । सीपीआई के महासचिव एबी बर्धन कन्हैया को जोरदार भाषण देने के लिए पुरस्कृत कर रहे हैं। मतलब कन्हैया का सफर कहां से शुरु हुआ था और कहां पहुंच गया वामपंथ विचार से जुड़े लोगों को इस पर विचार करना चाहिए।

23 वर्षो के पत्रकारिता जीवन में बात राजनीतिक दलों के नेताओं से रिश्तों की करे तो बीजेपी और वामपंथी पार्टियों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं से मेरा बेहद करीबी रिश्ता रहा है। हलाकि मोदी के आने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता दोनों के चाल चरित्र और चेहरा में बड़ा बदलाव आ गया है।

मेरा मानना है कि विपक्ष में रहने के दौरान जितना सरल और सहज बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता होते हैं वो सहजता सत्ता में आने के साथ ही रातो रात गुम हो जाती है।

वही वामपंथी आलोचना कभी बर्दास्त नहीं करता है वो हमेशा आक्रमक रहता है, पढ़ाई लिखाई की बात करे तो वामपंथी पढ़ाई लिखाई से लगाव रखता है लेकिन बदलवा में विश्ववास नहीं है।

जो कार्ल मार्क्स जो कह गये वही सत्य है कन्हैया का जाना उसी बदलाव का एक हिस्सा है जिसको वामपंथी स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि कार्ल मार्क्स के आगे भी दुनिया है ।

-पत्रकार संतोष सिंह के वाल से