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भ्रष्टाचार को लेकर सीएम आज भी दिखे असहज

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज 4, देशरत्न मार्ग स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में आयोजित ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में शामिल हुए। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे 123 लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए।

आज ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यकम‘ में सामान्य प्रशासन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, जल संसाधन विभाग, उद्योग विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, परिवहन विभाग, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, योजना एवं विकास विभाग, पर्यटन विभाग, भवन निर्माण विभाग, वाणिज्य कर विभाग, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग तथा गन्ना (उद्योग) विभाग के मामलों पर सुनवाई हुयी।

मुख्यमंत्री ने जनता के दरबार में हाजिर होकर लोगों की शिकायतें सुनीं। जनता दरबार में आये एक शख्स ने मुख्यमंत्री से दबंग मुखिया की करतूत की शिकायत करते हुए कहा कि मुखिया द्वारा सड़क का दो-तीन इंच ढलाई हुआ है और उसके बारे में बोलने पर हमको केस में फंसाया गया है। नल-जल का काम पूरा नहीं हुआ इसकी शिकायत पर वार्ड सदस्य एवं मुखिया के ससुर के द्वारा भी हमलोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। वर्ष 2016 से अब तक जितना काम मनरेगा का किया गया है, सभी काम जे0सी0बी0 से हुआ है। युवक की बात सुनकर मुख्यमंत्री ने पंचायती राज विभाग के अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

गोपालगंज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य श्री योगेंद्र मिश्रा ने मुख्यमंत्री से कहा कि मैं रिटायर्मेंट के बाद से जनसेवा करता आ रहा हूं। गांव की भौगोलिक परिस्थिति साफ बताती है कि उसे बिहार की बजाए यूपी का अंग होना चाहिए। आपसे आग्रह है कि मेरे गांव को उत्तर प्रदेश में शामिल करा दिया जाए। मुख्यमंत्री भी इस मांग को सुनकर चौंक गए और आवेदक को संबंधित विभाग के अधिकारी के पास भेज दिया।

बगहा, पश्चिमी चंपारण के श्री आशुतोष मणि पाठक ने कहा कि बगहा-1 प्रखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत मझौवां के अंतर्गत मेरे गांव के पास डेढ़ कि0मी0 लंबे चैनल (तिरहुत मेन कैनाल) के भर जाने से गांव में फसल बर्बाद हो जाता है और बाढ़ भी आ जाता है। वहीं हरनौत, नालंदा के श्री धनंजय कुमार ने कल्याण बिगहा बहादुर पथ के अंतर्गत द्वारिका बिगहा महाने नदी पर पुल निर्माण के संबंध में अपनी मांग रखी। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को समस्याओं के समाधान करने का निर्देश दिया।

एंकगरसराय, नालंदा के श्री राजीव कुमार ने गेहूं अधिप्राप्ति की राशि नहीं मिलने की षिकायत की तो वहीं मनेर, पटना के श्री ओम प्रकाश ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने के संबंध में शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को इस पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कोचस, रोहतास के श्री अभिषेक कुमार ने राशन कार्ड बनवाने को लेकर धांधली होने की शिकायत के साथ-साथ रिश्वतखोरी कर फर्जी लोगों के राशन कार्ड बनवाए जाने की बात कही तो वहीं असरगंज, मुंगेर के श्री विद्यानंद सिंह ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत अपने यहां तालाबों के जीर्णोद्धार के संबंध में शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को इस संबंध में आवष्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

चौसा ग्राम पंचायत में कार्यरत एक महिला न्याय मित्र ने मुख्यमंत्री से गुहार लगायी कि मेरे ग्राम पंचायत को नगर पंचायत में तब्दील कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले के बाद ग्राम कचहरी खत्म होने से मैं न्याय मित्र के पद पर काम नहीं कर पा रही हूॅ। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने नए सिरे से नियोजन में एडजस्ट किए जाने की मांग की।

मुख्यमंत्री ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि ऐसे ग्राम पंचायत से जो अब नगर पंचायत में तब्दील हो चुके हैं और जहां ग्राम कचहरी की व्यवस्था खत्म हो चुकी है। उन जगहों पर काम करने वाले न्याय मित्रों को दूसरी जगह नियोजित करने की कार्रवाई करें।

शेखपुरा के बरबीघा से आए एक फरियादी ने मुख्यमंत्री से कहा कि उद्योग विभाग में मेरी पत्नी के नाम पर फर्जी दस्तखत करके सब्सिडी की निकासी करा ली गई है। यह बड़ा घोटाला है और तत्कालीन उद्योग मंत्री और राजद नेता की मिलीभगत से बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। राजद नेता के बेटे के नाम पर कंपनी है उसी ने घोटाला किया है। यह सुन मुख्यमंत्री ने तुरंत जांच के आदेश दिये।

पटना के एक फरियादी ने मुख्यमंत्री से कहा कि उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है। फरियादी ने आगे बताते हुए कहा कि उस समय उद्योग विभाग के मंत्री से हमने इस बात की शिकायत की तो आरोपी ने मंत्री से मिलकर मामले को रफा-दफा करा दिया। यह शिकायत सुन मुख्यमंत्री ने तुरंत उद्योग विभाग को निर्देष दिया कि इस मामले की जांच कर त्वरित कार्रवाई करें।

शेखपुरा से आये एक फरियादी ने मुख्यमंत्री से शिकायत किया कि पैक्स में धान बेचने के सालभर बाद भी पैसे का भुगतान नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को इस समस्या के समाधान करने का निर्देश दिया।

‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, ऊर्जा सह योजना एवं विकास मंत्री श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, उद्योग मंत्री श्री शाहनवाज हुसैन, जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा, भवन निर्माण मंत्री श्री अशोक चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, कृषि मंत्री श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्रीमती लेशी सिंह, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री श्री रामप्रीत पासवान, पंचायती राज मंत्री श्री सम्राट चौधरी, सहकारिता मंत्री श्री सुबाष सिंह, गन्ना उद्योग मंत्री श्री प्रमोद कुमार, पथ निर्माण मंत्री श्री नितिन नवीन, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री मुकेश सहनी, ग्रामीण कार्य मंत्री श्री जयंत चौधरी, लघु जल संसाधन मंत्री श्री संतोष कुमार सुमन, परिवहन मंत्री श्रीमती शीला कुमारी, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री नीरज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0सिंघल, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, संबंधित विभागों के अन्य वरीय अधिकारी, पटना के जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह तथा वरीय पुलिस अधीक्षक श्री उपेंद्र शर्मा उपस्थित थे।

‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के पष्चात् मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि हमलोग शुरु से कह रहे हैं कि छह माह में छह करोड़ से ज्यादा टीकाकरण करेंगे। प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस के अवसर पर हमलोगों ने तय किया था कि कम से कम 30 लाख टीकाकरण करेंगे लेकिन इस लक्ष्य को पार करते हुए 33 लाख से अधिक टीकाकरण किया गया। टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। हमलोग निश्चित रुप से वैक्सिनेशन का काम तेजी से जारी रखेंगे। केंद्र सरकार से जो वैक्सीन मिलनी चाहिए वो मिल रही है।

इसको लेकर हमारी सरकार के लोग केंद्र से बातचीत करते रहते हैं। निरंतर केंद्र से वैक्सीन की सप्लाई हो रही है। वैक्सीनेशन का काम तेजी से काम किया जा रहा है। इसको लेकर सभी लोग अलर्ट और सक्रिय हैं। वैक्सीनेशन महाअभियान की हमलोग लगातार जानकारी लेते रहे। 17 सितंबर की रात में ही 30 लाख से ज्यादा वैक्सीनेशन होने की जानकारी मिल गई थी। अगले दिन सुबह में हमलोगों को बताया गया कि एक दिन में 33 लाख से ऊपर वैक्सिनेशन हो गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग शुरु से ही इस बात पर जोर देते रहे हैं कि कोरोना की जांच के लिए भी निश्चित तौर पर काम करते रहना है। कोई बाहर से आ रहा है उसकी वजह से 6-7 केस कहीं-कहीं से निकल जा रहा है। कोरोना से ज्यादा प्रभावित राज्यों से आने वाले लोगों के जांच का प्रबंध किया गया है ताकि इसकी पहचान हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि टीकाकरण का डोज छह करोड़ से भी ज्यादा बढ़ेगा। आप समझ लीजिए कि फर्स्ट डोज जिसका हो चुका है उसके सेकेंड डोज का भी तो टीकाकरण चल रहा है। दूसरे डोज के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि सभी लोगों को दूसरी डोज भी पड़ जाए।

मगही और भोजपुरी भाषा को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री के बयान से संबंधित प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को इसका एहसास नहीं कि बिहार एक था बिहार तो 2000 में दो हिस्से में बंटा। बिहार के लोगों को झारखंड के प्रति पूरा का पूरा प्रेम है और झारखंड के लोगों को भी बिहार के प्रति प्रेम है। पता नहीं पॉलिटकली लोग क्या बोलते हैं ये बात समझ में नहीं आती। झारखंड के एक एक आदमी के प्रति हमलोगों की श्रद्धा है। बिहार-झारखंड तो भाई है, एक ही परिवार के सबलोग हैं। वैसे तो पूरा देश के लोग एक परिवार के हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जब बिहार और झारखंड एक था तब लोग काम करने झारखंड जाते थे लेकिन अब कोई नहीं जाता है। बिहार का बंटवारा होने के बाद बिहार के लोगों में काफी मायूसी आ गयी थी। झारखंड के अलग हो जाने के बाद लोगों को लगा था कि बिहार बर्बाद हो जायेगा, बिहार में कुछ नहीं बचेगा लेकिन ये सब धारणायें गलत साबित हुई। बिहार का तेजी से विकास हो रहा है। बिहार में कई संस्थानों की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को झारखंड के प्रति कोई गलत धारणा नहीं है। लोग एक दूसरे की इज्जत करते हैं। इसी तरह झारखंड के लोगों का भी बिहार के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव है। पता नहीं लोग ऐसी बात क्यों बोलते हैं?

मगही और भोजपुरी बोलने वालों को झारखंड के मुख्यमंत्री द्वारा दबंग कहे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई दबंग नहीं है। ऐसी बात नहीं सोचनी चाहिए। अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग विभिन्न राज्यों में रहते हैं। बिहार के ही कुछ इलाकों में बंगाल की भाषा बोली जाती है। इसी तरह उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ इलाकों में भी बिहार की भाषा बोली जाती है। भाषा को लेकर ऐसी सोच ठीक नहीं है। अगर किसी को कोई राजनीतिक लाभ लेना है तो वह अलग बात है। हमलोग ऐसी बात कभी नहीं सोचते हैं। हमलोगों का झारखंड के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव है।

राजनीति में आधी आबादी और युवा कैसे अपनी जगह बनाये लोकत्रंत के सामने ये बड़ी चुनौती है

बात कोई दो वर्ष पूरानी है एक दिन दिल्ली से किसी महिला अधिकारी का बिहार के किसी मामले को लेकर फोन आया बात आयी चली गयी। कुछ दिनों के बाद फिर कोई ऐसा वाकया बिहार से जुड़ा हुआ था उसको लेकर बातचीत हुई और फिर धीरे धीरे बातचीत का सिलसिला बढ़ता चला गया ।

एक दिन वो बतायी की मैं बिहार आ रही हूं मैंने पुंछा क्यों वो बतायी की मेरा कांलेज शिक्षक में हो गया है कल दिल्ली वाली नौकरी से रिजाइन भी दे दिए हैं अगले माह ज्वाइन कर लेगें चलते चलते मैं सिर्फ इतना ही कहा यह निर्णय सही है ।दस मिनट बहस भी हुई उसका तर्क यही था कि बिहार के बदलाव में मैं भी कुछ योगदान करना चाहती हूं ।

एक वर्ष से अधिक हो गया उसका बिहार आये हुए, बदलाव को लेकर जिस सोच के साथ वो आयी थी उसको लेकर नीत नयी प्रयोग करती रहती है। इस दौरान क्या समस्याएं आ रही है उस पर अक्सर बात होती रहती है एक महिला को बिहार के प्रवेश में अकेले रहना आज भी कितना मुश्किल है इसको लेकर कई घटनाओं का जिक्र मुझसे कि है, मैं तो हैरान हूं कितना मुश्किल है आज भी बिहार में अकेले महिला को घर छोड़कर बाहर नौकरी करना हलाकि इस पर चर्चा बाद में करेंगे ।

राजनीति शास्त्र की प्रोफेसर हैं तो स्वभाविक है चर्चा के केन्द्र में राजनीति रहेगा ,अक्सर वो बिहार की राजनीति को लेकर मुझसे सवाल करती रहती है मैं सिर्फ बिहार की राजनीति से जुड़ी सूचना देता हूं ।कुछ दिन पहले दरभंगा के ग्रामीण कार्यविभाग में कार्यरत इंजीनियर के पास से बरामद पैसे को लेकर मैं स्टोरी चला रहा था ।

एक दिन उसका फोन आया इस इंजीनियर पर सरकार कारवाई क्यों नहीं कर रही है मैंने उसे बता दिया कि सरकार के मजबूत नेता का इसको संरक्षण प्राप्त है> मुझे नहीं मालूम था कि उस नेता को लेकर उसके मन में बड़ा आदर भाव है ,इसी तरह से सवाल करती रहती है कभी प्रशांत किशोर को लेकर तो कभी कन्हैया को लेकर तो कभी रितू जयसवाल को लेकर तो कभी माले के नवनिर्वाचित विधायक को लेकर मुझे इन सब के बारे में जो इनसाइड स्टोरी है वो बताते रहते हैं ।

कैसे कन्हैया को बेगूसराय में हराने के लिए बिहार के सारे वामपंथी पार्टियां एक साथ खड़ी थी और इस खेल में राजद क्यों शामिल था ,अंबानी ग्रुप इस खेल कैसे शामिल हुआ ये सब बताते रहते हैं ।प्रशांत किशोर की राजनीति का जो माँडल है उस माँडल के लिए प्रयाप्त पैसा चाहिए ऐसे में कल इस देश का पीएम अंबानी और अंडानी का बेटा बन जाये तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्यों कि देश की राजनीति जिस मॉडल पर आगे बढ़ रही है आने वाले समय में इस देश में लोहिया ,कर्पूरी ठाकुर ,रामविलास पासवान और लालू ,मुलायम ,नीतीश और सुशील मोदी जैसे साधारण परिवार जन्मे व्यक्ति जिस उंचाई तक पहुंच गये अब वो होने वाला नहीं है ।

आज बिहार की राजनीति में परिवार के बाहर कही किसी कोने से थोड़ी सी भी जो उम्मीद की किरणें दिख रही है उसके पीछे का सच वहीं है जो आप आज की राजनीति में देख रहे हैं टिकट के लिए पैसा देना होगा। फिर चुनाव लड़ना है तो पांच करोड़ खर्च करने होंगे।

बिहार में जो भी युवा चेहरा दिख रहा है जो कुछ बदलाव की बात कर रहा है उन सबके पीछे का सच यही है कि वो किसी ना किसी राजनीतिक दल के साथ जुड़ना चाह रहा है ।ताकी वो विधायक ,सांसद बन सके।

मेरा अनुभव तो यह है कि ऐसे युवा चेहरा आज की राजनीति में जो लोग हैं उन्हें लोकतंत्र में कोई बदलाव हो इससे कोई मतलब नहीं है लोकतांत्रिक संस्थान से कोई मतलब नहीं है बस पावर कैसे मिले उसकी सोच इससे आगे नहीं है ।क्यों कि आपका साध्य – वह लक्ष्य , मंज़िल या मुकाम है -जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं साधन -वह सब जिसका उपयोग आप करते हैं उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए। वो ईमानदार नहीं रहेंगा तो फिर उससे बदलाव की उम्मीद करना बेमानी है ।

बिहार की राजनीति को लेकर इस तरह की चर्चा इससे अक्सर होती रहती है संयोग से किसी बात को लेकर मैं उसको कल फोन किया बातचीत चल ही रहा था कि उसने ऐसी बात कह दी कि मैं हैरान रह गया । पहली बार मुझे पता चला कि दिल्ली में सरकारी नौकरी छोड़कर ये बिहार इसलिए आयी थी कि वो सक्रिय राजनीति में शामिल होना चाहती थी और इसी उदेश्य को प्राप्त करने के लिए प्रोफेसर की नौकरी ज्वाइन की थी लेकिन अब इसका इरादा बदल गया है एक सप्ताह पहले इसके पति जो सरकारी अधिकारी है मिलने आये थे ।

तचीत में बोली की अब राजनीति में नहीं जाना है, जनाब हैरान थे जिस वजह से ये दिल्ली की नौकरी छोड़ी, शादी के शर्त में एक शर्त ये भी था की मुझे आप सक्रिय राजनीति में जाने से रोक नहीं सकते हैं .वो लड़की अचानक आज कह रही है कि राजनीति मेरे बस की बात नहीं है आज की राजनीति में कुछ भी बदलाव की बात सोचना बेमानी है अब कुछ अलग तरीके से सोच रहे हैं पति महोदय हैरान थे आखिर इसका आत्म परिवर्तन कैसे हो गया पता चला पत्रकार संतोष सिंह का प्रभाव है ।

खैर ये अलग बात है लेकिन यह सच्चाई है कि आज की जो युवा पीढ़ी है वो बदलाव चाहता है लेकिन हर फिल्ड में सिस्टम इतना मजबूती के साथ खड़ा है कि वहां आप कुछ कर नहीं सकते हैं आज की युवा पीढ़ी के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है ।इसलिए जो जहां हैं सिस्टम में बदलाव को लेकर कोशिश जारी रखिए यही मूलमंत्र होगा देश को बदलने के लिए क्यों कि अब इस देश में फिलहाल किसी बड़े बदलाव या बड़े आन्दोलन की दूर दूर तक सम्भावना नहीं दिख रहा है जिससे निकले व्यक्ति से कुछ उम्मीद किया जा सके ।

क्या नीतीश बीजेपी के हो गये।

प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ब्लैक बोर्ड पर जिस अंदाज में लिख कर मोदी को बधाई दिये उसको लेकर राजनीतिक गलियारे में अपने अपने तरीके से मूल्यांकन शुरु हो गया है,
हलाकि नीतीश कुमार की यह शैली रही है कि वो अपने अंदाज में राजनीतिक संदेश छोड़ जाते हैं और इसके लिए नीतीश कुमार खुद होमवर्क करते हैं और फिर सब कुछ स्क्रिप्ट के अनुसार होता है ।

याद करिए 5 फरवरी 2017 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेले के उद्घाटन के बाद पद्मश्री बौआ देवी के द्वारा बनाए कमल के फूल में रंग भरने लगे थे और उसके बाद बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया था ।इसकी मुझे पक्की जानकारी है कि यह सब पहले से तय था बौआ देवी को कमल का फूल बनाने के लिए कहा गया था और नीतीश कुमार आकर उस पर रंग भरेंगे ये पहले से तय था ।

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इसी तरह पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर ब्लैक बोर्ड को लगाया जाना और उस ब्लैक बोर्ड पर सीएम कुछ संदेश लिखेंगे ये सब स्क्रिप्ट पहले से तय था । 2017 में कमल के फूल पर रंग भर के जो संदेश देना चाह रहे थे इसकी वजह थी लालू प्रसाद तबादले और पोस्टिंग मामले में लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे नीतीश इसको लेकर हमेशा असहज रहते थे इतना ही नहीं इस तरह का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था पैसा वसूली का खेल का केन्द्र बदलने लगा था।

हलाकि इस बार भी 2017 की तरह ही नीतीश कुमार सरकार चलाने को लेकर सहज नहीं है आज उनके साथ सुशील मोदी जैसा कोई वफादार साथी सरकार में नहीं है हर कोई एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से देखता है। तबादले और पोस्टिंग को लेकर भी पहले की तुलना में नीतीश पर ज्यादा दबाव है और उससे भी बड़ी बात यह है कि नीतीश संख्या बल में बीजेपी से काफी नीचे हैं ।

तो मोदी के जन्मदिन पर दिये गये संदेश को क्या माना जाये नीतीश बीजेपी के संग हो गये ,तो फिर उपेन्द्र कुशवाहा का बिहार दौरा, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारणी में पीएम मटेरियल वाला प्रस्ताव को पास करना और फिर अंतिम क्षण में देवीलाल को लेकर आयोजित कार्यक्रम में के0सी0त्यागी के शामिल होने कि घोषणा दिल्ली में करना जहां तीरसे मोर्चें के गठन का संदेश दिया जाना तय है ।

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उसी तरह यूपी में चुनाव लड़ने की जिद ,सीमाचल मुद्दे पर बीजेपी के मंत्री से त्यागपत्र मानना ये सब तो नीतीश कुमार के संदेश के ठीक विपरित चल रहा है बिहार की राजनीति पर विशेष नजर रखने वाले फूलेन्द्र कुमार सिंह आंसू का कहना है कि नीतीश और बीजेपी दोनों के सामने फिलहाल कोई विकल्प नहीं है बीजेपी को लेकर राजद अभी भी तैयार नहीं है ।

ऐसे में बीजेपी बिहार में अलग होने कि बात सोच भी नहीं सकता क्यों कि बिहार बीजेपी के पास नीतीश या लालू जैसा कोई लीडर नहीं है जो चुनाव जीता सके 2015 में मोदी की लोकप्रियता चरम पर थी फिर भी बिहार में औंधे मुंह गिर गये थे ऐसे में नीतीश के अलावे उसके पास कोई विकल्प ही नहीं है ।

वही नीतीश के साथ परेशानी यह है कि उनके पास संख्या बल नहीं है फिर भी उनका जो राजनैतिक संकल्प है उसके साथ पार्टी खड़ी रहे ये भी दिखना चाहिए। इसलिए आरसीपी सिंह को वो हटाये जबकि आरसीपी सिंह ललन सिंह से कही ज्यादा नीतीश कुमार के वफादार है ।

उपेन्द्र कुशवाहा का लाना और उनके सहारे अपने राजनैतिक संकल्प को बचाये रखने कि कोशिश करना, इसी तरह के0सी0त्यागी का देवीलाल को लेकर आयोजित कार्यक्रम में भेजना यह सब उसी संकल्प का हिस्सा है क्यों कि नीतीश ये समझ रहे हैं कि उनका राजनीति को लेकर जो संकल्प रहा है उसको जिंदा रखना जरुरी है क्यों कि उसी संकल्प के सहारे स्थिति जैसे ही अनुकुल होगी पाला बदल सकते हैं ।

लेकिन अभी वो स्थिति नहीं है राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ उस तरह की गोलबंदी नहीं हो पायी है जैसे ही इस तरह की गोलबंदी शुरु होगी लालू दबाव में आयेंगे ही और नीतीश कुमार इसी पल का इन्तजार कर रहे हैं क्यों कि उस समय नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर अपने राजनैतिक संकल्प के सहारे पीएम उम्मीदवार का चेहरा बन सकते हैं और लालू को बिहार की गद्दी का लालसा देकर उनका समर्थन प्राप्त कर सकते हैं ।

महापुरुषों को याद करने के सहारे आजकल चल रही है सियासत

‘ भुला दिया गया है’ भारत की राजनीति का अभिन्न थीम बन चुका है। इसके जवाब में ‘ याद किया जा रहा है’ का थीम हर जगह लाँच है। राजनीतिक दल को जनता भले न याद आए लेकिन ‘ भुला दिया गया है’ के भय से वे हर दिन किसी न किसी महापुरुष को याद करते रहते हैं। हर दूसरा फ़ालतू मंत्री सुबह सुबह किसी महापुरुष को याद करता है और फिर अगली सुबह किसी और को। उसका काम सारा उल्टा होता है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के पेज पर जाइये तो हर दिन हाथ जोड़े हुए किसी की जयंती मना रहे होते हैं। हुआ यह है कि राजनीति में इतने महापुरुषों की प्रेरणाएं मिक्स हो चुकी है कि इनसे प्रेरित राजनेता और कार्यकर्ता जनता से दूर हो चुका है। याद करना एक नया उद्योग बन गया है। तारीख़ याद कर लेना ही याद करना हो चुका है।

आज महान कवि सुब्रमण्य भारती की सौवीं वर्षगाँठ है। यहाँ दो दलों के पोस्टर एक दूसरे से होड़ कर रहे हैं। तमिल कोटे से कवि को याद किया जा रहा है। हर जाति हर धर्म और हर भाषा में राजनीतिक दल के लोग हैं और ये लोग इसी काम आते हैं। बाक़ी पोस्टर पर कवि की रचना तो होनी नहीं थी। रचना की दो पंक्तियों को भी जगह मिल सकती थी। कवि की आत्मा को भी लगता होगा कि कौन लोग आ गए हैं।

आपको नेतागीरी करनी है और ट्रोल करने के लिए गिरोह बनाना है तो मूर्ति स्मारक और जयंती पुण्यतिथि याद करना शुरू कर दें।

लेखक –रवीश कुमार पत्रकार

इस बार के पंचायत चुनाव में लोकसभा और विधानसभा जैसी सुविधाएं रहेंगी मतदान केन्द्रों पर

पंचायत चुनाव 2021 के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न हो इसको लेकर कई सुधार किये है जिसमें पहली बार पंचायत चुनाव में ईवीएम का इस्‍तेमाल हो रहा है। पहली बार ऐसा चुनाव हो रहा है, जिसमें ईवीएम और बैलेट पेपर दोनों का प्रयोग एक साथ हो रहा है। इस बीच आयोग ने हर मतदान केंद्र पर सेल्‍फी प्‍वाइंट बनाने की बात कही है। आयोग ने राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पंचायत चुनाव में किए जा रहे सभी नए प्रयोगों को शत प्रतिशत सफल बनाये ।

लोकसभा औऱ विधानसभा चुनाव कि तरह पंचायत चुनाव को उत्सवी माहौल में कराने के लिए हर बूथ पर सेल्फी प्वाइंट बनाया जाए। आयोग के इस पहल से पहली बार पंचायत चुनाव में मतदान करने वाले युवा मतदाता सेल्फी प्वाइंट तस्वीर लेकर इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर करने में सहूलियत होगी।

मतदाताओं मैं जागरूकता फैलाये
आयोग ने कहा है कि पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में उत्सवी महौल बनाया जाए जिसमें दीवार लेखन, वीडियो के माध्यम से मतदाताओं का जागरूकता जैसे कार्य सुनिश्चित किए जाएं। आयोग के आयुक्त ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी प्रत्याशियों का नामांकन पत्रों का शत प्रतिशत डिजिटलाइज कर अपलोड किया जाए। हर बूथ पर मतदान के दिन बिजली और मोबाइल कनेक्टिविटी हर हाल में बनी रहे।

हर बूथ पर दो महिला कर्मियों की तैनाती का निर्देश
मतदान के दिन हर बूथ पर कम से कम दो महिला कर्मियों की तैनाती की जाए वही 11 चरणों में चुनाव होने कि वजह से चुनाव कार्य में लगे कर्मी थके नहीं इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिला के निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि चुनाव में एक कर्मचारी की अधिकतम चार बार ड्यूटी लगाई जाएगी। इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने कई आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है

सृजन घोटाले मामले में हुआ बड़ा खुलासा, कई आईएएस अधिकारियों का हस्ताक्षर पाया गया सही

सृजन घोटाले मामले में हुआ बड़ा खुलासा
कई आईएएस अधिकारियों का हस्ताक्षर पाया गया सही
फोरेंसिक रिपोर्ट ने भागलपुर के तत्तकालीन डीएम के दावे को किया खारिज
फर्जी हस्ताक्षर के दावे को किया खारिज
कई आईएएस अधिकारियों का हस्ताक्षर पाया गया सही
ऐसे आईएएस अधिकारियों पर कारवाई तय

सृजन घोटाले मामले में पहली बार सीबीआई के शिकंजे में बड़ी मछली फंसी है ।जी है कल तक भागलपुर में तैनात आईएएस अधिकारी इस आधार पर बच रहे थे कि सृजन को जो भुगतान हुआ है उस चेक पर मेरा हस्ताक्षर नहीं है ।लेकिन फोरेंसिक जांच में ये बाते सामने आयी है कि भागलपुर में पदस्थापित कई डीएम के हस्ताक्षर और चेक पर दर्ज हस्ताक्षर एक है ।ऐसी स्थिति में सीबीआई कभी भी उक्त आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार कर सकती हलाकि सीबीआई फिलहाल उक्त अधिकारी को पुछताछ के लिए बुलाना चाह रही है।

ऐसे अधिकारियों जिनका हस्ताक्षर चेक के हस्ताक्षर से मिल रहा वैसे अधिकारियों ने 28 करोड़ ,56 लाख और 27 लाख रुपये के चेक पर हस्ताक्षर किए हैं। देश की चार बड़ी फोरेंसिक लैबोरेटरीज में उनके हस्ताक्षर के नमूने की जांच कराई गई। जिसमें हस्ताक्षर सही पाया गया।

पंचायत चुनाव को लेकर आयोग ने उठाये कठोर कदम आचार संहिता के उल्लंधन मामले में जा सकते हैं जेल

निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न कराने को लेकर आयोग नित नये आदेश जारी कर रहे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने का कानूनी प्रावधान तय किया है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में सजा का प्रावधान किया गया है. अगर कोई प्रत्याशी धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा फैलाता है, तो उसको तीन से पांच वर्ष की सजा मिलेगी. यह गैर जमानतीय व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है.

इसी प्रकार से कोई भी प्रत्याशी किसी अन्य प्रत्याशी किसी के जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना करता है, जिसकी सत्यता साबित नहीं हो, तो उसको भी आइपीसी की धारा 171(जी) के तहत सजा होगी. यह जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी.

इसी प्रकार से निर्वाचन प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या अन्य पूजा स्थलों का प्रचार मंच के रूप में करना और जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं की दुहाई देना भी गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में शामिल है.
अगर कोई प्रत्याशी भ्रष्ट आचरण करते हुए मतदाताओं को रिश्वत देता है , तो उसके लिए पंचायती राज अधिनियम के साथ आइपीसी की धारा में सजा का प्रावधान हैं. मतदाताओं को भयभीत करना, बूथ के 100 मीटर के भीतर वोट मांगना भी अपराध की श्रेणी में शामिल हैं. कोई प्रत्याशी अगर किसी व्यक्ति के शांतिपूर्ण जीवन में उनके घर के सामने प्रदर्शन आयोजित करता है, तो उसको सजा मिलेगी.

किसी भी व्यक्ति के बिना अनुमति के उसके मकान पर झंडा टांगने, उसकी भूमि का उपयोग करना भी अपराध की श्रेणी में आता है. कोई भी प्रत्याशी या उसके समर्थक अन्य प्रत्याशी के द्वारा आयोजित जुलूस या सभा में बाधा उत्पन्न करता है, तो उसके सजा का प्रावधान किया गया है.

बिना लाइसेंस प्राप्त किये किसी भी प्रत्याशी द्वारा प्रस्तावित सभा व जुलूस में लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं किया जायेगा. ऐसा करने पर उसके लाउडस्पीकर एक्ट के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. वोटिंग के दिन भी शांतिपूर्ण मतदान में बाधा करने पर कार्रवाई का प्रावधान है.

अपराधियों की अब खैर नहीं जनामत तभी मिलेगी जब आपके ऊपर अपराधिक मामला नहीं होगा दर्ज

पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह तय किया है कि प्रत्येक निचली अदालत को किसी आरोपी की जमानत अर्जी को निष्पादित करने से पूर्व लोक अभियोजक या अनुसंधान पदाधिकारी से यह जानकारी लेनी होगी कि उस आरोपी के विरुद्ध पूर्व में कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि संबंधित अनुसंधानकर्ता या लोक अभियोजक के लिए यह ज़रूरी है कि वह ज़मानत की अर्ज़ीदार के पिछले सभी आपराधिक मामलों का इतिहास अदालत के समक्ष पेश करे।

आरोपी के आपराधिक इतिहास पर पुलिस और अभियोजक से मिली जानकारी को हर निचली अदालत को आदेश में उल्लेख करना होगा, जिससे वो किसी ज़मानत अर्ज़ी को मंज़ूर या खारिज करेंगे। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया।

अदालतों से पूर्व के आपराधिक मामलों को छुपा कर ज़मानत लेने की गलत तरीको पर रोकथाम लगाने के लिए हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश जारी किया है। इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायाधीश को देने का भी निर्देश हाई कोर्ट ने दिया है। विदित हो कि अनिल बैठा के मामले में जमानत अर्ज़ीदर पर 10 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन उसने अपनी किसी भी ज़मानत अर्ज़ी में स्पष्ट तौर पर पूर्व के सभी आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी नहीं दी थी। पिछला आपराधिक इतिहास को छुपा कर ज़मानत लेने के इस प्रयास को कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करार देते हुए हाई कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भी राज्य सरकार को आदेश दिया है और हाई कोर्ट के महानिबंधक कार्यालय को निर्देश दिया है कि हाई कोर्ट के साथ इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जाए।

पंचायत चुनाव के दौरान नामांकन में गड़बड़ी पायी गयी तो चुनाव से आप हो सकते हैं बाहर

पंचायत चुनाव के प्रथम चरण के नामंकन का आज दूसरा दिन है अभी तक 900 सौ से अधिक प्रत्याशी नामांकन का पर्चा भर चुका हैं हलाकि आयोग ने इस नामांकन के दौरान कई तरह के गाइड लाइन जारी किया है जिसका अनुपालन नहीं करने पर प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो सकता है ।

राज्य चुनाव आयोग के गाइडलाइन के मुताबिक नामांकन के दौरान कई जरूरी काजगात भी जमा करने होंगे।. नामांकन पत्र के साथ जरूरी कागजात नहीं रहने तथा कागजात में किसी तरह की त्रुटि होने पर अभ्यर्थी का नाम नामांकन पत्र रद्द कर दिया जा सकता है ।

आयोग के द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक नामांकन पत्र दाखिल करते समय निर्वाची पदाधिकारी नामांकन पत्र की बारिकी से जांच करेंगे.
अभ्यर्थी व प्रस्तावक के मतदाता क्रमांक में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर निर्वाची पदाधिकारी उसे ठीक करायेंगे. लेकिन जरूरी कागजातों में किसी तरह की त्रुटि होने पर तथा कागजात नामांकन पत्र के साथ संलग्न नहीं रहने पर नामांकन पत्र रद्द हो जायेगा़ ।

. आयोग के द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक नाम निर्देशन पत्र प्रपत्र 6, शपत्र पत्र, अनुसूची-1(बिहार पंचायत राज अनिधियम 2006 की धारा 136 के संबंध में), अनुसूची-2(मतदाता सूची में अभ्यर्थी व प्रस्तावक के नाम दर्ज होने से संबंधित घोषणा), अनुसूची-3 (शपथ पत्र व एनेक्शचर को दी जाने वाली सूचनाओं का प्रपत्र), अनुसूची 3 क (अपराध, संपत्ति व शैक्षणिक योग्यता के संबंध में), अनुसूची 3 ख (अभ्यर्थी का बायोडाटा) देना जरूरी है़ इसके साथ नाम निर्देशन शुल्क, चालान या नाजिर रसीद की मूल कॉपी नामांकन पत्र के साथ संलग्न करना जरूरी है.

चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के खर्च का सीमा किया निर्धारित

बिहार में पंचायत चुनाव का बिगुल बच गया है आज प्रथम चरण के चुनाव को लेकर दस जिलों के 12 प्रखंडों में नामांकन का काम शुरु हो गया है ।

वही इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के अधिकतम खर्च की सीमा निर्घारित कर दिया है ।
आयोग ने सभी पदों के क्षेत्र व जनसंख्या के अनुसार चुनाव में खर्च की सीमा तय कर दी है। मुखिया और सरपंच प्रत्याशी अधिकतम 40 हजार ही खर्च कर पाएंगे वही वार्ड सदस्य और पंच पद के प्रत्याशी अधिकतम 20 हजार रुपए तक चुनाव में खर्च कर सकते हैं।

जिला परिषद प्रत्याशी को एक लाख रुपए तक खर्च करने की छूट दी गई है। वहीं आयोग ने पंचायत समिति सदस्य के पद पर चुनाव लड़ने वालों के लिए अधिकतम 30 हजार रुपया खर्च की सीमा तय कर दी है।

सभी प्रत्याशी को तय सीमा में ही खर्च करनी है साथ ही चुनाव में खर्च की गई राशि का हिसाब भी सभी को देना पड़ेगा। प्रत्याशियों को मतों की गणना का कार्य संपन्न होने के बाद चुनाव खर्च का ब्यौरा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। अगर इस बार कोई प्रत्याशी खर्च का हिसाब नहीं देते हैं तो अगले चुनाव में वैसे प्रत्याशी चुनाव से वंचित रह सकते हैं।

सभी प्रत्याशियों को मतगणना की समाप्ति के 15 दिन के अंदर अपने खर्च का ब्यौरा निर्वाची पदाधिकारी के पास जमा करना अनिवार्य होगा। जांच में किसी प्रत्याशी के खर्च की राशि अधिक होती है तो ऐसे में उस प्रत्याशी पर चुनाव आयोग के फैसले का उल्लंघन करने के खिलाफ में कार्रवाई की जाएगी।

भ्रष्ट इंजीनियर के खिलाफ विभाग की चुप्पी से मंत्री और विभागीय अधिकारियों के कार्यशैली सवालों के घेरे में ।

दरभंगा ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता को थाने से ही छोड़ने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है वही अभी तक विभाग द्वारा अभियंता पर कोई कारवाई नहीं किये जाने पर मंत्री सहित विभाग के प्रधान सचिव के मंशा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं ।

डीजीपी ने पूरे मामले में एसएसपी मुजफ्फरपुर से इंजीनियर मामले में बरामद राशी और एफआईआर के साथ साथ थाने के स्टेशन डायरी तक की कांपी मांगी है। जो खबर आ रही है उसके अनुसार स्टेशन डायरी और एफआईआर दर्ज करने के समय को लेकर कई तरह की त्रृटि है जिसका लाभ अभियुक्त को मिल सकता है हलाकि अब इस पूरे मामले की जांच आईजी मुजफ्फरपुर खुद देख रहे हैं।
इस बीच मुजफ्फरपुर पुलिस के कार्यशैली को लेकर बिहार के पूर्व डीजीपी और बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान चलाने वाले अभयानंद का कहना है कि जो मीडिया रिपोर्ट है उसके अनुसार मुजफ्फरपुर पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं।

सरकारी सेवक के पास से नगद पैसा बरामद होता है और उस पर आदर्श आचार संहिता का मामला दर्ज होता है जो समझ से पड़े है क्यों कि सरकारी सेवक के मामले में कानून पूरी तौर पर स्पष्ट है अगर किसी भी सरकारी कर्मी के पास से नगद पैसा बरामद होता है और उस पैसे का अगर हिसाब नहीं बता रहा है तो तुंरत उस पर पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज करना है ।
वही मुजफ्फरपुर पुलिस खुद कह रही है कि इंजीनियर के पास से बरामद लैपटांप और मोबाइल के डाटा मालूम करने में इंजीनियर सहयोग नहीं कर रहे हैं ऐसे में थाने से बेल देना समझ से पड़े है।

सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस देने का प्रावधान है लेकिन वैसे स्थिति में ना जब अभियुक्त पुलिस को सहयोग कर रही है दूसरी बात अभियुक्त के बाहर रहने से साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है लेकिन इंजीनियर मामले में सब कुछ सामने है थाने में रहते हुए छेड़छाड़ कर रहा था ऐसे में मुजफ्फरपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी ही है।
इस बीच मुजफ्फरपुर एसएसपी जयकांत से जब थाने से छोड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना है कि इस तरह के मामले में थाने से बेल देने का प्रावधान है ,बिहार पुलिस इससे पहले भी इस तरह के मामले में बेल देती रही है ऐसे में इस तरह के सवाल का कोई मतलब नहीं है ।मुजफ्फरपुर पुलिस इस मामले की पूरी गहनता से छानबीन कर रही है और एएसपी स्तर के अधिकारी को इस कांड का अनुसंधानकर्ता बनाया गया है ।

इस बीच इस मामले को लेकर विभागीयमंत्री जयंत राज से जब यह पुंछा गया कि आपके विभाग के एक सीनियर इंजीनियर के पास से 67 लाख रुपया बरामद हुआ है और उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है फिर भी अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई है इस पर मंत्री का कहना है कि इस मामले में विभाग भी अपनी ओर से जांच कर रहा है और शीघ्र ही समुचित कार्रवाई की जाएगी।

रोजगार को लेकर तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर बोला हमला कहां नौकरी देने का वादा कहां गया

नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर रोजगार को लेकर नीतीश सरकार को घेरा साथियों, एक रिपोर्ट के अनुसार विगत एक वर्ष में बिहार में 15 लाख नौकरियाँ और रोजगार समाप्त हुए है बल्कि एनडीए सरकार का 19 लाख नौकरियाँ और रोजगार देने का वादा था।

युवा विरोधी एनडीए सरकार 16 वर्षों से बेरोजगारी मिटाने और नौकरी देने वाली एक सुदृढ़ नीति भी नहीं बना पाई है। नौकरी देना तो बहुत दूर की बात है अब ये नौकरी छिनने में लगे है।

प्रदेश में नियमित नौकरियों में इतना भ्रष्टाचार और घूसखोरी है कि कोई योग्य अभ्यर्थी इसमें अपनी जगह बना ही नहीं पाता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार इतनी नाकारा हो चुकी है कि विगत 16 वर्षों में बिहार में कोई उद्योग-धंधे नहीं लगे, कोई पूंजी निवेश नहीं हुआ, संगठित-असंगठित क्षेत्र में रोजगार और नौकरियों के अवसर उत्पन्न हुए ही नहीं क्योंकि सरकार की तरफ़ से कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है।

कुटीर और घरेलू उद्योगों के लिए सरकारी अनुदान और प्रोत्साहन राशि पाने में घूसखोरी, अफसरशाही और लाल फीताशाही की इतनी दीवारें हैं कि बिना भाई भतीजावाद और रिश्वत के इसे पाना असंभव है।

शताब्दी भवन के तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन )के पास मजार से सटे एक बहुमंजिली इमारत के हुए अवैध निर्माण को तोड़ने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने राज्य सरकार व अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के इस मामलें में बहाल amicus curie वरीय अधिवक्ता राजेंद्र नारायण को जारी किया हैं।

इससे पूर्व जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने इस मामलें पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। जजों की पाँच सदस्यीय बेन्च ने बहुमत के निर्णय से इस भवन निर्माण को अवैध करार देते हुए एक माह के भीतर तोड़ने का आदेश दिया था ।
इस भवन के निर्माण पर कोर्ट ने तत्काल रोक लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसके निर्माण को लेकर पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी ?

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का चार मंजिला कार्यालय बन रहा है। कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफ़िर खाना बन रहा है।
य़ह तिमंजिला भवन है एवं नए इमारत के निर्माण में किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी ।
इस पर जजों ने कहा था कि यह गलत तरीके से बना है।बिल्डिंग बाय लॉ की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधान सभा , राजभवन और हाईकोर्ट जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील से सटे कोई दूसरी बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकती है। साथ ही इसकी उँचाई 10 मीटर से अधिक नहीं हो सकती हैं।इस मामलें पर नोटिस का जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पुनः सुनवाई करेगा।

भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के जीरो टांलरेंस के दावे की खुली पोल इंजीनियर ने कहा मुंह खोलूंगा तो सरकार हिल जाएगी ।

सरकार भले ही भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करता है लेकिन पिछले 72 घंटे से एक इंजीनियर जिस तरीके से पूरी सरकार को लील डाउन कराये हुए है यह देख कर मेरे जैसा पत्रकार भी हैरान है कि नीतीश कुमार के सीएम रहते हुए सिस्टम इतना लाचार बेवस और कमजोर कैसे हो सकता है ।


जी है मैं बात कर रहा हूं दरभंगा जिले में ग्रामीण कार्य विभाग में पदस्थापित अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार की जिन्हें मुजफ्फरपुर पुलिस ने तीन दिन पहले 18 लाख रुपया केस के साथ पकड़ा है हलाकि उसके पास दो करोड़ से ज्यादा पैसा था ऐसी खबरे हम लोग के पास आ रही थी ।


खैर मैंने जब मुजफ्फरपुर एसएसपी जयकांत से खुद बात किया तो इन्होंने कहा कि संतोष जी 30 लाख रुपया बरामद हुआ है हमलोग भी सून रहे हैं कि दो करोड़ इसके पास था लेकिन गांड़ी में इतना ही है आर्थिक अपराध इकाई और इनकमटैक्स को सूचना दे दिए हैं वो लोग आ रहे हैं जो कारवाई करे वो लोग। एसएसपी मुजफ्फरपुर से हमारी बात दोपहर दो बजे के करीब हुई थी शाम में एएसपी वेस्ट सैयद इमरान मसूद ने कहा कि इंजीनियर के पास से 18 लाख रुपया बरामद हुआ है और इंजीनियर पर पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में जारी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है जिसमें इस समय नगद पैसे लेकर चलने पर रोक है ।


ये समझ से पड़े कि बात है कि एक सरकारी इंजीनियर जिसके विभागीय गांड़ी से 18 लाख रुपया नगद पैसा बरामद होता है और उस पर मुखिया चुनाव वाले धारा के तहत मामला दर्ज होता है ,और इससेे बड़ी बात यह है कि एएसपी वेस्ट को जब मीडिया वाले ने इंजीनियर को मीडिया के सामने लाने को कहां तो इस तरह भड़क गये जैसे मीडिया वाले कोई अपराध कर दिया हो अभी तक इंजीनियर की तस्वीर किसी मीडिया के पास नहीं है।


खैर मुजफ्फरपुर पुलिस उसी दिन शाम में थाना पर से ही इंनजीयिर को जमानत दे दिया हलाकि इस मामले में एएसपी और एसएसपी दोनों से सवाल किया गया तो अधिकारिक तौर पर कोई जबाव नहीं दिया गया फिर दूसरे दिन खबर आती है कि इंजीनियर के दरभंगा और पटना स्थित आवास पर छापा मारा गया तो 49 लाख रुपया नगद उसके आवास से बरामद हुआ।
49 लाख रुपया की बरामदगी के बावजूद अभी तक पुलिस यह तय नहीं कर पा रही है कि इस इंजीनियर के साथ करे क्या ,वैसे खबर आ रही है कि इंजीनियर पुलिस को पुछताछ में सहयोग नहीं कर रही है इसलिए अब इनको बेल दे कर छोड़ दिया जाये अभी वो पुलिस हिरासत में है या फिर पुलिस उसको छोड़ दिया है हलाकि अधिकारिका तौर पर पूरा सिस्टम खामोश है कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है ।


बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री के अंदर तीन विभाग है विशेष निगरानी ,निगरानी और आर्थिक अपराध इकाई जिसके अधिकारी सीधे सीएम को रिपोर्ट करते हैं एक इंजीनियर के पास से 67 लाख रुपया कैस बरामद हो रहा है लेकिन ये सारी ऐजेंसी ऐसे खामोश है जैसे ये कोई साधारण बात है आर्थिक अपराध इकाई की एक टीम पहुंची हुई है लेकिन चार दिन होने को है लेकिन अभी तक कोई बड़ी कारवाई नहीं हुई है ।


ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि ये इंजीनियर कौन है क्यों कि चैन छिनतई में एक पूर्व विधायक के बेटा की गिरफ्तारी हुई तो पुलिस भी और हम मीडिया वाले भी बड़े बड़े अंक्षर में लिख रहे हैं दिखा रहे हैं लेकिन इस इंजीनियर को लेकर पूरा सिस्टम खामोश है कहां जा रहा है कि इस इंजीनियर का रिश्ता सत्ता में बैठे ऐसे लोगों से हैं जो इन दिनों सरकार के नाक के बाल बने हुए हैं इसलिए कारवाई करने से सब बच रहा है ।सबसे बड़ी बात है ग्रामीण कार्य विभाग के एक सीनियर इंजीनियर चार दिनों से पुलिस के हिरासत में है और विभाग ऐसे खामोश है जैसे कुछ हुआ ही नहीं है ।

नीतीश कुमार पीएम पद के नहीं है उम्मीदवार मोदी हैं सर्वमान्य नेता

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में भारत के प्रधानमंत्री बनने की तमाम योग्यता रखते हैं, हालांकि वह पीएम पद के दावेदार नहीं हैं। रविवार को जदयू की राष्टीय परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। साढ़े तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केन्द्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह समेत जदयू राष्ट्रीय परिषद के करीब ढाई सौ सदस्यों की उपस्थित के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और वही एनडीए में पीएम पद के प्रत्याशी भी हैं। लिहाजा, नीतीश कुमार इस पद के दावेदार नहीं हैं। लेकिन, हमारा मानना है कि पीएम पद के लिए जिन योग्यताओं और जिस आला दर्जे के समर्पण तथा दक्षताओं की जरूरत होती है, वे सभी नीतीश कुमार में हैं। ललन सिंह के इस प्रस्ताव को जदयू राष्ट्रीय परिषद ने सर्वसम्मति से पारित किया।

नीतीश कुमार पीएम मटेरियल जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में हुआ पारित

JDU के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुल 8 एजेंडों पर चर्चा की गई। इस बैठक में ललन सिंह को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया और उन्हें अध्यक्ष पद के सभी अधिकारों को दिया गया। इस बैठक के एजेंडे में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के लिए भी JDU के संविधान में संशोधन किया गया है। पहले से राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होते थे। लेकिन संशोधन में ये साफ किया गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी को मनोनीत कर सकते है। अभी, उपेंद्र कुशवाहा JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष है। वही, जातीय जनगणना और जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी प्रस्ताव पास किए गए। इसमें JDU ने अपने पुरानी बातों को फिर से दोहराया है।

1 प्रस्ताव – राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने पर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी। वहीं, रामचंद्र प्रसाद सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदान के प्रति आभार व्यक्त और उनके कार्यकाल की प्रशंसा पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का अनुमोदन किया गया।

2 प्रस्ताव – पार्टी संविधान में संशोधन किया गया। राष्ट्रीय परिषद में यह प्रस्ताव किया गया कि संविधान की धारा 28 में आवश्यक संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया जाए जिसमें JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे या किसी को अध्यक्ष मनोनीत करने के साथ सदस्यों का मनोनयन करेंगे।

3 प्रस्ताव- राष्ट्रीय परिषद ने आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में NDA के साथ समुचित हिस्सेदारी के आधार पर चुनाव लड़ने की पहल करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है।

4 प्रस्ताव -इस प्रस्ताव में जातीय आधार पर जनगणना को रखा गया है। पार्टी के प्रस्ताव में कहा गया कि आवश्यक है कि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना कराकर सभी जातियों का वास्तविक आंकड़ा सार्वजनिक करें। जिससे सुविधा विहीन और विकास से वंचित जातियों को उनकी आबादी के अनुरूप साधन एवं सुविधा मुहैया हो सके। जनगणना समाज और सरकार सबके हित में होगी और इससे हमारी संसदीय लोकतंत्र मजबूत होगा।

5 प्रस्ताव – राष्ट्रीय परिषद की मांग है कि जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाए ताकि बिहार की तर्ज पर अत्यंत पिछड़े वर्गों को सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयासों को अधिक बल मिल सके।

6 प्रस्ताव – जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षित कन्या-सुखी परिवार के बिहार मॉडल को जनसंख्या कम करने का लक्ष्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया। JDU किसी कठोर नियंत्रण अथवा किसी नकारात्मक नतीजों वाले प्रयास के बजाय जागरूकता अभियान एवं बालिका शिक्षा के विस्तार के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को कम करने का समर्थन करता है।

7 प्रस्ताव – मेडिकल परीक्षाओं में की गई आरक्षण व्यवस्था का स्वागत किया गया । पार्टी का मानना है कि इसमें पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 10% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इससे वंचित समूह को सामाजिक न्याय एवं विशेष अवसर मिलेंगे। इस प्रोत्साहन से चिकित्सा सेवा क्षेत्र में समानता उपलब्ध कराने के प्रयास में सफलता मिलेगी।

8 प्रस्ताव -इस में शोक प्रकाश लाया गया। जिसमें नेताओं के निधन पर शोक व्यक्त किया गया।

इस प्रस्तावों पर भी लगा मोहर

1— यूपी और मणिपुर विधान सभा चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी जदयू।

2–नीतीश कुमार पीएम पद के हैं योग्य उम्मीदवार

3– हम बीजेपी के सबसे विश्वसनीय पार्टनर।

नीतीश के सामने है दोहरी चुनौती पार्टी और सरकार दोनों कैसे बचे

आज जदयू के केंद्रीय संगठन में हाल में हुए बदलाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कई महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी राय देंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच फैले भ्रम को दूर करेंगेे और उन सवालों के जवाब भी देंगे जो पार्टी संगठन में अक्सर पूछे जा रहे हैं। रविवार को पटना में आयोजित राष्ट्रीय परिषद (JDU National Council) की बैठक में मुख्यमंत्री के भाषण का इंतजार पार्टी के कार्यकर्ता शिद्दत से कर रहे हैं। हाल के दिनों में उनके बीच संशय पैदा करने वाली कई घटनाएं हुईं। इस या उस नेता के बदले पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं के बीच अधिक दुविधा है।

स्वागत समारोह या शक्ति प्रदर्शन
जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर सांसद राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) छह अगस्त को पटना आए। उनके स्वागत में भारी भीड़ जुटी। केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह (Union Minister of Steel RCP Singh) पहली बार बिहार आए। उसमें भी अच्छी भीड़ जुटी। लेकिन, तैयारी के बैनर से विवाद हो गया। उस बैनर पर नए बने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का फोटो नहीं था। वह बैनर हटा। नया बैनर लगा। लेकिन, आरसीपी की पूरी यात्रा में बैनर का फोटो विवाद बन कर झूलता रहा। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) फोटो चुनिन्दा जवाब में उपेंद्र कुशवाहा की यात्रा के बैनरों से आरसीपी गायब कर दिए गए।

संगठन का काम करते रहेंगे
आरसीपी ने सम्मान समारोह में कहा कि वह केंद्र में मंत्री रहेंगे और संगठन का काम पहले की तरह करते रहेंगे। उन्होंने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के घर पर भोजन करने की घोषणा की। कार्यकर्ताओं को यह भरोसा दिया कि इस्पात मंत्रालय और बिहार सरकार में मनोनयन से भरे जाने वाले पदों की वैकेंसी खत्म करेंगे। कार्यकर्ताओं को मनोनीत करेंगे। उन्होंने इशारे में कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की उनकी भूमिका कायम रहेगी।

कार्यकर्ताओं-नेतृत्व दोनों में असमंजस
आरसीपी की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं और छोटे-मध्यम दर्जे के नेतृत्व में भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है कि वह किसे संगठन का नेता माने। बेशक नीतीश कुमार सर्वोच्च हैं। लेकिन, संगठन के मामले में वह रोज-रोज अपनी राय नहीं दे सकते हैं। लिहाजा उनके बाद वाले कमांड की जरूरत है। संभव है कि नीतीश कुमार अपने संबोधन में जिक्र करें कि पार्टी संगठन का व्यवहारिक नेतृत्व कौन करेगा। पार्टी के प्रति संगठन और सरकार-दोनों की जिम्मेवारी है। यह तय होगा प्राथमिक जिम्मेवारी किसकी है।

बैक ड्राप पर सिर्फ नीतीश का चेहरा
अध्यक्ष बनने के बाद भी ललन सिंह संगठन के मामले में अधिक सक्रिय नहीं हैं। स्वागत कराने के बाद लोकसभा की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली चले गए। संसद की कमेटी के साथ जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां जदयू कार्यालय में गए। लेकिन, बिहार संगठन में उन्होंने कोई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप नहीं किया। शायद इसलिए भी कि वे मुख्यमंत्री के मुंह से अपनी भूमिका के बारे में सुन लेना चाहते हैं। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के फैसले की भी पुष्टि होगी। इसके बाद ललन सिंह की प्रभावी भूमिका शुरू होगी। फिलहाल, जदयू के प्रदेश कार्यालय के बैनर से राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से लगाया गया आरसीपी का फोटो हटा दिया गया है। ललन सिंह का फोटो रविवार के बाद लगेगा।

सरकार में शामिल होने का फैसला
अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किसका था। ललन सिंह कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला था। उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी ही थे। मुख्यमंत्री अबतक कुछ स्पष्ट नहीं बोले हैं। दूसरी तरफ आरसीपी कह रहे हैं कि उन्होंने आज तक बिना मुख्यमंत्री की सहमति से कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुछ ऐसा जरूर कहेंगे, जिससे कार्यकर्ता समझ जाएं कि किसी की सहमति या राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से आरसीपी ने केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने का फैसला किया।

– अरुण अशेष(लेखक दैनिक जागरण के वरिष्ट पत्रकार हैं)

पंचायत चुनाव के दौरान प्रत्याशी चार चक्का गांड़ी का नहीं कर सकते हैं इस्तमाल

राज्य निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव को लेकर कई और गाइड लाइन जारी किये हैं जिसके तहत प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार के दौरान कितने वाहन यूज करना है इस पर खास ध्यान रखा गया हैै।

प्रत्येक पद के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं। जिप सदस्य प्रत्याशी को दो हल्के मोटर या दो दोपहिया वाहन से प्रचार करने की अनुमति दी जा सकती है। वहीं, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य एवं सरपंच को चालक सहित एक यांत्रिक दोपहिया वाहन सिर्फ अभ्यर्थी अथवा उनके निर्वाचन अभिकर्ता के लिए मंजूरी दी जाएगी। ग्राम पंचायत सदस्य एवं पंच प्रत्याशी या उनके निर्वाचन अभिकर्ता चुनाव प्रचार में किसी तरह के वाहन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। आयोग द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अभ्यर्थी या निर्वाचन अभिकर्ता में से किसी एक को ही वाहन का परमिट दिया जायेगा। बिना परमिट के वाहन का परिचालन किये जाने पर उसे तुरंत जब्त कर लिया जायेगा।

आयोग द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि मतदाताओं को दी जाने वाली पहचान पर्चियां सादे कागज पर अंकित होनी चाहिए। उम्मीदवार का नाम या चुनाव चिह्न बिल्कुल भी अंकित नहीं होना चाहिए। 100 मीटर पहले रुक जायेंगे वाहन नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने के लिए निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय के 100 मीटर की परिधि में किसी भी वाहन का प्रवेश पूरी तरह वर्जित होगा।

जदयू राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से बिहार की राजनीति की दिशा तय होगी

जदयू के राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक आज और कल पार्टी के प्रदेश कार्यालय स्थित कर्पूरी सभागार में होनी है। इस बैंठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ,मंत्री आरसीपी सिंह ,संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, प्रधान महासचिव केसी त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव संजय झा, आफाक अहमद,रामसेवक सिंह, रामनाथ ठाकुर, गुलाम रसूल बलियावी, कमर आलम, राष्ट्रीय सचिव आरपी मंडल, विद्यासागर निषाद, रवीन्द्र प्रसाद सिंह, संजय वर्मा, राजसिंह मान, कोषाध्यक्ष डॉ. आलोक सुमन समेत कुल 18 नेता शामिल होंगे।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को बैठक में शामिल होंगे और पार्टी नेता को सम्बोधित करेंगे ।

हलाकि बैठक के एजेंडे की बात करे तो बैठक में मुख्य रूप से उन प्रस्तावों पर मुहर लगनी है, जिन्हें दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिया गया था।

1—पहला प्रस्ताव था जातिगत जनगणना
2–दूसरा प्रस्ताव था जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने से सम्भव नहीं है पार्टी इसके लिए लोगों को जागरूक के लिए अभियान चलायेंगी
3–तीसरा प्रस्ताव था जदयू अपने संविधान में संशोधन पर भी मुहर लगाएगा। इसके तहत यह व्यवस्था की गई है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि वे पार्टी के राष्ट्रीय संंसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में किसी को जिम्मेदारी दे सकें।
4—जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह भी तय हुआ था पार्टी उन राज्यों में विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी, जहां चुनाव बहुत जल्द होने वाले है। इस क्रम में उत्तर प्रदेश और मणिपुर का जिक्र आया था। इससे जुड़े प्रस्ताव पर भी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुहर लगेगी।

हलाकि ये सारे एजेंडे दिखावे के लिए इस बैठक के पीछे मूल रुप से दो एजेंडा प्रमुख है जिसमें एक जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी कैसे बैकफुट पर आती है और दूसरा संगठन से आरसीपी सिंह और उनके चाहने वाले लोगों का सफाया कैसे हो।
पहले एजेंडे को प्रभावी बनाने की जिम्मेवारी के0सी त्यागी को दी गयी है और आरसीपी सिंह के ऑपरेशन की जिम्मेवारी ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा दो गयी है।

क– नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर दूसरे राज्यों के दौरे पर निकलेंगे
रणनीति के तहत राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पार्टी की और से लाया जा रहा है जिसमें जातीय जनगणना को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक नैरेटिव बने इसके लिए नीतीश कुमार देश स्तर उन्हें कैंपेन की जिम्मेवारी दी जाये ।
इसकी पीछे नीतीश कुमार की मंशा यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दू मुस्लिम और राष्ट्रवाद का जो नैरेटिव चरम पर है उसको कमजोर किया जा सके ।क्यों कि जब तक राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दू मुस्लिम और राष्ट्रवाद का नैरेटिव चलता रहेंगा जातिवादी राजनीति कमजोर होती चली जायेंगी और ऐसे में पार्टी को बचाये रखना मुश्किल हो जायेंगा। इसलिए राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक पूरी तौर पर जातीय जनगणना को लेकर फोकस रहेंगा ।
साथ ही जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बीजेपी जो कानून लाना चाह रही है उसका अपने तरीके से विरोध जारी रखने की रणनीति पर भी गम्भीर चर्चा होगी क्यों कि जातीय जनगणना को तोड़ जनसंख्या नियंत्रण कानून ही है ।
जो जातिवादी राजनीति को हाशिए पर पहुंचा सकता है क्यों कि बीजेपी इस कानून को पूरी तौर पर मुस्लिम नैरेटिव को सामने रख कर आगे बढ़ रही है।

ख–आरसीपी सिंह को पर कतरने की भी तैयारी है
राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के अध्यक्ष बनने पर जैसे ही मोहर लगेंगा ललन सिंह को संगठन के विस्तार का अधिकार मिल जायेंगा ।आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने के लिए भले ही पार्टी एक व्यक्ति एक पद की बात कह रहा है जबकि आरसीपी सिंह से पहले शरद यादव और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं और मंत्री और सीएम भी इसलिए एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला के पीछे आरसीपी को संगठन और पार्टी से दूर करना ही था इसलिए सबकी नजर राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक पर है क्यों कि अभी तक जदयू के नेताओं को बयान है उस गौर करेंगे तो एक बात समान्य है जदयू के हमारे सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार हैं और जदयू में एक ही नेता है, वह नीतीश कुमार हैं. जनता दल यूनाइटेड का मतलब आप लोग अच्छे तरीका से जान लीजिए, जनता दल यूनाइटेड है और इसका मतलब भी साफ है. पार्टी पूरी तरह से एकजुट है. कहीं भी पार्टी में किसी भी तरह का मतभेद नहीं है।बयान जरुर इस तरह के आ रहे हैं लेकिन पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक ठाक नहीं है यह दिख रहा है भले ही नीतीश कुमार क्यों ना मतभेद की बात सिरे से खारिज कर दे।
हलाकि आरसीपी विरोधी जो भी नेता है उसके निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा है माना यही जा रहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष से हटाया जा सकता है हलाकि यह निर्णय इतना आसाना नहीं है क्यों कि भले ही आरसीपी सिंह नीतीश में पूरी आस्था दिखा रहे हैं लेकिन आज वो इतने कमजोर भी नहीं है कि नीतीश उन्हें सिरे से खारिज कर दे ।

वैसे नीतीश और आरसीपी के बीच के रिश्ते को समझना आज की परिस्थिति में भी बहुत मुश्किल है भले ही 2020 के विधानसभा चुनाव में 10 से 15 ऐसे सीटों पर जहां जदयू चुनाव हारी है, उस हार के लिए आरसीपी जिम्मेवार है ये नीतीश भी स्वीकार करते हैं लेकिन इसके इतर भी बहुत सारी बाते ऐसी है जो आरसीपी को सिरे से खारिज करना नीतीश के लिए मुश्किल होगा ।

ऐसे में दो दिनों के इस राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से बिहार की राजनीति किस और करवट लेगी इसका निर्घारण होना तय माना जा रहा है ।

पंचायत चुनाव में कौन कहां से चुनाव लड़ सकता है चुनाव आयोग ने जारी किया निर्देश मुखिया पद के प्रखंड का वोटर होना अनिवार्य

बिहार में होने वाले पंचायत आम चुनाव के दौरान कोई भी मतदाता अपने प्रखंड के किसी भी पंचायत से मुखिया पद का प्रत्याशी बन सकेगा।राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के निर्वाचन क्षेत्रों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार किस पद के प्रत्याशी के निर्वाचन क्षेत्र की सीमा कौन-कौन सी होगी, इसकी जानकारी दी गयी है। आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार कोई भी व्यक्ति अगर मुखिया पद का प्रत्याशी बनना चाहता है तो वह अपने प्रखंड के अंदर किसी भी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ सकता है। इसी प्रकार, आयोग ने अन्य पदों के लिए भी निर्वाचन क्षेत्रों की स्थिति स्पष्ट कर दी है।

आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए उस निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम दर्ज होना आवश्यक है। मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत सदस्य या ग्राम कचहरी के पंच का चुनाव लड़ना चाहता है तो वह उस ग्राम पंचायत के किसी भी वार्ड से प्रत्याशी हो सकता है।

इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति मुखिया, सरपंच या पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी बनना चाहता है तो वह उस प्रखंड के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव का प्रत्याशी हो सकता है। शर्त यह है कि उसका नाम उस प्रखंड के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए।

इसी प्रकार, आयोग ने जिला परिषद प्रत्याशी को लेकर भी निर्देश दिया है। जिला परिषद प्रत्याशी अपने जिले के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार हो सकता है। बर्शेते कि उसका नाम उस जिले के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल हो।