पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बिहार दिवस (22 मार्च) पर प्रदेशवासियों को बधाई दी और अपील कि लोग राजनीतिक स्थिरता लाने और दस साल में विकसित राज्य बनाने का संकल्प लें।
- श्रीबाबू के दूरदर्शी नेतृत्व में हुआ था राज्य का प्रारम्भिक विकास
- 29 साल में 23 मुख्यमंत्री आये-गए, अस्थिरता से बाधित हुआ विकास
- 1990 में ऐसी सरकार आयी, जिसने अपराध और भ्रष्टाचार का राजनीतिकरण किया, विकास नहीं
- 2005 में आयी एनडीए सरकार, विकास पटरी पर लौटा, बिहार दिवस मनाने की शुरुआत उसी दौर में
- निजी महत्वाकांक्षाओं के हावी होने से फिर अस्थिरता मेंं फंसा बिहार
श्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद 14 साल तक राजनीतिक स्थिरता रही और प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह उर्फ श्री बाबू के दूरदर्शी नेतृत्व में राज्य का प्रारम्भिक विकास हुआ।
उन्होंने कहा कि 1961 में श्री बाबू की मृत्यु के बाद अस्थिरता, भ्रष्टाचार और कुशासन के चलते बिहार लगातार पिछड़ता गया।
उन्होंने कहा कि 1961 से 1990 तक 29 साल में यहाँ 23 मुख्यमंत्री आये-गए और राष्ट्रपति शासन भी लगता रहा। इससे विकास बाधित हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि 1990 में ऐसी सरकार आयी, जिसने बीस साल राज करने के इरादे से अपराध और भ्रष्टाचार का खुलकर राजनीतिकरण किया, लेकिन विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। उस दौर में बिहारी कहलाना शर्म की बात हो गई थी।
उन्होंने कहा कि भले ही एक सरकार 20 साल राज नहीं कर सकी, लेकिन 15 साल में ही उसने राज्य को 50 साल पीछे धकेल दिया।
श्री मोदी ने कहा कि 2005 में जब एनडीए सरकार आयी, तब विकास पटरी पर लौटा था। उस दौर में अपराध पर कठोर नियंत्रण, वित्तीय अनुशासन, भ्रष्टाचार पर अंंकुश, ढांचागत विकास में भारी निवेश और उच्च शिक्षा के नये संस्थान खुलने से बिहारी अस्मिता का पुनर्जागरण हुआ। बिहार दिवस मनाने की शुरुआत भी उसी दौर में हुई थी।
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने विकास और गुड गवर्नेंस दिया, जिससे बिहार सबसे तेज विकास करने वाला राज्य बना।
श्री मोदी ने कहा कि दुर्भाग्यवश, कुछ लोगों की पीएम-सीएम बनने की महत्वाकांक्षाएँ इतनी भारी पड़ीं कि बिहार फिर अस्थिरता के भँवर मेंं फंस गया।
उन्होंने कहा कि बिहार दिवस पर हमें राजनीतिक स्थिरता और विकास का दौर लौटाने का संकल्प लेना चाहिए।