बिहार के जल-जीवन-हरियाली अभियान के लक्ष्य वैश्विक सम्मेलन COP26 के एजेंडे के अनुरूप: संजय झा
- बिहार के जल संसाधन मंत्री ने दिल्ली में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बैठकों में हिस्सा लिया, बिहार का पक्ष रखा
- नदियों को आपस में जोड़ने की योजनाओं और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर हुई सार्थक चर्चा
* श्री संजय झा ने राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के पटना कार्यालय और सुदृढ़ करने का किया अनुरोध
पटना।
विज्ञान भवन, नई दिल्ली में शुक्रवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (NWDA) की 35वीं वार्षिक सामान्य बैठक और नदियों को आपस में जोड़ने के लिए गठित विशेष समिति की 19वीं बैठक में बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने भी हिस्सा लिया। बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जलशक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के अलावा कई राज्यों के मंत्रियों और केंद्र तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
इन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बैठकों में श्री संजय झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में उभरते संकट से निपटने के उपाय करने में बिहार अग्रणी प्रदेश रहा है। माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एक व्यापक एवं बहुआयामी अभियान ‘जल-जीवन-हरियाली’ की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत पौधारोपण, सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने, वर्षा जल के संचयन, तमाम मृतप्राय जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने आदि के लिए बड़े पैमाने पर काम हो रहे हैं। 2020 के जनवरी में बिहार के लगभग 5 करोड़ लोगों इस अभियान के समर्थन में विश्व के सबसे लंबे मानव श्रृंखला का निर्माण भी किया था। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के जरिये बिहार पूरी दुनिया के लिए नजीर पेश कर रहा है। इस अभियान के लक्ष्य अभी संपन्न हुए वैश्विक सम्मेलन COP26 के एजेंडा के अनुरूप हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी सोच के कारण जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 24 सितंबर 2020 को आयोजित इंटरनेशनल राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में उन्हें ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’ पुकारा गया।
श्री झा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय-2 के अंतर्गत ‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’ कार्यक्रम के तहत प्रत्येक गांव एवं टोलों का सर्वेक्षण कर कुल 29,952 सिंचाई योजनाओं का चयन किया गया है, जिस पर कार्यान्वयन की कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए बिहार में अब जलवायु के अनुकूल खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
नदियों को आपस में जोड़ने के मुद्दे पर श्री संजय झा ने कहा कि बिहार में बाढ़ और सुखाड़ की समस्या को कम करने के लिए राज्य के अंदर नदियों को जोड़ने की योजना तैयार करने का काम राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (NWDA) को दिया गया है और इसकी अच्छी प्रगति हो रही है। बिहार की कोशी मेची लिंक परियोजना को इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस मिल चुका है और इसे राष्ट्रीय योजना में शामिल करने की अनुशंसा कर दी गई है। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि कोशी-मेची लिंक परियोजना के लिए 90:10 के आधार पर केंद्रीय सहायता दी जाए। इस योजना से उत्तर पूर्वी बिहार के चार जिलों को काफी लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जल संसाधन विभाग को निदेश दिया गया है कि छोटी-छोटी नदियों को जोड़ते हुए जल संरक्षण एवं किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य करें। उत्तर बिहार में बागमती, कमला एवं कोशी बेसिन और दक्षिण बिहार में पुनपुन, किउल-हरोहर बेसिन में छोटी-छोटी़ नदियों को आपस में जोड़ते हुए इन क्षेत्रों की बाढ़ की समस्या को दूर करने के साथ-साथ सिंचाई देने की योजनाओं की असीम संभावनाएं हैं।
श्री संजय झा ने इंट्रा स्टेट रिवर लिंकिंग के तहत बिहार की बागमती गंगा लिंक, बूढ़ी गंडक नून बाया गंगा लिंक और बागमती बूढ़ी गंडक लिंक योजना की संभाव्यता पर पुनर्विचार करने के लिए राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया अभिकरण पटना स्थित अपने अंचलीय कार्यालय को और सुदृढ़ करते हुए वहां पदाधिकारियों की कमी को दूर करे।