जियो बिहार … बिहार जिंदाबाद @ 110
नए कैलेंडर और शासनिक प्रक्रिया के हिसाब से हमारा, हम सबका बिहार, 110 साल का हो गया।
वह बिहार, जिसका इतिहास कमोबेश मानव सभ्यता-संस्कृति का इतिहास है; जिसने दुनिया को लोकतंत्र की अवधारणा से वाकिफ कराया; जिसने चंद्रगुप्त-सम्राट अशोक-बुद्ध-महावीर- वाल्मिकी-चाणक्य-आर्यभट्ट-गुरू गोविंद सिंह महाराज जैसे महानतम शख्सियतों के आचार-सिद्धांतों से लेकर नालंदा- विक्रमशिला विश्वविद्यालय के जरिए दुनिया को ज्ञान दिया;
जिसने आजादी से पहले सात समंदर पार कई-कई देश गढ़े; जिसने मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा बनाया; जो जेपी की संपूर्ण क्रांति का स्थल है, जो आज की तारीख में महिला सशक्तीकरण व ऐसे कई बड़े बुनियादी मसलों पर देश-दुनिया को रास्ता दिखा रहा है; जो लोकसेवाओं के बड़े पदधारकों की ‘फैक्ट्री’ कहलाता है;
जो दुबई में बुर्ज खलीफा व लद्दाख की सड़क बनाता है, दिल्ली में ऑटो चलाता है, कोलकाता में ठेला खींचता है और दिल्ली के केंद्रीय मंत्रालय में बैठकर देश चलाने की नीतियां भी बनाता है; और जो अपनी इन्हीं चौतरफा मौजूदगी को इकट्ठे भाव में विशेषकर छठ के पावन मौके पर गर्व के भाव में परोसने की हैसियत पाता है कि ‘मैं सूर्य हूं, सूर्य मुझमें हैं।’
(बहरहाल, सबको बिहार दिवस की बहुत बधाई, शुभकामनाएं).।
लेखक–मधुरेश सिंह