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बिहार विधानसभा उपचुनाव का परिणाम चौकाने वाला हो सकता है!

बिहार विधानसभा उपचुनाव का परिणाम जो भी हो लेकिन चुनाव का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा यह साफ दिख रहा है, वोटिंग ट्रेंड एनडीए के पक्ष में नहीं है ,महिला वोटर 2005 के चुनाव बाद पहली बार घर से बाहर नहीं निकली है जैसे पहले निकलती थी। वही वोटिंग प्रतिशत की बात करे तो दोनों जगह लगभग 5 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है, अगर जदयू चुनाव हारती है तो जदयू और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ सकती है क्यों कि इस चुनाव में भी साफ दिख रहा था कि बीजेपी का कार्यकर्ता उदासीन ही नहीं था जदयू चुनाव हार जाये इस तरह खुलकर बात भी कर रहा था दिल की सुनो उसी और इशारा था एक और बात जो पूरे मतदान के दौरान चर्चा में रहा वह था सरसों तेल की कीमत (मिथिलांचल में करुआ तेल कहते हैं) इसको लेकर महिला मतदाता चर्चा कर रही थी ,इसका कितना असर वोट पर पड़ा यह फिलहाल कहना मुश्किल है, वैसे इस बार जदयू प्रशासनिक और मीडिया प्रबंधन में बाजीगर रहा , फिर भी परिणाम क्या होगा कहना मुश्किल है क्यों कि तारापुर विधानसभा में यादव और मुसलमान भी वोट देने के लिए उस तरीके से बाहर नहीं आया जैसे आते रहे हैं ।1—मतदान का प्रतिशत कम रहा इस बार कुशेश्वरस्थान में 49% तो तारापुर में 50.04 % वोटिंग हुई है। आम चुनाव 2020 की तुलना में दोनों सीटों पर मतदान का प्रतिशत कम रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में तारापुर में 54.43%, जबकि कुशेश्वरस्थान में 55.8 फीसदी वोटिंग हुई थी।बात महिला वोटर कि करे तो कुशेश्वर स्थान 49,6 प्रतिशत वोटिंग हुई है जिसमें 48,3 प्रतिशत पुरुष और 50.9%महिला वोट की है वहीं तारापुर की बात करे पुरुष की तुलना में मात्र पांच हजार अधिक वोट महिला की है ।फिर भी किसके सिर ताज बंधेगा कहना मुश्किल है

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