11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका में बहुत कुछ बदल गया है उससे पहले अमेरिकन नागरिक को दुनिया में क्या हो रहा है और दुनिया के साथ अमेरिका क्या कर रहा है उससे अमेरिकन नागरिक को कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन इस हमले के बाद अमेरिकन यूथ में अमेरिका की विदेश नीति और अमेरिका की राजनीति के प्रति जिज्ञासा बढ़ी और अब अमेरिकन सरकार पहले जैसे व्यापारी के हित साधने के लिए बहुत कुछ भी नहीं कर सकता है अब देश के अंदर विमर्श शुरू हो जाता है देश के अंदर विरोध के स्वर उठने लगता हैं ।
मेरी बहन और उसका परिवार अमेरिकन नागरिक है मेरा एक भगिना तो अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का दावा अभी से ही ठोके हुए हैं रोजाना अमेरिका की नीति पर बहस होता रहता है।
वैसे ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की राजनीति को लेकर मेरी भी दिलचस्पी बढ़ी और अक्सर मेरा सवाल रहता था कि ट्रंप जैसा व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति कैसे बन गया, फिर ट्रंप हटा तो कैसे हटा, क्यों कि ट्रंप मोदी की तरह पूरे अमेरिका को राष्ट्रवाद के नाम पर ऐसा माहौल बना दिया था कि बहुत मुश्किल था उसको हटाना अभी भी वहां के लोग सशंकित रहते हैं कि फिर कही वो लौट ना आय़े ।
वैसे ट्रंप का चुनाव हारना अमेरिका के लिए ऐतिहासिक घटना था क्यों कि ट्रंप जिस तरीके से अमेरिकन के दिल में गैर अमेरिकन के प्रति घृणा पैदा करने में कामयाब रहा है ऐसे में बहुत मुश्किल था ट्रंप को हराना और अभी भी ट्रंप कमजोर नहीं हुआ है उसका विचारधारा अभी भी अमेरिका को अशांत किए हुए हैं।
ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान और यूक्रेन मामले में अमेरिकन राष्ट्रपति को पहले जैसे निर्णय लेना बहुत ही मुश्किल है देश के अंदर एक बड़ा वर्ग मौजूद है जो सवाल खड़ा कर सकता है ।
अफगानिस्तान से अमेरिकन फौज के वापस होने पर जो हुआ उससे पूरे विश्व बिरादरी में अमेरिका की जगहंसाई हुई थी इस मामले में जब बात हुई तो अमेरिकन नागरिक की सोच पूरी तौर पर स्पष्ट था दुनिया में लोकतंत्र रहे इसका ठेका अमेरिका का ही थोड़े ही है। अफगान में अमेरिका लोकतंत्र बहाल हो इसके लिए क्या क्या नहीं किया पूरी व्यवस्था खड़ा किया लेकिन आप वही शरियत के चक्कर में रहेंगे तो फिर अमेरिका क्या कर सकता है ।
अफगानिस्तान के पास इतनी बड़ी फौज और साजो सामान छोड़ कर अमेरिका आया और एक मामूली सा लड़ाका के सामने पूरी अफगानिस्तानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया अब अमेरिका आपकी लड़ाई लड़ने नहीं जा रही है आपको खुद लड़ना होगा और अमेरिका आपको पीछे से सहयोग करेगा मुझे बादशाहत का तमगा नहीं चाहिए ।ये आज के अमेरिकन यूथ का सोच है ।
यूक्रेन को लेकर भी अमेरिकन का यही सोच है उन्हें अपने देश के लिए खड़ा होना होगा फिर पूरा अमेरिकन उसके साथ खड़ा रहेगा ।अमेरिकन के इस बदले हुए सोच का असर दिख रहा है लाख आलोचना हुई लेकिन अमेरिका सैन्य कार्रवाई के लिए यूक्रेन के साथ खड़ा नहीं हुआ आज पूरी दुनिया से यूक्रेन को आम लोग पैसा भेज रहा है यूक्रेन ने अपने देश की रक्षा के लिए जो जज्बा दिखाया है उसी का असर है कि आज रुस परमाणु युद्ध का धमकी दे रहा है।
पूरे दुनिया के लोग यूक्रेन के साथ खड़ा है और उसके राष्ट्रभक्ति को सम्मान कर रहा है । इसलिए कहा जाता है ना दिमाग के साथ दिल जुड़ जाये तो सामने वाला कितना भी बलशाली क्यों ना हो हराना बहुत मुश्किल हो जाता है ।
उम्मीद है यूक्रेन के सहारे ही सही एक विश्व में एक नयी उम्मीद की किरण जगी है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर दिखेगा और पिछले कुछ वर्षो से जो दुनिया के स्तर पर धुंध छा गया था वो अब हटेगा ये साफ दिखने लगा है ।