केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तीन वर्ष पूरे होने पर ज्ञान भवन में आयुष्मान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राज्य स्वास्थ्य सुरक्षा समिति द्वारा कार्यक्रम का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया था। कार्यक्रम का थीम रोग मुक्त, ऋण मुक्त बिहार था, ताकि राज्य की जनता इलाज के खातिर कर्जदार न हो।
इस अवसर पर जहां दो लाभार्थियों ने अपने इलाज के अनुभव साझा किये, वहीं इस योजना के तहत बेहतर काम करने वाले सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को सम्मानित भी किया गया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने समीक्षा मोबाइल एप का शुभारंभ किया और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ कुशल मार्गदर्शन के लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया।
श्री पांडेय ने आयुष्मान भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि यह योजना लोगों को नया जीवन देने का काम कर रहा है। अस्पताल में हाथ में लिया हुआ गोल्डन कार्ड लाभार्थियों की ताकत होती है। आयुष्मान भारत का तीन वर्षों का सफर काफी चुनौती भरा रहा है। कठिन रास्ते से चलते हुए इस योजना को आगे बढ़ाते रहे हैं।
असफलता के रास्ते ही सफलता की मंजिल पहुंचाता है। कभी चुनौतियों में लड़ने से स्वास्थ्य विभाग पीछे नहीं रहा। आगे आने वाले समय में इसे और गति देते हुए सुलभ और बेहतर बनायेंगे, ताकि लोगों को इस योजना ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। तीन साल में राज्य में इस योजना के तहत तीन लाख लोगों का इलाज किया गया और इस पर लगभग तीन सौ करोड़ खर्च किये गये। 30 फीसदी परिवारों के बीच गोल्डन कार्ड उपलब्ध कराया गया है।
पूरे राज्य में इस योजना के तहत 940 सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल सूचीबद्ध हैं। पूरे देश में 28 हजार अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जहां आयुष्मान भारत के लाभार्थी अपना इलाज करा सकते हैं।
श्री पांडेय ने कहा कि पहले लोगों को अपने परिजनों के इलाज के लिए काफी कठिनाई होती थी।
अपने परिजनों का जीवन बचाने के लिए गरीब तबके के लोग कर्ज लेते थे, जेवर और जमीन बेच देते थे, लेकिन अब लोगों को न तो इलाज के लिए ऋण लेना पड़ रहा है और न ही जमीन बेचने की आवश्यकता पड़ रही है। माननीय प्रधानमंत्री की सोच है कि बीमारी के कारण लोगों को ऋण लेना नहीं पड़े। इसलिए उन्होंने गरीबों की पीड़ा को देखते हुए इस योजना के तहत पांच लाख तक निःशुल्क उपचार की व्यवस्था की।