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एक्शन में तेजस्वी

बिहार की जातिवादी और मनुवादी राजनीति ने सबसे ज्यादा जिस क्षेत्र का नुकसान पहुंचाया है वह है शिक्षा और स्वास्थ्य का क्षेत्र। दुर्योग ऐसा रहा कि यह बीमारी आजादी के साथ शुरू हुआ जो अभी तक चला आ रहा है और यही वजह है कि बिहार का सबसे अधिक पैसा दूसरे राज्यों में आज भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जा रहा है।

ऐसे में तेजस्वी ने बीते रात जिस तरीके से पीएमसीएच में जाकर डॉक्टर की क्लास लगायी है उससे एक उम्मीद जगा है क्यों कि तेजस्वी के पास जनता की ताकत है साथ ही तेजस्वी युवा है ऐसे में वो बड़े निर्णय ले सकते हैं। क्यों कि ये दोनों विभाग बेपटरी इसलिए है कि यहां सबसे ज्यादा भाई भतीजावाद, जातिवाद और मनुवाद आज भी है , किसी भी एक डॉक्टर पर हाथ डाल दिए या किसी भी निजी अस्पताल पर हाथ डाल दीजिए वैसे ही उसकी पूरी जमात सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर देता है तेजस्वी उस दबाव को टाल सकते हैं क्यों कि वो जिस परिवेश की राजनीति करते हैं उसकी महात्वाकांक्षा बहुत बड़ी नहीं है फिर स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर दिये तो आने वाला कल तेजस्वी का होगा इसको कोई रोक नहीं सकता है क्यों कि यही एक विभाग है जिसमें सुधार करने पर अंतिम व्यक्ति भी सरकार को आर्शीवाद देगा ।

बस इसके लिए तेजस्वी को थोड़ा मजबूत बनना पड़ेगा ट्रांसफर पोस्टिंग में किसी कि नहीं सुनना है किसी भी स्तर पर पैसा का खेल ना हो यह सावधानी रखने की जरूरत है पीएचसी और अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के चक्कर में ना पड़े इस तरह के अस्पताल को पूरी तौर पर आयुष डाक्टर और नर्स के हवाले कर दे और इसके लिए तेजस्वी के पास पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह हैं जिनके पास जल संसाधन विभाग का अनुभव है उस दौर में बिहार का सबसे मलाईदार विभाग हुआ करता था कहा ये जाता है कि लालू प्रसाद भी जल संसाधन विभाग के किसी भी इंजीनियर के ट्रांसफर पोस्टिंग का पैरवी नहीं करते थे साधु सुभाष भी साहस नहीं जुटा पाता था ऐसे में विधायक का क्या मजला था जो जगतानंद सिंह के पास किसी इंजीनियर के ट्रांसफर पोस्टिंग की पैरवी करता ।           

इस तरह कि छवि तेजस्वी को बनानी पड़ेगी जो संभव है बस इच्छा शक्ति को जगाना है कि इस विभाग में परिवार के लोगों की भी नहीं सुनेंगे ऐसी छवि बनानी पड़ेगी ,अगर पैरवी आता है तो उस डॉक्टर को ऐसी जगह पोस्टिंग कर दे कि नजीर बन जाये ।  

फिर कोई पैरवी नहीं करेंगा ऐसा तीन चार निर्णय ले लिए तो फिर कभी कोई समस्या नहीं होगी साथ ही विभाग बेहतर तरीके से चले इसके लिए प्रत्यय अमृत के साथ साथ इस फील्ड में काम करने वाले किसी अच्छे प्रोफेशनल को जोड़े शीघ्र ही सुधार दिखने लगेगा और इसके लिए यूनिसेफ जैसी संस्था के प्रतिनिधि को जो प्रखंड स्तर तक मौजूद है उसके साथ विभाग खड़ी हो जाये तो बहुत कुछ बदल सकता है।                 

अनुमंडल अस्पताल ,जिला अस्पताल और फिर मेडिकल कॉलेज का ऐसा चैन बनाये जहां रेफर करने वाला जो खेल चलता है वह बंद हो जाये ।आज होता क्या है अनुमंडल ,जिला और मेडिकल कॉलेज में कोई भी मरीज पहुंचता है जिसका इलाज संभव है फिर भी उसको देखने के बजाए सीधे पीएमसीएच रेफर कर देता है और  रात होते होते पटना पर इतना दबाव बढ़ जाता है कि बेहतर इलाज सम्भव ही नहीं है, इसलिए पीएमसीएच और एनएमसीएच में वैसे ही मरीज आए जिसको बेहतर इलाज की जरूरत है और इसके लिए प्रदेश स्तर पर एक्सपर्ट की ऐसी टीम होनी चाहिए जो इस पर खास नजर रखे।   मेरा खुद का अनुभव है 2002 में रोसड़ा में भीषण बाढ़ आया था उस समय प्रभात खबर से जुड़े हुए थे जैसे ही बाढ़ का पानी हटना शुरू हुआ इलाके में बड़े स्तर पर डायरिया से मौत की खबर आनी शुरु हो गयी अनुमंडल में तैनात डॉक्टर से यू ही बात किये इस मौत को कैसे रोका जा सकता है डॉ ने बताया पर्याप्त मात्रा में सलाईन हो और कुछ दवा हो तो बहुत लोगों की जान बचायी जा सकती है ।                      

उस समय रोसड़ा अनुमंडल के जो डीएसपी थे उनसे मेरा बहुत ही घनिष्ठ रिश्ता था दस हजार रुपया हम लोग इकट्ठा किये और उससे सलाइन और जेनेरिक दवा के साथ साथ कुछ सुई पटना से मंगवाये सोच नहीं सकते हैं एक माह उसी अनुमंडल अस्पताल में हम लोग कैंप चलाये देखते देखते गांव गांव तक यह खबर फैल गयी कि अनुमंडल अस्पताल में बहुत बढ़िया इलाज हो रहा है और दवा भी मिल रहा है ,सौ से अधिक मरीज का जान बचा जहां तक मुझे याद है एक माह में 1100 के करीब मरीज का इलाज हुआ था पूरा अस्पताल का रौनक ही बदल गया सारा टूटा फूटा बेड जनसहयोग से ठीक कराया गया और उसका बेड तक चकचकाने लगा स्थानीय लोगों ने अस्पताल में बिजली नहीं रहने पड़ जेनरेटर की व्यवस्था करवा दिया मतलब सरकारी तंत्र को सकारात्मक सहयोग किया जाये तो व्यवस्था बदली जा सकती है, यही तेजस्वी को भी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में करनी चाहिए।

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