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पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उत्पाद कोर्ट के बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने और विकास के मामले पर सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई उत्पाद कोर्ट समेत अन्य कोर्ट में बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर कड़ा रुख अपनाया।

कोर्ट ने कहा कि राज्य में उत्पाद क़ानून से सम्बंधित मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित हैं।लेकिन उत्पाद कोर्ट के गठन और सुविधाएं उपलब्ध कराने की रफ्तार धीमी हैं।

कोर्ट ने उत्पाद कानून में राज्य सरकार द्वारा किये गए संशोधन की प्रति अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रखने को कहा।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने पक्ष प्रस्तुत हुए कहा कि इस सरकार द्वारा शराब पर लगे प्रतिबन्ध को नहीं हटाया जाएगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने हाल में ही व्यवहारिक कठिनाई को देखते हुए इस क़ानून में संशोधन किया हैं।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि उत्पाद कोर्ट के गठन,जज,कर्माचारियों की नियुक्ति और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातर कार्रवाई कर रही है।

उन्होंने बताया कि सामान्य और उत्पाद कोर्ट के जुडिशियल ऑफिसर को बुनियादी सुविधाएं, पेय जल,शौचालय,बैठने व कार्य करने का स्थान उपलब्ध कराया जा रहा हैं।साथ ही उन्हें लैपटॉप भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है,तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।

महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं।साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं।

उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इन उत्पाद कोर्ट के एक फ्लोर उपलब्ध कराने की जाने की व्यवस्था की जा रही। सही ढंग से के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल,2022 को की जाएगी।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार बेगूसराय में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की

बेगूसराय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भारत सरकार के मंत्रियों को जिलों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करने के लिए भेजा गया है। इसी कड़ी में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार बेगूसराय पहुंचे‌।

बेगूसराय में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने समाहरणालय स्थित कारगिल भवन में विकासात्मक योजनाओं की समीक्षा बैठक की जिसके बाद सदर प्रखंड के मोहनपुर विद्यालय का भ्रमण किया इसके साथ ही प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र का भी निरीक्षण किया। इसके बाद समाहरणालय स्थित कारगिल भवन में प्रेस वार्ता कर शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि बेगूसराय में सभी विकासआत्मक योजना सही से चल रही है और जिससे बेगूसराय का विकास होगा।

बेगूसराय में शिक्षा, कृषि , समेत पांच बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। बेगूसराय में जल्द ही 600 बेड का मेडिकल कॉलेज का निर्माण होगा उसकी प्रक्रिया चल रही है। शिक्षा के क्षेत्र में प्राइमरी सेकेंडरी और कॉलेजों में इसमें सारे लोग लगे हुए हैं‌ विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर विद्यांजलि पोर्टल चालू किया गया है जिसमें स्कूलों को जो जरूरत है उसमें वह दर्ज कर सकते हैं। कृषि में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिला है, पशुपालन में विस्तार के लिए सेक्स शॉर्टेज सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री सड़क योजना में काफी काम किया जा रहा है जन धन योजना में खातों को रेगुलर करने से काफी लाभ लोगों को मिल रहा है। वही मोहनपुर स्कूल में भ्रमण के बाद कहा कि स्कूल काफी अच्छा लगा जहां बच्चों और शिक्षकों में काफी तालमेल था और वहां शौचालय में एक पोस्टर चिपकाया जो जिसमें पानी का उपयोग करें दो बार उपयोग से पहले और उपयोग के बाद यह बेहतरीन लगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बेगूसराय में बेहतरीन कार्य किए जा रहे हैं जिससे बेगूसराय का विकास होगा

पटना हाई कोर्ट ने सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान से सिविल डिप्लोमाधारियों को 40 फीसदी आरक्षण का लाभ देते हुए निकाले गये रिजल्ट को रद्द कर दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विनीत कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने विज्ञापन संख्या 01/ 2019 के अंतर्गत निकाले गए सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने माना कि राज्य सरकार द्वारा संचालित पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा पास किये अभ्यर्थियों को चालीस फीसदी आरक्षण देना सही नहीं था।

खंडपीठ ने फिर से मेरिट लिस्ट तैयार कर रिजल्ट देने का आदेश दिया है। इस विज्ञापन के तहत 6379 कनीय अभियंता (असैनिक/ यांत्रिक/ विद्धुत ) की बहाली होनी थी।

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याचिककर्ता की वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने बताया कि इस प्रकार से बनाया गया नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 (4) का उल्लंघन है। साथ ही साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीविका के अधिकार को भी प्रभावित करता है।

याचिका में ये कहा गया कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग द्वारा 8 मार्च, 2019 को निकाले गए विज्ञापन संख्या 01/2019 के क्लॉज़ 4 (iv)(के) को रद्द किया जाए।

पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत के सम्बन्ध में सुनवाई की

अर्कीलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक पटना स्थित राजेंद्र स्मृति 1 और 2 का पटना के डी एम के साथ जायजा ले कर कल कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि बिहार विद्यापीठ परिसर में सभी गैर कानूनी अतिक्रमण को हटा दिया गया।साथ ही बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन का जिम्मा पटना के प्रमंडलीय आयुक्त को सौंपा गया है।

कोर्ट को यह भी बताया गया था कि जमाबंदी रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है।कोर्ट ने पिछली सुनवाई में डी एम, पटना को पटना स्थित बिहार विद्यापीठ के भूमि के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि बिहार विद्यापीठ के चारदीवारी के भीतर की भूमि राष्ट्र की धरोहर है, न कि किसी निजी संपत्ति।

कोर्ट ने डी एम, पटना को बिहार विद्यापीठ की भूमि का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।साथ ही यह भी बताने को कहा था कि बिहार विद्यापीठ की भूमि पर कितना अतिक्रमण है और इससे सम्बंधित कितने मामलें अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित हैं।

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने कोर्ट को बताया कि पटना स्थित बांसघाट के सौंदर्यीकरण के लिए ढाई एकड़ भूमि ज़िला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी।

वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बताया था कि कोर्ट ने ए एस आई के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय निर्देश और पटना ए एस आई के अधीक्षक को कोर्ट ने जीरादेई जा कर विकास की संभावना पर विचार कर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

जीरादेई स्थित रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण के लिए रेलवे और राज्य सरकार ने सहमति दे दी।कोर्ट ने इस सम्बन्ध में रेलवे को आगे की कार्रवाई के लिए दो सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 अप्रैल,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने भूमि विवाद में प्राथमिकी दर्ज नही करने पर पटना जिला के दानापुर स्थित शाहपुर थाना के थानाप्रभारी को कड़ी फटकार लगाई

कोर्ट ने अदालत में उपस्थित शाहपुर के थाना प्रभारी से पूछा कि भूमि विवाद में उनके द्वारा प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई।

मामला सेवानिवृत्त जिला जज के जमीन पर एक महिला सब इंस्पेक्टर के पति द्वारा कब्जा किये जाने से संबंधित है।इस बात की शिकायत मिलने के बाद भी थानेदार ने कार्रवाई करना तो दूर, प्राथमिकी भी दर्ज नही किया।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपना काम करने के बजाय असमाजिक तत्वों को प्रश्रय देने का काम कर रही हैं ।कोर्ट ने दानापुर के एएसपी के मौजूदगी में थानेदार से कई सवाल किया।

कोर्ट का कहना था कि एक खास आदमी के लोगों से ही निर्माण सामग्री खरीदने का दबाब थानाप्रभारी द्वारा दिया जाता हैं।निर्माण सामग्री नहीं खरीदने पर निर्माण कार्य बाधित कर दिया जाता हैं।

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पुलिस को शिकायत किये जाने पर पुलिस उल्टे शिकायतकर्ता पर ही कार्रवाई करती हैं।कोर्ट का कहना था कि भले ही कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो कानून के सामने सभी एक समान हैं,सभी को कानून का पालन करना होगा।

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि आम जनता को तंग करने की बजाय उन्हें सहयोग करें।कोर्ट में उपस्थित वकीलों ने कहा कि पुलिस सबसे ज्यादा वकील को तंग करती हैं, जबकि वकील ही उन्हें कानूनी पेंच से बाहर निकालते हैं।कोर्ट ने पुलिस के अधिकारियों से कहा कि पुलिस भूमि9 विवाद को हल्के में लेना बंद करें और भूमि विवाद की जानकारी मिलने पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर करवाई शुरू करे।

कोर्ट ने एएसपी को कहा कि अगली तारीख पर वे इस मामले से संबंधित पूरा रिपोर्ट कोर्ट को दें। इस मामले पर अगली सुनवाई 18 मई को फिर की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राजीव रंजन सिंह की राष्ट्रीय राजमार्ग से सम्बंधित याचिका पर सुनवाई गंडक नदी पर पुल निर्माण में हो रहे बिलम्ब को गम्भीरता से लिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पुल निर्माण करने वाली कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को 20 अप्रैल,2022 को तलब किया है।

कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर किया कि हाजीपुर में आर ओ बी का निर्माण एक दशक बाद भी पूरा नहीं हुआ।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल निर्माण कार्य पूरा करने के लिए पुल निर्माण कंपनी को छह से सात माह का समय दिया।साथ ही कहा था कि निर्माण कार्य दोनों ओर हाजीपुर और छपरा से शुरू होना चाहिए।

निर्माण कंपनी द्वारा इस पुल के निर्माण के लिए दस महीने की मोहलत मांगी गई,जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था। आज कोर्ट ने कहा कि कोर्ट अगली सुनवाई में एन एच ए आई के अध्यक्ष को तलब किया जा सकता है।

पिछली सुनवाई में याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वैशाली के डी एम से पूछा कि प्रशासन इस मामलें में क्या कर रहा था।कोर्ट ने उनसे जानना चाहा कि जनता की मुश्किलों को दूर करने के लिए उन्होंने क्या कार्रवाई की।

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वैशाली के जिलाधिकारी ने बताया था कि हाजीपुर के रामाशीष चौक से बस स्टैंड नेटवर्क से हटा दिया गया है। साथ ही ये भी बताया कि रामाशीष चौक पर जाम का मुख्य कारण अंजानपीर चौक से आर ओ बी का नहीं बनना और दोनों साइड
सड़कों का खस्ताहाल होना।साथ ही जगह जगह मनमाने तरीके से स्पीड ब्रेकर का निर्माण किया जाना।

कंपनी के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने बताया था कि अजानपीर दोनों ओर की सड़कों को एक माह में मरम्मत और निर्माण कार्य पूरा कर सड़क को ठीक कर दिया जाएगा। साथ ही अजानपीर के आसपास अनावश्यक स्पीड ब्रेकर को भी हटा दिया जाएगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 अप्रैल,2022 को होगी।

Patna High Court: मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर (वीसी) राजेन्द्र प्रसाद उर्फ डॉ राजेन्द्र प्रसाद की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है

पटना हाईकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर (वीसी) राजेन्द्र प्रसाद उर्फ डॉ राजेन्द्र प्रसाद की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा कर राहत दी है। जस्टिस आशुतोष कुमार ने इस अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य निगरानी विभाग से जवाबतलब किया हैं।

इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट को तीन सप्ताह के भीतर सुनवाई करने का आग्रह किया था।साथ उनकी गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगा दिया था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा रणजीत कुमार ने बताया कि साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजेन्द्र प्रसाद द्वारा पटना हाई कोर्ट में दायर अग्रिम जमानत व कार्यवाही को रद्द करने हेतु दायर अर्जियों पर सुनवाई की थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस बीच याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया था।

राजेन्द्र प्रसाद के विरुद्ध आई पी सी की धारा 120 बी (अपराध करने के लिए रची गई आपराधिक साजिश) / 420(जालसाजी) व भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया था।

इसके पूर्व याचिकाकर्ता ने पटना हाई कोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत हेतु याचिका भी दायर किया है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए अर्जी भी दायर किया है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की दलील थी कि उनकी अर्जियों पर सुनवाई बड़े पैमाने पर मुकदमों के लंबित रहने की वजह से नहीं सुना जा रहा है।

इस मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई 25 अप्रैल,2022 को होगी।

Patna High Court: दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामलें पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामलें पर सुनवाई की चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच इस मामलें सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने की गई कार्रवाई का ब्यौरा प्रस्तुत किया।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें सम्बंधित पुलिस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ की गई हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीड़ित अधिवक्ता विनोद कुमार की ईलाज की पूरी व्यवस्था की गई।उनका मेडिकल जांच किया गया।साथ ही उन्हें दवा भी दी गई।

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एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट को बताया की इस तरह की घटनाएं अक्सर होते रहती हैं।ऐसी घटनाओं को सख्त तरीके से रोकने की जरूरत हैं।कोर्ट में आज पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक को पटना हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे। उन्होंने भी अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखा।

कोर्ट के समक्ष पिछली सुनवाई में इस घटना के सम्बन्ध में सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने पूरी घटना को रखा था। श्री शाही ने यह भी बताया कि उस रास्ते से राज्य के मुख्यमंत्री को जाना था।

उसके बाद कोर्ट ने इस मामले में दिए गए पत्र को आधार बनाते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने का आदेश दिया था।

कोर्ट को राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने पीड़ित अधिवक्ता की समुचित इलाज करवाने के लिए आश्वस्त किया था। सुनवाई के दौरान राज्य

इस घटना के बारे में पत्र में कहा गया है कि जब पीड़ित अधिवक्ता नालंदा जिला अंतर्गत अपने गांव चुलिहारी से पटना आ रहे थे ,तो दनियावां पुलिस द्वारा मारपीट की गई।

इसकी वजह से अधिवक्ता के दोनों कान बुरी तरह से घायल हो गए।पत्र में कहा गया है कि जब अधिवक्ता ने पटना के एसएसपी व दनियावां थाना के एसएचओ के समक्ष शिकायत करना चाहा,तो उन्होंने शिकायत लेने से इंकार कर दिया था।

इस मामलें पर कोर्ट आदेश पारित करेगा।

Patna High Court: राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विभिन्न एयरपोर्ट के विस्तार,विकास व भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी राज्य में एयरपोर्ट के लिए किये जा रहे सर्वे का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले की सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक कोर्ट में उपस्थित हो कर पटना और राज्य के अन्य एयरपोर्ट की स्थिति के सम्बन्ध में ब्यौरा पेश किया था।

उन्होंने पटना एयरपोर्ट की समस्याओं को बताते हुए कहा कि हवाई जहाज लैंडिंग की काफी समस्या है।सामान्य रूप से रनवे की लम्बाई नौ हज़ार फीट होती हैं, जो कि पूर्णिया व दरभंगा में उपलब्ध है,जबकि पटना में रनवे की लम्बाई 68 सौ फीट हैं।

उन्होंने बताया कि एक ओर रेलवे लाइन है और दूसरी ओर सचिवालय हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि रन वे की लम्बाई बढ़ाने के लिए सर्वे शुरू होगा।कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को यह जानकारी देने को कहा है कि बिहार के सटे राज्य झारखंड,बंगाल,उत्तर प्रदेश,ओडिशा,उत्तर पूर्व के राज्यों में कितने एयरपोर्ट हैं।

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कोर्ट को राज्य के गया,पूर्णियां और अन्य एयरपोर्ट के विस्तार,विकास और भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित समस्यायों के बारे में बताया गया

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के एडवोकेट जनरल से कहा था कि गया एयरपोर्ट के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 268 करोड़ रुपए कोर्ट में जमा करा दे।सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद उसका निबटारा होगा।

एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि इसके लिए राज्य सरकार से निर्देश की आवश्यकता होगी।अधिवक्ता अर्चना शाही ने कोर्ट को बताया था कि सम्बंधित केंद्रीय मंत्री ने राज्य सभा में बताया कि पटना एयरपोर्ट के विस्तार और विकास के 1260 करोड़ रुपए की राशि निर्गत किया गया।

लेकिन अर्चना शाही ने बताया कि अब तक इस धनराशि का 32% खर्च किया गया है।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की भी समस्या हैं।

इस मामलें पर कोर्ट में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे एन भट्ट का आज निधन हो गया हैं, वे 76 वर्ष के थे

जस्टिस भट्ट का जन्म गुजरात के जामनगर में 16 अक्टूबर,1945 को हुआ था। उन्होंने एम.कॉम,एल एल एम और लॉ में पी एच डी की डिग्री ली।

1968 में जस्टिस भट्ट ला की प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने गुजरात की न्यायिक सेवा में सीधे ज़िला जज के रूप में योगदान दिया।

1990 में जस्टिस भट्ट गुजरात हाईकोर्ट के पर्मानेंट जज बने।उसके बाद गुजरात हाईकोर्ट का कार्यवाहक चीफ जस्टिस बने।

Justice Dr. J.N. Bhatt

18 जुलाई,2005 को वे पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। अक्टूबर,2007 जस्टिस भट्ट पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप सेवानिवृत हुए। उसके बाद गुजरात लॉ कमीशन के अध्यक्ष बने। उसके बाद वे गुजरात मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद पर कार्य किया।

Patna High Court: पटना में महिलाओं के लिए पब्लिक टॉयलेट की कमी और पहले से बने टॉयलेटों के रखरखाव की कमी से बेकार हो जाने पर दायर हुई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने पटना में महिलाओं के लिए पब्लिक टॉयलेट की कमी और पहले से बने टॉयलेटों के रखरखाव की कमी से बेकार हो जाने पर दायर हुई जनहित याचिका पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने संजीव कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम व जिला प्रशासन से जवाब तलब किया है।

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कोर्ट को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने खुद बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि पटना जंक्शन , राजेन्द्र नगर स्टेशन , गोलंबर , मीठापुर- डाक बंगला , गांधी मैदान , कारगिल चौक के जगहों पर पब्लिक टॉयलेट की कमी है। साथ ही पुराने टॉयलेट के रखरखाव नही होने के कारण ठप्प पड़ चुके हैं ।

दो साल पहले 20 करोड़ रुपये सरकारी राशि से बने इन सभी जगहों के पब्लिक यूरिनल व टॉयलेट बेकार हो चुके हैं । महिलाओं को बहुत मुश्किलें होती है ।

इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई, 2022 को होगी ।

Patna High Court : पटना के चर्चित जिम ट्रेनर गोलीकांड में अभियुक्त खुशबू सिंह को नियमित जमानत देने से इंकार कर दिया

पटना हाई कोर्ट ने पटना के चर्चित जिम ट्रेनर गोलीकांड में अभियुक्त खुशबू सिंह को नियमित जमानत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस ए एम बदर ने इस मामलें पर सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश दिया।

कोर्ट ने खुशबू सिंह की नियमित जमानत याचिका को खारिज करते हुए संबंधित ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले का ट्रायल नौ महीने में पूरा कर ले। खुशबू सिंह जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोली कांड में फिलहाल पटना के बेउर जेल में बंद है।

अभियुक्त खुशबू की ओर से उसके अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि खुशबू के पति डॉ राजीव सिंह को निचली अदालत से ही नियमित जमानत मिल चुकी है।

जिम ट्रेनर गोलीकांड

सरकारी वकील (एपीपी ) मुस्ताक आलम और जे एन ठाकुर और जिम ट्रेनर की ओर से अधिवक्ता द्विवेदी सुरेन्द्र ने जमानत याचिका का विरोध किया।उन्होंने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि यह मामला पटना ही नही, बल्कि बिहार का चर्चित मामला रहा है। पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान पूरा कर खुशुब और उसके पति डॉ राजीव समेत छह अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र समर्पित कर दिया है।

अन्य अभियुक्तों के खिलाफ अनुसंधान अभी भी जारी रखा है।कोर्ट को बताया गया कि कांड दैनिकी में जो साक्ष्य आया है, उससे स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता इस मामले की मुख्य अभियुक्त है।इस घटना में शामिल दो अन्य अपराधियों ने भी पुलिस को दिये अपने बयान में खुशबू सिंह और उसके पति की संलिप्तता की बात कही है।इन लोगों ने जिम ट्रेनर की हत्या के लिए तीन लाख रुपया अपराधियों को दिया भी है।

इस मामले में खुशबू उसके पति डॉ राजीव और खुशबू के पिता ने कॉन्ट्रैक्ट किलर को जिमट्रेनेर की हत्या करने के लिये बैंक से पैसा निकाल कर दिया है।

इसके पहले भी खुशबू के नियमित जमानत पर 31 जनवरी को सुनवाई हुई थी।उस दिन कोर्ट ने इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारी से शपथ पत्र के माध्यम से अभियुक्त के खिलाफ आये साक्ष्यों को देने को कहा था।

कोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले के अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट में दो शपथ पत्र दायर कर पूरे घटना और उसके अनुसंधान में आये साक्ष्यों को दिया था।गौरतलब है कि 18 सितंबर 2021 को राजधानी के कदमकुआं इलाके में जिम ट्रेनर विक्रम सिंह को हत्या करने की नियत से गोली मारी गई थी।

हालांकि, इस वारदात में उनकी जान बच गई।इस वारदात में शामिल खुशबू सिंह, उसके पति राजीव कुमार सिंह और दोनों कॉन्ट्रैक्ट किलर समेत कई अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार जेल भेज दिया था। इनमें फिजियोथेरेपिस्ट राजीव कुमार सिंह को जमानत मिल चुकी है।

Patna High Court : दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई

पटना । हाईकोर्ट में दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई 18 अप्रैल,2022 को होगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई कर रही हैं।

आज कोर्ट में पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक को पटना हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को इस घटना के सम्बन्ध में वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने पूरी घटना को रखा था। श्री शाही ने यह भी बताया कि उस रास्ते से राज्य के मुख्यमंत्री को जाना था।

उसके बाद कोर्ट ने इस मामले में दिए गए पत्र को आधार बनाते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने का आदेश दिया था।

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कोर्ट को राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने पीड़ित अधिवक्ता की समुचित इलाज करवाने के लिए आश्वस्त किया था। सुनवाई के दौरान राज्य एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बराबर घटती है, जो अच्छी बात नहीं है।

इस घटना के बारे में पत्र में कहा गया है कि जब पीड़ित अधिवक्ता नालंदा जिला अंतर्गत अपने गांव चुलिहारी से पटना आ रहे थे ,तो दनियावां पुलिस द्वारा मारपीट की गई।

इसकी वजह से अधिवक्ता के दोनों कान बुरी तरह से घायल हो गए।पत्र में कहा गया है कि जब अधिवक्ता ने पटना के एसएसपी व दनियावां थाना के एसएचओ के समक्ष शिकायत करना चाहा,तो उन्होंने शिकायत लेने से इंकार कर दिया था।

Patna High Court : पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रीता कुमारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नही करने का निर्देश दिया

पटना हाई कोर्ट ने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रीता कुमारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नही करने का निर्देश पटना पुलिस को दिया है।साथ ही कोर्ट ने सेकंडरी एडुकेशन के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी नोटिस जारी किया है।

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने डॉ रीता कुमारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया।
कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2020 के इंटरमीडिएट परीक्षा के मूल्यांकन में भाग नहीं लेने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कदमकुआं थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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कोर्ट को बताया गया कि यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को इंटरमीडिएट परीक्षा के मूल्यांकन में लगाना विश्वविद्यालय कानून के खिलाफ है।कोर्ट ने फिलहाल नोटिस जारी कर प्रोफेसर के खिलाफ किसी प्रकार का दण्डात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है।

Patna High Court: राज्य में अवैध शराब को बरामद कर नष्ट करने से हो रहे प्रदूषण और पर्यावरण पर पड रहे विपरीत प्रभाव के मामलें पर राज्य सरकार से जवाबतलब किया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध शराब को बरामद कर नष्ट करने से हो रहे प्रदूषण और पर्यावरण पर पड रहे विपरीत प्रभाव के मामलें पर राज्य सरकार से जवाबतलब किया। जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने अर्जुन कुमार की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि ऐसी कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 47 में निहित निर्देशों के जनादेश के खिलाफ है।इस मामलें पर ध्यान नहीं दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सलाहकार निकाय होने के नाते, बोर्ड के अध्यक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वे उन क्षेत्रों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए सबसे पहले गंभीर कदम उठाएँ ।

राज्य के अधिकारियों द्वारा शराब को नष्ट किया जा रहा है ,उस पर ध्यान देने की जरूरत है। भारत का संविधान राज्य की जनता की सुरक्षा हेतु सभी उपाय करने का आदेश देता है।

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कोर्ट ने अवैध शराब नष्ट किए जाने से पर्यावरण पर इससे पड़ने वाले इसके दुष्प्रभाव , पारिस्थितिक असंतुलन और मानव जीवन के लिए ख़तरनाक होने के संबंध में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को 12 अप्रैल,2022 तक रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है ।

कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य में शराब की तस्करी प्रतिबंधित है। यह केवल आपराधिक कृत्य नहीं, बल्कि इसकी तस्करी करने वाले आर्थिक अपराध के लिए उत्तरदायी हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 अप्रैल,2022 को होगी ।

Patna High Court : दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई की। इस मामलें 11 अप्रैल,2022 को पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक को पटना हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगे।

इस घटना के सिलसिले में वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष पूरी बात को रखा था। श्री शाही ने यह भी बताया कि उस रास्ते से राज्य के मुख्यमंत्री को जाना था। उसके बाद आज ही खंडपीठ ने इस मामले में दिए गए पत्र को आधार बनाते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने का आदेश दिया।

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राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने पीड़ित अधिवक्ता की समुचित इलाज करवाने के लिए आश्वस्त किया है। सुनवाई के दौरान राज्य एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बराबर घटती है, जो अच्छी बात नहीं है।

पत्र में कहा गया है कि जब पीड़ित अधिवक्ता नालंदा जिला अंतर्गत अपने जन्म स्थान चुलिहारी से पटना आ रहे थे ,तो दनियावां पुलिस द्वारा मारपीट की गई, जिसकी वजह से अधिवक्ता के दोनों कान बुरी तरह से घायल हो गए।पत्र में कहा गया है कि जब अधिवक्ता ने पटना के एसएसपी व दनियावां थाना के एसएचओ के समक्ष शिकायत करना चाहा ,तो दोनों ने शिकायत लेने से मना कर दिया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल,2022 को होगी।

Patna High Court : पटना हाईकोर्ट में मानसिक रोग चिकित्सा के सिलसिले में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार के गठन के मामलें पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट में मानसिक रोग चिकित्सा के सिलसिले में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार के गठन के मामलें पर सुनवाई हुई।चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ में चीफ सेक्रेटरी ने हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार का गठन कर दिया गया है।

ये जनहित याचिका आकांक्षा माविया ने दायर की हैं।कोर्ट को बताया गया कि प्राधिकार के पदेन सदस्यों व अन्य सदस्यों की नामित व बहाल करने की प्रक्रिया जारी हैं।

अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने कोर्ट को बताया गया कि प्राधिकार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में शैलेन्द्र कुमार को नियुक्त किया गया है।

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साथ ही उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना हैं।इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने बताया गया कि राज्य के इकतीस जिलों मे ज़िला मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम प्रारम्भ हो गया हैं।साथ ही शेष आठ जिलों में इसे स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की सहमति मिल गई है।
मानसिक रोगियों के ईलाज के लिए 61 डॉक्टरों व 47 नर्सों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया हैं। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के मामलें में एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने चार दिनों का समय देते हुए इस प्राधिकार को पूरी तरह से शुरू करने के लिए एक समय सीमा देने का निर्देश दिया था । इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

Patna High Court : राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में कोताही बरतने पर नाराज़गी जाहिर किया

पटना हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में कोताही बरतने पर नाराज़गी जाहिर किया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई की।

हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख तथा भागलपुर के कार्यपालक अभियंता को 7 अप्रैल को तलब किया हैं। प्रणव कुमार झा द्वारा इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया ।

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खंडपीठ ने आदेश दिया हैं कि दोनों अधिकारी 7 अप्रैल, 2022 को तीन बजे कोर्ट में सुनवाई के समय उपस्थित रहे। कोर्ट राज्य से गुजरने वाली बहुत सारी एन एच ( राष्ट्रीय राजमार्ग) के मामलों पर लगातार सुनवाई और मॉनिटरिंग कर रही हैं।

कोर्ट का मानना हैं कि राज्य की। जनता को यात्रा करने के लिए आरामदायक और अच्छी सड़के उपलब्ध हो।

इस मामले पर फिर 7अप्रैल, 2022 को सुनवाई होगी.

Patna High Court : सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की गई हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की गई हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई की। जस्टिस संदीप कुमार ने इन मामलों पर सुनवाई की।

कोर्ट मे सुनवाई के दौरान सेबी के संबंधित अधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे ।कोर्ट ने जब उनसे पूछा कि जितनी भी हस्तक्षेप याचिकाये हाईकोर्ट में दायर की गई है, उन्होंने उन याचिकाओं में से कितने याचिकाओं की छानबीन कर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेजा है ।इस पर सेबी की ओर से बताया गया कि उन्होंने अभी तक करीब 430 हस्तक्षेप याचिकाओं की जांच की है ।साथ ही अन्य याचिकाओं की जांच भी की जा रही है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जल्द से जल्द जांच कर संबंधित अधिकारी के पास इस मामले को भेज दें ,ताकि लोगों उनका पैसा लौटने की करवाई हो सके।

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कोर्ट ने कहा कि बिहार एक गरीब राज्य है और यहां की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा, जो सहारा कंपनी द्वारा विभिन्न स्कीमों में अपने यहां जमा करवा कर रखा गया है और जमा कर्ताओं को भुगतान नहीं किया जा रहा है ,यह बहुत ही गलत है।

कोर्ट ने जब सहारा इंडिया के अधिवक्ता से पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर सेवी 1000 करोड़ रूपया भी उन्हें दे देती है ,तो वह बिहार के निवेशकों का पूरा पैसा उससे लौटा देंगे।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सेबी को कहा है कि दो कंपनियों के पैसे को छोड़कर बाकी पैसा सेबी सहारा को लौटा दे, लेकिन सेबी ऐसा नही कर रहा है ।

उन्होंने कोर्ट को बताया की कोर्ट को बताया कि सहारा इंडिया के दो स्कीम सहारा हाउसिंग और सहारा रियल स्टेट में जमा किए गए पैसों को भुगतान करने के लिए अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नही है।

कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में अगली सुनवाई तक आप जानकारी प्राप्त कर बताएं कि इन दो स्कीमों के बाद वाले स्कीमों का पैसा क्यों नहीं लौटाने का निर्देश सहारा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को दिया जाय।

कोर्ट को इकोनामिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू ) की ओर से बताया गया कि आम जनता का पैसा जमा कराने वाले निधि कंपनियों के खिलाफ 10 प्राथमिकी दर्ज कर जांच की गई है। इसमें जांच के बाद आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया गया है।5 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।आगे भी कार्रवाई की जा रही है ।

इस मामले पर अब 20 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।

Patna High Court : पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई हुई

पटना हाई कोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने बताया कि इस मामलें की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार द्वारा इस मामलें की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर कोर्ट के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाएगा।

पहले की सुनवाई में कोर्ट का यह भी कहना था कि बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी, यदि पीड़िता को जरूरत हो ,तो जो मदद हो सके पीड़िता को उपलब्ध करवाए। कोर्ट ने राज्य के समाज कल्याण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को अपने अपने हलफनामा को रिकॉर्ड पर लाने को भी कहा था, जिसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी, 2022 का बयान भी शामिल हो।

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राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीडितों की ओर से महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज हो गई है। एक का पी एस केस नंबर – 13/2022 है और दूसरे का पी एस केस नंबर -17/ 2022 दर्ज कर लिया गया है।

पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई। महाधिवक्ता ने पीड़िता द्वारा दिये गए बयान के उद्देश्य पर संदेह भी जताया है। उनका कहना था कि पीड़िता ने केअर होम को वर्ष 2021 के अगस्त महीने में ही छोड़ दिया था, लेकिन वह पहली बार जनवरी, 2022 में आरोप लगा रही है।
हाई कोर्ट इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है।हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।

कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया था।

केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं वास करती हैं।इस मामलें पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।