18 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने नेत्र सहायक(ऑप्थलमिक असिस्टेंट) के पद पर बहाली प्रक्रिया में गणित से आईएससी पास अभ्यर्थियों को भी शामिल होने की अनुमति देते हुए राहत दी। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने रणधीर कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।
बिहार पारा मेडिकल/पारा डेंटल शिक्षा संस्थान रुल 2005 के अनुसार नेत्र सहायक के पद के लिए फिजिक्स,केमिस्ट्री,जीव विज्ञान,अंग्रेजी के साथ गणित इंटर पास उम्मीदवार योग्यता रखते थे।
2011 में ये स्पष्ट किया गया कि 2012 से नेत्र सहायक के पद के लिए इंटर में गणित को हटा दिया गया।फिजिक्स, केमिस्ट्री,बायोलॉजी और अंग्रेजी विषय में इंटर उत्तीर्ण उमीदवार ही नेत्र सहायक के पद के योग्य माना गया।
कोर्ट ने ये आदेश बिहार तकनीकी सेवा आयोग, पटना के उप सचिव के हस्ताक्षर से निकाले गए विज्ञापन संख्या 01/ 2021 के मामले में दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने कोर्ट को बताया कि बिहार पारा मेडिकल/ पारा डेंटल शिक्षा संस्थानों की स्थापना की अनुमति) रूल, 2005 व इस रूल के रूल 26 का हवाला दिया गया है।
इसके तहत इन पदों पर नियुक्ति की योग्यता साइंस में इंटर पास या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथ और अंग्रेजी विषयों में इंटर पास बताया गया है।
18 अक्टूबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने राज्य की जनता के स्वास्थ्य,जीवन खतरे में डाल कर राज्य मशीनरी द्वारा बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद कानून ,2016 को सही ढंग से नहीं लागू करने पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए टिप्प्णी की।
कोर्ट ने इसे बड़ा जनहित याचिका मानते हुए इस पर संज्ञान लेने हेतु पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष भेजा हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण इससे जुड़े कई अपराधों में बढोतरी हुई हैं।उ न्होंने कहा कि जहरीली शराब को नष्ट करने का तरीके का भूमि की उर्वरता पर घातक प्रभाव डालता हैं।
शराब में मिले हुए रासायनिक पदार्थ micro organism पर असर डालता है,जिससे भूमि की उपजाऊ होने पर बुरा असर पड़ता है।इसका बुरा असर पेय जल पर भी पड़ता है,जिससे कैंसर और अन्य घातक बीमारियां हो जाती हैं।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसके घातक प्रभाव को देखते हुए शराब की बोतलों और प्लास्टिक से चूडियां बनायीं जाने लगी हैं।कोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी कि पर्यावरण को देखते हुए नीति बनायीं जाए,जिससे इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके।
इसे मद्यनिषेध को सही और प्रभावी ढंग से लागू नहीं करने के कारण शराब की तस्करी होने लगी।इसमें नेपाल और अन्य देशों तक शराब की तस्करी होने लगी हैं। इसमें विधि व्यवस्था सम्भालने में पुलिस बल को इन अपराधियों से जूझना पड़ता है।
साथ ही इससे कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ता हैं। साथ ही शराब की तस्करी के लिए अवैध वाहनों का इस्तेमाल किया जाने लगा,जिसका रेजिस्ट्रेशन नंबर,इंजन नंबर आदि फर्जी होने लगे। साथ ही पुलिस जब इन वाहनों को पकड़ लेती है,तो फिर अदालत में ही आना होता है।
शराब के अवैध कारोबार में छोटे उम्र के किशोरों को शामिल कर लिया जाता हैं।इससे अपराध और अपराधियों की संख्या और गम्भीरता बढ़ते जा रही हैं।
साथ ही जांच करने वाली एजेन्सी भी अपने कर्तव्य को सही ढंग से नहीं निभाती है।पुलिस शराब स्मग्लरों और गैंग ऑपरेट करने वालोंं के खिलाफ चार्ज शीट दायर नहीं करती।
वह ड्राइवर,क्लीनर,खलासी जैसे लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर देती है, जिनका इसमें कोई सीधी भागीदारी नहीं होती हैं। जो इस मामले में दोषी अधिकारी है,उनके विरुद्ध सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती है।
पुलिस,ट्रांसपोर्ट,उत्पाद और अन्य सम्बंधित विभागों के दोषी और जिम्मेदार अधिकारियो के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिये।
जहरीली शराब से भी बड़े पैमाने पर लोगों की मौत होती है।इस पर भी सरकार को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।जो भी लोग इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार और दोषी हो,उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की आवश्यकता है।
मद्यनिषेध और उत्पाद कानून से सम्बंधित मामलें बड़े पैमाने पर राज्य की अदालतों सुनवाई हेतु लंबित है।इससे अदालतों के सामान्य कामकाज को भी प्रभावित करता है।
18 अक्टूबर 2022 । राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।
पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल,2022 में इन मामलों के निष्पादन का दर शून्य था।लेकिन जब से कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई और निगरानी प्रारम्भ किया,जुलाई,2022 तक ऐसे 164 मामलों को निष्पादित किया जा चुका है।ये प्रगति काफी सकारात्मक है।
पूर्व की सुनवाई में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।
उन्होंने कोर्ट को ये भी बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है | पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।
लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 19अक्टूबर,2022, को होने की संभावना है।
राज्य के दिव्यांग ( दृष्टिहीन,मूक व बधिरों के लिए) स्कूलों की दयनीय अवस्था पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई दीपावली के अवकाश के बाद की जाएगी।राज कुमार रंजन की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है।
ये जनहित याचिका भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड स्थित गिरिजा शंकर दृष्टिहीन बालिका विद्यालय के दयनीय हालत के सम्बन्ध में दायर किया गया था।कोर्ट ने इस जनहित याचिका का दायरा बढ़ा कर राज्य के सभी दिव्यांग स्कूलों की अवस्था की सुनवाई के लिए कर दिया।
6जनवरी,2020 में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को पार्टी बनाने का आदेश देते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।उन्हें ये बताने को कहा गया कि क्या दिव्यांग छात्रों को प्रावधानों के अनुसार मिलने वाली सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
इस मामलें पर 25 जुलाई,2022 को कोर्ट ने सुनवाई की थी।इसमें जो जवाब राज्य सरकार की ओर से दिया गया था, उसमें स्पष्ट था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त पड़े हैं।
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जो स्वीकृत पद रिक्त पड़े थे,उन पर शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हुई थी।इन स्कूलों में या तो शिक्षक ही नहीं थे या एक या दो शिक्षक थे।दृष्टिहीन छात्रों के शिक्षा को बहुत हल्के ढंग से लिया गया।
कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और राज्य दिव्यांग आयोग को इन स्कूलों की स्थापना और स्कूलों में चल रही व्यवस्था का पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।
इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है और पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी काफी कमी है।इस मामलें पर अब दीपावली के अवकाश के सुनवाई की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 6 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के अपहरण के मामलें को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें पर सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई और निर्देशक,सी एफ एस एल,नई दिल्ली को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान एसएसपी मुज़फ़्फ़रपुर जयंतकांत ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।
अपहृता के वकील ओम प्रकाश कुमार ने कोर्ट को बताया कि एसएसपी,मुजफ्फरपुर द्वारा आज़तक सिर्फ कागजी कार्रवाई किया गया है। लगभग 3 महीना से सिर्फ पॉलीग्राफी टेस्ट का बहाना बना कर कोर्ट का समय बर्बाद किया जा रहा है।
पिछली सुनवाई मे अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि एक ऑडियो रेकॉर्डिंग है ,जिसमे संदिग्ध राहुल कुमार की आवाज है।वह अपहृत खुशी के बारे में जानता है।
इस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह ऑडियो क्लिप एस एस पी को दिया जाए। एसएसपी ऑडियो की पुष्टि करके करवाई करें।लेकिन जो शपथ पत्र एसएसपी के द्वारा हाई कोर्ट में फ़ाइल किया गया है ,उसमे ऑडियो क्लिप का कोई जिक्र नही किया गया।
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कोर्ट ने पाया कि इस कांड का उद्भेदन अब एस एस पी, मुज़फ़्फ़रपुर द्वारा नही हो सकता है।कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि 14.10.2022 तक सभी कागजात सीबीआई को मुहैया करवाई जाए।कोर्ट ने सीबीआई के वकील को भी कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।
यह मामला 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण से जुड़ा है। इसका सुराग आज तक नहीं मिला है। खुशी के पिता मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली से संतुष्ट नही थे, जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर किया था।ये याचिका अधिवक्ता ओमप्रकाश कुमार ने याचिकाकर्ता की ओर से दायर किया था। इसमे याचिकाकर्ता ने मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बच्ची को जल्द से जल्द ढूंढ़वाने का आग्रह किया था।
पटना हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के चार वर्षो के बाद भी अंतिम रिपोर्ट दायर नहीं होने पर पटना के एसएसपी ने कोर्ट में उपस्थित होकर कहा कि लापता व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सका है ।जस्टिस मोहित कुमार शाह ने सुनवाई सावित्री देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह में पेंशन व अन्य राशि देने का आदेश दिया।
पटना के एसएसपी ने बताया कि सामान्य रूप से लापता व्यक्ति के मामलें में सात साल बाद मामला समाप्त कर रिपोर्ट दिया जाता है।लेकिन सरकारी कर्मचारी सेवकों के मामलें में एक साल तक व्यक्ति के लापता होने के मामलें में पुलिस रिपोर्ट दे देती है।उसके आधार पर उनके आश्रितों को पेंशन दिया जा सकता है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सावित्री देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना के एसएसपी से स्पष्टीकरण मांगा है कि आख़िर 2018 में दायर प्राथमिकी में अब तक अंतिम रिपोर्ट दायर क्यों नहीं किया गया ?
याचिकाकर्ता सावित्री देवी के पति पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में सहायक निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए थे।याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि उनके पति को याददाश्त की समस्या थी। वे 20.12.18 को शनि मंदिर, भूतनाथ रोड (पटना) से लापता हो गए थे।
इसके मामलें में उनके पुत्र ने उसी दिन अगमकुआँ थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो उनका कुछ पता चला और न तो पुलिस ने अनुसंधान के संदर्भ अंतिम रिपोर्ट दायर किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अपूर्व हर्ष ने कोर्ट को बताया कि पुलिस के उदासीन रवैये से याचिकाकर्ता को उसके पति का पेन्शन चार साल तक नहीं मिल सका है।
उन्होंने 24.02.1990 को राज्य सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना संदर्भ देते हुए कहा कि यदि संबंधित सरकारी पेंशनर के आश्रित परिवार द्वारा निकटवर्ती थाने में उसके लापता होने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो।
साथ ही पुलिस प्रतिवेदन से यह प्रमाणित होता हो कि सभी संभव प्रयास एवं खोजबीन के बावजूद उसके लापता होने की बात सही है, तो सर्वप्रथम सरकारी सेवक द्वारा पूर्व में दिए गए नामांकन पत्र के आधार पर उसके आश्रित परिवार को बकाए वेतन , भविष्य निधि आदि में का भुगतान तुरंत किया जाए।
इस पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना के एसएसपी को 17 अक्टूबर,2022 को कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया था।
इस मामले पर अगली सुनवाई पर अगली सुनवाई 3 नवंबर, 2022 को होगी ।
14 अक्टूबर 2022 । पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ये स्पष्ट किया है कि गैर कानूनी तरीके से कोई मकान मालिक असामाजिक तत्त्वों की सहायता से अपने किराएदार को जबरन बेदखल नहीं कर सकता है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने पटना स्थित फ्रेजर रोड एक होटल को राहत देते हुए बात कही।
यदि मकान मालिक के साथ पुलिस की भी मिली भगत भी हो, तब भी हाई कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है।
कोर्ट ने उसकी आपराधिक रिट याचिका मंजूर करते हुए पटना के एसएसपी तथा कोतवाली के थाना प्रभारी को याचिकाकर्ता होटल कम्पनी को तुरंत उसके होटल परिसर का दखल वापस दिलाने का निर्देश दिया है।
कोर्ट को बताया गया कि गत 24 फरवरी, 2022 की आधी रात में मकान मालिक ने असामाजिक तत्वों की सहायता से जबरन कम्पनी की ऑफिस को खाली करा दिया और ताला जड़ दिया।पुलिस ने पीड़ित किराएदार की शिकायत सुनने की बजाय मकान मालिक का ही साथ दिया।
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कोर्ट ने इसे गम्भीर घटना माना और कहा कि यह पुलिस की विफलता का अजीब उदाहरण है।पुलिस को कानून के अनुसार पीड़ित व्यक्ति का साथ देना चाहिए था, न कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले मकान मालिक का।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसी घटना का संज्ञान नहीं लिया जाएगा, तो कानून का अनादर करने वालों का हौसला और भी बढ़ जाएगा ।
13 अक्टूबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा कि वे राज्य में ग्रीनफ़ील्ड एयरपोर्ट बनाने के लिए कितने गंभीर है ?
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह विभिन्न एयरपोर्ट के निर्माण से संबंधित प्रगति और रिकॉर्ड को अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश करे ।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी बताया कि बिहार में एक भी ग्रीनफ़ील्ड ऐयरपोर्ट नहीं है। राज्य सरकार ने राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने के सम्बन्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है । उन्होंने कहा कि 70 वर्ष से पटना अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आज तक एक भी अंतराष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है ।
उन्होंने कहा कि गया अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भी आज तक कोई अंतर्राष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है।अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होने के बावजूद यहां अंतर्राष्ट्रीय विमान नहीं चलते हैं । राज्य सरकार भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर अपना स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है ।
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इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों से जानना चाहा कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट एवं अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए क्या क्या अनिवार्यता हैं ? कोर्ट ने सभी पक्षों को अपने अपने पक्ष अगली सुनवाई तक कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।इस मामलें पर दीपावली अवकाश के बाद सुनवाई की जाएगी।
13 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों की खस्ताहाल स्थिति को काफी गम्भीरता से लिया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सभी कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं के सम्बन्ध में ब्यौरा तलब किया है।
कोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, से जानना चाहा कि राज्य के सरकारी कालेजों,सेकंड्री और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव क्यों है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि राज्य के स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र क्यों पढ़ना छोड़ देते है।
कोर्ट ने उपस्थित अधिकारी से जानना चाहा कि राज्य में शिक्षा के मद में कितना बजट रखा गया है।कोर्ट को बताया गया कि राज्य में शिक्षा के लिए 51 हज़ार करोड़ रुपए है,जो कि कुल बजट के बीस फी सदी से अधिक है।
पिछली सुनवाई में पटना के दानापुर स्थित बीएस कॉलेज में बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को तलब किया था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि कालेज में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्राओं को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई कि छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने के लिए कॉलेज परिसर में वेंडिंग मशीन भी लगाया जाना चाहिए।
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कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि बी एस कालेज,दानापुर के बाउंड्री निर्माण का काम छह माह में पूरा कर लिया जाएगा।कालेज में शौचालय बनाने का काम 30अक्टूबर,2022 तक पूरा हो जाएगा।साथ ही लेबोरेट्री बनाने का कार्य भी तीन माह में पूरा हो जाएगा।
13 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने औरंगाबाद में अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों द्वारा अनियमितता बरतने के मामलें पर सुनवाई की।जस्टिस मोहित शाह ने इस मामलें पर सुनवाई की।
कोर्ट में उपस्थित डी एम और एस पी, औरंगाबाद ने कोर्ट को बताया कि ओबरा के सी ओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर लिया गया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने औरंगाबाद के डी एम और एस पी को निर्देश दिया था कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किया जाए।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते डी एम और एस पी को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ,तो औरंगाबाद के डी एम और एस पी को कस्टडी में लिया जा सकता है।
ये अधिकारीगण आज कोर्ट में उपस्थित हो कर इस मामलें में किए गए कार्रवाई का ब्यौरा पेश किया।कोर्ट ने इस मामलें पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के गलत कार्य करने वाले सरकारी अधिकारियो और कर्मचारियों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।कोर्ट इस प्रकार की घटनाओं पर काफी सख्त कार्रवाई करेगा।
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।
उन्होंने बताया कि जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमकाया जा रहा था।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई कर मामलें को निष्पादित कर दिया।
13 अक्टूबर 2022 । रणजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल और राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था।इस जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार के कई विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि ये राशि लगभग एक लाख बारह हज़ार करोड़ का हैं,जिसका उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दायर किया गया है।ये आंकड़े 31अगस्त,2022 तक का हैं।
ये राशि 2002 – 03 से ले कर 2020 – 21तक सामंजित किया जाना लंबित हैं।कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल के पक्ष प्रस्तुत कर रहे अधिवक्ता से जानना चाहा कि इस सन्दर्भ में अकाउंटेंट जनरल की क्या शक्तियां हैं।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में अकाउंटेंट जनरल और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों के बीच माह में एक बार इस मुद्दे पर बैठक किये जाने की योजना है।
साथ ही राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा2003 -04 से 2020- 21 तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा करने पर क्या कार्रवाई की।
13 अक्टूबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों की लम्बी सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है।कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है।
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उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।
31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।
पटना हाईकोर्ट में पटना के जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और विकास के मामले पर सुनवाई कल की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
कोर्ट ने राज्य के हवाईअड्डों की समस्यायों के मामलें पर अगली सुनवाई में केंद्र सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बिहार के विभिन्न हवाईअड्डों के विकास और विस्तार से जुड़ी समस्यायों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।इनमेंं भूमि से सम्बंधित मामलें थे।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया था।
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया था।उन्होंने राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मुद्दे को उठाया था।
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उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।
कोर्ट को बताया गया था कि राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं। लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव एवं सुरक्षा की समस्याएं हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर, 2022 को होगी।
12 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई हुई।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल,2022 में इन मामलों के निष्पादन का दर शून्य था।लेकिन जब से कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई और निगरानी प्रारम्भ किया,जुलाई,2022 तक ऐसे 164 मामलों को निष्पादित किया जा चुका है।ये सकारात्मक प्रगति है।
पूर्व की सुनवाई में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।
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उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है | पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।
लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर,2022 , को होगी ।
रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ सुनवाई कर रही हैं।
पहले की सुनवाई में कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में जवाब देने का निर्देश दिया था।इस जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार के कई विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि ये राशि लगभग एक लाख बारह हज़ार करोड़ का हैं,जिसका उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दायर किया गया है।ये आंकड़े 31अगस्त,2022 तक का हैं।
ये राशि 2002 – 03 से ले कर 2020 – 21तक सामंजित किया जाना लंबित हैं।कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल के पक्ष प्रस्तुत कर रहे अधिवक्ता से जानना चाहा कि इस सन्दर्भ में अकाउंटेंट जनरल की क्या शक्तियां हैं।
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कोर्ट ने जानना चाहा था कि उन्होंने अपने शक्तियों का प्रयोग क्यों नहीं किया।साथ ही राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा2003 -04 से 2020- 21 तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा करने पर क्या कार्रवाई की।
पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने के मामलें में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम को आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की थी।उन्होंने अपनी जनहित याचिका में यह कहा था कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से बालकों के कोमल ह्रदय व मन पर गहरा आघात होता है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि खुले में चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा जल्द से जल्द बंद कराया जाना चाहिए । उन्होंने बताया कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जानता के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।
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उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।साथ ही जनता को भी स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त मांस मछली मिल सके।
इस सम्बन्ध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को 1नवंबर,2022 तक हलफनामा दायर कर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है।
बिहार सरकार ने राज्य सरकार ने 6564 प्राइमरी और मिडिल सरकारी स्कूलों को सेकंड्री और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उत्क्रमित कर दिया।लेकिन इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।
अधिकतर स्कूलों के पास नही तो पर्याप्त ज़मीन या क्लास रूम है।इन स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी हैं।छात्रों को पढ़ने के लिए मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी है।शुद्ध पेय जल,शौचालय, लेबोरेट्री,लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
इन स्कूलों को उत्क्रमित कर दिया गया है, लेकिन उन स्कूलों को आवश्यकता के अनुसार न तो मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है और न ही उनका विकास हो पाया हैं।ऐसे में किस प्रकार की शिक्षा दी जा सकती हैं।
कोर्ट ने जानना चाहा कि निजी और सरकारी स्कूलों में भेदभाव क्यों किया जाता है।कोर्ट ने कहा कि अगर निजी स्कूलों के कोई मापदंडों पूरा नहीं करता, तो उन्हें सम्बद्धता नहीं मिलता है।लेकिन सरकारी स्कूलों की ऐसी स्थिति में भी उन्हें सारी सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध होती है।ऐसा भेदभाव क्यों होता है।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
इस संबंध में कोर्ट द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमण हटाकर अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से आठ सप्ताह और समय देने का आग्रह किया गया, इसपर कोर्ट ने चार सप्ताह का मोहलत दिया है।
इसके पूर्व याचिककर्ता के अधिवक्ता द्वारा खंडपीठ को हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश के बारे में बताया गया। इस नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है। अंचलाधिकारी ने 5 मई, 2022 को ही कोर्ट को स्वयं बताया था कि अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा।
सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।
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सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है।
कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके। कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। इस मामले पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने डी एम और एस पी, औरंगाबाद को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किया जाए।जस्टिस मोहित शाह ने इस मामलें पर सुनवाई करते डी एम और एस पी को सख्त चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ,तो औरंगाबाद के डी एम और एस पी को कस्टडी में लिया जा सकता है।
कोर्ट ने इन अधिकारियो को कार्रवाई कर अगली सुनवाई में फिर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया। अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद द्वारा अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कोर्ट में तलब किया था।
आज कोर्ट में औरंगाबाद के एस पी भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।
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साथ ही जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमका रहे है।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 13अक्टूबर, 2022 को की जाएगी।