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दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस की टीम बिहार के जहानाबाद पहुंची

दिल्ली में पिछले दिनों दो गुटों के बीच हुयी मारपीट और दंगा मामले को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में दिख रही है। इसे लेकर शनिवार की रात दिल्ली पुलिस की टीम बिहार के जहानाबाद पहुंची।

जहां दंगा मामले में फरार चल रहे अभियुक्त के घर पर इश्तेहार चिपकाया। इश्तेहार चिपकाने के बाद फरार अभियुक्तों में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जाता है कि दिल्ली में हुए दंगा मामले में जहानाबाद का रजा अंसारी अभियुक्त है जो फरार चल रहा है।

फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस आज जहानाबाद पहुंची और नगर थाना क्षेत्र के फिदा हुसैन रोड स्थित रजा अंसारी के घर इस्तेहार चिपकाया है। इस दौरान ऑफ कैमरा दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली में हुए दंगा मामले में वह फरार चल रहा है। जिसकी गिरफ्तारी को लेकर यह कार्रवाई की जा रही है। इसके बाबजूद भी अभियुक्त सरेंडर नही करता तो घर की कुर्की जब्ती की कार्रवाई की जायेगी।

बताया जा रहा है कि जहानाबाद शहर के फिदा हुसैन रोड निवासी हासिम अंसारी का पुत्र रजा अंसारी पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रह रहा है और वह दिल्ली में हुए दंगा का अभियुक्त है जिसे लेकर दिल्ली पुलिस जहानाबाद पहुंची और उसके घर पर इस्तेहार चिपकाया है। हालांकि इस मामले पर पुलिस प्रतिक्रिया देने से बचती नजर आई।

जहानाबाद में युवक को अपराधियों ने मारी गोली

जहानाबाद। बड़ी खबर जहानाबाद से हैं, जहां कोहरा गांव के पास मनोज कुमार यादव नामक युवक को अपराधियों ने गोली मार दी।

पीड़ित मनोज यादव मिश्र बिगहा गांव का का रहने वाला है जोकि परसबीघा थाना के अंतर्गत पड़ता है। जबकि गोली मारी गई वह जगह टेहटा ओपी क्षेत्र में है।

गोली लगने के बाद परिजनों ने आनन-फानन में युवक को सदर अस्पताल जहानाबाद पहुंचाया। डॉक्टर की माने तो गोली छाती में लगी है और वहीं पर फंसी हुई है।

प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत युवक को पटना पीएमसीएच रेफर कर दिया गया है।

पटेल की तरह वीर कुंवर सिंह के सहारे राजपूत नेताओं को साधने की तैयारी में तो नहीं जुटा है बीजेपी

आरा में वीर कुंवर सिंह की जयंती के मौके पर 78 हजार 25 लोगों ने तिरंगा फहराकर पाकिस्तान के एक साथ 75 हजार लोगों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया है और अब जल्द ही यह रिकॉर्ड ग्रीनिज बुक में भारत के नाम दर्ज होगा ।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस आयोजन के सहारे बीजेपी राजनीति के किस नैरेटिव का साधना चाह रही है। हालांकि जो नैरेटिव दिख रहा है वो यह था कि वीर कुंवर सिंह को जाति से बाहर निकाला जाये और उन्हें राष्ट्रवाद के नैरेटिव में फिट किया जाये।

इसके पीछे मोदी और शाह की यह सोच है कि पटेल की तरह ही वीर कुंवर सिंह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी है जिनका जातीय आधार राष्ट्रीय फलक पर काफी मजबूत है लेकिन इनके जाति के कई ऐसे नेता है जो उन्हें आने वाले समय में चुनौती दे सकते हैं ऐसे में वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व को राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह से स्थापित किया जाये जिससे उनके विरादरी के नेता का प्रभाव कम हो ।

इसके लिए आने वाले समय बाबू साहब अंग्रेज के साथ लड़ाई के दौरान 22 अप्रैल 1858 को जब बलिया के शिवपुर घाट पर गंगा पार कर रहे थे तब उनकी भुजा में गोली लगी जिसे काटकर गंगा में फेंक दिया था उस स्थान पर पटेल से भी बड़ी मूर्ति और शौर्य पार्क बनाने की योजना है जिसकी चर्चा आज अमित शाह अपने भाषण के दौरान किये हैं ।

साथ ही वीर कुंवर सिंह के 80 वर्ष मे हथियार उठाने और अंग्रेज का हराने का जो शौर्यगाथा रहा है उसका इस्तमाल मोदी के लिए आने वाले समय में किया जा सका ये भी रणनीति का हिस्सा है ताकी मोदी ने मार्गदर्शक मंडल के सहारे जिस तरीके आडवाणी सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं को एक साथ साध दिये थे वैसे कोई मोदी को ना साधे।

क्यों कि वीर कुंवर सिंह की जो छवि रही है वो कही से भी बीजेपी के नैरेटिव में फिट नहीं बैठता है ये अलग बात है कि आजादी के आन्दोलन के दौरान सावरकर कई बार वीर कुंवर सिंह को अंग्रेजों के खिलाफ हिन्दू चेहरा के रूप में स्थापित कोशिश की जरूर किया था लेकिन उस तरीके से आगे नहीं बढ़ पाया था वैसे आज शाह कह गये हैं कि वीर कुंवर सिंह के बारे में सही इतिहास नहीं लिखा गया है ऐसे में आने वाले समय में वीर कुंवर सिंह की अलग छवि देखने को मिले तो कोई बड़ी बात नहीं होगी देखिए आगे आगे होता है क्यों कि जाति इस देश का यथार्थ है और पटेल की तरह राजपूतों का शहरीकरण नहीं हो पाया है अभी भी बड़ी आबादी गांव में रहता है कृषि उसका मुख्य पेशा है ।

ऐसे में मोदी और शाह इस खेल में कहां तक कामयाब होते हैं कहना मुश्किल है लेकिन देश की राजनीति को बदलने की एक बड़ी कोशिश जरुर है।

बिहार व्यवहार न्यायालय अधिकारी व कर्मचारी नियमावली, 2022 की मंजूरी को अधिसूचित कर दिया गया है

काफी समय से इंतजार किये जा रहे बिहार व्यवहार न्यायालय अधिकारी व कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, तबादला व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली, 2022 को मंजूरी देते हुए बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 19 अप्रेल, 2022 को अधिसूचित कर दिया गया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद – 309 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये नियमावली बनाई और अधिसूचित की गई है।

नए नियम से कर्मियों की नियुक्ति, प्रोनत्ति, वित्तीय प्रगति, तबादला, अनुकंपा आधारित नियुक्ति व कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की प्रक्रिया में तेजी आएगी। नए नियम के तहत अब जिला जज को नियुक्ति के साथ ही साथ अनुशासनात्मक अधिकारी बनाया गया है।

इस प्रकार के सभी मामले अब जिला जज के स्तर पर ही निपटाए जाएंगे। इसके पहले पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक नियुक्ति औऱ अनुशासनात्मक अधिकारी थे ।

इस तरह के मामले पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक द्वारा निपटाए जाते थे। ये नियमावली पटना हाई कोर्ट के अधीनस्थ बिहार राज्य के सभी व्यवहार न्यायालय में लागू होगी और बिहार सरकार के राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से प्रवृत्त होगी।

नियमावली के तहत अपीलीय प्राधिकार से मतलब है हाई कोर्ट की स्थाई समिति। नियमावली के अध्याय – II में अन्य बातों के अलावा यह भी कहा गया है कि राज्य सिविल कोर्ट और अनुमंडलीय सिविल कोर्ट के प्रशासन हेतु इस नियमावली की आरंभ की तारीख से एक बिहार राज्य सिविल कोर्ट स्थापना सेवा प्रवृत्त होगी।

आरक्षण को लेकर राज्य सरकार (सामान्य प्रशासन विभाग) द्वारा लागू आरक्षण संबंधी नियम (समयानुसार संशोधित) ही न्यायालय कर्मियों की नियुक्ति / प्रोनत्ति में लागू होंगे। वही, नियमावली के तहत प्रशिक्षण को लेकर सीधी नियुक्ति अथवा समूह – ग पद की परीक्षा से नियुक्त कर्मचारी, जिसकी उम्र 55 वर्ष से कम होगी, उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा विहित उस विनिर्दिष्ट पद के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।

कोई कर्मचारी अपने ऊपर अनुशासनात्मक प्राधिकार द्वारा अधिरोपित लघु या वृहत सजा के विरुद्ध, उक्त सजा की प्रति की प्राप्ति की तिथि से 30 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील कर सकता है।

गया के विष्णुपद मंदिर में की विशेष पूजा अर्चना केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने

मोक्ष की भूमि गया में देश के गृहमंत्री अमित शाह विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण दर्शन करने के लिये पहुंचे , वंही अमित शाह के सुरक्षा को लेकर मंदिर और आस पास के क्षेत्रो में बड़ी शंख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ।

ज्ञात हो कि आज आरा के जगदीशपुर में वीर कुंवर सिंह जयंती में शामिल होने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आये हुए थे और उसी क्रम में आज अंतः सलिला फल्गु नदी तट पर स्थित विश्व प्रशिद्ध विष्णुपद मंदिर में विशेष पूजा अर्चना किये।

वंही विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में गृहमंत्री अमित शाह ने विशेष पूजा अर्चना किये वंही विष्णुपद मंदिर के अध्यक्ष शम्भू लाल विठल के द्वारा मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजा अर्चना कराया गया है।

खगड़िया में अपराधी और पुलिस के बीच हुए मुठभेड़ में 2 घायल समेत कुल 6 बदमाशो को गिरफ्तार किया

खगड़िया के मुफ्फसिल थाना इलाके के भदास गांव में अपराधी और पुलिस के बीच हुए मुठभेड़ में दो बदमाश घायल हुआ है।दोनो घायल पुलिस अभिरक्षा में सदर अस्प्ताल में ईलजरत है।पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान दो घायल समेत कुल 6 बदमाशो को हथियार और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया है

।गिरफ्तार बदमाशो में से अजय महंत पुलिस टीम पर हमला करने के मामले वर्ष 2017 से फरार चल रहा था।पुलिस गिरफ्तार बदमाशो के पास से दो देशी कट्टा, 1 कारतूस, दो खोखा, 2.3 kg गांजा ,2 टांगी और चार सेट मोबाइल जप्त किया है।

एसपी अमितेश कुमार ने आज प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि गिरफ्तार बदमाश किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटा था।लेकिन पुलिस समय पर पहुंचकर अपराधियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया।बदमाशो ने पुलिस को देखकर फायरिंग किया।लिहाजा पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग किया।

मृतक सीआईएसएफ के परिजनों से मिले सांसद

अर्नाकुलम में ट्रेनिंग कर रहे जहानाबाद के किनारी निवासी सीआईएसएफ जवान जयप्रकाश उर्फ राजा बाबू की मौत की खबर से पूरा जिला आहत है। सीआईएसएफ का शव जब गांव पहुंचा उस दिन भी हजारों की संख्या में लोग उन्हें नमन करने पहुंचे थे।

आज जहानाबाद सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी ने भी शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात की। सांसद ने घटना को लेकर संवेदना जताई साथ ही यह भरोसा जताया की मौत कैसे हुई इसका पता भी जल्द ही चल जाएगा।

बता दे कि 17 अप्रैल को राजा बाबू का शरीर उनके बैरक में मृत अवस्था में पड़ा मिला था। 6 महीने पहले ही उन्होंने सीआईएसएफ की नौकरी के लिए क्वालीफाई किया था। और 2 हफ्ते की ट्रेनिंग पूरी हुई थी। मुलाकत के दौरान जेडीयू नेता जेपी चंद्रवंशी और मनोज कुमार समेत कई लोग मौजूद रहे।

क्यों याद किये जाते हैं वीर कुँवर सिंह को

बाबू कुँवर सिंह का विजयोत्सव — 23 अप्रैल

1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में भाग लेकर बिहार सहित पूरे भारत के नाम को रौशन करने वाले जगदीशपुर के 80 वर्षीय राजा बाबू कुँवर सिंह थे। एक तरफ दिल्ली में अंतिम मुगल सम्राट 80 वर्षीय बहादुरशाह जफर अपने काँपते हुए हाथों से पत्र लिखकर समस्त भारत के देशी नरेशों को संग्राम में भाग लेने के लिए आह्वान कर रहे थे तो दूसरी तरफ करीब उसी उम्र के वीर बांकुरा बाबू कुँवर सिंह तलवार हाथ में लेकर राजपूती शान का प्रदर्शन करते हुए अपने जनपद सहित सभी देशवासियों को कुर्बानियों के लिए तैयार कर रहे थे।

मेरठ, दिल्ली एवं देश के अन्य भागों की क्रांति दानापुर छावनी में भी सुनाई पड़ रही थी। कमिश्नर टेलर दानापुर के सैनिकों को शस्त्र-विहीन करना चाहता था जिससे हिंदू-मुस्लिम सैनिक उत्तेजित हो उठे और 24 जुलाई 1857 को बगावत करते हुए अपनी वर्दी उतार कर आरा के लिए चल पड़े । दानापुर छावनी की तीन पालटनों (7, 8 एवं 40) का विद्रोह ब्रिटिश सत्ता के लिए खुली चुनौती थी । दानापुर के क्रांतिकारी सेना के जगदीशपुर पहुंचते ही बूढ़ कुँवर सिंह की रगों में जवानी का नशा चढ़ गया । अपने महल से निकलकर उन्होंने क्रांतिकारी सेना का नेतृत्व उसी तरह ग्रहण किया जैसे 11 मई 1857 को मेरठ से आए दो हजार घुड़सवार सैनिकों का नेतृत्व 80 वर्षीय मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर ने किया था । दानापुर छावनी के विद्रोही सेना के साथ कुँवर सिंह आरा पहुंचे और जेलखाने के कैदियों को रिहा कर अंग्रेजी दफ्तरों को ध्वस्त कर दिया ।

महाराजा कॉलेज परिसर में अवस्थित छोटे से किले- ‘आरा हाउस’ को घेरकर उसमें छिपे अंग्रेजों और सिक्ख सेनाओं को हथियार डालने के लिए उन्होंने बाध्य किया । तीन दिनों तक आरा हाउस का युद्ध चलते रहा । जब किले में पानी की कमी हुई तब सिक्ख सैनिकों ने 24 घंटे के अंदर एक नया कुंआ खोदकर तैयार कर लिया । उस समय आरा हाउस (ब्वायर कोठी) के अंदर आधुनिक हथियारों से सुसज्जित 50 सिक्ख एवं 16 अंग्रेज सैनिक थे जो इसमें शरण लिए अंग्रेजों एवं उनके परिवारों की रक्षा के लिए तैनात थे । आरा हाउस (ब्वायल कोठी) की लड़ाई ही बाबू साहेब की अंग्रेजी सल्तनत के साथ आरा की लड़ाई थी और यह लड़ाई करीब एक सप्ताह चली ।

वीर कुँवर सिंह
वीर कुँवर सिंह

अब पूरे आरा पर बाबू कुँवर सिंह का शासन हो गया और वे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के 5000 क्रांतिकारी सिपाहियों के सर्वमान्य नेता तथा समस्त भोजपुरी भाषी जनता के कंठहार बन गए । जनता ने ‘तेगवा बहादुर’ की पदवी से उनका यशोगान किया । बसंतकाल में आज भी भोजपुरी भाषी अपने झोपड़ों-चौपालों और गांव के खेत-खलिहानों में गा उठते हैं–

“बाबू कुंवर सिंह ‘तेगवा बहादुर’
बंगला में उड़ेला अबीर”।

कुँवर सिंह के नेतृत्व में ब्रिटिश सल्तनत के विरूद्ध में आरा का यह विद्रोह अब पूरे शाहाबाद क्षेत्र में राष्ट्रीय क्रांति का रूप ले चुका था । अंग्रेजों के लिए आरा नगर सैनिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण स्थल था । वे हर हालत में आरा को बचाना चाहते थे । परिणामस्वरुप, आरा हाउस में घिरे अंग्रेजों की प्राण रक्षा के लिए 500 यूरोपियन गोरे सैनिकों एवं सिक्खों की एक टुकड़ी के साथ कैप्टन डनवर 29 जुलाई 1857 को दानापुर छावनी से आरा के लिए रवाना हुआ । आरा पहुंचने से पूर्व ही रात में बाबू कुँवर सिंह के सैनिकों से डनवर की फौज का मुकाबला हुआ जिसमें 500 सैनिकों में से सिर्फ 50 घायल होकर और केवल तीन जीवित अधिकारी दानापुर पहुंचे। कैप्टन डनवर सहित अन्य सभी सैनिक मारे गए ।

कैप्टन डनवर की पराजय के बाद आरा पर पूर्ण रूप से बाबू कुँवर सिंह का अधिकार हो गया और पूरा शाहाबाद स्वतंत्र हो गया । अब बाबू कुँवर सिंह ने आरा में पूर्वी पश्चिमी थाना स्थापित कर गुलाम महिया को दोनों थाने का मजिस्ट्रेट नियुक्त किया । मिल्की मुहल्ले के शेख मुहम्मद अजीमुद्दीन पूर्वी थाने के जमादार नियुक्त किए गए। दीवान शेख अफजल के दोनों पुत्र तुराव अली एवं खादिम अली इन थानों के कोतवाल बनाए गए ।

बीबीगंज की लड़ाई– कैप्टन डनवर के मारे जाने के समाचार से मेजर विंसेंट आयर 2 अगस्त 1857 को आरा की ओर कूच कर ही रहा था कि बाबू कुँवर सिंह के सैनिकों के साथ बीबीगंज में उसका भीषण संग्राम हुआ। अंततः मेजर आयर 3 अगस्त 1857 को आरा पहुंचकर कुँवर सिंह के कब्जे से आरा को मुक्त कराया ।

उसके बाद मेजर आयर की विशाल सेना का मुकाबला दुलौर में बाबू कुँवर सिंह के सैनिकों के साथ हुआ । 12 अगस्त को मेजर आयर की सेना जगदीशपुर पहुंची जहाँ कुँवर सिंह के साथ कई दिनों तक संग्राम होता रहा। अंततः मेजर आयर ने 14 अगस्त को जगदीशपुर गढ़ में आग लगा दी, सामान्य लोगों के मकान ध्वस्त कर बड़े पैमाने पर जगदीशपुर के आम लोगों की हत्या कर दी । शिवमंदिर का भी विनाश करते हुए उसने गर्व से कहा, “मैंने नए हिंदू मंदिर को नष्ट इसलिए किया, क्योंकि ब्राह्मणों ने भी कुँवर सिंह को युद्ध के लिए प्रोत्साहित किया था” (जी. डब्ल्यू फॉरेस्ट, ए हिस्ट्री ऑफ इंडियन म्यूटिनी, भाग-3, पृष्ठ 455)। उल्लेखनीय है कि दुलौर से जगदीशपुर जाने के क्रम में मेजर आयर ने रास्ते में आतंक मचाते हुए मीलों तक घायल लोगों को सड़क के किनारे पेड़ों पर टांग-टांग कर फांसी देकर लटका दिया । जो भी विप्लवी दिखाई पड़ा, उसे मार डाला गया । कड़ी शराब पीकर अंग्रेजों ने एसे राक्षसी कार्य किया (मार्टिन, इंडियन एम्पायर, भाग-2, पृ 406)। इसके बाद कैप्टन लाॅ इस्ट्राजे ने बाबू कुँवर सिंह का जितौरा गढ़ नष्ट कर दिया । लेफ्टिनेंट सैक्सन ने कुँवर सिंह के दलीपपुर एवं मीठहां के मकानों को भी नष्ट कर दिया । दानापुर छावनी के 40 नंबर पल्टन के बचे 100 सैनिकों को संगीनों और गोलियों से उड़ा दिया गया। गुलाम महिया, अब्बास अली और वन्दे अली को क्रांति के असफल होने पर गोपाली चौक पर फांसी दी गई । भेखू जोलहा, चकवरी कहार भी कुँवर सिंह के समर्थक होने के चलते मारे गए ।

बाबू कुँवर सिंह का जगदीशपुर महल सहित पूरा जगदीशपुर पूर्ण रूप से नष्ट हो गया । अंग्रेजों द्वारा जगदीशपुर गढ़ पर कब्जा के बाद बाबू कुँवर सिंह ने महल की स्त्रियों और 12 सौ सैनिकों के साथ जगदीशपुर से निकलकर अन्यत्र मोर्चाबंदी कर अंग्रेजों से बदला लेना चाहा । अंग्रेजों की विशाल सेना के चलते भले जगदीशपुर पर उनका कब्जा हुआ हो, लेकिन अत्यल्प साधनों के बावजूद मात्र जन-समर्थन के बल पर आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित ब्रिटिश सेना का मुकाबला जिस रूप में कुँवर सिंह ने किया, वह स्वाधीनता-संग्राम में स्वर्णाक्षरों में अंकित है । जगदीशपुर की पराजय के पश्चात बाबू कुँवर सिंह अपने समर्थकों एवं सिपाहियों के साथ सासाराम की पहाड़ियों की ओर चल पड़े, जहाँ उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भावी संग्राम की योजना बनाकर स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी को प्रज्वलित रखा । स्वतंत्रता आंदोलन के बाबू कुँवर सिंह प्रथम नायक बने जिन्होंने बहादुरशाह जफर के सपने को साकार किया । उल्लेखनीय है कि अंग्रेजी सेना द्वारा गिरफ्तार हुए मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर ने मेजर हडसन को ललकारते हुए कहा था,

“ग़ज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की,
तख्त ये लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।”

आरा (जगदीशपुर) में अंग्रेजों के साथ बाबू कुँवर सिंह के युद्ध का प्रभाव मुजफ्फरपुर, गया, संथाल परगना, हजारीबाग, चतरा, सिंहभूमि, पलामू तथा छपरा में जबरदस्त दिखाई दिया ।

बाबू कुँवर सिंह का विजय-अभियान-‘विजयोत्सव’— अपने साथियों एवं समर्थकों के अदम्य उत्साह और शौर्य से उत्साहित बाबू कुँवर सिंह का नया विभामय रूप भारतीय इतिहास में प्रकट हुआ । जगदीशपुर के पतन के बाद उनका क्षात्र तेज उमड़ पड़ा और वे अब पूरी भारतीय राष्ट्रीयता के अग्रदूत बनकर विदेशी सत्ता को मिटाने के लिए कृतसंकल्प हो गए। सासाराम के शाह कबीरूद्दीन ने अंग्रेजों की सहायता में बाबू कुँवर सिंह का जबरदस्त विरोध करते हुए उन्हें आगे बढ़ने से रोकना चाहा । बाबू कुँवर सिंह 26 अगस्त 1857 को रोहतास छोड़ते हुए अपने हजारों अनुयायियों के साथ आगे बढ़ते रहे । मिर्जापुर जाने के क्रम में उन्होंने जी. टी. रोड पर अधिकार किया । मिर्जापुर में बाबू कुँवर सिंह का अधिक प्रभाव था। घोरावत, शाहरोत होते हुए 30 अगस्त 1857 को कुँवर सिंह नेवारी और 9 सितंबर को 600 सैनिक और 5000 लोगों के साथ कटरा पहुंचे । 10 सितंबर 1857 को कुँवर सिंह ने रीवां में प्रवेश किया जहाँ हस्मत अली एवं हरचन्द्र राय ने उनका भरपूर सहयोग किया । रीवां के बाद बाबू कुँवर सिंह बांदा गए जहाँ के नवाब ने उनकी भरपूर सहायता की । 20 अक्टूबर को उनकी सेना कालपी पहुंची । 21 नवम्बर को वे ग्वालियर की क्रांतिकारी सेना, देशी सेना तथा अपने समर्थकों के साथ कानपुर पहुँचे । कानपुर के बाद अपनी सेना के साथ वे लखनऊ के लिए रवाना हुए जहाँ उनका स्वागत किया गया । लखनऊ में अवध के नवाब ने उनकी सहायता करते हुए उन्हें आजमगढ़ की ओर जाने के लिए शाही फरमान दिया । 15 अगस्त 1857 से 10 फरवरी 1858 के दौरान बाबू कुँवर सिंह ने स्वाधीनता की लड़ाई जारी रखी।

मिलमैन तथा डेम्स की पराजय — 22 मार्च 1858 को आजमगढ़ से 25 मील दूर अतरौलिया नामक स्थान पर कुँवर सिंह ने मिलमैन की विशाल सेना को तथा 28 मार्च 1858 को कर्नल डेम्स को पराजित कर आजमगढ़ पर अधिकार किया ।

जगदीशपुर की ओर

अब वे अपनी पैतृक रियासत जगदीशपुर को भी स्वतंत्र करना चाहते थे । इसी बीच उन्होंने लुगार्ड एवं डगलस को पराजित करते हुए 22 अप्रैल 1858 को जब बलिया के शिवपुर घाट पर गंगा पार कर रहे थे तब उनकी भुजा में गोली लगी जिसे काटकर उन्होंने गंगा में फेंक दिया । सावरकर ने कहा है कि वीरत्व की यह चेतना स्वतंत्रता-संग्राम के इतिहास में अविस्मरणीय बनी रहेगी । 22 अप्रैल 1858 को बाबू कुँवर सिंह 1000 पैदल सैनिकों एवं घुड़सवारों के साथ जगदीशपुर महल पहुंच गए । अपनी कटी हुई बांह तथा चोटिल जांघ के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध कर अपनी मातृभूमि जगदीशपुर में अपने अपूर्व रण कौशल का प्रदर्शन किया । 23 अप्रैल को जगदीशपुर में कैप्टन लीग्रैण्ड की सेना से बाबू कुँवर सिंह की सेना का मुकाबला हुआ और अंग्रेजों की पराजय के साथ-साथ कैप्टन लीग्रण्ड भी युद्ध में मारा गया । युद्ध में अंग्रेजों की पराजय के बाद प्रसिद्ध इतिहासकार चार्ल्स बाल ने युद्ध में सम्मिलित एक अंग्रेज ऑफिसर के लेख को उद्धृत करते हुए लिखा है, “वास्तव में इसके बाद जो कुछ हुआ, उसे लिखते हुए मुझे अत्यंत लज्जा आती है । युद्ध का मैदान छोड़कर हमने जंगल में भागना शुरु किया…. अफसरों की आज्ञाओं की किसी ने परवाह नहीं की । चारों ओर आहों और रोने के सिवा कुछ नहीं था । मार्ग में अंग्रेजों के गिरोह के गिरोह गर्मी से गिरकर मर गए । अस्पताल पर कुँवर सिंह ने पहले ही कब्जा कर रखा था । 16 हाथियों पर सिर्फ हमारे घायल साथी लदे हुए थे….। हमारा इस जंगल में आना ऐसी ही हुआ जैसा पशुओं का कसाई खाना में जाना । हम वहाँ केवल बध होने के लिए गए थे।”

लीग्रैण्ड की पराजय के बाद 25 अप्रैल 1858 को वीर बांकुड़े बाबू कुँवर सिंह ने अपने ध्वस्त पैतृक महल में अंतिम सांस लेकर भारतीय स्वतंत्रता के लिए युवा पीढ़ी को बड़ा संदेश दिया । विनायक दामोदर सावरकर ने लिखा है, “क्या कोई इससे भी पावन मृत्यु है, जिसकी अपेक्षा कोई राजपूत करेगा ।” सुंदरलाल ने लिखा है, “वीर कुँवर सिंह की मृत्यु के समय स्वाधीनता का ‘हरा ध्वज’ उनकी राजधानी पर फहरा रहा था।”

पराधीन भारत को ब्रिटिश सत्ता के बंधन से मुक्त करने का जो अदम्य संकल्प वृद्धावस्था में बाबू कुँवर सिंह ने लिया था, वह भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है । 1857 के आंदोलन के अविस्मरणीय अनेक योद्धाओं में बहादुरशाह जफर, नाना साहेब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई आदि का अंत वीर बांकुड़े बाबू कुँवर सिंह जैसा सुखद नहीं था ।

23 अप्रैल 1858 भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम ‘विजयोत्सव दिवस’ है जिसका उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं है । अपना सर्वस्व बलिदान कर अंग्रेजों द्वारा ध्वस्त जगदीशपुर महल पर पुनः विजय पताका फहराकर उसमें अंतिम साँस लेना उनके अदम्य उत्साह एवं संकल्प का परिचायक है । आजमगढ़ से गंगा पार करने तक तथा लीग्रैण्ड के साथ उनकी युद्ध की समीक्षा करते हुए भले उन्हें ‘गुरिल्ला युद्ध का अप्रतिम योद्धा’, ‘शाहाबाद का शेर’, ‘बिहार का स्वाभिमान’ तथा ‘तेगवा बहादुर’ कहा गया हो, लेकिन सही अर्थ में वे समस्त भारतवासियों के लिए प्रेरणास्वरूप हैं । जहाँ बाबू कुँवर सिंह देश के स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में देश का गौरव बढ़ा रहे हैं, वहाँ 23 अप्रैल का विजयोत्सव उनके शौर्य एवं बलिदान की गौरवमयी गाथा से देशवासियों को उत्प्रेरित कर रहा है । वे सिर्फ जगदीशपुर, बिहार के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए मान, अभिमान और स्वाभिमान के प्रतीक हैं । उन्होंने समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर 1857 में अंग्रेजों से युद्ध किया था । देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने आजादी के 75वें वर्ष को बाबू कुँवर सिंह के शौर्य के प्रतीक 23 अप्रैल को ‘अमृत महोत्सव’ के रूप में मना कर ‘तेगवा बहादुर’ बाबू कुँवर सिंह को सर्वोत्तम श्रद्धांजलि तो दिया ही है, वीरंगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती को ग्वालियर में ‘अमृत महोत्सव’ का दर्जा देकर अपने राजधर्म का अनुपालन भी किया है, जिनके बारे में सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा है–

“बुंदेले हरबोलों के मुंह,
हमने सुनी कहानी थी ।
खुब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी ।”

नालंदा में एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ जहर खाकर आत्महत्या किया

नालंदा में शुक्रवार को एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर लिया। मामला जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र के अहियापुर गांव का है। स्थानीय लोगों के अनुसार, शुक्रवार को पति-पत्नी के बीच पांच रुपए को लेकर विवाद हुआ था। जिसके बाद महिला ने अपने दो बच्चों के साथ जहर खा लिया।

इलाज के दौरान 24 वर्षीया महिला, दो साल की बेटी और आठ साल के बेटे की मौत हो गई। घटना के बाद ससुराल के लोग शव जलाने का प्रयास कर रहे थे। मायकेवालों की सूचना पर पुलिस ने शवों को बरामद कर लिया है। ग्रामीणों की माने तो शव को कब्जे में लेकर पुलिस पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लेकर आ रही है।

जहानाबाद में दो जगहों पर बाबू कुंवर सिंह जयंती को लेकर कार्यक्रम अयोजित किए गए

आज जहानाबाद में दो जगहों पर बाबू कुंवर सिंह जयंती को लेकर कार्यक्रम अयोजित किए गए। क्षत्रिय सभा द्वारा ऊंटा मोहल्ले में , जहां वीर योद्धा के तैल चित्र पर डॉ विरेंद्र कुमार सिंह, कुंदन कुमार विमल, संजय सिंह समेत कई लोगों ने माल्यार्पण किया।

वहीं स्थानीय अनुग्रह नारायण स्मारक महाविद्यालय में बाबू वीर कुंवर सिंह जी की विजयोत्सव कार्यक्रम मनाया गया।इस अवसर पर कालेज कर्मी श्रद्धा पूर्वक तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। वक्ताओं ने बाबू वीर कुंवर सिंह जी से जुड़े स्वंतत्रता संग्राम की लड़ाइयों और युद्ध कौशल पर विस्तार से अपने अपने विचार रखे।

1857के महान योद्धा के विचार तथा अन्य कई तरह युद्ध कौशल पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इस युद्ध ने ही गुलामी में जी रहे भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु एक संवेदना सम्प्रेषण किया।इस अवसर पर कालेज कर्मी में इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं उपप्राचार्य अरविंद कुमार सिंह,प्रों शिव शंकर सिंह सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।

वीर कुंअर सिंह सिर्फ बिहार के लिए लड़े थे क्या राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम होनी चाहिए – नीतीश कुमार

पटना । वीर कुंअर सिंह के जंयती के मौके पर सीएम नीतीश ने कहाँ वीर कुंअर सिंह सिर्फ बिहार के लिए लड़े थे क्या राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम होनी चाहिए ।

वीर कुंवर सिंह की जंयती पर खास

कालिदास तुम सही थे ! तुम्हारा वह कथानक चित्र जिसमें तुम पेड़ के एक डाल पर बैठे हो और उसी डाल को काट रहे हो यह बिना सोचे कि डाली जब कट के गिरेगी तो तुम भी उसी डाली के साथ गिर जाओगे।

कालिदास तुम अलग नहीं हो । सदियों से मनुष्य जाति यही तो करती आई है ।
आज बुलडोजर चलाने पर जो खुश है वो तुम्हारे कथानक चित्र को वो पात्र है, जिसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि कानून है तो तुम हो, संविधान है तो तुम हो ।शासन और सत्ता तो चाहती ही है कि कानून और संविधान पर से लोगों का भरोसा उठ जाये ।
आज जिस रहमान के घर बुलडोजर चलने पर खुश हो, वह सिर्फ रहमान का घर नहीं है वह घर भारतीय संविधान और न्याय संहिता का घर है जिसके बुनियाद पर भारत बसा हुआ है ।सत्ता और सरकार तो चाहती ही कि कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर कानून और संविधान को धत्ता बताते रहे । कल तुम रहमान का घर टूटने पर खुशी मना रहे थे आज रमन झा और विवेक गुप्ता के घर बुलडोजर चला तो कागज दिखा रहे हो ।

तेरी हंसी कब तरे घर मातम लेकर पहुंच जाये किसी ने नहीं देखा है सत्ता और सरकार को इतनी छूट दिये तो फिर बहु बेटी को घर से उठा कर ले जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

Editorial

देखो सत्ता का चरित्र आज जरुरत पड़ी तो वीर कुंउर सिंह के परिवार वाले की हत्या मामले में एक माह बाद डाँक्टर पर कार्यवाही हो रही है ।इससे पहले सूना था बिहार में इलाज में लापरवाही बरतने पर किसी डाँक्टर पर कार्यवाही हुई हो ।वैसे 23 अप्रैल के बाद डाँक्टर साहब को मनचाही जगह मिल जायेंगी ये भी तय है काली हो सकता है इस कथा में तुम्हारे नाम को जोड़कर उस ज़माने के तुझे नापसंद करने वालों ने तेरी फिरकी ली हो ।फिर भी एक बात तो है, तुम मिथक कथा के पात्र ही सही पर जीवंत बिंब हो मनुष्य जाति के एक पहलू के ।

भाई भाई को लड़ा रहा है सत्ता के लिए और ससुरे को समझ में नहीं आ रहा है नौकरी और रोजगार हाथ से जा रहा है शहर दर शहर उजर रहा है 35 रुपया का पेट्रोल 120 रुपया में बेच रहा है अपनी ऐयाशी के लिए फिर भी समझ में नहीं आ रहा है।
काली मेरा मानना है कि तुम ये कहानी मनुष्य को संचेत करने के लिए गढ़ा था लेकिन दुर्भाग्य है काली 1500 सौ वर्ष बाद भी समझ में नहीं आया है क्या करोगे मनुष्य समझदार ही हो जाता तो फिर ऐसे लोगों की दुकाने कैसे चलती है।

घूस लेते हुए वायरल हो रहा बाबू का वीडियो

एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें यह साफ तौर पर देखा जा रहा है कि एक शख्स किसी काम के बदले पैसा लेता है, और काम को एक सप्ताह के भीतर खत्म करने की बात कहता है।

#ViralVideo

बताया जा रहा है कि यह वीडियो जिला परिवहन विभाग भागलपुर के बड़ा बाबू का है जिनका नाम शंभू मंडल है। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद शंभू ने बताया कि चुनाव के दौरान चालक को उनके डेली खर्चे का रुपैया दिया जा रहा था और जो रुपया बचा है उसे मैं रख रहा था।

एक सप्ताह वाली बात से उन्होंने इनकार किया है जबकि वीडियो में साफ तौर पर यह स्पष्ट है कि काम खत्म होने के बाद और पैसा दिया जाना है। वहीं दूसरी तरफ जिला परिवहन पदाधिकारी फिरोज अख्तर ने कहा कि वीडियो वायरल होने की जानकारी मिली है, इसकी जांच कराई जाएगी अगर जांच में दोषी पाए गए तो कार्रवाई होगी। हालांकि इस वायरल वीडियो का बिहार न्यूज़ पोस्ट पुष्टि नहीं करता है।

पटना हाईकोर्ट ने मधनिषेध एवं उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव से बिहार में शराबबंदी कानून के अंतर्गत की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने मधनिषेध एवं उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव से बिहार में शराबबंदी कानून के अंतर्गत की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने काजल कुमारी की जमानत याचिका पर ऑन लाईन सुनवाई की।

कोर्ट ने अबतक जेल जा चुकी महिलाओं और 18 से 25 वर्ष के युवाओं का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने बेगूसराय थाने में दर्ज एक मामले में जेल में बंद काजल कुमारी की जमानत याचिका पर ऑन लाईन सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

PatnaHighCourt
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याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिलायें और युवा शराबंदी के मामलों में बड़े पैमाने पर जेल जा चुके हैं। इनमें से अधिकतम प्रथम अपराध के लिए जेल गए हैं।

इस कानून से समाज में अपेक्षित बदलाव आने की जगह यह आसान पैसे कमाने का एक भंवरजाल बन गया। इसमें महिलाएं व युवा आसानी से फंसते जा रहे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी।

ब्रिटिश काल के शासन में बने पुल की लोहे को काट कर ले जा रहे हैं चोर

जहानाबाद । ब्रिटिश काल के शासन में बने पुल की लोहे को काट कर ले जा रहे हैं चोर, विभाग के कर्मचारी पदाधिकारी बने हैं उदासीन।

जहानाबाद बिहार शरीफ शहर को जोड़ने वाली दरधा नदी पर ब्रिटिश काल के शासनकाल में ही लोहे के पुल का निर्माण कराया गया था । जिसे लोग आवागमन करते थे लेकिन बीते कुछ दिन पूर्व उस पुल की हालत जर्जर हो गई। जिसके बाद विभाग के द्वारा उस पुल को अयोग्य घोषित कर दिया था, और इसके जगह पर करोड़ो रुपए की लागत से नए पुल का निर्माण कराया गया।

जिस पुल से लोग आवागमन कर रहे हैं , लेकिन ब्रिटिश काल के शासन में जिस पुल का निर्माण कराया गया था, यह लोहे का पुल है लेकिन विभाग के कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों को उदासीनता के कारण आज पुल के लोहे को चोर द्वारा काट काट कर बेचा जा रहा है ।

समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कारवाई नही होती तो धीरे धीरे लोहे के पुराने पुल का अस्तित्व खत्म हो जायेगा या अगर उस पुल के लोहे को विभाग नीलाम किया जाये तो सरकार को लाखो रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है। लेकिन विभाग के पदाधिकारी के उदासीनता के कारण आज पूल के लोहे को चोरों द्वारा काट काट कर बेचा जा रहा है।

आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि अगर विभाग अपने कर्तव्य के प्रति इसी तरह लापरवाह रहा तो आने वाले दिन मैं पुल सारा सामान चोर चोरी कर लेकर चले जाएंगे और विभाग के पदाधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालय के कमरे में बैठकर सरकार की कई लाखों रुपए का चूना लगा ।

बैठेंगे कुछ लोग तो दबे जुबान यह भी कह रहे है कि चोरी की घटना विभाग के कर्मचारी एवं पदाधिकारी के मिलीभगत से हो रही है लोगों का कहना है कि पथ निर्माण विभाग की कर्मचारी एवं पदाधिकारी एवं चोरों की मिलीभगत से यह कारनामा हो रहा है । अगर इसकी जांच कराई जाए तो इसमें बड़े से लेकर छोटे पदाधिकारी के मिलीभगत एवं कारनामे उजागर हो सकता है लेकिन जो भी हो अगर विभाग द्वारा इसी तरह लापरवाही बरता गया तो वह दिन दूर नहीं जब ब्रिटिश शासनकाल के पुल का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिन पूर्व सासाराम जिले में भी विभाग के कर्मचारी और पदाधिकारियों के द्वारा एक लोहे को पुल को भेज दिया गया था और जिसकी खबर चलने के बाद सरकार एक्शन में आई और इस मामले में कर्मचारी और पदाधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार भी किया गया है बावजूद विभाग के पदाधिकारी सासाराम की घटना से सबक नहीं ले रहे हैं जो विभाग और प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।

घर में कल आने वाली थी बहन की डोली, आज उठी भाई की अर्थी

जहानाबाद । बड़ी खबर जहानाबाद से है, जहां जहां सड़क दुर्घटना में शुभम कुमार नामक एक 18 साल के युवक की मौत हो गई।

शुभम घोसी प्रखंड के कौड़िया गांव का रहने वाला था। मृतक के पिता ने बताया कि कल ही बेटी की शादी है और बारात आने वाली थी। गांव में बिजली प्रवाह खराब थी जिसकी शिकायत करने शुभम पावर ग्रिड जा रहा था। तभी घोसी चोरास्ते के पास एक अज्ञात वाहन ने ठोकर मार दी।

मनोज शर्मा, मृतक के पिता

घायल अवस्था में परिजनों ने उसे सदर अस्पताल पहुंचाया जहां प्राथमिक देखरेख के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों की माने तो सर में चोट लगने की वजह से शुभम की मौत हुई है। इधर सूचना मिलने के बाद शुभम के घर में कोहराम मच गया है।

वीर कुंवर सिंह जी के विजयोत्सव पर गृहमंत्री अमित शाह जी की उपस्थिति में 75 हजार से ज्यादा तिरंगा हाथ में लिए राष्ट्रवादियों का हुजुम एक नया इतिहास रचा जायेगा

बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि कल यानी 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के मौके पर जगदीशपुर के दुलौर मैदान में प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता और देश के यशस्वी गृहमंत्री अमित शाह जी की उपस्थिति में एक नया इतिहास रचा जायेगा। इस दौरान 75 हजार से ज्यादा तिरंगा हाथ में लिए, राष्ट्रवादियों का हुजुम उन सभी राष्ट्रनायकों का सम्मान और उनका यशोगान करेगा।

उन्होंने पटना के भाजपा कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, इसका उद्देश्य उन महान विभूतियों को याद करना तथा उनके यशोगान के जरिये नई पीढ़ियों को इससे अवगत कराना है जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपनी कुर्बानी दी है तथा सर्वस्व न्योछावर कर दिया है।

इस अमृत महोत्सव में उन महान व्यक्तियों को भी याद किया जा रहा है जो भारत के नव निर्माण में अपना योगदान दे रहें हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि इस अमृत महोत्सव के तहत वीरभूमि जगदीशपुर में आयोजित हो रहे बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव में लाखों लोग पहुँचेंगे और उस धरती को नमन करेंगे।

वीर योद्धा कुंवर सिंह की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह की जिंदगी में धर्म और जाति मायने नहीं रखती, यही कारण है कि 1857 की क्रांति में वे महानायक के रूप में उभरे। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम पहला मौका प्रतीत होता है जहां हिन्दु व मुसलमान कंधा से कंधा मिलाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते नजर आए।

दुलौर के मैदान में शनिवार को विजयोत्सव के मौके पर लाखों लोग जुटेंगे और तिरंगा फहराएंगे। यह देश के लिए पहला मौका होगा जब एक आयोजन स्थल पर तिरंगा प्रेमी इतनी अधिक संख्या में तिरंगा लहरायेंगे।

डॉ जायसवाल ने कहा कि वीर कुंवर सिंह की वीरता जग जाहिर है लेकिन दुर्भाग्य है कि इनकी वीरता को हम वह सम्मान आज तक नहीं दे सकें, जो कई स्वतंत्रता सेनानियों को मिला। आज माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को यह सम्मान देने में जुटी है।

ऐसे कार्यक्रमों और समारोहों के जरिए उन बलिदानियों की महागाथा को जन-जन तक पहुँचाने की कोशिश की जा रही है, जिससे आनेवाली पीढ़ी भी उन वीर शहीदों के कर्तव्यों और उनकी वीरता, उनके पराक्रम, उनके शौर्य व उनकी कृतियों को जान सकें।

मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 23 अप्रैल को जगदीशपुर आरा में आयोजित बाबू कुंवर सिंह जी विजयोत्सव कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 23 अप्रैल को जगदीशपुर आरा में आयोजित बाबू कुंवर सिंह जी विजयोत्सव कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा।

“बाबू कुंवर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उनकी पराक्रम की गाथा सदियों तक अमर रहेगी। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत की स्वतंत्रता के लिए शहीद वीरों को याद किया जा रहा है। इस कड़ी में यह भव्य आयोजन जगदीशपुर में हो रहा है”।

केंद्रीय मंत्री श्री चौबे शुक्रवार को शौर्य जनसंदेश यात्रा के क्रम में रेवटियाँ परमानपुर पहुंचे। सभी को 23 अप्रैल को जगदीशपुर भोजपुर में आयोजित “बाबू कुँवर सिंह विजयोत्सव” के लिए न्योता दिया। इसके पहले सोनबरसा में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दुर्गेश सिंह के नेतृत्व में युवाओं ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने सभी से बड़ी संख्या में विजयोत्सव में शामिल होने का आह्वान किया।

इसके पहले केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे ने जगदीशपुर आरा में बाबू वीर कुंवर स्मृति संग्रहालय का भ्रमण किया। यहां परिसर में वन विभाग द्वारा नवग्रह से संबंधित पौधा लगाया जा रहा है। इसके पश्चात स्थानीय लोगों को कार्यक्रम में आने का न्योता दिया।

श्री चौबे ने जगदीशपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह जी के परिजनों से मुलाकात की। उनका कुशलक्षेम जाना। दिनारा विधानसभा अंतर्गत मलियाबाग पहुँचने पर कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री श्री चौबे का पार्टी कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। इसके पश्चात उन्होंने सभी से कार्यक्रम स्थल पर शनिवार को 11:00 बजे आने का न्योता दिया।

वीर कुंउर सिंह की जयंती पर राजपूत नेताओं से दूरी बनायी गयी है

वीर कुंउर सिंह की जयंती पर जैसे राजपूत नेताओं से दूरी बनायी गयी है वैसे ही कार्यक्रम के पोस्टर से भी वीर कुंवर सिंह जी को दूर रखा गया है।

जंयती वीर कुंउर सिंंह जी की और पोस्टर शाह का चमक रहा है

चारा घोटाले के सभी मामलों में लालू को मिली जमानत, शीघ्र निकलेगें जेल से

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार मामले में जमानत मिल गई है। यह चारा घोटाले से जुड़ा पांचवा मामला है, जिसमें उन्हें झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। सीबीआई ने जमानत देने का कड़ा विरोध किया था।
राजद प्रमुख के वकील ने बताया कि उन्हें आधी सजा काट लेने और खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई है। उन्हें जल्द रिहा किया जाएगा। लालू यादव को एक लाख रुपये का बांड व जुर्माने के 10 लाख रुपये चुकाना होंगे।राजद प्रमुख को चारा घोटाले से जुड़े चार मामलों में पहले सजा मिल चुकी है और उनमें जमानत भी मिल गई है।

यह मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का है। झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी। 27 साल बाद कोर्ट ने फरवरी में डोरंडा कोषागार मामले में फैसला सुनाया था। इसमें लालू यादव को दोषी पाया गया था। उन्हें पांच साल की कैद व जुर्माना की सजा सुनाई गई थी।

LaluPrasadYadav

सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे। इनमें से डोरंडा कोषागार का मामला सबसे बड़ा था।इसमें सर्वाधिक 170 आरोपी शामिल थे। 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है।

चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ के अवैध निकासी में लालू जमानत पर हैं। इसमें उन्हें 5 साल की सजा हुई थी। देवघर कोषागार से 79 लाख के अवैध निकासी के घोटले के दूसरे मामले में भी वे जमानत पर हैं। इस मामले में उन्हे साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें 33.13 करोड़ के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के तीसरे मामले में भी जमानत मिली थी। इस मामले में उन्हें 5 साल की सजा हुई थी। दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के चौथे मामले में उन्हें दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उसमें भी वे जमानत पर हैं।