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पुलिस के भू माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

पटना हाइकोर्ट ने पुलिस के भू माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। जस्टिस संदीप कुमार ने सजोगा देवी की याचिका पर सुनवाई पूरी कर 4 जनवरी,2023 को फैसला देने की तिथि निर्धारित किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवा करते हुए याचिकाकर्ता को घटना की वीडिओ को पेनड्राइव में राज्य सरकार के अधिवक्ता और प्रतिवादियों को देने का निर्देश दिया।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में पूर्वी पटना के एस पी, पटना सिटी के सी ओ और अगमकुआं थाना के एस एच ओ के साथ इस घटना में गए पुलिस अधिकारियों कोर्ट में उपस्थित हो कर अपनी स्थिति स्पष्ट की थी।

कोर्ट ने कहा कि बिना किसी न्यायिक या अर्ध न्यायिक आदेश के मकान तोड़ा जाना अवैध है।उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह पुलिस कार्रवाई करेगी,तो अराजकता फैलेगी।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब ऐसे ही पुलिस काम करेगी,तो सिविल कोर्ट बंद कर दिया जाए।

कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से इस बात से इंकार किया कि इस घटना में बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया।उन्होंने कोर्ट को घटना की तस्वीरें भी दिखाई गई।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस के मनमाने रवैए पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या यहाँ भी बुलडोजर चलेगा।पुलिस थाने मे पैसा दे कर मनमाने काम करवाए जा सकते है।क्या सारी ताकत पुलिस को मिल गई है क्या।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि भू माफिया के शह पर याचिकाकर्ता व उसके परिवार वालो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इस प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश देते हुए उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया था।

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा पहुंचे बोधगया; 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं के जुटने की है संभावना

बोधगया । The BiharNews Post : December 22, 2022
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा गुरुवार की सुबह बोधगया पहुंचे । बौद्ध धर्म गुरु के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब। उनकी एक झलक पाने को श्रद्धालु कतारबद्ध होकर सर्द भरी सुबह से ही सड़क के दोनों ओर सैकड़ों की संख्या में खड़े रहे। उनकी एक झलक देख श्रद्धालु भावुक हुए ।

दुनिया में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामले में आ रही तेजी के बीच बौध धर्म गुरु दलाई लामा का बिहार के बोधगया में 20 जनवरी तक प्रवास करने की भी सूचना है।

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बोधगया में दलाई लामा के प्रवास के दौरान 40 से ज्यादा देशों के श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के करीब 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है।

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कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरों के मद्देनजर एयरपोर्ट पर ही सभी की जांच की जा रही है।

अदालती आदेश का उल्लंघन करने के मामले में तत्कालीन आईजी कारा एवं सुधार सेवा के मिथिलेश मिश्रा के खिलाफ अवमानना का मामला शुरू

पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश का उल्लंघन करने के मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तत्कालीन आईजी कारा एवं सुधार सेवा के मिथिलेश मिश्रा के खिलाफ अवमानना का मामला शुरू किया है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अल्लाउद्दीन अंसारी की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करने बाद ये आदेश दिया।

साथ ही गत वर्ष 27 अगस्त को हुई बैठक का प्रस्ताव तथा गत वर्ष 19 फरवरी को जारी आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।कोर्ट ने माना कि आईजी ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया है।

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कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन को तत्कालीन आईजी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। वही आईजी को चार सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण दाखिल करने का आदेश दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई के दौरान निर्माण कंपनी ने पटना हाइकोर्ट को आश्वास्त किया कि फेज दो का निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा हो जाएगा

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई के दौरान निर्माण कंपनी ने आश्वास्त किया कि फेज दो का निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा हो जाएगा।

कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया।इस राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में बाधा बने धार्मिक स्थलों सहित स्कूल तथा अन्य अवरोध को हटाने के लिए कोर्ट ने जहानाबाद तथा गया के डीएम एवं एसपी को दिया।कोर्ट ने उन्हें को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया। वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।

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पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।उनका कहना था कि स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है।

जिला प्रशासन ने धार्मिक स्थल तथा स्कूल के लिए भूमि नहीं दिया है।इस पर कोर्ट ने निर्माण कम्पनी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि इस बात की शिकायत कोर्ट से क्यों नहीं की गई।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस मामलें पर कई बार सुनवाई की गई हैं,लेकिन कभी भी अतिक्रमण किये जाने तथा जमीन नहीं देने की जानकारी नहीं दी गई।कोर्ट ने निर्माण कम्पनी को कब तक निर्माण कार्य पूरा कर लेने के बारे में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।

कोर्ट के कड़े रुख के बाद निर्माण कम्पनी ने 30 जून,2023 तक निर्माण कार्य पूरा कर लेने की बात कही।वही कोर्ट ने फेज दो व तीन पर बाधा बने स्थलों की जांच के लिए युवा वकीलों की टीम को जाने का आदेश दिया।

कोर्ट ने निर्माण में बाधा बनी बिजली टावर को हटाने का आदेश दिया।साथ ही आरओबी का निर्माण जल्द करने का आदेश दिया। इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

शराबबंदी के कारण पहली बार जेल जाने वालों को आम माफी दे सरकार: सुशील कुमार मोदी

पटना । The BiharNews Post : December 21, 2022
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शराबबंदी के कारण जो पहली बार जेल गए, उन पर मुकदमे वापस लेकर सरकार को आम माफी का एलान करना चाहिए और ऐसे लोगों को सुधरने का एक मौका देना चाहिए।

  • अब तक 4 लाख लोग गिरफ्तार, जेलों में जगह नहीं
  • बंदियों में 90 फीसद दलित, आदिवासी, अतिपिछड़ा वर्ग के गरीब

श्री मोदी ने कहा कि गांधी, जेपी और लोहिया ने भी शराब पीने वालों को सुधरने का मौका देने की बीत कही थी।

उन्होंने कहा कि शराब पीने की आदत या इसकी आसानी से उपलब्धता के कारण जिन्हें शराबबंदी कानून के तहत पहली बार जेल जाना पड़ा, वे गरीब लोग हैं और उन्होंने हत्या-बलात्कार जैसा कोई गंभीर अपराध नहीं किया है।

Sushil Modi

श्री मोदी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के कारण 4 लाख से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं। 3.5 लाख प्राथमिकी दर्ज है और 40 हजार लोग अब भी बंदी हैं। इनमें 90 फीसद दलित, आदिवासी और अतिपिछड़ा समाज के गरीब हैं। ये लोग इतने गरीब हैं कि अपना मुकदमा भी नहीं लड़ सकते।

उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग पकड़े गए कि जेलों में जगह नहीं है, फिर भी हर महीने 45 हजार गिरफ्तारियां हो रही हैं।

श्री मोदी ने कहा कि अदालतों पर शराब से जुड़े मामलों का बोझ बढ़ गया है। केवल जमानत के मामले निपटाये जा रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि आम माफी की घोषणा करने से लाखों गरीबों को बड़ी राहत मिलेगी, अदालतों पर मुकदमे का बोझ कम होगा और जेलों में जगह बनेगी।

पटना हाइकोर्ट के सेवानिवृत जज जस्टिस संजय कुमार ने बिहार राज्य उपभोक्ता रिड्रेसल कमीशन के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया

पटना हाइकोर्ट के सेवानिवृत जज जस्टिस संजय कुमार ने बिहार राज्य उपभोक्ता रिड्रेसल कमीशन के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है।उन्हें इस कमीशन के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कमिटी ने अनुशंसा की थी।इस सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर दिया गया था।

जस्टिस संजय कुमार ने पटना हाइकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया।इसके पहले उन्होंने भारत सरकार के असिस्टेंट सोलीसिटर जनरल के रूप में कार्य किया।बहुत दिनों से ये पद रिक्त पड़ा था।उनके अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण के पुनः कार्य शुरू हो जाएगा।

12वीं कक्षा पास उम्मीदवार भी अब अमीन बन सकते हैं: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य में अमीनों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है । जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने अपने निर्णय मे स्पष्ट किया कि 12वीं कक्षा पास उम्मीदवार भी अब अमीन बन सकते हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने अमीनों की बहाली के लिए वर्ष 2016 – 17 में जो संशोधन किया है ,उसके अनुसार बारहवीं पास उम्मीदवार को भी इस पद के लिये योग्य माना गया।

कोर्ट ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा दायर अपील और चुने गए उन उम्मीदवारों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका, जिनकी नियुक्ति इस पद पर चयन के बाद भी नहीं की गई थी, पर कोर्ट ने सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ ने वर्ष 2013 के रूल के अनुसार ही अमानत डिग्री प्राप्त उम्मीदवारों को अमीन के पद पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस पद पर किए गए नियुक्ति के लिए वर्ष 2016-17 में किए गए संशोधन की जानकारी सिंगल बेंच को नहीं दी गई थी ,जिसके कारण कोर्ट ने 12वीं पास उम्मीदवारों को आमीन के पद पर नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना था।

इससे पूर्व जस्टिस पी.बी.बजनथरी की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा राज्य में 1767 अमीन के रिक्त पड़े पदों पर बहाली के लिए जनवरी,2020 में निकाले गए विज्ञापन को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह नए सिरे अमीनो के रिक्त पड़े 1767 पदों पर बहाली के लिए तीन माह में नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित कर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करे।

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यह निर्देश जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता राम बाबू आजाद व अन्य द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता के ओर से कोर्ट को बताया गया था कि अमीन के पद पर बहाली के लिए शैक्षणिक योग्यता के लिए जो योग्यता राज्य सरकार ने विज्ञापन में प्रकाशित किया था, वह प्रावधानों के अनुरूप नहीं था। बिहार अमीन कैडर रूल के अनुसार उम्मीदवार को +2 उत्तीर्ण होने के साथ ही अमानत की डिग्री या आई टी आई द्वारा सर्वेयर की डिग्री प्राप्त होना चाहिए।

राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा निकाले गए विज्ञापन में जो शैक्षणिक योग्यता रखी गई थी, उसके अनुसार उम्मीदवार को मात्र +2 ही उत्तीर्ण होना ही पर्याप्त था।

इसी मामले को लेकर अमीन की डिग्री लिए उम्मीदवारों ने राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित इस विज्ञापन को पटना हाईकोर्ट में रिट दायर कर चुनौती दिया था।

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कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विज्ञापन को रद्द करते हुए नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर नियुक्ति करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा अमीन की बहाली के लिए दिए गए आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल अमानत डिग्री प्राप्त उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि 12वीं पास उम्मीदवार भी इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्य माने जाएंगे।

बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में चार हज़ार से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों अवहेलना को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगा दिया है

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डॉ आमोद प्रबोधी व सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य यूनिवर्सिटी सर्विसेज कमिशन को आदेश दिया है कि अगले आदेश तक कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं जारी की जाए।

गौरतलब है कि कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाते हुए, सिर्फ नियुक्तियों की सूची या नियुक्ति पत्र जारी करने पर ही रोक लगाया है।

रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता पीके शाही कोर्ट को बताया कि इन विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजों में 4638 सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां जो विज्ञापन में प्रकाशित हुई थी, उस विज्ञापन में मात्र 1223 रिक्तियां ही सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों के लिए है।आरक्षण नियम के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 50 फ़ीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता ।

इस विज्ञापन में आरक्षित श्रेणी के लिए करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित कर लिया गया है। कोर्ट को जब राज्य सरकार की ओर से बताया कि इस विज्ञापन में प्रकाशित रिक्तियों की संख्या में वर्तमान वैकेंसी के साथ-साथ पिछली रिक्तियों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थी, उन्हें भी जोड़ कर विज्ञापित किया गया है ।

एडवोकेट शाही ने कोर्ट को बताया कि बैकलॉग रिक्तियों को वर्तमान रिक्तियों से जोड़ करने पर भी रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकता है।

इस सम्बन्ध में पटना हाई कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया गया कि जब तक सरकार आरक्षण देने की व्यवस्था और तरीकों को कोर्ट के सामने स्पष्ट नहीं करती ,तब तक के लिए कम से कम नियुक्ति नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को तलब किया था। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव और शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में हाजिर थे।

कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को इस पूरे मामले और पिछली राज्य के इन विश्वविद्यालयों हेतु सहायक प्रोफेसर की पिछली तीन नियुक्ति प्रक्रियाओं की पूरी फाइल को पेश करने का आदेश दिया है।इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को होगी ।

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने आश्वास्त किया कि पटना गया डोभी के फेज एक का निर्माण 31 मार्च,2023 तक पूरा हो जाएगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।प्रतिज्ञा नामक संस्था द्वारा ये जनहित याचिका पर दायर किया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में मामलें को गम्भीरता से लेते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए अधिवक्ता मनीष कुमार समेत एक दर्जन वकीलों की एक टीम गठित किया था।इनकी तीन टीमें तीनो फेज के निर्माण कार्य का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था।

आज कोर्ट में इन्होने रिपोर्ट दिया।इन्होने अपने रिपोर्ट में कहा कि सड़क निर्माण का कार्य अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है।जितनी मजदूर और मशीनें लगायी जानी चाहिए, उतना नहीं लगाया गया है।

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कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया था कि निरीक्षण के दौरान वकीलों की सहायता के लिए सम्बंधित जिले के अधिकारीगण मौजूद रहेंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कार्य की धीमी गति पर कॉन्ट्रेक्टर को फटकार लगायी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से तय समय सीमा के तहत सड़क निर्माण का कैसे कार्य पूरा हो पायेगा।

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आज निर्माण कंपनी की ओर से बताया गया कि इस फेज में तीन आरओबी की समस्या के कारण सड़क निर्माण में बाधा है,लेकिन इस फेज के निर्माण का कार्य निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस सड़क निर्माण के तय समय सीमा 31मार्च ,2023 है।कोर्ट ने कहा कि जितने भी आदमी और मशीनों की जरूरत हो,उन्हें इस सड़क निर्माण के कार्य में लगा कर समय पर कार्य पूरा किया जाए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसम्बर,2022 को की जाएगी।

एम्स दरभंगा हेतु बिहार सरकार ने 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं कराई: डॉ भारती प्रवीण पवार

पटना । The BiharNews Post : December 20, 2022
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने बताया कि एम्स दरभंगा के निर्माण हेतु बिहार सरकार को 200 एकड़ भूमि सभी तरह की बाधा से मुक्त उपलब्ध कराना था, परंतु अभी तक बिहार सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराई।

• एम्स दरभंगा हेतु बिहार सरकार ने 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं कराई
• 2020 सितंबर में एम्स दरभंगा का शिलान्यास हुआ था
• 1264 करोड़ की लागत से 750 बिस्तर वाला अस्पताल का प्रस्ताव है

Dr. Bharti

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1264 करोड़ रुपया की अनुमानित लागत से एम्स दरभंगा की स्थापना को सितंबर 2020 की मंजूरी दी थी। एम्स दरभंगा को 750 बिस्तर वाला अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव है। इस प्रस्तावित अस्पताल में ओपीडी, आईपीडी के साथ-साथ शैक्षणिक ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, आवासीय ब्लॉक, छात्रावास, अतिथि गृह और रात्रि विश्राम गृह शामिल है।

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मंत्री ने यह भी बताया कि एम्स दरभंगा का कार्यकारी निदेशक नियुक्त कर दिया गया है।

पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस संजय कुमार को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बिहार में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया

पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस संजय कुमार को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बिहार, पटना में योगदान की तिथि चार वर्षों अथवा 67 वर्षों की उम्र सीमा ( जो भी पहले हो) के लिए अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया है।

Justice Sanjay Kumar

इस आशय की एक अधिसूचना बिहार सरकार के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा सोमवार को जारी किया गया है।

चयनित अध्यक्ष को योगदान के पूर्व संलग्न अनुलग्नक -I में राज्य आयोग के अध्यक्ष के लिए शपथ – पत्र व अनुलग्नक- II में राज्य आयोग के अध्यक्ष के लिए गोपनीयता का शपथ- पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण की मतगणना 20 दिसंबर को होगी

पटना । बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण की मतगणना कल (मंगलवार) सुबह आठ बजे से शुरु हो जाएगी। मतगणना केंद्र के बाहर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। पहले फेज के मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम को सील कर कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा गया है।

सिर्फ अनुमति पाए लोग ही कल मतगणना केंद्र के अंदर जा सकेंगे। रूझान कल सुबह 9 बजे के आसपास से आना शुरू हो जाएगा।

नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण के लिए 18 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में 59.62 फीसदी मतदान हुआ है। पहले चरण में 68 नगर परिषदों और 88 नगर पंचायतों के प्रतिनिधियों के लिए मतदान हुआ है।

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पहले फेज में 156 नगर पालिका के 52 लाख 60 हजार वोटरों ने 21287 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला EVM में कैद कर दिया है।

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पहले चरण में 52 लाख 60 हजार 530 मतदाता हैं जिसमें 27 लाख 59 हजार पुरुष मतदाता तथा 25 लाख एक हजार 369 महिला मतदाता और 161 अन्य मतदाता शामिल हैं।

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शराबकांड के पीड़ितों को पहले मुआवजा दें, प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें नीतीश: सुशील मोदी

पटना । The BiharNews Post : December 19, 2022
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों के गरीब आश्रितों को मुआवजा देने से बचने के लिए सरकार ने पहले नियम को लेकर झूठ बोला और अब बिहार में जहरीली शराब से मरने वालों के बारे में भी झूठे आंकड़े पेश कर चेहरा चमका रही है।

  • जहरीली शराब से मरने वालों के आंकड़े और मुआवजा देने के नियम, दोनों मुद्दे पर पकड़ा गया सरकार का झूठ

श्री मोदी ने कहा कि जब सरकार ने कुबूल कर लिया कि जहरीली शराब से मौत के मामले में मुआवजा देने का प्रावधान है, तब अब पीड़ित परिवारों को पहले मुआवजा मिलना चाहिए। नियमानुसार मुआवजा राशि की वसूली जहरीली शराब बनाने-बेचने वालों से बाद में भी हो सकती है।

SushilModi

उन्होंने कहा कि गरीबों मुआवजा देने को नीतीश कुमार अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें।

श्री मोदी ने कहा कि एक तरफ बिहार सरकार अपनी रिपोर्ट में सिर्फ 2016 में शराब सेवन से सात लोगों की मौत की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ उसी साल जहरीली शराब सेवन से मरने वाले 19 लोगों के परिवार को चार-चार लाख मुआवजा भी देती है।

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श्री सुशील मोदी ने राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो ( NCRB) को भेजी गई उस रिपोर्ट को आधार बनाया कर सरकार के झूठ को आईना दिखाया, जिसके अनुसार 2016-2021 के बीच बिहार में शराब सेवन से सिर्फ 23 लोगों की मौत हुई।

उन्होंने कहा कि झूठे आंकड़े पेश कर नीतीश सरकार वाह-वाही लूटने में लगी है और दूसरे राज्यों से बिहार की स्थिति को बेहतर बता रही है।

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बिहार में नगर निकाय चुनाव का पहला चरण संपन्न; 59.62 % हुआ वोटिंग

पटना । The BiharNews Post : December 18, 2022
बिहार में शहरी नगर निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया। शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ प्रथम चरण का मतदान, 20 दिसंबर को आएंगे । नतीजे पहले फेज में 156 नगर पालिका के 52 लाख 60 हजार वोटरों ने 21287 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला EVM में कैद कर दिया है।

नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में 59.62 फीसदी मतदान हुआ। सर्वाधिक मतदान अरवल में 67.71 फीसदी और सबसे कम बांका में 45.78 फीसदी मतदान हुआ।

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एक दो स्थानों को छोड़कर बिहार नगर निकाय के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। बिहार के बोधगया में नगर निकाय चुनाव का बहिष्कार का मामला सामने आया. पार्षद पद का चुनाव स्थगित होने से ये लोग नाराज थे।

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पहले चरण में 52 लाख 60 हजार 530 मतदाता हैं जिसमें 27 लाख 59 हजार पुरुष मतदाता तथा 25 लाख एक हजार 369 महिला मतदाता और 161 अन्य मतदाता शामिल हैं।

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बिहार के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) बने राजविंदर सिंह भट्टी

पटना/दिल्ली । The BiharNews Post : December 18, 2022
रविवार को गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार बिहार कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी को अगले आदेश तक बिहार का डीजीपी का नियुक्त किया गया है।

भट्टी मूल रूप से पंजाब के हैं लेकिन बिहार कैडर होने की वजह से उन्होंने राज्य में क्राइम को कम करने के लिए काफी काम किया है। RS Bhatti अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पूर्वी कमांड में अपर महानिदेशक (एडीजी) के पद पर कार्यरत थे।

DGP RS Bhatti

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिहार के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने की जो विशेष गुप्त योजना बनी थी, उसे आरएस भट्टी ने ही अंजाम दिया था।

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बिहार में वर्तमान में DG रैंक के 11 अफसर हैं। इनमें से 6 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर राज्य में आए हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से 3 नामों का चयन कर सूची बिहार सरकार के गृह विभाग को भेजी गई थी। राज्य सरकार की ओर नए डीजीपी के रूप में आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी को चुना गया।

वर्तमान डीजीपी एसके सिंघल का कार्यकाल कल सोमवार (19 दिसंबर) को खत्म हो रहा है। ऐसे में रविवार को ही गृह विभाग की ओर से नए डीजीपी के नाम की औपचारिक घोषणा कर दी गई।

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पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा

पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा। कोर्ट सोमवार से गुरुवार तक फिजिकल तथा शुक्रवार को वर्चुअल चलता रहेगा।

मिली जानकारी के तहत हाई कोर्ट परिसर अवस्थित तीन कैंटीन को शर्तो के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। वही रेलवे आरक्षण केंद्र पूर्व की तरह सुबह आठ बजे से दोपहर बाद दो बजे तक काम करेगा।

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मौजूदा समय में आरक्षण केंद्र सुबह आठ बजे से पौने दस बजे तक काम कर रहा था ।कोरोना संक्रमण को लेकर जारी एसओपी में थोड़ा बदलाव किया गया है। लेकिन बदलाव के बाद जारी हर दिशा निर्देशों को कड़ाई से पालन करने की जिम्मेवारी हाई कोर्ट के सुरक्षा में लगे पुलिस को दी गई है।

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वकील और उनके मुंशी को गेट संख्या दो एंव तीन से प्रवेश करने की अनुमति होंगी ।वही वकील हाई कोर्ट कर्मी एंव अन्य को गेट संख्या तीन से प्रवेश कर सकेंगे।जबकि मुवक्किल पास के द्वारा ही हाई कोर्ट में प्रवेश कर सकेंगे।सभी को हर दिशा निर्देश का पालन करना होगा।

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने संतोष ऊर्फ संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इलेक्शन के समय में आप क्रिमिनल बना देंगे लोगों को…, अगर आपको कोर्ट का समन मिले, तो आप घर जाकर खाना भूल जाइएगा” ।

कोर्ट ने इस मामलें के जांच का जिम्मा सीआईडी को दे दिया है।अगली सुनवाई में कोर्ट ने सीआईडी कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा।

याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि मोकामा स्थित समयागढ़ ओपी के एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने अपने बल का दुरूपयोग कर उन्हें सीआरपीसी की धारा 107 के तहत जारी नोटिस को वारंट का दर्जा देते हुए उस पर गिरफ्तारी का दबाब बनाने लगे ।

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जब याचिकाकर्ता के भाई ने इस पर आपत्ति जताई ,तो पुलिस वाले उनसे गाली गलौज करने लगे। फिर देर रात सैकड़ो की संख्या में पुलिसकर्मियों ने पूरे गाँव पर रेड कर दिया और याचिकाकर्ता के भाई को घसीट कर ले गए और उसे छत की रेलिंग से धक्का दे दिया ।

जब कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर किस आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा याचिकाकर्ता एवं अन्य लोगों पर समन जारी किया गया,तो कोर्ट में हाजिर एसडीएम संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए ।

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हाईकोर्ट ने एसडीएम के कार्यकलाप पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि “क्या आपने सीआरपीसी की धारा 107 को पढ़ा है ? आप क्या पुलिस के कहने से कुछ भी कर देंगे।अगर ऐसा रहा तो समाज में अराजकता फैलेगी। इस मामले पर अगली सुनवाई 4जनवरी,2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने विभाष चंद्र चौधरी की जनहित याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ये जमीन वर्ष 2007 से 2016 तक कटिहार नगर निगम क्षेत्र में पड़ता था, जिसकी जांच सीबीआई या भारत सरकार के ईडी से कार्रवाई जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह व प्रणव झा का कहना है कि ऐसे सभी जमीनों को निगम और जिला प्रशासन को अपने कब्जे में लेना चाहिए। कोर्ट ने पूर्व डिप्टी चीफ काउंसलर मंजूर खान, कटिहार नगर निगम के पूर्व मेयर बिजय सिंह व पूर्व डिप्टी मेयर श्रीमती पुष्पा देवी को भी नोटिस जारी किया है।

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याचिककर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि ये घोटाला लगभग 500 करोड़ का है।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

35 हजार करोड़ के नुकसान, 1000 मौतों के बाद भी शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं ? :सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार को 35 हजार करोड़ की राजस्व क्षति, जहरीली शराब पीने वाले 1000 से ज्यादा लोगों की मौत और 6 साल में 4 लाख गरीबों के जेल जाने के बाद भी क्या शराबबंदी की समीक्षा नहीं होनी चाहिए?

  • सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 पार, आंकड़े छिपा रही सरकार
  • गरीब आश्रितों को मिले मुआवजा, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि भाजपा शुरू से पूर्ण मद्यनिषेध नीति का समर्थन करती रही हैै, लेकिन नीतीश सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह विफल है।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार की नाकामी के कारण शराबबंदी ने पुलिस-प्रशासन के लोगों को 10 हजार करोड़ की अवैध कमाई करने और गरीबों को प्रताड़ित करने की खुली छूट दी। क्या इन बातों की समीक्षा नहीं होनी चाहिए?

उन्होंने कहा कि सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 से ज्यादा हो चुकी है। राज्य सरकार वास्तविक आंकड़े छिपा रही है।

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श्री मोदी ने कहा कि मृतकों के परिवारों को पुलिस धमका रही है, इसलिए लोग दूसरी जगह जाकर अन्त्येष्टियां कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि शराब पीने वालों पर परिवार का कोई जोर नहीं चलता। जहरीली शराब से मौत होने पर मुसीबतें परिवार पर टूटती हैं, इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार गरीब, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और दलित समाज के विरोधी हो गए हैं। उन्हें मुआवजे को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए।

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पटना हाइकोर्ट में लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण 100 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी

आज पटना हाइकोर्ट में जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा के समक्ष ऑनलाइन सुनवाई के लिए सौ जमानत याचिकाएं लिस्ट किया गया था। लेकिन वीडिओ कॉन्फ्रेन्सिंग सुनवाई के दौरान इनचार्ज लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी।

इन सौ जमानत याचिकाओं में मात्र दो जमानत याचिकाओं पर ही सुनवाई हो सकी, जिनमें लोक अभियोजक उपस्थित रहे। कोर्ट का मानना था कि बिना सरकारी पक्ष को सुने इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करना उपयुक्त नहीं होता।

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कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए इन सभी जमानत याचिकाओं को 20दिसंबर,2022 को नियमित बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

साथ कोर्ट ने इस आदेश की प्रति महाधिवक्ता को प्रेषित करने का निर्देश दिया, ताकि वे अपने स्तर पर कार्रवाई करें।