भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने समस्तीपुर थाने में हुई पुलिस पिटाई से सफाईकर्मी रामसेवक राम की मौत को हत्या बताया है और कहा है कि आज बिहार में पुलिस राज कायम हो गया है. उन्होंने थाना प्रभारी और रोसड़ा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पर अविलम्ब कार्रवाई की मांग की.
रोसड़ा नगर परिषद के सफाईकर्मी रामसेवक राम की मौत की उच्च स्तरीय जांच कराने, दोषी पुलिस- पदाधिकारी को बर्खास्त करने, परिजन को 10 लाख रूपये मुआवजा एवं नौकरी देने; पत्रकार, पार्षद व मजदूर पर दर्ज रोसड़ा थाना झूठा कांड संख्या-343/21 तत्काल समाप्त करने की मांग को लेकर आज भाकपा- माले के कार्यकर्ताओं ने नगर परिषद क्षेत्र के मोतीपुर कालीस्थान से विरोध मार्च निकाला. अपने-अपने हाथों में झंडे, बैनर एवं मांगों से संबंधित नारे लिखे कार्डबोर्ड लेकर माले कार्यकर्ताओं ने आक्रोशपूर्ण नारे लगाए और लगाते हुए नेशनल हाईवे-28 से गुजरते हुए बाजार क्षेत्र गांधी चौक पर सभा की, जिसकी अध्यक्षता प्रखण्ड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने की.
किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह, बासुदेव राय, बखेरी सिंह, हरिदेव प्रसाद सिंह, ललन दास, श्याम चंद्र दास, रामसेवक राय, रामबाबू सिंह, मंजीत कुमार, महेंद्र दास, अनील सिंह आदि ने सभा को संबोधित करते हुए हत्यारे को बर्खास्त कर सफाईकर्मी रामसेवक राम को न्याय देने अन्यथा आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी.
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रखण्ड सचिव ने कहा कि हाजत लोगों को सुरक्षा देने के लिए होता है, न की पिटाई कर मार देने के लिए. हाजत में हत्या जघन्य अपराध है और इसके दोषियों को दंड मिलना ही चाहिए. भाकपा माले इस संघर्ष को सड़क से विधानसभा तक ले जाएगी.
बिहार में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है आज चौथा जिला समस्तीपुर इसके आकोश में आ गया है जहां जहरीली शराब पीने से एक सेना का जवान सहित चारों लोगों की मौत हो गयी है एक दर्जन से अधिक व्यक्ति बीमार पड़ गये हैं।
जिले के पटोरी प्रखंड के रुपौली पंचायत में संदिग्ध हालत में एक साथ चार लोगों की मौत होने के साथ ही आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। बीमार लोगों को इलाज के लिए अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया है। मृतकों में एक बीएसएफ का और एक सेना का जवान भी शामिल है। दोनों छुट्टी में घर आये हुए थे।
1–जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी मिली जानकारी के अनुसार जिले के शाहपुर पटोरी अनुमंडल स्थित रुपौली गांव में शुक्रवार की शाम से बीमार पड़ने और मरने का सिलसिला शुरू हुआ।
गांव में व्याप्त चर्चा के अनुसार शुक्रवार शाम तीन से चार बजे के बीच लोगों की तबीयत बिगड़ने का सिलसिला शुरू हुआ और एक-एक कर करीब दस लोगों की तबीयत बिगड़ने से गांव में हड़कंप मच गया।इसके अलावा मरने वालों में किसान श्यामनंदन चौधरी और वीर चंद्र राय शामिल हैं। वहीं इलाजरत लोगों में अभिलाख राय, बेंगा राय, सुमन कुमार, दीपक कुमार और कुंदन कुमार का नाम बताया जा रहा है। एक साथ चार लोगों की मौत और आधे दर्जन लोग भर्ती है ।
वही दूसरी ओर गोपालजंग में इलाज के दौरान आज सुबह दो और लोगो की हुई मौत।इस तरह मृतकों की गोपालगंज में बढ़कर 13 हो गयी है आज इलाज के दौरान राजकुमार मिश्रा और मनोरंजन सिंह की मृत्यु मोतिहारी और पटना पीएमसीएच में इलाज के दौरान हो गयी है ये दोनों भी मोहम्मदपुर में शराब पीने के दौरान हुए थे बीमार।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को लगाई फटकार वही सीएम ने कल देर शाम बिहार के अलग-अलग जिलों में जहरीली शराब पीने से लगातार हो रही मौतों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाई लेवल बैठक बुलाई जिसमें पुलिस और उत्पाद विभाग के आला अफसरों को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि जो भी इसमें शामिल है कारवाई करिए। साथ ही 16 नवंबर को शराबबंदी की समीक्षा बैठक करने का ऐलान किया।
इससे पहले उन्होंने शराब पीने वालों को नसीहत देते हुए कहा – ‘देख लीजिए की क्या स्थिति है। हम बार-बार कहते हैं कि गलत चीज पीजिएगा तो ये नौबत आएगी।’ सीएम ने कहा कि अगर किसी इलाके में कोई शराब बेच रहा है तो ये दुखद है। साथ ही महापर्व छठ के बाद शराबबंदी की विस्तृत समीक्षा करने की बात कही है।
मोतिहारी से एक फोन आया सर जय भीभ फिल्म देखे, मैंने कहां नहीं अरे सर जरुर देखिए आपको बहुत पसंद आयेगा आपके मिजाज से बहुत मेल खाता है। ऑफिस से लौटने के बाद फिल्म देखना शुरु किये पता नहीं क्यों यह फिल्म मुझे उत्साहित नहीं कर पाया ,बार बार मेरे जेहन में एक ही सवाल उठ रहा था कि जिस अत्याचार को लेकर फिल्म बनी है आज उस तरह के अत्याचार को लेकर मीडिया ,कोर्ट और पुलिस महकमे में कही से भी न्याय के साथ खड़े होने की एक छोटी सी भी किरण दिखायी दे रही है ।
मुझे तो नहीं दिखायी दे रही है तो फिर इस तरह के फिल्म का मतलब क्या है , अंबेडकर का जयकारा लगाइए और अपना पीठ आप खुद थपथपाइए ।क्यों कि ये जो सुशासन की सरकार है ना एक एक करके उन तमाम सिविल राइट्स के लिए लड़ने वाले और संरक्षण देने वाली संस्थान को खत्म कर दिया जिसके सहारे आप इस तरह की जुल्म के खिलाफ आवाज उठा सकते थे ।
शुरुआत मीडिया पर नियंत्रण से हुई और जैसे ही मीडिया का जुबान बंद करने में सुशासन की सरकार कामयाब हो गयी ,फिर सामाजिक बदलाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालो की जुबान बंद करने के लिए सभी तरह के हथकंडे अपनाये जाने लगे और अंत में जिस पर भरोसा था कि ऐसे जुल्म करने वालों पर कारवाई कर कोर्ट लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने का काम करेगा उसका हाल तो और बुरा हो गया है ।
किसके भरोसे इस तरह की लड़ाई लड़ी जाए जनता ना बाबा ना ऐसा समझदार तो कोई है ही नहीं । फिल्म जय भीम में पुलिस के जिस तरह के जुल्म को देख कर आप आक्रोशित है वैसा जुल्म आज पुलिस नहीं कर रही ऐसा नहीं है फिल्म में जो दिखाया गया है उससे भी बड़ी बड़ी जुल्म पुलिस आज भी कर रही है ।कल की ही बात ले लीजिए घटना मेरे रोसड़ा से जुड़ा हुआ है कई माह से वेतन नहीं मिलने के कारण नगर परिषद के सफाई कर्मचारी आक्रोशित हो गये और कार्यपालक पदाधिकारी पर हाथ चला दिया।
पदाधिकारी पर हाथ चला देने की खबर जैसे ही सामने आयी सवाल सिस्टम के पुरुषार्थ से जुड़ गया और देखते देखते डीएम से लेकर एसपी तक की भौहें तन गयी और फिर क्या था बेचारा दलित सफाई कर्मचारी पर वो तमाम धाराएं लगी दी गयी जिससे उस दलित कर्मचारी को जल्द जमानत नहीं मिले। किसी ने यह सवाल उस कार्यपालक पदाधिकारी से नहीं किया कि पर्व का समय है चार माह से इन सफाई कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं मिल रहा है।
बस इतने से सकून नहीं मिला पुलिस शहर के शराब माफिया के साथ उस सफाई कर्मचारी के घर पहुंचा और उसे पीटते हुए थाना लाया ताकि आगे कोई साहस नहीं कर सके, पुलिस इतनी पिटाई किया गया कि कल उसकी पीएमसीएच में इलाज के दौरान मौत हो गयी उससे पहले सफाई कर्मचारी की पिटाई को लेकर स्थानीय लोग इतने गुस्से में आ गये कि थाना पर हमला बोल दिया रोसड़ा मेरा घर है और मैं पटना में पत्रकार हूं स्वाभाविक है रोसड़ा से फोन आने लगा मामला बिगड़ रहा है जरा उपर बोलिए और सफाई कर्मचारी का बेहतर इलाज हो इसकी कोई व्यवस्था करा दीजिए ।
मैं पुलिस मुख्यालय के एक सीनियर अधिकारी को फोन किया थोड़ी देर में एसपी पहुंचा और हंगामा कर रही महिलाओं से बात करने के बजाय पिटवाना शुरू करवा दिया पुलिस थाना पर हमला करने के मामले में एक दर्जन से अधिक महिलाओं को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया ,कई पत्रकारों को भी अभियुक्त बनाया गया उन पर आरोप है कि ये लोग भीड़ को भड़का रहे थे ।
कल रोसड़ा से ही फोन आया सफाई कर्मचारी की मौत हो गयी है और उसके बेटे के साथ पुलिस मारपीट करके पीएमसीएच में कुछ लिखवाना चाह रही है मैं अपने रिपोर्टर को तुरंत पीएमसीएच भेजा आजकल पीएमसीएच में एक अलग खेला शुरु है कैमरा लेकर आप अस्पताल परिसर में भी नहीं जा सकते हैं खैर उसके बेटे से मेरा टीम मिला पूरी खबर बनाये और फिर पुलिस मुख्यालय से आग्रह किया कि उस सफाई कर्मचारी का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा दीजिए और उसके बेटे के साथ जो रोसड़ा पुलिस व्यवहार कर रही है ये सही नहीं है। खैर प्रक्रिया शुरु हो गयी है लेकिन मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि इस सिस्टम में उस दलित को न्याय मिलने कि बात करना भी बेमानी है ।
रोसड़ा का विधायक दलित है सांसद भी दलित है रोसड़ा से जिसका भी फोन आया मैंने यही कहां सांसद और विधायक से बात करिए विधायक बीजेपी से हैं और सांसद पारस गुट लोजपा से हैं सरकार के खासमखास है वही से कुछ हो सकता है सोचिए एक पत्रकार जो खुद खबर के सहारे सिस्टम का ईट से ईट बजा सकता है वह आज विधायक और सांसद से बात करने की सलाह दे रहा है क्यों जरा आप भी सोचिए। इस तरह की घटना कोई नयी बात नहीं है पूरे बिहार में रोजाना इस तरह की घटनाए घट रही है लेकिन जिसे आवाज उठानी चाहिए थी जी है मीडिया उसकी जुबान बंद कर दी गयी है तो फिर इस तरह के जुल्म की खबर आप तक पहुंचेगी कैसे याद करिए मीडिया खबर चला रही थी
तब तो आप शहाबुद्दीन से लड़ने वाले चंदा बाबू को जान रहे हैं लेकिन आज चंदा बाबू से भी बड़ी लड़ाई लड़ने वाला मोतिहारी का आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की सरेआम हत्या कर दी जाती है उसकी पत्नी पुलिस के रवैये से तंग आकर आत्महत्या का प्रयास करती है बाप अन्न त्याग दिया है लेकिन सिस्टम को कोई मतलब नहीं है क्यों कि हत्यारो का रिश्ता सत्ता रुढ़ दल से जुड़ा है जंगलराज में क्या यह सम्भव था पुलिस कारवाई नहीं करती तो रोजोना अखबार में लीड खबर छपती आज क्या हो रहा है ,इसी तरह मुजफ्फरपुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता दो वर्ष से जेल में इसलिए है कि वो सूबे के पूर्व डीजीपी के खिलाफ आवाज उठाता रहता था मामला जो भी हो लेकिन जिस तरीके से जेल में रहते हुए
उस आरटीआई कार्यकर्ता में पांच मुकदमा जेल से फो कर के रंगदारी मांगने और हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज किया गया ये तो नाइंसाफी है कही किसी कोनो से कोई आवाज सुनाई दी है नहीं ना मुझे पता है पोस्ट जैसे ही पब्लिक होगा मेरे फोन की घंटी बजने लगेंगी क्यों ऐसा लिख दिए। ये स्थिति है आप जुल्म के खिलाफ खबर नहीं लिख सकते हैं आवाज उठानी तो बड़ी बात है आज की तारीख में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि बिना पैसा लिए थाने और प्रखंड मुख्यालय में एक काम नहीं हो सकता है मोबाइल खोने का सनहा भी करने जाएगा ना तो पांच सौ रुपया देना पड़ता है यही सुशासन है।
जहरीली शराब से मौत पर राज पुलिस मुख्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि गोपालगंज में 3 अक्टूबर को मोहम्मदपुर में कथित रूप से जहरीली शराब का सेवन करने से 11 व्यक्ति की मृत्यु हो गई 4 का इलाज चल रहा है सभी मृतकों का पोस्टमार्टम करा लिया गया है और बेसरा को जांच हेतु भेजा जा रहा है इस संबंध में महमदपुर थाने में धारा 272 273 320 307 304 120b और 34 a33 b 33 और 34 उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है इसके साथ ही थाना अध्यक्ष मोहम्मद पूर्ण शशि रंजन कुमार चौकीदार को निलंबित कर दिया गया है इस मामले में अभी तक तीन अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है
4 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण के बेतिया के नौतन थाना अंतर्गत जहरीली शराब के सेवन करने से 12 व्यक्ति की मृत्यु हो गई 10 लोग अभी इलाज रत है इस मामले में धारा 272 273 328 307 304 120b सहित कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है इस मामले में अभी तक 2 लोगों की गिरफ्तारी की गई है 11 लोगों का पोस्टमार्टम करा लिया गया है सभी कांडों का अनुसंधान जारी है और प्राथमिकता के आधार पर इस मामले में कड़क कार्रवाई की जा रही है
मुजफ्फरपुर के सरैया में हुए जहरीली शराब के सेवन से सात लोग बीमार हो गए थे और सभी की मृत्यु हो गई इस संबंध में भी सरिया थाने में धारा 284 328 307 302 34 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है और अभी तक 11 लोग गिरफ्तार किए गए हैं पांच व्यक्ति का पोस्टमार्टम करा दिया गया है।
126 अस्पतालों में मिलने लगी डिजिटल एक्सरे की सुविधा: मंगल पांडेय पीपीपी मोड पर 146 जगहों पर लोगों को मिलेंगे डिजिटल एक्स-रे सेवा
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत संकल्पित है। राज्य के सरकारी अस्पतालों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य डिजिटल एक्स-रे की सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
श्री पांडेय ने बताया कि बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर 146 डिजिटल एक्स-रे सेवा शुरू होने हैं। इसमें से 126 अस्पतालों में इसे चालू कर दिया गया है। बांकी 20 जगहों पर डिजिटल एक्स-रे लगाने की प्रक्रिया जारी है। श्री पांडेय ने कहा कि बदलते समय के अनुसार डिजिटल एक्सरे की काफी जरूरत थी।
अभी तक मैनुअल एक्सरे ही किया जा रहा था। राज्य के अस्पतालों में डिजिटल एक्स-रे की सेवा से मरीजों को काफी सुविधा मिल रही है। कुछ मिनटों में ही उन्हें एक्स-रे की रिपोर्ट मिल जा रही है।
श्री पांडेय ने कहा कि अब उन जरूरतमंद मरीजों को डिजिटल एक्स-रे कराने का लाभ मिल रहा है, जिन्हें किसी निजी नर्सिंग होम या निजी एक्स-रे सेंटर जाना पड़ता था। इसमें ज्यादा फीस चुकानी पड़ती थी, लेकिन अब जिलों में डिजिटल एक्स-रे शुरू हो जाने के बाद मरीजों को सरकारी अस्पताल में ही सुविधा उपलब्ध हो जा रही है। इससे गरीब मरीजों को आर्थिक राहत मिल रही है। डिजिटल एक्स-रे से 50 फीसदी तक रेडिएशन कम होगा। वहीं रिपोर्ट को कम्प्यूटर में आसानी से स्टोर किया जा सकेगा।
बिहार के मुजफ्फरपुर,गोपालगंज और बेतिया जिले में जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दो दर्जन से अधिक लोगों की अभी भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। मरने वालों में सबसे अधिक 18 गोपालगंज के रहने वाले थे। यहां 7 लोगों की हालत गंभीर है। इनमें 3 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। पश्चिम चंपारण में 15 मौतें हुई हैं। यहां 4 लोगों की हालत गंभीर है।अभी तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आने के कारण प्रशासन इन्हें संदिग्ध मौत मान रहा है।
1–जहरीली शराब मामले में नपे कई थाने के थानेदार शुरुआती समय में प्रशासन जहरीली शराब से मौत मामले को लीपापोती करने में लगा हुआ था लेकिन जैसे जैसे मौत का आकड़ा बढ़ने लगा प्रशासन की परेशानी बढ़ने लगी और प्रशासन के चुप्पी पर सवाल खड़े होने लगे ।ऐसे में मुजफ्फरपुर गोपालगंज और बेतिया जिले के उन इलाके के थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया है जिनके इलाके में जहरीली शराब पीने से मौत हुई है ।
मुजफ्फरपुर एसएसपी ने सरैया के थानाध्यक्ष रविंद्र कुमार यादव समेत दो पुलिसकर्मी पर निलंबन कर दिया है और अभी तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है वही गोपालगंज SP आनंद कुमार ने महम्मदपुर थानाध्यक्ष शशि रंजन कुमार और एक चौकीदार को सस्पेंड किया है, वहीं पश्चिम चंपारण के नौतन थानेदार और चौकीदार को भी सस्पेंड किया गया है।वही चंपारण रेंज के डीआईजी प्रणव कुमार प्रवीण ने नौतन के थानाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा द्वारा स्थानीय चौकीदार और दफदार को सस्पेंड कर दिया है।
उत्पाद विभाग और जिला प्रशासन की टीम इलाके में छापेमारी कर रही है। गोपालगंज में 3 घरों को सील किया गया है, जबकि चार धंधेबाज तुरहा टोले के छोटेलाल साह, अशोक शर्मा, रामप्रवेश साह और जितेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार किया गया है। गोपालगंज प्रशासन ने 11 शवों का पोस्टमॉर्टम कराया है, ।
2—जहरीली शराब से मौत मामले में तीन दिनों तक प्रशासन लीपापोती करने में लगा प्रशासन तीन दिनों तक जहरीली शराब से मौत मामले को लीपापोती करने में लगा रहा इस वजह से परिजन घर में ही छुप कर इलाज कराने को विवश हुए इस वजह से मौत संख्या बढ़ने लगी।
हुआ ऐसा कि गोपालगंज के महम्मदपुर थाने के कुशहर तुरहा टोले और दलित बस्ती में मंगलवार की शाम दो दर्जन लोगों ने जहरीली शराब पी थी। पाउच की शराब पीने के बाद हालत बिगड़ने लगी। पेट में जलन और मुंह से झाग आने के बाद परिजनों ने आनन-फानन में स्थानीय अस्पताल और सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां बुधवार को 10 लोगों की मौत हो गई वहीं गुरुवार को अन्य लोगों ने दम तोड़ दिया। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 18 हो गई।
3—शराबकांड पर सियासी बयान हुआ तेज जहरीली से हुई मौत मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई। मृतक के परिजनों से मिलने विभिन्न पार्टी के नेता पहुंचने लगे हैं। साथ ही पीड़ित परिजनों को सांत्वना देकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार का एक वीडियो बयान ट्वीट करते हुए लिखा है कि नीतीश कुमार कहते हैं कि ‘जब गड़बड़ चीज पीजिएगा तो आप चले जाइएगा।’ आगे यादव ने कहा है कि शराबबंदी पर बड़बड़ करने वालों के राज में विगत तीन दिनों में ही जहरीली शराब से 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री स्वयं, प्रशासन, माफिया और तस्कर पुलिस पर कार्रवाई की बजाय पीने वालों को कड़ा सबक सिखाने की धमकी देते रहते हैं।
वही राजद के पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि दुनिया में कहीं भी पूर्ण शराबबंदी सफल नहीं हुई है। आप शराब या नशे को नियंत्रित तो कर सकते हैं, लेकिन पूर्ण रूप से समाप्त नहीं कर सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाठी-डंडे के जोर पर बिहार के समाज को साधु और महात्मा बनाना चाहते हैं। दुनिया के किसी समाज में यह अब तक मुमकिन नहीं हुआ है।
बिहार में जहां व्यापक गरीबी, बेरोजगारी और प्रशासनिक भ्रष्टाचार है। वहां अवैध शराब के धंधे का फलना-फूलना स्वाभाविक है। इसका प्रतिकूल प्रभाव सामने आया है। जानकार बता रहे हैं कि नौजवानों में ड्रग का सेवन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसका कोई असर नीतीश पर नहीं पड़ने वाला है। उनकी जिद पता नहीं और कितनों की जान लेगी।
वही बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि मरने वाले सभी दलित परिवार के सदस्य हैं, जिन्हें साजिश के तहत जहरीली शराब पिलाई गई है। मंत्री ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कराने का आश्वासन परिजनों को दिया। वहीं जिला प्रशासन को बीमार लोगों का बेहतर इलाज करने की बात कही।
इस बीच मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गलत चीज पीजिएगा तो भुगतना ही पड़ेगा वैसे छठ पर्व के बाद शराबबंदी को और प्रभावी बनाने के लिए बड़े स्तर पर कारवाई की जायेंगी ।
उप चुनाव के मतगणना से ठीक एक दिन पहले वामपंथ से जुड़े के एक बड़े नेता का फोन आया जिनका मिथिलांचल से भी गहरा रिश्ता है, संतोष जी क्या फीडबैक है चुनाव का ,मैंने उन्हें कहां तारापुर जीत सकते हैं लेकिन कुशेश्वरस्थान को लेकर स्पष्ट कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
संतोष जी कुशेश्वर स्थान 12 से 15 हजार वोट से जीत रहे हैं मैंने पूछा कैसे संतोष जी वहां से सीपीआई दो दो बार विधायक रह चुका है, हमलोगों का भी संगठन है सीपीआई ,सीपीएम और भाकपा माले तीनों का वोटर 15 हजार के करीब है और मुसहर 80 प्रतिशत वोट दिया है फिर लड़ाई कहां रहा कुशेश्वरस्थान ।
हां सही कर रहे हैं आप अगर ऐसा हुआ होगा तब तो लड़ाई कहां रहेंगा लेकिन मुसहर का कई गांव ऐसा है जहां यादव और मुसहर के बीच हिंसक लड़ाई होता रहता है वहां यादव के साथ मुसहर तो वोट नहीं किया होगा नहीं संतोष जी मिल बैठकर सब सुलझा लिया गया देखिएगा रिजल्ट।
यह अनुमान एक ऐसे पार्टी के नेता का था जिसकी पहुंच कुशेश्वरस्थान के वैसे अंतिम वोटर से रहा है जो गरीब है ,फटेहाल है ,महिला है, जिसकी वोट से सरकार बनती और बिगड़ती है लेकिन परिणाम क्या आया ठीक उलट राजद गठबंधन 12 हजार से अधिक वोट से चुनाव हार गया।
वही दूसरी ओर वोटर के मिजाज की बात करे तो महंगाई खास करके सरसों तेल की कीमत को लेकर काफी गुस्से में थी महिलाएं 10 में 8 महिला इसको लेकर नाराज थी, फिर शराब को लेकर नाराजगी थी, अब तो गांव गांव में शराब मिल रहा है,सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार को लेकर उतना ही गुस्सा लेकिन जब ईवीएम पर बटन दबाने की बारी आयी तो इन तमाम मुद्दों को वोटर ने खारिज कर दिया वहीं राजद के उस आइडेंटिटी पॉलिटिक्स(पहचान की राजनीति) को भी स्वीकार नहीं किया ।
1—क्या बिहार में आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) की राजनीति का दौर खत्म हो गया बिहार में लालू प्रसाद आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) के अभिनेता रहे है कभी पत्थर तोड़ने वाली को तो कभी सुअर चराने वाले को सांसद और विधायक बनाते रहे हैं बाद के दिनों में मुसलमान में भी ऐसे चेहरे को आइडेंटिटी पॉलिटिक्स के तौर पर इस्तेमाल जो देखने के कट्टर मुसलमान लगता हो लेकिन इस तरह की राजनीति से वोट जरूर मिले लेकिन उस राजनीति का समाज के विकास में खास प्रभाव नहीं पड़ा और यही वजह रहा है कि धीरे धीरे इस तरह का पॉलिटिक्स हाशिए पर चला गया ।
2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बड़े स्तर पर राजद ने एक बार फिर आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) के तहत गैर यादव को जोड़ने कि कोशिश किया लेकिन यह प्रयोग बुरी तरह से फेल गया है 2020 के विधानसभा में एक बार राजद आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) का सहारा लिया और गैर यादव उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा इसका लाभ मिला और उसी को देखते हुए राजद इस बार कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी दलित आबादी मुसहर को टिकट दिया ताकि जातिगत राजनीति के तहत मुसहर का वोट मिल जायेंगा साथ में यादव और मुसलमान का वोट जीत तय है लेकिन हुआ क्या मुसहर राजद के आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति)को पूरी तौर स्वीकार नहीं किया जबकि टिकट मिलने के बाद मुसहर में काफी उत्साह था साथ ही राजद ऐसे मुसहर को टिकट दिया था तो पहले से ही उस इलाके में मुसहर की राजनीति कर रहा था और जदयू के उम्मीदवार को पंचायत समिति के चुनाव में हरा चुका था फिर भी विधायक के रूप में मुसहर राजद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार नहीं किया।हलांकि तारापुर में राजद जिस स्तर पर फाइट दिया उसकी वजह वैश्य प्रत्याशी रहा लेकिन दूसरा वोटर इससे अलग भी हुआ ।
2–आने वाले समय में बिहार की राजनीति में भाकपा माले का हाल सीपीआई सीपीएम जैसा हो जाये तो बड़ी बात नहीं होगी बिहार की राजनीति की समझ रखने वाले भी मानते हैं कि भाकपा माले जिस तरीके से जाति आधारित राजनीति की ओर बढ़ रहा है इसका हाल भी बिहार के अन्य वामपंथी पार्टियों की तरह होना तय है उसकी बड़ी वजह यह है कि भाकपा माले क्लास की जगह कास्ट पॉलिटिक्स की तरफ काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है ऐसे में जाति आधारित राजनीति करने वाली पार्टियां कभी भी इनके वोट बेस को खत्म कर सकता है ।
कुशेश्वर स्थान में वामपंथी पार्टियों का कैडर है लेकिन वहां के कैंडर की राजनीति क्या है जिस मुसहर समाज के वोट का ठेका ले रहे थे उस समाज के आर्थिक और सामाजिक संघर्ष में वामपंथी पार्टियां कहां खड़ी है यही मूल सवाल है जिस पर कुशेश्वर स्थान की वामपंथी पार्टियां खड़ी नहीं उतर रही है और उसका परिणाम यह हुआ कि मुसहर को टिकट देकर जिस आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) के सहारे जीतने चले थे वह फेल कर गया क्यों कि उसके दिन दैनिकी संघर्ष में वामपंथी पार्टियां कही खड़ी नहीं दिख रही है जबकि सरकार विकास मित्र के सहारे हर दलित वस्ती में पहुंच गया है जो सरकार के पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करता है ।
3–मूल मुद्दे पर चुनाव क्यों नहीं हो पा रहा हैकुशेश्वरस्थान उप चुनाव के दौरान महिलाओं नें सरकार के शराब नीति पर जमकर भड़ास निकाली थी गांव गांव में शराब माफिया पैदा ले लिया है अब तो घर में पहुंचा दे रहा है ,महंगाई पर उतनी ही महिलाएं गरम थी भ्रष्टाचार को लेकर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया थी लेकिन ईवीएम पर जब बटन दबाने की बारी आयी तो इसका प्रभाव नहीं दिखा मतलब भारतीय लोकतंत्र में हो क्या रहा है 4 वर्ष 11 माह जिस समस्या से आप तबाह से वो कभी भी ईवीएम के बटन तक नहीं महंगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर आज हर कोई परेशान है लेकिन चुनाव आते आते ये सारे मुद्दे छुट जाते हैं और एक माह के प्रचार अभियान के दौरान नेता जो चाहता कही ना कही वही आकर राजनीति ठहर जाती है ।जेपी और गांधी विचार से जुड़े विचारक का मानना है कि हमारी जो शिक्षा नीति है वही इस तरह की मतलबी सोच को बढ़ाता है जिसका प्रभाव आप भारतीय राजनीति पर भी दिख रहा है ।
आज दिवाली भी है और चार नवम्बर भी। 1974 में आज के ही तानाशाही ने लोकतंत्र के सर पर लाठियां बरसाईं थी, जिसे 74 साल के एक बुढ़े ने अपने सर और कांधे पर रोक लिया था । जैसा भी था हमारा जनतंत्र तानाशाही के काल कोठरी से बाहर आया।
यह बुढ़ा आदमी वही था जो जो अपनी जवानी में आज के ही दिन 1942 में हजारीबाग जेल की ऊंची दीवारों को फांद कर निकल आया था आजादी की रथ का जुआ अपने कांधों पर लेने को। तब कांग्रेस के सभी बड़े लीडरान गांधी, नेहरू, सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी…..सभी जेल में बंद कर दिए गए थे।
कहते हैं जिसको जयप्रकाश वह नहीं मरण से डरता है ज्वाला को बुझते देख कुंड में स्वयं कूद जो पड़ता है। (दिनकर) आज हमारा जनतंत्र उससे भी घनघोर तानाशाही ही नहीं फ़ासिज़्म के अंधियारे में घिरा है। देश को ‘धन-धान्य’ देने वाला किसान करीबन एक साल से सड़कों पर है, आम जन के हित में बोलने वाले दर्जनों कवि, लेखक, अध्यापक, वकिल, कार्यकर्त्ता सालों से बिन मुकदमा जेलों में ठूंस दिए गए हैं।
84 साल के बुजुर्ग फादर स्टेन स्वामी जेल से ही अंतिम यात्रा पर निकल गये। इसी घनघोर अंधेरे में नन्हें से दीये का संकल्प: लड़ेंगे साथी कि दूसरा रास्ता नहीं है।
बिहार में पिछले 72 घंटों के दौरान जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत हो गयी है और दो दर्जन से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है ।मामला बेतिया और गोपालगंज जिला से जुड़ा हुआ है ।
बेतिया से खबर आ रही है कि जिले के नौतन थाना क्षेत्र के दक्षिणी तेलहुआ गांव में 5 लोगों की मौत हुई। परिजनों का कहना है कि बुधवार शाम को इन लोगों ने गांव में शराब पी थी। देर रात तबीयत बिगड़ने लगी तो इलाज कराने अस्पताल में भर्ती करवाया। इनमें से 8 लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
घटना की सूचना के बाद बेतिया प्रशासन ने चुप्पी साध ली है पुलिस कप्तान का कहना है कि जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाता है कहना मुश्किल है कि मौत की वजह जहरीली शराब है ।
वही DM कुंदन कुमार ने बताया कि 8 लोगों की मौत की सूचना मिली है। मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। मेडिकल टीम भेजकर जांच करवाई जा रही है।
ऐसी ही सूचना गोपालगंज से आ रही है जहां जहरीली शराब पीने से अभी तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है और एक दर्जन से बिमार लोगों का इलाज चल रहा है।गोपालगंज में सबसे अधिक प्रभावित थानों में बैकुंठपुर ,सिधवलियाऔर मोहम्मद थाने क्षेत्र का दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित है।
दरभंगा सांसद गोपाल जी ठाकुर ने मिथिला के केंद्र दरभंगा में बनने वाले एम्स हेतु 200 एकड़ की भूमि स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार को निःशुल्क हस्तांतरित करने हेतु कैबिनेट निर्णय किये जाने पर बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी व बिहार सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि दरभंगा एम्स के निर्माण को लेकर लगातार सभी स्तरों पर प्रयासरत हूं।
सांसद ने कहा कि बीते दिनों कुशेश्वरस्थान उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के जनसभा के दौरान दरभंगा एम्स निर्माण की दिशा में गति प्रदान करते हुए, एम्स हेतु प्रस्तावित स्थल पर सभी मूलभूत कार्यों को पूर्ण करने का आग्रह किया था ताकि शिलान्यास हेतु प्रस्तावित स्थल को जल्द से जल्द तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि पूर्व में दरभंगा एम्स के प्रस्तावित स्थल के लो लैंड पर मिट्टीकरण हेतु राशि भी स्वीकृत की जा चूँकि है। उन्होंने कहा कि मिट्टीकरण के साथ- साथ बाउंड्री वाल निर्माण का कार्य भी होगा।
सांसद श्री ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एम्स निर्माण के साथ आठ करोड़ मिथिलवासियों को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 1264 करोड़ की लागत से 750 बेड वाले एम्स के निर्माण मिथिला के केंद्र दरभंगा में होगा। उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक अस्पताल के बन जाने से निकट भविष्य में 8 करोड़ मिथिलवासी सहित पड़ोसी देश नेपाल और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के करोड़ों लोग दरभंगा एम्स से लाभन्वित होंगे। उन्होंने कहा कि कुल 10 करोड़ से ऊपर की आबादी दरभंगा एम्स से लाभान्वित होगी।
सांसद गोपाल जी ठाकुर ने दीपावली की पूर्व संध्या मिथिलवासियों को ऐतिहासिक सौगात देने हेतु बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, उपमुख्यमंत्री द्वय तारकिशोर प्रसाद जी व रेणु देवी जी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जी, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय और दरभंगा जिला के प्रभारी मंत्री सम्राट चौधरी जी के प्रति हृदय की गहराई से आभार व्यक्त किया।
बिहार पंचायत चुनाव का छठा चरण हिंसा के बीच सम्पन्न हो गयी मोतिहारी,औरंगाबाद,गोपालगंज में मतदाताओं ने जमकर बवाल काटा कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं एतियातन पुलिस को गोली चलानी पड़ी है।हालांकि हिंसा के बीच भी मतदाताओं ने जमकर वोटिंग किया है मतदान समाप्ति तक 61.07 प्रतिशत वोटिंग की खबर आ रही है हालांकि अभी भी कई मतदान केन्द्रों पर वोटिंग चल ही रही है ।
इसके साथ ही छठे चरण में 26 हजार 200 पद पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम मशीन में बंद हो गया, जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्य के 11,592 पद हैं। मुखिया के 848 पद हैं, पंचायत समिति सदस्य के 1186, जिला परिषद सदस्य के 134, ग्राम कचहरी पंच के 11592 और सरपंच के 848 पद हैं। छठे चरण के चुनाव में आज क्या खास रहा
1–औरंगाबाद के गोह प्रखंड के मेहंदीपुर में पुलिस पर लोगों ने मतदान केंद्र पर पथराव किया है। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी है। हालांकि, विवाद की वजह का अभी खुलासा नहीं हुआ है।
2–मोतिहारी के पिपरा खेम में बूथ संख्या 273 पर जमकर बवाल हुआ है। ईवीएम के 4 कंट्रोल यूनिट को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। इस घटना में करीब आधा दर्जन पुलिस पदाधिकारी घायल हो गए हैं, जिसमें दो पुलिसकर्मी को गंभीर चोट आई है। पुलिस की कार्रवाई में कई लोगों को भी चोट आई है। एक महिला सिपाही प्रिया कुमारी ने बंदूक छीनने का भी आरोप लगाई है। महिला सिपाही का मोबाइल भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।
3—मोतिहारी के पिपरा खेम में बूथ संख्या 273 पर बवाल हुआ , कई पुलिसकर्मी जख्मी।
4—छपरा के कुरैया पंचायत की बूथ संख्या 105 पर मुखिया प्रत्याशी जमील अंसारी को निवर्तमान मुखिया के समर्थकों ने पीटा। इसके बाद बूथ पर हंगामा हो गया।
5–नवादा के साहोपुर गांव में मतदान केंद्र पर दो प्रत्याशियों के समर्थक आपस में भिड़ गए। इस विवाद में तीन लोग जख्मी हो गए हैं।
6–लखीसराय—-महिसोना पंचायत के पंचायत समिति पद के लिए वोटिंग रद्द, दूसरे पंचायत का ईवीएम रहने के कारण चुनाव रद्द। मतदान केंद्र संख्या 128 पर पंचायत समिति पद के लिए वोटिंग रद्द।
7—छपरा- दिघवारा प्रखण्ड के बस्ती जलाल पंचायत के मध्य विद्यालय बस्ती जलाल में बोगस वोटिंग का विरोध कर रहे लोगों को पुलिस ने बूथ से खदेड़ा। एसपी संतोष कुमार बूथ पर पहुँचे। मृत व्यक्ति के नाम पर हुई वोटिंग की ग्रामीणों ने की शिकायत।
8—सहरसा के सोनबरसा प्रखंड के बसनही थाना क्षेत्र के पचलख गांव में गोली चली है. चुनावी रंजिश के कारण गोलीबारी की गई. तीन युवकों को गोली लगी है. एक युवक पंकज कामत की हालत गंभीर है. जख्मी मंगल यादव और राज कुमार ठाकुर खतरे से बाहर है. इन दोनों को गोली हाथ और पांव में लगी है. घटना का कारण पंचायत चुनाव बताया जा रहा है ।
9–वैशाली — राजापाकर प्रखंड के फरीदपुर में बूथ संख्या 147 पर जमकर हुआ हंगामा। उपद्रवियों ने ईवीएम तोड़ दी है। लोग प्रशासन पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं।
10—गोपालगंज के उचकागांव प्रखंड के इटावा धाम गांव में पुलिस पर रोड़ेबाजी हुई है। एसडीएम और डीएसपी की गाड़ियों के काफिले पर पथराव हुआ है। जिससे गाड़ियों के शीशे टूटे हैं। पथराव में कई जख्मी हुए हैं। करीब 24 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
बिहार पंचायत चुनाव के छठे चरण में 61,07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है
जदयू के लिए उप चुनाव में जीत कितना महत्वपूर्ण था इसका आज एसहास मुख्यमंत्री पार्टी दफ्तर में पहुंच कर रहा दिया पहली बार नीतीश कुमार के पहुंचने पर फूल की बारिश हुई पार्टी कार्यकर्ता इतना उत्साहित थे जैसे बिहार जीत लिया हो,जबकि ये दोनों सीट 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू के खाते में ही गया था
जीत की खुशी सीएम के चेहरे पर साफ झलक रही थी। इस दौरान उन्होंने जीत की बधाई दी साथ ही इशारों-इशारों में विपक्ष और खासकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर खूब तंज कसा। कहा कि हमारे लिए जनता मालिक है। लेकिन उनके लिए कोई खुद मालिक हैं। हमारी दिलचस्पी काम करने में है। जब तक जनता चाहेगी काम करते रहेंगे।
छिटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो पंचायत चुनाव के 6वें चरण के लिए 37 जिलों के 57 प्रखंडों में मतदान जारी है।हलांकि दिपावली का असर महिला वोटर पर देखने को मिल रहा है फिर भी मतदाताओं में उत्साह कोई कमी नहीं है गोपालगंज से बड़ी घटना की खबर आ रही है जहां प्रशासन पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए उचकागांव प्रखंड की बंकीखाल पंचायत में चुनाव के दौरान ग्रामीणों ने एसडीएम और डीएसपी के वाहन पर पथराव किया। पथराव में दोनों वाहनों के शीशे टूट गए। मामले में पुलिस ने दो दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है। वैशाली से ईवीएम तोड़ने की खबर आ रही है। दिन के एक बजे तक 30 से 35 प्रतिशत वोटिंग हुई है ।
पंचायत चुनाव में क्या खास है 1-दिन के एक बजे तक 30 से 35 प्रतिशत वोटिंग हुई है ।
2– सहरसा के सोनबर्षा प्रखंड के बसनही थाना क्षेत्र के पचलख गांव में गोली चली है. चुनावी रंजिश के कारण गोलीबारी की गई. तीन युवकों को गोली लगी है. एक युवक पंकज कामत की हालत गंभीर है. जख्मी मंगल यादव और राज कुमार ठाकुर खतरे से बाहर है. इन दोनों को गोली हाथ और पांव में लगी है. घटना का कारण पंचायत चुनाव बताया जा रहा है ।
3–वैशाली — राजापाकर प्रखंड के फरीदपुर में बूथ संख्या 147 पर जमकर हुआ हंगामा। उपद्रवियों ने ईवीएम तोड़ दी है। लोग प्रशासन पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं।
4—गोपालगंज के उचकागांव प्रखंड के इटवा धाम गांव में पुलिस पर रोड़ेबाजी हुई है। एसडीएम और डीएसपी की गाड़ियों के काफिल पर पथराव हुआ है। जिससे गाड़ियों के शीशे टूटे हैं। पथराव में कई जख्मी हुए हैं। करीब 24 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
5—दिपावली का असर चुनाव पर दिख रहा है महिलाए कम पहुंची है बूथ पर
6–जमुई के चकाई में नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बाद भी सुबह 6 बजे से ही मतदाताओं की लंबी लंबी कतारें लगने लगी।
7—मुजफ्फरपुर के विशनपुर कल्याण मतदान केंद्र संख्या-171 पर दो गुटों में झड़प।
8–सीतामढ़ी के मेजरगंज प्रखंड क्षेत्र के इलाकों को छूने वाली भारत-नेपाल सीमा सील।
9—कटिहार के बरारी के बूथ संख्या 272 पर सेमापुर ओपी अध्यक्ष विजेंद्र कुमार ने पीवन जुनेर आलम को थप्पड़ जड़ दिया। बताया जाता है कि एक पीठासीन पदाधिकारी के पास मोबाइल देखकर ओपी अध्यक्ष ने थप्पड़ मार दिया। घटना के विरोध में मतदानकर्मियों ने मतदान को ठप कर दिया।
10–पूर्णिया की हरदा पंचायत के बूथ नंबर एक पर मतदाताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई है। घटना के कुछ देर बाद स्थिति नियंत्रण में कर ली गई। फिलहाल, वहां सबकुछ सामान्य है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 और 2021 के उपचुनाव के परिणाम का संकेत साफ है कि जनता बदलाव चाहती है और इसके लिए बिहार के राजनीतिक दलों को वो लगातार संदेश भी दे रही है की नयी सोच के साथ जनता के बीच आये लेकिन बिहार की राजनीतिक दल उस संदेश को या तो समझ नहीं रही हैं या समझने को तैयार नहीं है, चाहे वो भाजपा हो ,जदयू हो या फिर राजद हो ।2010 में बिहार की जनता ने एनडीए गठबंधन को दो तिहाई बहुमत दिया था और 2015 में एक नया गठबंधन बना उसको भी जनता ने दो तिहाई बहुमत के करीब पहुंचा दिया था लेकिन दोनों चुनाव में जनता ने जिस गठबंधन पर भरोसा दिलाया था वो गठबंधन बीच में ही टूट गया इस वजह से जनता छला हुआ महसूस करने लगा ।
2020 के विधानसभा चुनाव में जनता अपना हिसाब चुकता कर लिया और एक ऐसी पार्टी को वोट किया जिसके बारे में पता था कि वो जदयू को चुनाव हराने के लिए खड़ा है। चिराग जिस तरीके से जदयू के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा किया था उसी तरीके से बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदवार खड़ा करता तो आज बिहार की राजनीति ही कुछ और हो गयी रहती क्यों कि दोनों पार्टियां 2005 से 2020 के बीच जितने भी चुनाव हुए उन चुनावों पर गौर करेंगे तो एक बात साफ है सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर बहुत सारे ऐसे निर्णय लिये गये जिससे मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग नाराज हो गया उसी तरह 2005 से 2020 के बीच जिस अंदाज में सरकार चलायी गयी उससे भी लोगों में खासा आक्रोश था फिर भी बिहार की जनता राजद को गले नहीं लगाया।
1—राजद की 2020 की सफलता के पीछे चिराग फैक्टर महत्वपूर्ण था 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम पर गौर करेंगे तो प्रथम और दूसरे चरण के चुनाव में राजद की सफलता के पीछे बड़ी वजह चिराग की पार्टी रही दिनारा ,सासाराम सहित 40 के करीब ऐसी सीटें हैं जहां चिराग फैक्टर ना होता तो राजद के लिए जीत आसान नहीं होता। एक और बात चिराग को जो लोग वोट कर रहे थे उनको पता था कि चिराग को वोट देने का मतलब है कि जदयू चुनाव हार जाएगा और हो सकता है राजद गठबंधन की सरकार भी बन जाये यह समझते हुए भी प्रथम और दूसरे चरण के मतदान के दौरान जनता चिराग को वोट दिया। मतलब नीतीश कुमार की राजनीति और सरकार चलाने की शैली से जनता इतना आक्रोशित था कि वो इस तरह का निर्णय लेने को मजबूर हो गया ।दूसरी वजह ये भी रही कि राजद एमवाई समीकरण में कुछ नये वोट को जोड़ने में कामयाब रहा था उससे भी राजद को फायदा हुआ लेकिन संदेश क्या था बिहार वर्तमान राजनीति से ऊब चुकी और बदलाव चाह रही है ।
2–सीधी लड़ाई में राजद को अभी भी नुकसान हो रहा है 2020 के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण और 2021 के उप चुनाव में जो परिणाम आया है वह संकेत है कि सीधी लड़ाई में अभी भी लोग राजद के खिलाफ गोलबंद हो जा रहे हैं और राजद अंतिम दौर में फिसल जा रहा है मतलब बिहार की जनता अभी भी राजद के जंगलराज से अपने आपको बाहर नहीं निकाल पा रही है जबकि राजद लगातार नये वोटर को जोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है ।
3–राजद में अभी भी बड़े बदलाव की जरूरत है 2015 के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर गौर करिए महागठबंधन बीजेपी गठबंधन को पूरी तरह जमींदोज करने में इसलिए कामयाब रहा कि जनता को यह भरोसा था कि नीतीश के रहते हुए लालू का जंगलराज लौट नहीं सकता है और इसी भरोसा ने बीजेपी की सारी तैयारी की हवा निकाल दी।
जिस दिन कांग्रेस,चिराग और वामपंथी बिहार की जनता को यह भरोसा दिलाने में कामयाब हो जायेगा कि राजद के नेतृत्व में सरकार भी बनेगी तो यादव और मुसलमानों की गुंडागर्दी नहीं चलेगा उसी दिन बिहार में एनडीए गठबंधन का खेला खत्म हो जायेगा और इसके लिए तेजस्वी को कड़े फैसले लेने पड़ेगे तेज प्रताप से रिश्ता खत्म करना होगा ।
यादव और मुसलमानों में जो अपराधी छवि के लोग हैं उससे साफ दूरी बढ़ानी पड़ेगी तभी राजद के साथ नये लोग जुड़ पायेंगे ।कांग्रेस का जनाधार हो या ना हो कांग्रेस को सम्मान जनक सीट देनी पड़ेगी और इसके लिए कांग्रेस आलाकमान को भी बिहार में कांग्रेस किस तरह की राजनीति करे इसको लेकर नये सिरे से विचार करनी होगी क्यों कि कांग्रेस का जो परंपरागत वोटर रहा है वो बीजेपी और जदयू दोनों में असहज महसूस कर रहा है और ऐसे में जैसे ही लगेगा कि कांग्रेस बदलाव के मूड में है बहुत कुछ बदल सकता है और इसके लिए कांग्रेस को चिराग से नजदीकी बढ़ानी चाहिए साथ ही कांग्रेस ऐसे लोगों को शामिल करे जो मजबूती के साथ सुशासन बनी रही इसके लिए तेजस्वी के सामने वो झुके नहीं ।
वैसे भी राजद की अब वो हैसियत नहीं है कि पुराने अंदाज में राजनीति और सरकार चला ले उन्हें सत्ता में गैर यादव और गैर मुस्लिम को मजबूत भागीदारी देनी पड़ेगी तभी कुछ बदलाव की बात सोची जा सकती है और इसके लिए दिल्ली नहीं बिहार के गांव में रात गुजारनी होगी साथ ही चुनाव के समय नहीं उससे पहले से नये वोटर कैसे जुड़े इस पर काम करने कि जरूरत है कागज पर जोड़ घटाव से काम नहीं चलने वाला है ।
4—-बीजेपी के लिए भी संदेश सही नहीं है जनता के मूड को बीजेपी भी समझने को तैयार नहीं है बीजेपी को मंथन करना चाहिए कि बिहार में यादव को लेकर जो प्रयोग 20 वर्षो से कर रहा है उस प्रयोग का प्रतिफल क्या सामने आया है बिहार में बीजेपी 2005 से लगभग सत्ता पर काबिज है इस दौरान बीजेपी किसी एक नये वोटर को अपने साथ जोड़ने में कामयाब नहीं रहा है उलटे बनिया और सवर्ण जो इसका कोड़ वोटर रहा है वो साथ छोड़ता जा रहा है,बिहार में भी बीजेपी वही काम कर रही है जो काम राजद और जदयू कर रहा है नये नेतृत्व को उभरने नहीं देना है और हमेशा वैशाखी के सहारे सरकार में बने रहना है कभी नीतीश ,कभी उपेन्द्र कुशवाहा तो कभी रामविलास पासवान के सहारे ।जबकि 1995 से लेकर 2021 का समय काफी था अति पिछड़ा और महादलित की राजनीति में सेंधमारी करने के लिए लेकिन इस दौरान ये प्रयोग क्या करते रहे यादव को तोड़ो यादव को तोड़ो हश्र क्या हुआ 2015 के विधानसभा चुनाव में मतलब बिहार बीजेपी ने यथा स्थितिवादी को स्वीकार कर लिया ऐसे में बिहार बीजेपी आने वाले समय में इसकी ताकत और छिन होगी ये साफ दिख रही है ।
5–नीतीश कुमार की लव कुश के सहारे वापसी संभव नहीं है आज नीतीश कुमार जदयू को वही समता पार्टी वाली राजनीति के दौर में पहुंचा दिया है जहां पार्टी लव कुश से आगे बढ़ नहीं पायी थी, हाल के दिनों में नीतीश कुमार के तमाम राजनीतिक फैसले इसी और संकेत दे रहा है कि वो लवकुश समीकरण को मजबूत करना चाहता है ताकि आने वाले समय में कम से कम इन वोट के सहारे बिहार की राजनीति में बारगेनिंग करने कि स्थिति में बने रहे वैसे बिहार विधानसभा उप चुनाव के जो परिणाम आये हैं उससे नीतीश सीख लेते हुए अपनी राजनीति और सरकार चलाने के तरीके में बदलाव लाते हैं तो तो थोड़ी स्थिति बदल सकती है ।
बिहार पंचायत चुनाव के छठे चरण का मतदान शुरु हो गया है आज 37 जिलों के 57 प्रखंडों में वोट डाले जा रहे हैं। 850 पंचायतों में हो रहे इस चुनाव में 11 हजार 959 बूथ बनाए गए हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 67 लाख 577 है। पुरूष मतदाता 35 लाख 24 हजार 285 है तो महिला मतदाता 31 लाख 76 हजार 80 है। बूथ पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम हैं। मतदाता गुलाबी ठंड में अपने मतदान करने पहुंच गए हैं।छठे चरण में पदों की कुल संख्या 26 हजार 200 है, जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्य के 11,592 पद हैं। मुखिया के 848 पद हैं, पंचायत समिति सदस्य के 1186, जिला परिषद् सदस्य के 134, और सरपंच के 848 पद हैं।
सुबह से ही मतदान केन्द्रों पर लम्बी कतारे देखी जा रही है
बिहार विधानसभा उपचुनाव का जो परिणाम सामने आये हैं उससे यह संकेत साफ है कि बिहार अभी भी एमवाई समीकरण की आक्रामकता को स्वीकार करने को तैयार नहीं है ,दूसरा संदेश यह भी है कि बिहार की राजनीति में लालू अब प्रासंगिक नहीं रहे और तीसरा संदेश है बिहार की राजनीति में बनिया जाति बीजेपी का अब बपौती नहीं रहा और चौथा संदेश नीतीश की राजनीति में अब वो धार नहीं रही ।
1–एमवाई समीकरण की आक्रामकता राजद के हार की वजह बनी बात कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र के परिणाम से करते हैं 2020 में जदयू के शशिभूषण हजारी और कांग्रेस से डॉ अशोक राम चुनाव लड़े थे ।2020 के विधानसभा चुनाव में शशि भूषण हजारी को 53,980 वोट मिला था और डॉक्टर अशोक कुमार 46,758 मिला था ।
इस बार के चुनाव में जदयू के अमन भूषण हजारी को 59,882 और राजद के गणेश भारती 47184 वोट आया है मतलब पिछले चुनाव की तुलना में जदयू को लगभग 5902 हजार वोट अधिक मिला वही राजद उम्मीदवार को कांग्रेस से मात्र 426 वोट अधिक मिला है, संदेश क्या है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो स्वर्ण का वोट मिला था वो वोट पूरी तौर पर जदयू के साथ हो गया, वहीं मुसहर जाति को टिकट देकर राजद ने जो प्रयोग किया था वह प्रयोग पूरी तौर पर विफल रहा ।उसकी वजह यह रही कि कुशेश्वरस्थान में मुसहर और यादव के बीच वर्चस्व को लेकर लड़ाई रही है इस हकीकत को राजद ने नजर अंदाज कर दिया ।
वहीं वर्षो बाद राजद का लालटेन देख कर जिस तरीके से यादव और मुस्लिम वोटर मिजाज में आ गये थे और इसका असर यह हुआ कि कुशेश्वरस्थान में सारी जाति एक साथ गोलबंद हो गये और पिछले चुनाव से लगभग 5 प्रतिशत वोट कम पड़ने के बावजूद जदयू 12 हजार से अधिक वोट से चुनाव जीत गया।
2–बिहार की राजनीति में लालू अब प्रासंगिक नहीं रहे उप चुनाव के परिणाम ने तय कर दिया कि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद अब प्रासंगिक नहीं रहे उनकी सभा से या फिर राजनीति शैली से भले ही यादव और मुसलमान वोटर आक्रमक हो जाते हैं वही दूसरी और अन्य वोटर राजद से अलग भी हो जाता है ।
कुशेश्वर स्थान में लालू का ही साइड इफेक्ट रहा कि सवर्ण कांग्रेस प्रत्याशी का साथ छोड़ दिया पिछले चुनाव में तारापुर से निर्दलीय चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी को 12 हजार से अधिक वोट आया था, लेकिन इस बार 4 हजार से भी कम वोट आया यही हाल लोजपा प्रत्याशी का भी रहा कुशेश्वरस्थान में पिछले चुनाव में 12 हजार से अधिक वोट आया था और इस बार 5 हजार में सिमट कर रह गया तारापुर में भी यही स्थिति रही यहां भी पिछले चुनाव से लगभग तीन हजार वोट कम आया लोजपा को।जैसे ही गोलबंदी शुरु हुई राजपूत और ब्राह्रमण मतदाता के जाति के उम्मीदवार होने के बावजूद लोग वोट नहीं किये ।
3—बिहार की राजनीति में बनिया जाति बीजेपी का अब बपौती नहीं रहा 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लाख कोशिश के बावजूद बनिया वोट में सेंधमारी करने में राजद कामयाब रहा था उस चुनाव में पांच विधायक बनिया समाज से राजद के टिकट पर चुनाव जीत कर आये , इस बार फिर तारापुर में बीजेपी के तमाम बनिया नेता के मैदान में उतरने के बावजूद बनिया वोटर में बड़ा बिखराव हुआ ,कुशेश्वर स्थान में भले ही जदयू को बड़ी जीत मिली है लेकिन यहां भी बनिया वोटर में बिखराव दिखा है भले ही स्थानीय मुद्दा ही क्यों ना हो ।
2020 के विधानसभा चुनाव की बात करे तो जदयू को 64 हजार 199 वोट आया था और राजद को 56943 वोट आया था और जदयू 7 हजार 225 वोट से जीता था और इस बार जेडीयू – 78966 वोट प्राप्त हुआ वही राजद को आरजेडी – 75145 आया और जदयू 3821 मतों से चुनाव जीत गया ।
मतलब इस बार के चुनाव में जदयू को पिछले चुनाव की तुलना में 14,199 वोट ज्यादा आया वही राजद को 18,202 वोट ज्यादा मिला फिर भी राजद 3821 वोट से चुनाव हार गया, बनिया का वोट राजद के साथ जुड़ा लेकिन पिछले चुनाव में लोजपा और निर्दलीय उम्मीदवार को (इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे)वोट मिला वो सारा वोट जदयू में सिफ्ट कर गया मतलब सीधी लड़ाई हुई तो राजद एमवाई के अतिरिक्त वोट जोड़ने के बावजूद चुनाव हार गया ।
4–नीतीश की राजनीति में अब वो धार नहीं रही दोनों चुनाव जीतने के बावजूद ये कहना कि नीतीश कुमार की राजनीति में अब वो धार नहीं रही तोड़ अटपटा लगता है लेकिन कुशेश्वर स्थान में भी जहां जदयू जबरदस्त जीत हासिल की है वहां भी नीतीश कुमार के समीकरण वाला वोट जदयू को कैसे मिला है मंत्री संजय झा बेहतर बता सकते हैं तारापुर में भी यही स्थिति रही मतलब जदयू लव कुश और अति पिछड़ा के बदौलत राजद की तरह ही अंतिम चरण तक फाइट में बने रह सकते हैं लेकिन जीतने के लिए उन्हें सवर्ण वोटर का जबरदस्त सहयोग चाहिए यह साफ इस चुनाव में दिख रहा था कुशेश्वर स्थान और तारापुर में भी लव कुश और अति पिछड़ा और महादलित का वोटर कम नहीं है लेकिन सच्चाई यही है कि सवर्ण थोड़ा सा भी मुख मोड़ लेता तो हार निश्चित था,
ऐसे में आने वाले चुनाव में सवर्ण और बनिया जिसके साथ खड़ा होगा उसकी सरकार बनेगी क्यों कि बिहार की राजनीति में राजद जो प्रयोग कर रहा है वह प्रयोग उसे नीतीश के बराबरी में लाकर खड़ा कर दिया है।
आज 3 लोकसभा और 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आएंगे। सुबह 8 बजे सभी सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है। इन सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी।
29 विधानसभा सीटों में से भाजपा और जदयू के पास एक दर्जन से अधिक सीटें थी कांग्रेस के पास नौ सीटें थीं, जबकि बाकी क्षेत्रीय पार्टियों के पास थीं। जिन सीटों पर लोकसभा उपचुनाव हुए उनमें दादरा और नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश की मंडी और मध्यप्रदेश में खंडवा शामिल हैं।
तीनों लोकसभा क्षेत्रों में मौजूदा सदस्यों के निधन के बाद वोटिंग हुई है। मार्च में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट खाली हुई थी। मध्यप्रदेश की खंडवा संसदीय सीट भाजपा सदस्य नंद कुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई थी, जबकि दादरा और नगर हवेली सीट पर निर्दलीय मोहन डेलकर के निधन के कारण दोबारा वोटिंग हुई है।
राजस्थान: भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला राजस्थान में वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत और धारियावाड़ से भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा के निधन के कारण उपचुनाव कराना पड़ा। वल्लभनगर में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने धारियावाड़ से नागराज मीणा को भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह मीणा के खिलाफ मैदान में उतारा है। मध्यप्रदेश: भाजपा-कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर मध्यप्रदेश में खंडवा लोकसभा और तीन विधानसभा सीट जोबट, पृथ्वीपुर और रैगांव के नतीजे आएंगे। बिहार: दोनों सीटों का नतीजा आना है
बिहार की दो विधानसभा सीट तारापुर और कुशेश्वर स्थान उपचुनाव हुआ है यह दोनों सीट जदयू के खाते में था । NDA ने तारापुर से जेडीयू राजीव कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। RJD ने अरुण साव को कैंडिडेट घोषित किया है। कांग्रेस ने राजेश मिश्रा और LJP (रामविलास) ने चंदन कुमार को प्रत्याशी बनाया है।
कुशेश्वरस्थान से JDU ने दिवंगत नेता और पूर्व विधायक शशिभूषण हजारी के पुत्र अमन भूषण को प्रत्याशी बनाया है। RJD ने मुसहर जाति से ताल्लुक रखने वाले गणेश भारती को टिकट दिया है। कांग्रेस ने अतिरेक कुमार को मुकाले में उतारा है। LJP (रामविलास) ने अंजू देवी को प्रत्याशी बनाया है।
हरियाणा: अभय चौटाला के खिलाफ भाजपा के गोविंद कांडा हरियाणा में केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला के विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव हुए। इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला कांग्रेस उम्मीदवार पवन बेनीवाल और भाजपा-जेपी उम्मीदवार गोबिंद कांडा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जो हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख और विधायक गोपाल कांडा के भाई हैं।
चौटाला के लिए यह एक अहम मुकाबला है क्योंकि अभय चौटाला ने ऐलनाबाद से 2010 का उपचुनाव जीता था जब ओम प्रकाश चौटाला ने सीट खाली कर दी थी और फिर 2014 में और 2019 के विधानसभा चुनावों में भी इसे बरकरार रखा था। हिमाचल में विधानसभा की 3 सीटें दांव पर
हिमाचल प्रदेश में मंडी लोकसभा और अर्की, फतेहपुर और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती होगी। मंडी संसदीय सीट पर BJP के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का मुकाबला कांग्रेस की प्रतिभा सिंह के साथ है। फतेहपुर से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री स्व. सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया का मुकाबला बीजेपी के बलदेव ठाकुर के साथ है। अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पीसीसी महासचिव संजय अवस्थी की टक्कर बीजेपी के रतन सिंह पाल के साथ है। वहीं, जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट पर कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक रोहित ठाकुर की बीजेपी की पूर्व जिला परिषद सदस्य नीलम सरकइक के साथ टक्कर है।
पश्चिम बंगाल: क्या फिर चलेगा ममता बनर्जी का खेला पश्चिम बंगाल में चार विधानसभा सीटों गोसाबा, खरदाहा, दिनहाटा, शांतिपुर में उपचुनाव के लिए मतदान हुए हैं। TMC के विधायकों के निधन के बाद खरदाहा और गोसाबा में उपचुनाव होना है। उधर, बीजेपी के सांसद निसिथ प्रमाणिक के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। वहीं, शांतिपुर से भाजपा विधायक जगन्नाथ सरकार के TMC में शामिल होने के बाद चुनाव हो रहा है।
सबसे ज्यादा असम की 5 सीटों पर मतदान असम की पांच विधानसभा सीटों गुसाईंगांव, भबानीपुर, तामुलपुर, मरियानी और थोवरा सीटों पर उपचुनाव हुए। गुसाईंगांव और तामुलपुर के विधायकों के निधन के बाद वहां उपचुनाव की जरूरत पड़ी। वहीं भबानीपुर, मरियानी और थोवरा के विधायकों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। कर्नाटक, आंध्र, महराष्ट्र और मिजोरम का हाल कर्नाटक की सिंदगी सीट जद (एस) विधायक एमसी मनागुली और हंगल सीट से विधायक सीएम उदासी के निधन के बाद दोनों सीटों पर वोट डाले गए हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के लिए यह पहली चुनावी परीक्षा होगी, जिन्होंने बीएस येदियुरप्पा की जगह ली थी। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश की बडवेल सीट (पहले YSRC के पास) महाराष्ट्र में देगलुर ( कांग्रेस के पास थी) और मिजोरम में तुइरियाल विधानसभा सीटों पर भी गिनती होगी।
तेलंगाना में भाजपा और TRS के बीच सीधी टक्कर तेलंगाना के हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र में सत्तारूढ़ TRS, विपक्षी भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। जमीन हथियाने के आरोपों में राज्य मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद जून में एटाला राजेंदर के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव हुआ था। आरोपों को खारिज करने वाले राजेंद्र ने TRS छोड़ दी थी। अब वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। परिणाम भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य 2023 के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ TRS के विकल्प के रूप में उभरना है। दादरा और नगर हवेली में शिवसेना के खिलाफ भाजपा दादरा और नगर हवेली लोकसभा क्षेत्र में सात बार के निर्दलीय सांसद मोहन देलकर की पत्नी कलाबेन देलकर, भाजपा के महेश गावित और कांग्रेस के महेश धोड़ी के खिलाफ शिवसेना उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ट्रांसजेंडर अर्थात किन्नर को भी पर्याप्त आरक्षण मुहैया कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। वीरा यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीपक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में स्पष्टीकरण को लेकर राज्य सरकार के अधिकारियों ने चुनाव आयोग को लिखा है। याचिका के जरिये मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत के सदस्य, ग्राम कचहरी के पंच सदस्यों, पंचायत समिति के सदस्यों व जिला परिषद के सदस्यों के पद पर निर्वाचन में आरक्षण की माँग की गई।
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि इस याचिका के लंबित रहने तक वर्तमान प्रावधानों के तहत उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जाए। उक्त मामले में पंचायत राज विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को 5 फरवरी, 2021 को एक पत्र भी लिखा गया था। याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि राज्य सरकार के गृह विभाग ने कांस्टेबल / सब इंस्पेक्टर के प्रत्येक 500 पदों पर 2011 की जनगणना के मुताबिक ट्रांसजेंडर समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 26 फरवरी, 2021 को त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी। इस मामले पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।
तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव की मतगणना को लेकर बिहार में राजनीति तेज हो गई है। इस बार RJD मतगणना के दौरान गड़बड़ी ना हो इसके लिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी दरभंगा में और RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नेतृत्व में एक टीम तारापुर विधानसभा उपचुनाव की काउंटिंग के लिए मुंगेर में कैम्प करेंगे ।JDU उपाध्यक्ष संजय सिंह ने राजद के इस निर्णय पर पलटवार करते हुए कहा है कि RJD उपचुनाव में होने वाली हार से डर गई है।
बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर चुनाव हुआ है वहां कल मतगणना होना है राजद शुरु से ही चुनाव के दौरान प्रशासन द्वारा हेराफेरी का आरोप लगाते रहा है चुनाव के दौरान जदयू द्वारा साड़ी और शराब बांट जाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि जदयू चुनाव जीतने के लिए सारे हदे पार कर दिया है।
हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग के कार्यशैली पर सवाल उठाना समझ से पड़े हैं वैसे जनता का जो फैसला होगा स्वीकार करना चाहिए ।
पटना हाईकोर्ट ने पूर्णियां व मुजफ्फरपुर जिले समेत राज्य के अन्य जिलों में थैलेसीमिया के रोगियों को खून, आवश्यक दवाएं व रेफ़रल सुविधा उपलब्ध कराने के मामले राज्य सरकार की कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अमित कुमार अग्रवाल व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद निष्पादित कर दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीपक कुमार सिंह का कहना था कि करोना के संक्रमण के दौरान इन जिलों में थैलेसीमिया की वजह से मृत्यु व बीमारी की रिपोर्ट मिली है।अतः उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत थी।
याचिकाकर्ता का आगे यह भी कहना था कि राज्य भर के जिला अस्पतालों में इस बीमारी की दवाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि लोगों को इसके लिए पटना नहीं आना पड़े। ब्लड व उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के वर्तमान स्थिति का आकलन करने को लेकर एक कमेटी बनाने की माँग किया गया था। इसमें सीनियर मेडिकल ऑफिसर व सिविल सोसाइटी के सदस्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ सर्विसेज के एडिशनल डायरेक्टर द्वारा पटना हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामा में बताया गया है कि राज्य सरकार सक्रिय रूप से मामले को देख रही है।ऐसे मामलों से निपटने को लेकर बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। इसको लेकर विद्यालयों व समाज में जागरूकता भी चलाया जा रहा है। लैब की स्थापना भी की जा रही है। प्रैग्नेंट महिलाओं व उनके पतियों का स्क्रीनिंग भी किया जा रहा है ,ताकि थैलेसीमिया मेजर और सिकल सेल से प्रभावित बच्चों के जन्म होने से रोका जा सके।