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मधुबनी की घटना संवैधानिक संस्थाओं के बीच बढ़ती दूरियों का नतीजा है

मधुबनी के झंझारपुर कोर्ट में जो कुछ भी हुआ उसको लेकर पुलिस अपनी पुलिस के साथ खड़ी है वही जज के साथ न्यायपालिका और वकील खड़ा हैं ।बात पत्रकारिता की करे तो अभी तक तो बस इतना ही है कि हम लोग दोनों का बयान छाप रहे हैं ।वही बात आम लोगों की करे तो स्वाभाविक है हर कोई पुलिस के अमानवीय व्यवहार से त्रस्त है ऐसे में मास जज साहब के साथ खड़ा है।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पुलिस के जिस गुंडागर्दी से आम लोग परेशान है उसके लिए जिम्मेवार कौन है, पुलिस झुठे मुकदमे में फंसा कर आम लोगों को तबाह कर रहा है इसके लिए जिम्मेदार कौन है,पुलिस,सीबीआई और ईडी जैसी संस्थान सरकार की रखैल बन गयी है इसके लिए जिम्मेदार कौन है।इस पर जब बहस होगी तो चीजें बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेंगी क्यों दोनों मिल कर जनता को किस तरह से लूट रहा यह तस्वीर जब तक सामने नहीं आयेगा खेल चलता रहेगा क्यों कि यो जो लड़ाई है ना वो हिस्सेदारी की लड़ाई है और कौन श्रेष्ठ है इसकी लड़ाई है।

भारतीय लोकतंत्र क्या कहता है जिस तीन स्तम्भ की हमारे संविधान में चर्चा है उसकी क्या जिम्मेवारी है कोर्ट का गठन क्यों किया गया था ।आज जज साहब की पिटाई पर हंगामा बरपा हुआ है आम लोग रोज पीटता रहता है कोर्ट स्वत संज्ञान लेती है।

इस गठजोड़ को समझिए अंग्रेज तो चला गया लेकिन सत्ता और सरकार अभी भी अंग्रेज वाली मानसिकता से बाहर नहीं निकल पायी है पुलिस अभी भी उसी मानसिकता में काम कर रही है जिस मानसिकता में अंग्रेज की पुलिस काम कर रही थी, और यही नजरिया कोर्ट का भी कोर्ट में भी कुछ नहीं बदला है जज साहब उपर बैठे रहते हैं और तारीख देने के लिए कर्मचारी जो पैसा लेता है वो भी अंग्रेज के समय से ही चला आ रहा है ।

अभी भी कोर्ट का नजरिया शासक के साथ खड़े रहने वाला ही है और यही वजह है कि कोर्ट का नजरिया आज भी पुलिस को लेकर वैसा ही है जैसे 1947 से पहले था ऐसा नहीं है कि बदलाव नहीं आया है लेकिन तमाम बदलाव के बावजूद चरित्र वही है।

दिल्ली दंगा को लेकर जमानत पर सुनवाई करने के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट की दिल्ली पुलिस को लेकर क्या प्रतिक्रिया थी ,याद है या भुल गये ।कोर्ट टिप्पणी करने के बजाय दिल्ली पुलिस के जिस अफसर ने निर्दोष लोगों को दंगा में जेल भेजा उस पुलिस अफसर को चिन्हित करके कार्रवाई क्यों नहीं किया जिस दिन कोर्ट ये करना शुरू कर दे स्थिति पूरी तरह से बदल जायेंगी ।

जय भीम फिल्म इन दिनों काफी चर्चा में है वकील ने जिस स्वतंत्र विटनेस (गवाह)को कोर्ट में खड़ा करके पूरे मुकदमे का चरित्र बदल दिया वो कभी कभी होता है फिर सूर्या जैसा वकील भी होना चाहिए ।

कोर्ट में न्याय कैसे मिलता है इससे आप परिचित नहीं है अभी भी देश की 95 प्रतिशत आबादी कोर्ट कचहरी से बाहर है जो कोर्ट के चक्कर में पड़ा है जरा उनसे पूछिए न्याय का क्या मतलब है इस देश में सबसे ज्यादा दबाव में पुलिस है उसका इस्तेमाल सरकार भी करती है और कोर्ट भी करता है और पीसती जनता है इसलिए इस घटना को लेकर समग्र तरीके से सोचने कि जरूरत है

क्यों कि जो पुलिस वाले जनता के साथ खड़ी होती है उसके साथ ना तो सरकार खड़ी रहती है और ना ही कोर्ट हजारों ऐसे उदाहरण है फिर व्यवस्था तो ऐसे ही चलेंगी एक बार बिहार के पूर्व डीजीपी डीएन गौतम से बात हो रही थी मैंने उनसे पूछा सर आपके पूरे करियर किस तरह का पैरवी आपको सबसे ज्यादा परेशान किया उन्होंने कहा संतोष जी नेता बदनाम है, नेता पैरवी भी करते हैं तो कहते हैं गलती हो गया है जरा देख लीजिए या फिर गलत फंसाया गया है जरा देख लीजिए ।लेकिन हमारे सीनियर अधिकारी कहते हैं इसको बचाना है या फिर उसको फंसाना है सीधा आदेश ।

नेता की बात नहीं माने चलेगा लेकिन अधिकारी की बात नहीं माने नहीं चलेगा आपका कैरियर उसी दिन से दाऊ पर लगा जायेंगा।बात मधुबनी की करे तो यह तो अभी शुरुआत है बिहार में इस तरह की घटनाओं का प्रचलन नहीं रहा है इससे पहले भागलपुर में इस तरह की घटना घटी थी ।

लेकिन जिस तरीके से संस्थानों के बीच दूरियां बढ़ रही है आने वाले दिनों में इससे भी बड़ी घटनाएं घट जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि जिला में अधिकारियों के बीच आपसी रिश्ते इतने खराब रहते हैं कि आप सोच नहीं सकते हैं ।एसपी की डीएम से रिश्ता सही नहीं रहता है ,जज से प्रशासन ऐसी दूरी बना कर रखता है जैसे अछूत हो ।आज भी जिस जिले में डीएम ,एसपी और जिला जज के बीच बेहतर समन्वय है उस जिले में अपराध के साथ साथ पूरी व्यवस्था नियंत्रण में रहती है।

याद करिए यही पुलिस थी, यही कोर्ट था 6 दिन के अंदर बलात्कार जैसे अपराध में सजा दिया है।ऐसा कैसे हो गया हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से डीजीपी और मुख्य सचिव इसको लेकर मिलते थे बात होती थी बहस होता था फिर एक दिशा तय होती थी जो एसपी डीएम से थाने तक और जिला जज से लेकर लोअर जुडिसियर तक पहुंच जाता था ।

यही बिहार था ना जहां बड़े से बड़े अपराधी आर्म्स लेकर घूमना बंद कर दिया था लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है इसलिए सही समय आ गया है बदलाव नहीं हुआ तो फिर अराजकता के लिए तैयार रहिए कुछ दिन पहले सेना से भी इसी तरह की खबरे आयी थी जवान सेना के अधिकारी के घर में घुस कर मारपीट किया है। बाकी देख ही रहे हैं सीबीआई और ईडी के निदेशक का पद पांच वर्ष के लिए हो दिल्ली पुलिस का आयुक्त कि नियुक्ति के लिए क्या क्या किया गया है सीबीआई .ईडी जैसे विभाग किस तरीके से अपना भरोसा खोते जा रहा है ।

किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत अहिंसात्मक आंदोलन की जीत है

लगभग सालभर से चल रहे किसान -आंदोलन की मुख्य मांग सरकार ने मांन ली , तीनों कृषि कानूनों की वापसी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी जी ने की है ।

मोदी जी को साधुवाद । देर से ही सही वे और उनकी सरकार यह समझ पायी कि जिन कानूनों को वे किसान के हित मे समझते थे ,किसान अपने हित मे नही समझती है और वे ,उनकी सरकार और उनकी पार्टी (दुनिया की कथित सबसे बड़ी सदस्यता वाली पार्टी ) भारतीय जनता पार्टी की पूरी फौज किसानों को यह समझाने में नाकाम रही कि ,तीनो कृषि कानून किसानों के हित में है । इसलिए तीनो कृषि विल वापस लेने की सरकार की मजबूरी ,भारतीय जनता पार्टी की असफलता मानी जानी चाहिए क्योंकि पार्टी के नीतियों के अनुरूप बने विधेयक के फायदे ,जनता को बताने की जिम्मेवारी पार्टी की होती है ।

इसलिए पार्टी को आत्ममंथन करना चाहिए कि चूक कहाँ हुई ?
यहां यह जोर देना आवश्यक है कि भारतीय जनता पार्टी के उन सारे भाषणवीरों /प्रवक्ताओं/सोसालमीडिया के रणबांकुरे जो इस किसान आंदोलन के लिए क्या -क्या नही उद्गार व्यक्त किये …..के लिए मोदी जी का यह निर्णय एक जवाब है और मैसेज भी कि “अंध भक्ति ” का जो टैग आप पर लगा है वह विल्कुल सही है । पार्टी कार्यकर्ता के रूप में गांवों में किसानों के बीच जाएंगे नहीं ,उन्हें कानून के पक्ष के तर्क (जो वे खुद से जानते नही) समझाएँगे नही तो अंधभक्ति से पार्टी और सरकार चलने वाला नही ,मोदी जी को भी आपकी ऐसी “अंधभक्ति” की जरूरत नहीं । पार्टी और साकार नीतियों से चलती है ,नीतियां जनता के लिए फायदेमंद है यह जनता को बताने की जिम्मेवारी पार्टी कार्यकर्ता की है ,अगर आप ऐसे कार्यकर्ता नही तो ऐसे अंधभक्ति से आपका पार्टी में कोई भविष्य नही ,यही संदेश मोदी जी ने पार्टी को भी दिया है । आप अपना भविष्य देख लें ।ऐसे छोटे -बड़े अंधभक्तों के पर कतरने की शुरुआत आनेवाले दिनों में होने वाला है ।

“अहिंसात्मक आंदोलन “की जीत
से मेरा तात्पर्य यह है कि

अपने खुद के ७४छात्र आंदोलन (जेपी आंदोलन) से हमने यही सिखा था कि हमारा आंदोलन जितना ही अहिंसात्मक होगा जनता की भागीदारी उतनीही बढ़ेगी ,आंदोलन के मांगों के प्रति जागरूकता उनकी उतनी ही बढ़ेगी ,आंदोलन के कामयाब होने संभावना उतनी ही बढ़ेगी । अहिंसात्मक आंदोलन में भी अनेक रूपों में कष्ट भोगने होते है ,पुलिश की लाठियां खानी होती है ,जेल जाने होते है और शहादत भी देने होते हैं ।सरकार /सत्ता-प्रतिष्ठान आंदोलन हिंसात्मक हो जाए इसकी भरपूर कोशिश करेगी और आंदोलनकारी अगर सरकार के झांसे में आ गयी और थोड़ी भी हिंसा की तो सरकार खुद बड़ी हिंसा करेगी बिभिन्न दंडात्मक करवाई कर आंदोलन को कुचल देगी। आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के बाद भी हिंसक आंदोलनों के नतीजे हमारे सामने है।

किसान आंदोलन शुरू से गैर राजनैतिक रहा ,राजनैतिक दल के नेताओं से दुरियां बना कर रखा , किसी भी राजनैतिक दल के नेता को अपने मंच का इस्तेमाल नही करने दिया ।

किसान संगठनों के सामूहिक नेतृत्त्व से संचालित रहा , अहिंसात्मक रहा,ढेर सारे (लगभग चालीस)किसान संगठनों के नेताओं का सामूहिक नेतृत्त्व टिकाऊ रहा यह अपनेआप में महत्त्वपूर्ण था आपसी वर्चस्व की लड़ाई की कोई खबर नही ,सामूहिक निर्णय पर सब की एक ही भाषा रही वो भी तब जब इनके पास गांधी/जेपी/अन्ना हज़ारे और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत (किसान नेता ) जैसा बड़ा नाम आंदोलन के नेतृत्त्व करने को नही था ।

फिर भी कोई बस नही जलाए गए , कोई सरकारी प्रतिष्ठान या संस्थान लुटे नहीं गए /जलाए नही गए ,किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान को कोई क्षति नही पहुंचाई गई ।ठंढ में गर्मी में धरने पर बैठे रहे ,कुर्वानी देते रहे लगभग ७००किसानों ने शहादत दी ।
सभी तरह के उकसावे और भड़कावे के बावजूद अपना धैर्य बनाए रखा ,हिंसा पर उतारू नही हुए/हिंसा नही की । इसलिए किसानों की भागीदारी बढ़ती गयी ,पंजाब/हरियाणा से आगे बढ़कर किसान आन्दोलन पुरे देश के किसानों का आंदोलन बन गया । आंदोलन तोड़ने के सरकारी/गैर सरकारी प्रयास निष्फल हुए ।इन सभी अर्थों में यह आंदोलन और इसका नेतृत्त्व इतिहास बना गया जो भविष्य के जन आंदोलनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा ।

अंततः किसानआ आंदोलन की जीत हुई ,शहादत देनेवाले किसान भाइयों को नमन पूर्वक श्रद्धांजलि और सभी किसान भाइयों को बधाई ।

हम अपने प्रधानमंत्री ” मोदी “जी से ही उम्मीद बांध रहे हैं कि एमएसपी( न्यूनतम समर्थन मूल्य ) पर खरीद की गारंटी वाला कानून भी बनाकर लागू कर दें । बिहार के संदर्भ में इसके व्यापक लाभ हमे समझना होगा ……..
हमें उचित मूल्य मिलेंगे ,हम खेतिहर मजदूर को उचित और सम्मानपूर्वक मजदूर दे पाएंगे ,उनका पलायन( माइग्रेसन) रुकेगा ,हमारी उपज बढ़ेगी ,हमारी आमदनी बढ़ेगी ,हम खेती दिल से करेंगे । हमारी पूंजी बनेगी तो खेती से जुड़ा उद्योग खड़ा कर पाएंगे । रोजगार के अवसर पैदा कर सकेंगे ।

खेती में बचत नही है या खेती में फायदा नही है यह बिहार के हर घर की कहानी है ,उन्हें खेती करने की दिशा में जाने नही देना है यह हमारी सोच बन गयी है। परिवार के जो बच्चे पढ़ने में अच्छा नही कर रहे हैं उनपर भी हम अपनी जमीन -जायदाद बेचकर ( अगर सरकारी नौकरी में हैं तो भ्रष्टाचार में शामिल होकर) लाखों खर्च कर ,बाहर कोचिंग करवा रहे हैं ,इंजिनीरिंग /मेडिकल में डोनेशन देकर नामांकन करवा रहे हैं या फिर घुस देकर किसी सरकारी नौकरी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और इन सब जगह लूट के शिकार हो रहे हैं । अंचल कार्यालय से लेकर सचिवालय तक भ्रस्टाचार का बोलबाला इसलिए भी है कि हमारा बच्चा खेती नही करेगा (इसलिए घुस लेना उनकी मजबूरी है) भले ही हमारे पास कितनी भी जमीन हो ।यह सिर्फ इसलिए कि खेती से गुजारा नही होगा । हमारे पूर्वजों का “उत्तम खेती “वाला सूत्र अब “निकृष्ट खेती “वाला सूत्र बनगया है । ऐसे ही बच्चे अपने लाइफ स्टाइल को बनाए रखने के लिए सभी तरह के क्राइम में संलिप्त हो रहे हैं । देश के लिए समस्या बन रहे हैं ।

हमे खेती को लाभकारी बनाकर इन सब समस्याओं से निदान पाने के दिशा में सोचना चाहिए । अभी एमएसपी देंगे तो ऐसे लोग खेती के तरफ आएंगे ,खुदका रोजगार पाएंगे ही अनेकों को रोजगार देंगे ।

लेखक –फूलेन्द्र कुमार सिंह पेशे से इंजीनियर रहे हैं

नक्सली के भारत बंद का रेलवे सेवा पर पड़ा असर कई ट्रेने रद्द कई का रुट बदला गया ।

भाकपा माओवादियों द्वारा बुलाये गये भारत बंद का झारखंड में असर देखने को मिल रहा है कई इलाकों में नक्सलियों ने रेलवे ट्रेक को नुकसान पहुंचाया है जो खबर आ रही उसके अनुसार देर रात नक्सलियों ने —

चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत लोटा पहाड़ और सोनुआ स्टेशन के बीच माओवादी नक्सलियों ने रेल पटरी उड़ाने की कोशिश की। रेल पटरी नहीं उड़ पाई लेकिन कंक्रीट स्लीपर डैमेज हो गए । मरम्मत कार्य जारी है जिसके कारण मुंबई हावड़ा रूट पर ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया है वही नक्सलियों ने लातेहार और टोरी स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक को उड़ा दिया है बम ब्लास्ट के कारण रेलवे का ट्रॉली क्षतिग्रस्त हो गया है ।

नक्सलियों के भारत बंद का रेलवे सेवा पर पड़ा असर

रेलवे ट्रेक के नुकसान होने से रेलवे सेवा पर प्रभाव पड़ा है और कई ट्रनों का मार्ग बदल दिया गया है या फिर रद्द कर दिया है रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट के कारण कई ट्रेन का रूट डाइवर्ट,18636 सासाराम-रांची और 08310 जम्मू तवी एक्स. डाइवर्ट भाया गया-कोडरमा-मुरी होकर चलेगी वही रेलवे ने 2 ट्रेन के परिचालन को आज के लिए किया रद्द कर दिया है

03364 डिहरी ऑन सोन – बरवाडीह स्पेशल रदद्
03362 बरवाडीह- नेसुबोगोमो स्पेशल ट्रेन भी कैंसिल।

भाकपा माओवादियों ने अपने केन्द्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के विरोध में आज भारत बंद का एलान किया है ।

धनबाद मंडल के टोरी-लातेहार रेलखंड पर रेलवे ट्रैक पर बम विस्फोट, परिचालन बाधित

धनबाद मंडल के टोरी-लातेहार रेलखंड पर रिचुगुटा-डेमू स्टेशनों के बीच किमी 206/25-27 के बीच रात्रि लगभग 12.50 बजे अप एवं डाउन लाइन पर तथाकथित बम विस्फोट के कारण रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया । इस घटना की जाँच की जा रही है।

🔸अप एवं डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बाधित है जिसके कारण यात्री सुरक्षा एवं संरक्षा के दृष्टिकोण से इस रेलखंड से गुजरने वाली कुछ ट्रेनों के परिचालन में बदलाव किया गया है ।

🔸 02 पैसेंजर ट्रेन का परिचालन रद्द किया गया है तथा कुछ ट्रेनें परिवर्तित मार्ग से चलायी जा रही हैं ।

🔸बरकाकाना से दुर्घटना राहत यान घटना स्थल पहुंच चुकी है ।

🔸परिचालन की पुनर्बहाली हेतु युद्धस्तर पर कार्य जारी है ।

🔸घटनास्थल पर धनबाद मंडल के उच्चाधिकारी, रेल सुरक्षा बल, स्थानीय पुलिस पहुंच चुकी हैं ।

(राजेश कुमार)
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी

मधुबनी जज हमला मामले में पुलिस ने जज पर लगाया गंभीर आरोप

मधुबनी – झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के ADJ अविनाश कुमार पर जानलेवा हमला करने वाले दोनों पुलिसकर्मियों ने दरभंगा पुलिस के सामने अपना फर्द बयान दर्ज कराया है। दोनों ही पुलिसकर्मी दरभंगा DMCH में भर्ती हैं। अपने बयान में घोघरडीहा थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण ने ADJ अविनाश कुमार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पहले अभद्र टिप्पणी की थी। कई मामलों में आरोपित व्यक्ति को ‘सर’ कहकर संबोधित करने का निर्देश दिया था। ऐसा नहीं करने पर मुझे जूते से मारा और फिर मौजूद कर्मियों को निर्देश दिया कि मेरे गले में रस्सी लगाकर टांग दिया जाए।

पुलिस एसोसिएशन ने निष्पक्ष जाँच की मांग

गोपाल कृष्ण के बयान के अनुसार, ‘ झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के कर्मी अवकाश मिश्रा ने 17 नवंबर को मुझे कॉल कर कहा कि आपके विरुद्ध विधिक सेवा प्राधिकार में दीपक राज नाम के व्यक्ति ने शिकायत की है। इसपर सुनवाई के लिए उपस्थित होना है। मुझे शराब के खिलाफ कार्रवाई में जाना था, इसलिए मैंने अगले दिन का समय मांगा। पूरी कार्रवाई में देर होने की वजह से अगले दिन 18 नवंबर को निर्धारित 11 बजे की बजाय दोपहर दो बजे के करीब न्यायालय पहुंचा। वहां अपने साथ गए SI अभिमन्यु कुमार शर्मा को जज के केबिन के बाहर छोड़कर अंदर गया तो उन्होंने (ADJ अविनाश कुमार) सीधे कहा कि तुमको टांग देंगे।

फिर मुझे वहां मौजूद एक इंजीनियर दीपक राज को ‘सर’ कहकर संबोधित करने को कहा। उनपर कई थानों में कई मामले लंबित हैं। जज ने कहा कि इनसे कई काम करवाना है। तुम बहुत मगरूर हो गए हो। मुझसे डरते क्यों नहीं हो, तुमको जूता से मारेंगे। इसपर मैंने उन्हें कहा कि आप माननीय जज हैं, कृप्या गाली न दें। तब उनके इशारे पर वहां मौजूद दीपक राज, अवकाश मिश्रा आदि लोगों ने मुझे पकड़ लिया और मारने लगे।

मधुबनी जज पिटाई मामला घायल पुलिसकर्मियों को DMCH में भर्ती कराया गया ।

इसी बीच 15-20 वकील और अंदर आ गए। सभी मुझसे मारपीट करने लगे। इतना होने पर बाहर खड़े SI अभिमन्यु कुमार शर्मा जब जज के केबिन में आए तो उनके साथ भी मारपीट की गई। भीड़ ने अभिमन्यु से उनका सर्विस पिस्टल छीन लिया। मुझे जान से मारने की कोशिश की तो मैंने किसी तरह कमरे में बने टॉयलेट में छिपकर अपनी जान बचाई। बाद में जब स्थानीय पुलिस के लोग पहुंचे तो मुझे सुरक्षा के साथ बाहर निकाला गया। इस दौरान मैंने देखा कि अभिमन्यु कुमार शर्मा घायल हैं और उनके मुंह और सिर से खून निकल रहा है।

जज के चेम्बर एवं न्यायालय परिसर में लगे CCTV कैमरे की बिना छेड़छाड किए जाँच हो।
पीड़ित थाना अध्यक्ष अपने अध्यक्ष से बोले की वे पूरी घटना पर पॉलीग्राफ़ मशीन ( झूठ पकड़ने वाली मशीन ) से जाँच कराने के लिए तैयार है। ताकि इससे भी सत्य सामने आ सकता है।— मृत्युंजय कु सिंह

पीड़ित घायल थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण से प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कु सिंह फ़ोन से बात कर सारी जानकारी लिए।बात करते समय पीड़ित दरोग़ा रोने लगा और घटना की जानकारी दिया। एसोसिएशन के महामंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष पीड़ित थानाध्यक्ष से मुलाक़ात किए। न्यायालय आस्था और न्याय का मंदिर है।न्यायालय का सभी पुलिस वाले सम्मान करते है और हर न्यायोचित आदेश का पालन करते है और करते रहेंगे।झंझारपुर में घटित पूरी घटना की निष्पक्ष जाँच की माँग बिहार पुलिस एसोसिएशन करता है–मृत्युंजय कु सिंह

बालू माफिया से सांठगांठ के आरोप में ईओयू ने कोइलवर के तत्कालीन अंचलाधिकारी अनुज कुमार के ठीकाने पर मारा छापा आय से अधिक सम्पत्ति का हुआ खुलासा।

पटना । बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले में आज निलंबित भोजपुर के कोइलवर के तत्कालीन अंचलाधिकारी अनुज कुमार के पटना स्थित आवास, नवादा स्थित पैतृक आवास और गया स्थित ससुराल में एक साथ छापेमारी की गयी है। ईओयू की टीम इस छापेमारी में सुबह से ही लगी हुई थी । तलाशी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है साथ ही अनुज कुमार के द्वारा अर्जित अन्य परिसंपत्तियों की भी जांच की जा रही है। आर्थिक अपराध इकाई को इस बात की भी आशंका है कि आज की छापेमारी में अनुज कुमार के ठिकानों से नगद और अन्य सामान नहीं पाया जाना यह दर्शाता है कि बालू माफियाओं से अवैध परिसंपत्तियों को हटाया गया है और इस पर अनुसंधान चल रहा है। अनुज कुमार के द्वारा अर्जित परिसंपत्तियों इनके वास्तविक आय से लगभग 52% अधिक पाया गया है।

कृषि कानून वापस लेने का फैसला अन्नदाता का दिल जीतने वाला सुशील कुमार मोदी

कृषि कानून वापस लेने का फैसला अन्नदाता का दिल जीतने वाला

  • सुशील कुमार मोदी
  • प्रधानमंत्री के बड़प्पन ने उन्हें स्टेट्समैन बनाया
  • विपक्ष इसे हार-जीत के
    क्षुद्र नजरिये से न देखे
  • दिल्ली में बिना शर्त धरना
    समाप्त कर घर लौटें किसान
  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के एक वर्ग की भावना का सम्मान करते हुए संसद से पारित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर बड़प्पन दिखाया।
    यह गुरु परब पर सद्भाव का प्रकाश फैलाने वाला ऐसा निर्णय है, जो प्रधानमंत्री मोदी को चुनावी राजनीति से ऊपर उठता हुआ कद्दावर स्टेट्समैन सिद्ध करता है।
    इस ऐतिहासिक पहल को किसी की जीत-हार के रूप में लेने की क्षुद्रता नहीं होनी चाहिए।
  2. हालांकि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे, सरकार किसान प्रतिनिधियों से 11 चक्र में बातचीत कर इसमें और सुधार करने पर सहमत थी और सुप्रीम कोर्ट ने इनके क्रियान्वयन को स्थगित भी कर दिया था, फिर भी इन कानूनों को एक झटके में वापस लेना राजनीतिक नफा-नुकासान, दलगत मान-अपमान और तर्क-वितर्क से ऊपर उठकर अन्नदाता का दिल जीतने वाला निष्कपट कदम है।
    अब आंदोलनकारियों को अपना हठ छोड़कर बिनाशर्त धरना समाप्त कर घर लौटना चाहिए।

यौन हिंसा पुरुष का सबसे डार्क स्पेस, इसके प्रति समाज की सामुहिक जिम्मेदारी है।

मेरी नजर में , पुरुष का होना

पुरूष के संदर्भ मे, जब मै किसी पुरुष को इंसान से आगे बढकर पुरुष समझकर देखुँ तो मुझे पौरुष के दर्प से भरे हुए पुरूष ही अच्छे लगते हैं।

पौरुष के दर्प से भरे हुए पुरूष का अर्थ ‘अमरीश पुरी या गुलशन ग्रोवर’ नहीं है… पोपुलर अर्थ में कहूँ तो ‘ बाहुबली’ टाइप। पौराणिक अर्थ में कहूँ तो ‘ आदियोगी शिव’ जैसा। जिसके साथ कैलाश के दुरूह शिखर पर भी जीवन आसान लगे ।

मेरे लिए इस बात का कोई महत्व नहीं है कि मेरा भाई, दोस्त, प्रेमी, पति, खाना बनाने मे मेरी मदद करता है कि नहीं, कपड़े धोता- सुखाता है कि नहीं, पोंछा लगाता है कि नहीं.. …हाँ, उसका होना मुझे कितना ‘अभय ‘ बनाता है, ये महत्वपूर्ण है। वो साथ रहे तो मै इस ब्रह्मांड मे डर के अस्तित्व को भूल जाऊँ ।

पुरुषवाद ने स्त्रियों से माॅडेस्टी छीन ली, उनकी उड़ान को कुंद कर दिया। उसकी कीमत समाज ने चुकायी और चुका रहा है।

उसी तरह, नारीवाद के नाम पर पुरूष से उसका पौरूष मत छीनिए। पुरूष से डरी हुई स्त्री और स्त्री से डरा हुआ पुरूष , दोनो ही समस्या है ।

यौन हिंसा पुरूष का सबसे डार्क स्पेस है, इस पर बचपन से ही काम किए जाने की जरूरत है । इसके प्रति समाज की सामुहिक ज़िम्मेदारी है । अध्ययन मे पाया गया है कि क्राॅनिक यौन अपराधी का बचपन, किसी न किसी वज़ह से माँ के स्नेह से वंचित रहा है या तो खुद शोषण का शिकार रहा है ।

तो पुरूष पोंछा लगाता है कि नहीं, सब्जी काटता है कि नहीं इससे ज्यादा जरूरी है कि, वो स्त्री को स्नेह और उसका सम्मान करे। उसे समझना चाहिए कि स्त्री को उसके सर्वोत्तम स्वरूप में प्यार – सम्मान और स्नेह से ही पाया जा सकता है।

स्त्री को भी ये समझना चाहिए की पुरूष भी उसका ही हिस्सा है , अलग स्वरूप । जब भी कोई पुरूष कटता है, मरता है, अपमानित होता है , तो साथ- साथ उसको जन्म देने वाली माँ भी उतना ही मरती है ।

प्रतियोगी के रूप मे पुरुष हमेशा क्रूर होता है , ये आदिम वृत्ति है , जब वो शिकारी था ।उसने हत्याएँ की , जंगल जलाएँ …!!! स्त्री और उसके बच्चे के लिए घर बनाये । फिर उसने दुसरे पुरूषों से लड़कर विजेता बन स्त्री और उसके बच्चे पर अपनी प्रभुता स्थापित की । अब वो निश्चिंत हुआ ,स्त्री का सहचर बना तो उसमे सौंदर्य और स्नेह जैसे मृदुभाव विकसित हुए।

समग्र कलाओं का विकास पुरूष ने किया , परन्तु उसका केन्द्र बिन्दु स्त्री रही है क्योंकि वो स्त्री के बिना युद्ध कर सकता है , संवेदनाएं नही जगा सकता । घर – परिवार बसाते हुए , कलाकार के रूप मे उसे अपने आदिम शिकार वृति के ह्यस का मलाल और असुरक्षा का एहसास रहा होगा तभी वो धर्म व्यवस्था मे पुरूषों को स्त्रियों से दुर रहने कि , उसे नकारने कि , उसे तुच्छ समझने की आह्वान करता है ।

पुरषों ने हमेशा अपना नायक एक युद्ध विजेता को चुना। कोई गायक , कोई नर्तक , कोई मूर्तिकार , कोई पेन्टर , कोई लेखक को पुरूषों ने कभी अपना नायक नही चुना ।

पुरुष प्रतियोगी बनकर टक्कर ही क्यों देना। पुरूष का दर्द भी आखिर एक स्त्री को ही सोखना है। स्त्री अपना दर्द धारण कर लेती है, पुरूष अपना दर्द धारण नहीं करता, वो सर्कुलेट करेगा जिसे अन्तत: किसी स्त्री में ही पनाह मिलना होता है।

लेखक —अनुमेहा पंडित

कृषि कानून, जातीय जनगणना और शराबबंदी पर खुलकर बोले नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई दिल्ली प्रवास से वापसी के पश्चात् पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत की। प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून बनाये थे। यह केंद्र सरकार का निर्णय था ।

आज प्रधानमंत्री जी ने खुद ही अगले सत्र में इसे वापस लेने की घोषणा कर दी है। उन्होंने बहुत ही स्पष्टता के साथ अपनी बातें रख दी हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए। इसलिए इस

कृषि कानून की वापसी पर नीतीश का तंज

कानून को वापस लिया जा रहा है। इसमें कुछ ख़ास बोलने का कोई औचित्य नहीं है। उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बारे में कौन, क्या बोलता है मालूम नहीं। सब अपनी-अपनी बातें बोलते रहते हैं लेकिन आज तीनों कृषि कानूनों के बारे में प्रधानमंत्री जी ने स्वयं अपनी बातें रख दी हैं। सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। विपक्ष को भी अपनी बातें रखने का अधिकार है।

दिल्ली में श्री लालू प्रसाद यादव के जातीय जनगणना के वक्तव्य पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने क्या कहा हमें मालूम नहीं है। उनसे अभी हमारी कोई बातचीत नहीं होती है। जातीय जनगणना को लेकर उनकी पार्टी के नेता और उनके पुत्र श्री तेजस्वी यादव समेत अन्य दूसरे लोगों ने हमसे मुलाकात की थी।

प्रधानमंत्री जी से भी हमलोगों ने इस मुद्दे पर मुलाकात की थी। जातीय जनगणना के मुद्दे पर केन्द्र ने निर्णय स्पष्ट कर दिया है। उसके बाद हमलोगों ने भी बहुत साफ साफ कह दिया है कि आपस में हम सब बैठक कर इस पर निर्णय लेंगे। श्री तेजस्वी यादव ने जो चिट्ठी लिखी थी, वह उनकी पार्टी की तरफ से आया हुआ है और वह चिट्ठी रखी हुई है। हम सब एक साथ सर्वसम्मति से इस पर निर्णय लेंगे।

बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग मेरे इस फैसले के खिलाफ हैं और धंधेबाज चाहते हैं कि शराबबंदी कानून विफल हो जाए। हम तो प्रारंभ से ही कहते रहे हैं कि हर आदमी एक विचार का होगा, यह संभव नही । मनुष्य का जो स्वभाव होता है, यह सभी को मालूम हमलोग यह मानकर चलते हैं कि कुछ लोग मेरे खिलाफ रहेंगे। इसके लिए पूरा का पूरा प्रयास करना चाहिए, सबको समझाना चाहिए।

शराबबंदी कानून के वापसी का सवाल ही पैदा नहीं होता है ।

गड़बड़ी करने वालों पर कानून के मुताबिक एक्शन होना चाहिए। हमलोगों ने सात घंटे तक बैठक कर एक-एक चीजों पर चर्चा की। हमलोगों ने शुरूआती दौर में इसके लिए जो नियम-कानून बनाये हैं इसके अलावा लगातार अभियान भी चलाते रहे हैं। हमलोगों ने अलग-अलग समय पर नौ बार इसकी समीक्षा भी की है और जितनी बातें कही गयीं उन सब चीजों पर चर्चा की गयी। इसके बारे में हमने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि पूरे तौर पर आप काम करिए। लॉ एंड आर्डर और अपराध के खिलाफ जैसी कार्रवाई होती है उसी तरह इसपर भी पूरी सक्रियता के साथ कार्रवाई करनी है। इसके लिए फिर से व्यापक अभियान चलाएंगे।

मधुमेह की रोकथाम को लेकर सूबे में मरीजो की हो रही स्वास्थ्य जांचः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मधुमेह (डायबटीज) की रोकथाम के लिए सतत प्रयत्नशील है। मधुमेह रोगियों को उचित इलाज की सुविधा प्रदान हो और उन्हें मुफ्त सलाह दी जाए। स्वास्थ्य विभाग 14 नवंबर से सभी सरकारी अस्पतालों (एनसीडी क्लिनिक एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर समेत) में मुफ्त जांच सह चिकित्सा परामर्श शिविर लगा रहा है, जो 21 नवंबर तक चलेगा।

श्री पांडेय ने कहा कि मुफ्त जांच सह चिकित्सा परामर्श शिविर में अपने ड्रेस कोड में उपस्थित चिकित्सा दल के द्वारा मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि की स्क्रीनिंग कराकर आवश्यक औषधियां उपलब्ध करवाई जा रही है। इनसे बचाव के उपायों के साथ ही खान-पान संबंधित उचित सलाह दी जा रही है। शिविर के आयोजन के लिए निर्धारित तिथि के पूर्व से ही प्रभात फेरी, जागरुकता रैली, हैंडबिल वितरण, पोस्टर बैनर, माइकिंग की व्यवस्था की गयी थी।

जिलों के सभी अस्पताल परिसर में जीविका के कार्यालय पर एवं शहर के 10 अन्य उपयुक्त स्थलों पर मधुमेह से संबंधित होर्डिंग की व्यवस्था भी की गयी। इस दौरान मधुमेह होने से पूर्व की रोकथाम के उपाय व उनके कारणों व बचाव को प्रमुखता से बताया जा रहा है।

 श्री पांडेय ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से लोगों में इस बीमारी से सतर्क किया जा रहा है। हर जगह चिकित्सों की टीम लोगों को बीमारी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा उपाय बता रही है। उन्होंने कहा कि मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। सही खान-पान, व्यायाम एवं उचित किकित्सकीय सलाह से इससे बचा सकता है।

कृषि कानूनों पर माफी मांगी जाने पर आंदोलनकारी किसान ने कहा MSP लागू होने तक आन्दोलन जारी रहेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तीन कृषि कानूनों पर माफी मांगी है, जिन पर सरकार एक साल से अधिक समय तक किसानों को उन्हें स्वीकार करने के लिए “समझाने में विफल” रही।

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं देश की जनता से सच्चे और नेक दिल से माफी मांगता हूं। हम किसानों को नहीं समझा पाए। हमारे प्रयासों में कुछ कमी रही होगी कि हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए।

पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा


पीएम मोदी की इस घोषणा के साथ ही सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया है। किसान नेताओं का कहना है कि वे प्रधानमंत्री के बयान को अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा अभी नहीं की गई है।

किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे राकेश टिकैत का कहना है कि एक साल बाद में सरकार की समझ में किसान शब्द आया है, हम इसे अपनी जीत मान रहे हैं। सरकार से बातचीत का रास्ता खुला है। सरकार जब संसद में कानून लेकर जाएगी, वहां क्या होगा, ये मायने रखता है। MSP हमारा मुद्दा है। सरकार MSP गारंटी कानून लेकर आए। जब तक सभी मुद्दों पर समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।

वही इसको लेकर बिहार में भी सियासत चरम पर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीनों कृषि बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर कहा कि केंद्र सरकार का निर्णय पहले जो था वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था अब उन्होंने जो निर्णय लिया वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था इसलिए इस पर बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।

कृषि कानून के रद्द होने पर नीतीश ने पीएम मोदी पर फोड़ा ठीकरा

वही लालू प्रसाद ने कहा कि विश्व के सबसे लंबे,शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई।पूँजीपरस्त अहंकारी सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।

राजद सासंद ने कृषि कानून के वापसी पर पीएम मोदी को लिया आड़े हाथ

तेजस्वी यादव ने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है। यह पूँजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है।विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूँजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया।आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी।भाजपाई उपचुनाव हारे तो इन्होंने पेट्रोल-डीज़ल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया।

कृषि बिल वापस लेने पर कांग्रेस नेता ने भी मोदी को लिया आड़े हाथ

उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड,पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि क़ानून वापस लेने पड़ रहे है।विगत वर्ष 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात किसानहित में हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे।इसी दिन किसान विरोधी नीतीश-भाजपा ने गाँधी मैदान में इन कृषि कानूनों का विरोध एवं किसानों का समर्थन करने पर मुझ सहित हमारे अनेक वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया।अंततः सत्य और किसानों की जीत हुई।

मधुबनी की घटना दो संवैधानिक संस्थानों के बीच अहंकार का नतीजा है

जब दो संवैधानिक संस्था आपस में आमने सामने हो तो मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है ऐसे में रिपोर्टिंग करने में थोड़ी सावधानी बरतने की जरुरत है ।मधुबनी की घटना कुछ ऐसा ही है दोनों संस्थान अपने अंहकार में संस्थान के मर्यादाओं को तार तार करने में लगे हैं।

जज साहब ने जो लिख कर दिया उसके अनुसार पुलिस पर कार्रवाई हो गयी है दोनों पुलिस वाले जेल चले गये हैं, हाईकोर्ट जिनकी भूमिका अभिभावक की है क्यों कि पुलिस भी न्याय प्रणाली का ही हिस्सा है इसलिए हाईकोर्ट इस मामले में दोनों पक्ष को सूनने के बाद ऐसा निर्णय ले जिससे कि आगे इस तरह की घटनाए ना घटे

क्यों कि जिस जज के कार्यशैली को गलत मानते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें न्यायिक काम काज से अलग कर दिया था, उस जज के आरोप की पहले जांच होनी चाहिए थी क्यों कि जज साहब ने जो लिखित शिकायत किये हैं उसमें विवाद की जो वजह बताया है कि 16.11.21 को मुझे घोघरडीहा थानाध्यक्ष के खिलाफ घोघरडीहा प्रखंड की भोलीराही निवासी उषा देवी ने मुझे बीते मंगलवार को एक आवेदन दिया। जिसमें पीड़ित ने बताया था कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष ने उसके पति, ननद, वृद्ध सास व ससुर को झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया है। साथ ही, पति के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत की।

शिकायत मिलने के बाद मैंने सत्यता जानने के लिए 16.11.21 को ही थानाध्यक्ष को पक्ष रखने की सूचना फोन पर दी। लेकिन, थानाध्यक्ष आने से टालमटोल करते रहे। इसके बाद थानाध्यक्ष को गुरुवार को 11 बजे आने का समय दिया गया। थानाध्यक्ष निर्धारित समय पर न आकर दोपहर 2 बजे मेरे चैंबर में पहुंचे। चैंबर में प्रवेश करते ही थानाध्यक्ष ऊंची आवाज में बात करने लगा। जब हमने शांति से बात करने को कहा तो उसने कहा कि हम इसी अंदाज में बात करेंगे। क्योंकि यही मेरा अंदाज है। इसी बीच थानाध्यक्ष ने गाली-गलौज शुरू करते हुए कहा कि तुम मेरे बॉस (एसपी साहब) को नोटिस देकर कोर्ट बुलाते हो।आज तुम्हारी औकात बता देता हूं।

जज साहब को हाईकोर्ट ने उनके अटपटे फैसले की वजह से न्याययिक कार्य से अलग कर दिया है तो जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मधुबनी जिला जज ने लोकअदालत से जुड़े कार्यों को देखने का उन्हें जिम्मा दिया है ,ऐसे में किसी महिला द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में थाना अध्यक्ष को फोन करके बुलाने का अधिकार इनको किस न्याययिक अधिकार के तहत मिल गया ,इसका जबाव तो देना पड़ेगा ना क्यों कि यह खुद आवेदन में लिख रहे हैं कि बार बार बुलाने के बावजूद थाना प्रभारी उनके कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे थे ।

किसी भी मामले में कोर्ट को लगता है कि थाना अध्यक्ष को कोर्ट में पेश होना चाहिए तो इसके लिए एक वैधानिक प्रावधान बना हुआ है कोर्ट एसपी को लिखता है अगर एसपी थाना अध्यक्ष को कोर्ट में उपस्थिति होने का निर्देश नहीं देता है तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डीजीपी कार्यालय में गठित सेल को सूचना देना है जिसका काम ही यही है कि अगर कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है तो उनका अनुपालन सुनिश्चित कराये ऐसे में जज सहाब जिस तरीके से अधिकारियों को बार बार कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश जारी कर रहे थे यह अधिकार उनको है क्या ।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का इसको लेकर स्पष्ट आदेश है फिर जज साहब लगातार उस आदेश को नजरअंदाज क्यों कर रहे थे कई ऐसे सवाल है जो जज साहब के प्राथमिकी से ही स्पष्ट हो रहा है एसपी को क्यों वो बार बार कोर्ट में बुला रहे थे उनको एसपी को कोर्ट में बुलाने का कोई वाजिब वजह था क्या उनको तो अधिकार भी नहीं है ऐसे कई सवाल है जिस पर पूरी जुडिशरी को सोचना चाहिए बस यह कि हम सुप्रीम है इससे दोनों संस्थानों के बीच तनाव बढ़ेगा ।

कोरोना की वजह से इस बार भी सोनपुर मेला का आयोजन नहीं होगा

हरिहरक्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा
आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक माह तक चलने वाले बिहार के विश्वप्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र मेले या सोनपुर मेले की शुरुआत होती है। हालांकि कोविड के चलते सरकार द्वारा इस साल भी मेले की अनुमति नहीं दी गई है, मगर कोविड प्रोटोकॉल के तहत यहां श्रद्धालुओं को गंगा और गंडक नदियों में स्नान और हरिहरनाथ मंदिर में पूजा करने की अनुमति है। फलतः नदियों के किनारे और हरिहरनाथ मंदिर में जुटी साधु-संतों और आम श्रद्धालुओं की भीड़ ने यहां मेले जैसा दृश्य तो उपस्थित कर ही दिया है।

इस मेले के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में यहां गंडक के तट पर गज और ग्राह के बीच लंबी लड़ाई चली थी। गज की फ़रियाद पर विष्णु या हरि और शिव या हर ने बीच-बचाव कर इस लड़ाई का अंत कराया था। कथा प्रतीकात्मक है। प्राचीन भारत वैष्णवों और शैव भक्तों के बीच सदियों तक चलने वाली लड़ाई का साक्षी रहा था। अपने आराध्यों की श्रेष्ठता स्थापित करने के इस संघर्ष ने हजारों लोगों की बलि ली थी। इसकी समाप्ति के लिए गुप्त वंश के शासन काल में कार्तिक पूर्णिमा को वैष्णव और शैव आचार्यों का एक विराट सम्मेलन सोनपुर के गंडक तट पर आयोजित किया गया। यह सम्मेलन दोनों संप्रदायों के बीच समन्वय की विराट कोशिश साबित हुई जिसमें विष्णु और शिव दोनों को ईश्वर के ही दो रूप मानकर विवाद का सदा के लिए अंत कर दिया गया। उसी दिन की स्मृति में यहां पहली बार विष्णु और शिव की संयुक्त मूर्तियों के साथ हरिहर नाथ मंदिर की स्थापना हुई थी। उसी काल में यहां एशिया के सबसे बड़े पशु मेले की भी शुरुआत हुई थी जिसने कालांतर में एक बड़े व्यावसायिक मेले का भी रूप धर लिया।

पिछले लगभग डेढ़ हजार सालों से हरिहरक्षेत्र मेला एक ऐसी जगह रही है जहां ग्रामीण बिहार की सभ्यता और संस्कृति को निकट से देखा, जाना और महसूस किया जा सकता है।

मधुबनी जज मारपीट मामले में हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

पटना हाईकोर्ट ने मधुबनी के एडीजे अविनाश कुमार पर हुए हमले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव एवं मधुबनी के एसपी को नोटिस जारी किया है। जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लेते हुए अगली सुनवाई में राज्य के डी जी पी को कोर्ट में उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। इसके साथ- साथ कोर्ट ने डीजीपी को अपनी रिपोर्ट के साथ 29 नवंबर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट मधुबनी के जिला जज से प्राप्त पत्रांक सं. 1993 पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया।

इस पत्र के अनुसार झंझारपुर के डिस्ट्रिक्ट जज ने हाईकोर्ट को घटना की जानकारी देते हुए यह जानकारी दी है कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष गोपाल कृष्णा एवं सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने 18 नवंबर,2021 को दोपहर 2 बजे झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार-1 के चैम्बर में घुस गए।

उन पर पिस्तौल तान दी और मारपीट के साथ बदसुलूकी की।ए डी जे अविनाश कुमार के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार पर झंझारपुर के वकीलों ने गहरा रोष जताया और कहा कि पहले अपराधियों से सुरक्षा की जरूरत होती थी।लेकिन अब पुलिस वालों से न्यायिक पदाधिकारी व वकीलों को सुरक्षा की आवश्यकता हो गई है।

पटना हाईकोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता और गम्भीरता को देखते हुए बिहार के डीजीपी को स्वयं कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

शहाबुद्दीन के दामाद बेटी का रिसेप्शन आज

मोतिहारी —
शहाबुद्दीन के दामाद शादमान के ज्ञानबाबू चौक स्थित घर रानीकोठी में आज वलीमा (रिसेप्शन) है। जिसे लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। समारोह में पटना, सीवान, मुजफ्फरपुर, बेतिया, बगहा सहित विभिन्न जगहों से रिश्तेदारों सहित अन्य मेहमानों के आने का सिलसिला जारी है।

रिसेप्शन समारोह के लिए शादमान के पिता इफ्तेखार अहमद सह साहब के घर रानीकोठी में भव्य पंडाल बनाया गया। जहां पंडालों को कई तरह की आकर्षक डिजाइन देकर सजाया गया। जिससे पंडालों की खूबसूरती देखते बन रही है।

बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एंप्लॉय फेडरेशन के द्वारा 9 सूत्री मांगों को लेकर दिया धरना

बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एंप्लॉय फेडरेशन के द्वारा अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर बिहार सरकार के परिवहन निगम कार्यालय के मुख्य द्वार के बाहर एक दिवसीय धरना देकर सरकार और प्रशासनिक अधिकारी परिवहन निगम के खिलाफ नाराजगी जाहिर की बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन इंप्लाइज फेडरेशन के सचिव विश्वजीत कार्यकारी अध्यक्ष गजनबी नवाब महासचिव अजय कुमार समेत बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया इस मौके पर संगठन के महासचिव अजय कुमार ने बताया बिहार राज्य पथ परिवहन निगम राज्य सरकार का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी उपक्रम है केंद्रीय कानून के तहत वर्ष 1959 में संवैधानिक दायित्व के तहत राज्य सरकार ने परिवहन निगम की स्थापना की थी

लेकिन राज सरकार की निगम विरोधी और निजी बस मालिक पक्षी नीति अपनाने के वजह से आज परिवहन निगम के हालात काफी खराब हो चुके हैं समय-समय पर निगम बस बेड़े में नई गाड़ियां जोड़ने और नई नियुक्ति करने के बजाए पीपीपी मोड पर निजी बस परिचालकों को राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निगम परमिट प्राप्त कर निजी बस मालिक पक्षी नीति चला रही है

,,,, निगम के कर्मचारियों पर राज सरकार और निगम प्रबंधन का हमला इसके बाद तेज हो गया है मजदूरों पर दमन उत्पीड़न बेतहाशा बढ़ गया है वेतन मानदेय सेवा शर्तों में कटौती की जा रही है मेहनत मजदूरी करने वालों की हालात बद से बदतर होती जा रही है श्रम कानून में मालिक पक्षीय सुधार के जरिए जहां एक और मालिकों को नौकरी पर रखने एवं उसे बाहर करने की छूट दी जा रही है

वही ट्रेड यूनियन के गतिविधियों पर तरह तरह की पाबंदियां लगाई जा रही है अस्थाई नियुक्ति के स्थान पर ठेका प्रथा बाहर की एजेंसियो से कार्य लीला अस्थाई एवं दैनिक मजदूरी के जरिए मजदूरों का भयंकर शोषण हो रहा है,,,, वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट कौन वर्ष 2017 में पटना उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य में समान काम का समान वेतन देना होगा भारत सरकार और सरकार द्वारा निर्धारित ₹18000 मासिक मंजूरी होगी उससे कम किसी भी हालात में वेतन देना मंजूर नहीं होगा पद और योग्यता के अनुरूप इससे उनका वेतन निर्धारित की जानी चाहिए,,,

परिवहन निगम के कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों का विशेषण और दो हट गया है 31 मार्च 2017 के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जवान तलाव का भुगतान भी निगम ने नहीं किया राज्य सरकार से 7 वर्ष पूर्व राशि प्राप्त होने के बावजूद निगम ने उपलब्ध राशि से से वार्तालाप का भुगतान नहीं करना निगम प्रबंधन का सेवानिवृत्त कर्मचारियों विरोधी मानसिकता का परिचायक है केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत मंगाई भर्ती की लंबित दोस्तों को कर्मचारियों के वेतन में जोड़ने का आदेश निर्गत नहीं करना प्रबंधन का कुरुर मानसिकता है

संविदा पर बहाल कर्मचारी पदाधिकारियों से बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार किया जा रहा है पद और योग्यता के अनुरूप वेतन नहीं देकर आल्सो वेतन पर कार्य करने हेतु मजबूर किया जा रहा है अवकाश के दिनों में मनमाने तरीके से बिना किसी क्षतिपूर्ति का बराबर कार्यालय खोलकर कार्य करने को मजबूर किया जा रहा है

इस संदर्भ में पूर्व में भी निगम कर्मचारियों द्वारा अपने ज्वलंत समस्याओं के निराकरण हेतु निगम प्रशासक को पत्रांक संख्या 115 दिनांक 20 अक्टूबर 2021 एवं विकलांग संख्या 105 2 अक्टूबर 2021 के माध्यम से मांग की गई थी और प्रबंधन से द्विपक्षीय वार्ता मांग की पूर्ति हेतु अनुरोध किया गया था लेकिन अब तक प्रबंधन द्वारा इस पर किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया गया है प्रबंधन का यह रवैया निगम विरोधी निगम कर्मी विरोधी मानसिकता का परिचायक है यूनियन के द्वारा सरकार और निगम प्रबंधन के समक्ष उठाई गई मांगे

1 पूर्व के हड़ताल के दौरान संपन्न द्विपक्षीय समझौता की कंडिका तीन लागू की जाए

2 वेतन विसंगति के बकाए राशि का अविलंब भुगतान किया जाए

3 महंगाई भत्ते की किस्त को तत्काल निगम कर्मी के वेतन में जोड़ा जाए

4 समान काम का समान मंजूरी दी जाए

5 आउटसोर्सिंग और ठेका पर बहाली तथा मजदूरों का शोषण और दोहन करने की प्रथा है इसलिए इस पर बहाल सभी कर्मी को सेवा नियमित की जाए

6 संविदा, दैनिक वेतन मजदूरी , पचोर से मजदूर को न्यूनतम ₹21000 मासिक वेतन भुगतान किया जाए

7 निगम के अस्तित्व को बचाने के लिए 500 नई बसें क्रय कर निगम के बेड़े में जोड़ा जाए

8 निगम के बसों के अनुपात में शीघ्र कर्मचारी पदाधिकारियों के स्थाई नियुक्ति की जाए

9 निगम में कार्यरत कर्मचारी पदाधिकारियों को योग्यता एवं पद के अनुरूप वेतन तथा श्रम कानून के तहत सुविधा मुहैया कराई जाए

नीतीश जी मुझसे इतना ही घ्रृणा है तो मुझे गोली मारवा दें नहीं तो जेल के अंदर खाने में जहर मिला दें–आनंद मोहन

सहरसा: — जी.कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) सहरसा कोर्ट में पेशी के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुझसे इतना घ्रृणा है तो मुझे गोली मार दें या नहीं तो जेल के अंदर खाने में जहर मिला दें.”क्यों सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नजर अंदाज कर रहे हैं ।

आजीवन कारावास के 14 साल बीत जाने के साढ़े पांच महीने के बाद भी उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जा रहा है वही बदले की भावना से जेल के वार्ड में छापामारी कराकर चार मोबाईल की बरामदगी दिखाकर मुझे बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं.”

नियम-कानून सभी के लिए एक

उन्होंने कहा, ” बीते 23 अक्टूबर की देर शाम जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में मंडल कारा में औचक छापेमारी की गई थी. यह बदले की भावना और राजनीतिक साजिश के तहत की गई थी. इस दौरान मुझे बदनाम करने और मानसिक यातना पहुंचाने का पूरा प्रयास किया गया. लेकिन नियम, कानून और संविधान से सभी बंधे हैं. जेल एक संस्था है, सराय नहीं जहां कोई भी मुंह उठाकर चले जाए. तलाशी के दौरान वरीय पदाधिकारी बाहर मौजूद थे जबकि डीएसपी और एसडीओ ने जेल में छापामारी की थी. “
नीतीश कुमार पर साधा निशाना

पूर्व सांसद ने कहा, ” कायदे से जेल अधीक्षक छुट्टी में थे. लेकिन उनके ही आवेदन पर उन पर मामला दर्ज किया गया है. उनके पास चार मोबाइल दिखाए गए, जो सरासर झूठ है

कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ः मंगल पांडेय

कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने
वालों को ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वाले जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के डॉक्टर, नर्स समेत इससे जुड़े समाजसेवियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा समारोह आयोजित कर ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा रहा है।

टीकाकरण में उत्कृष्ट लोगों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में जहां कोरोना जांच और टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है, वहीं टीकाकरण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भी सम्मानित किया जा रहा है।


श्री पांडेय ने कहा कि इसके तहत पहले चरण में 4 अक्टूबर को विभाग द्वारा जश्न-ए-टीका पुरस्कार समारोह आयोजित कर टीकाकरण में अह्म योगदान देने वाले पदाधिकारियों और टीकाकरण में सहयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। सरकार के संकल्पित लक्ष्य पूरा होने के बाद पुरस्कार समारोह आयोजित कर टीकाकरण कार्य में सहयोग करने वाले सम्मानित किए जाएंगे। वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में डॉक्टर, नर्स के साथ साथ बड़ी संख्या में आमलोगों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

ऐसे लोगों के योगदान को उल्लेख करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जश्न ए पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इस पोर्टल पर कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण कार्य को सफल बनाने में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उत्कृष्ट योगदान देने वालों के कार्य प्रविष्ट की गई, ताकि दूसरे लोगों उनके कार्य और प्रयास को जान सकें।

श्री पांडेय ने कहा कि विभाग द्वारा कोरोना टीका का प्रथम डोज और दूसरी डोज लगवाने में सामूहिक और व्यक्तिगत तौर पर उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोग सम्मानित किए जा रहे हैं। इस तरह के आयोजन से अन्य लोगों में भी सेवा की भावना जागृत होगी, जिससे कोरोना से बचाव के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी।

झंझारपुर कोर्ट में जज और पुलिस वाले आपस में भीड़े थाना अध्यक्ष गिरफ्तार

झंझारपुर एडीजे कोर्ट के जज पर हमला ।।
थाना के एसएचओ और दरोगा ने की मारपीट।।
झंझारपुर एडीजे कोर्ट के जज अविनाश कुमार प्रथम पर घोघरडीहा थाना के SHO गोपाल कृष्ण और एक सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु शर्मा के द्वारा मारपीट करने कि खबर आ रही है ।

जज पर पुलिस वाला कोर्ट में ही ताना पिस्टल

इस हमले में ADJ अविनाश कुमार प्रथम घायल हो गए ।हमले की जानकारी पाकर कोर्ट के सभी कर्मी ADJ के चेंबर में दौड़े और दोनों को पकड़ लिया । ADJ की ओर से बताया गया कि सब इंस्पेक्टर ने उन पर पिस्टल तान दिया और एसएचओ ने उनके साथ मारपीट की जिसके बाद एसएचओ और एसआई को कोर्ट के कर्मियों ने बंधक बना लिया है एसपी सहित भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद है ।

न्याय व्यवस्था पर हमला है


इस बीच एसएचओ गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है । बताया जाता है कि एडीजे प्रथम अविनाश कुमार लोक अदालत के अध्यक्ष हैं और घोघरडीहा थाना क्षेत्र की किसी महिला के द्वारा लोक अदालत में आवेदन दिया गया था एसएचओ गोपाल कृष्ण और अभिमन्यु शर्मा को कोर्ट में समय पर नहीं पहुंचने पर ADJ ने जब फटकार लगाई तो उसके बाद इस तरह की घटना घटी है।

संपतचक बैरिया कचड़ा प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट ने पटना के संपतचक बैरिया में स्थापित किये जाने वाले कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट (वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट ) को हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुरेश प्रसाद यादव व अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीप्रकाश श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जवाबी हलफनामा से यह प्रतीत होता है कि बगैर किसी भी प्रक्रिया का पालन करते हुए संपतचक बैरिया की जनता को गंभीर प्रदूषण झेलने के लिए छोड़ दिया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए बिहार स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की सहमति भी नहीं लिया गया है।
जिसकी वजह से एक ओर वायु प्रदूषण फैल रहा है, तो दूसरी ओर कृषि योग्य भूमि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

याचिका में यह प्रश्न उठाया गया कि किस कानूनी अधिकार के तहत पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाले इस जगह का चयन कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए किया गया है ? यह भी कहा गया कि कृषि भूमि पर स्थापित किये जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए बैरिया कर्णपुरा पंचायत राज से किसी भी प्रकार की अनुमति ली गई है ?

नगर विकास व आवास विभाग के कमिश्नर, बिहार स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड व पटना नगर निगम से स्पष्टीकरण पूछने सह शो – कॉज करने का आग्रह भी इस याचिका में किया गया है।

प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किये जाने के पूर्व पंचायत राज बैरिया के ग्राम सभा द्वारा एक बैठक भी 29 दिसंबर, 2006 को बुलाई गई थी, जिसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध किया गया था।
इस मामले पर आगे भी सुनवाई होगी।

पत्रकार अविनाश हत्याकांड मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने लिया स्वत संज्ञान

पत्रकार अविनाश झा हत्या मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब किया है इस संबंध में राज्य के डीजीपी मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब किया है।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकार अविनाश हत्याकांड मामले में लिया संज्ञान

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मधुबनी के पत्रकार अविनाश झा की संदिग्ध स्थिति में मौत की खबर आ रहा है यह बहुत ही दुखद घटना है ।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वत संज्ञान लेने की खबर के बाद पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे मामले से जुड़े तथ्यों से एसपी मधुबनी को अवगत कराने का निर्देश दिया है साथ ही आईजी दरभंगा को पूरे मामले की जांच का आदेश डीजीपी द्वारा जारी किया गया है ।