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देश 1974 के छात्र आंदोलन की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है

हिंसक आन्दोलन का जो हश्र होता है ठीक उसी दिशा में RRB-NTPC परीक्षा धांधली को लेकर जारी आन्दोलन बढ़ चला है और इस आंदोलन को लेकर चर्चा में आये खान कल से ही सफाई दे रहे हैं कि छात्रों के हिंसा में मेरा कोई वास्ता नहीं है और मैं छात्रों से अपील कर रहा हूं कि हिंसा न करे फिर भी छात्र हिंसा कर रहे हैं तो मैं क्या करु।

वैसे कल देर रात पटना के पत्रकार नगर थाने में कोचिंग संचालक खान समेत प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाले छह शिक्षक एसके झा, नवीन, अमरनाथ, गगन प्रताप और गोपाल वर्मा समेत बाजार समिति के कई कोचिंग संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है इन पर छात्रों को भड़काने और हिंसा फैलाने की साजिश रचने का आरोप है, आज NSUI दिल्ली में रेल भवन का घेराव करेंगे। वही छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इनौस ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं लेने के खिलाफ 28 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान किया है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रोजगार जैसे मुद्दों को सरकार हिन्दू मुसलमान .नेहरू,सुभाष और भारत पाकिस्तान से सहारे कब तक टालती रहेगी क्यों कि आज ना कल भूख और पेट की आग का सवाल उठेगा ही और उस दिन देश जलने से कोई रोक नहीं सकता है ।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का मूड जानने के लिए मैं गांव गांव घूम रहा था इसी दौरान मैं नवादा शहर को कोई 20 किलोमीटर दूर उस लोकसभा क्षेत्र के सबसे बड़े महादलित गांव में मतदाताओं का मूड जानने पहुंचा था उस गांव में पासी जाति के लोग रहते थे नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को लेकर लोग काफी खफा थे बिहार में पासी समाज शराब के धंधे में पीढ़ी दर पीढ़ी से लगे हुए उस गांव के दो दर्जन से अधिक महिला और पुरुष जेल में था बात शुरु हुई नहीं कि महिला और पुरुष नीतीश कुमार पर टूट परा नांन स्टांप गाली देता रहा यह सिलसिला 30 मिनट तक चलता रहा इस दौरान मेरी कोशिश ये रही की वोट किसको दे रहे हैं ये स्पष्ट हो सके सावल दर सवाल चलता रहा लेकिन कोई खुल कर बोलने को तैयार नहीं था तभी एक युवा कैमरे के सामने आया और कहां सर मेरा नाम संदीप चौधरी है ये मेरे पिता जी है और ये प्लंबर मिस्त्री का काम करते हैं और ये मेरी माँ है आंगनवाड़ी सेविका है मैं पांच वर्ष से पटना में रह कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं और ये सही है की मोदी के राज में सरकारी नौकरी की वेकेंसी नहीं आ रही है पहले 1500 रुपया में काम चल जाता था लेकिन महंगाई इतनी बढ़ गयी है कि अब चार हजार रुपया महिना खर्च हो रहा है मतलब मेरे माँ पिता के आमदनी का बड़ा हिस्सा मेरे पढ़ने पर खर्च हो रहा है बहन की शादी करनी है मेरी वजह से पैसा नहीं बच पा रहा है लेकिन सर सवाल देह(शरीर) का नहीं है देश का है।

मोदी की नीति के कारण सरकारी नौकरी जरूर कम हो गयी लेकिन पेट से बड़ा सवाल देश हैं और इस बार देश के लिए वोट करेंगे देश रहेगा तब ना पेट की चिंता करेंगे, इसलिए इस बार मोदी को ही वोट देंगे ।

मतलब भारत पाकिस्तान का मुद्दा इस स्तर पर गांव गांव में पहुंच गया था और इस मुद्दा के आगे दो जून की रोटी का मुद्दा भी गौण पड़ गया था हालांकि रोजगार का मुद्दा बिहार विधानसभा में बड़ा मुद्दा बन गया था और 10 लाख लोगों को रोजगार देने कि घोषणा की वजह से ही रातो रात तेजस्वी बिहार के युवाओं का चहेता बन गया था और बड़ी मुश्किल से नीतीश और मोदी के सरकार की वापसी हो पाई थी ,जबकि बिहार में जाति और सामाजिक समीकरण अभी भी तेजस्वी के अनुकूल नहीं है फिर भी उसकी पार्टी इस तरह से फाइट दिया था मोदी और नीतीश को ।

लेकिन अब भावनात्मक मुद्दे भारत पाकिस्तान ,हिन्दू मुसलमान और नेहरू सुभाष पर बेरोजगारी और रोजगार का सवाल भारी पड़ता जा रहा है और RRB-NTPC परीक्षा धांधली को लेकर छात्रों का जो उग्र प्रदर्शन हो रहा है वो उसी फ्रस्टेशन (हताशा) का प्रकटीकरण है क्यों कि जहां जहां यह हंगामा चल रहा है बिहार का वो जगह पटना ,नालंदा ,गया ,आरा ,बक्सर ,सासाराम,जहानाबाद कोचिंग संस्थानों का हब है जहां वर्षो से हजारों छात्र सरकारी वैकेंसी के इन्तजार में लाखो लाख रुपया कोचिंग और घर से बाहर रहने पर खर्च कर रहा है और अब उनका धैर्य जवाब देने लगा है इसलिए सरकार इस आंदोलन को पुलिस के बल पर रोक ले ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है यू कहे तो बारूद के ढेर सरकार बैठी है और कभी भी बड़ा विस्फोट हो सकता है और 1974 जैसा छात्र आन्दोलन पूरे देश में फैल जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

मालेगांव कांड के मुख्य आरोपी को जदयू ने दिया टिकट

आपको एक ऐसी खबर से रुबरु करा रहे हैं जिसे पढ़कर आप हैरान रह जायेंगे । जी हां यूपी विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने मालेगांव कांड के मुख्य आरोपी रमेश चंद्र उपाध्याय को बलिया के बैरिया विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है, 5 साल पहले मुंबई हाईकोर्ट से मिली थी जमानत ।

2008 में हुए मालेगांव बम धमाके के आरोपी मेजर रमेश चंद्र उपाध्याय मुंबई हाई कोर्ट से जमानत पर है। 5 साल पहले उन्हें कोर्ट ने जमानत दी थी। रमेश चंद्र उपाध्याय 2020 में जदयू में शामिल हुए थे। उन्हें उत्तर प्रदेश के पूर्व सैनिकों की सेल का राज्य संयोजक भी बनाया गया था।

मालेगांव मामले में कथित भूमिका के लिए महाराष्ट्र ATS ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित के साथ रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय को गिरफ्तार किया था। उन्हें 2017 में जमानत पर रिहा किया गया था।

इस मामले पर स्पेशल NIA कोर्ट में ट्रायल जारी है। हालांकि मीडिया में खबर चलने के अब नई लिस्ट में बैरिया विधानसभा को फिलहाल छोड़ दिया गया है। इसकी जगह पर औरैया से मीरा दीवाकर को टिकट दिया गया है।

RRB-NTPC के रिजल्ट में धांधली को आज दूसरे दिन भी बिहार के छात्रों ने जमकर किया हंगामा कई ट्रेनों का परिचान हुआ प्रभावित

RRB-NTPC के रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए आज दूसरे दिन भी बिहार के छात्रों ने जमकर हंगामा किया ,मिली जानकारी के अनुसार पटना, नालंदा, नवादा, सीतामढ़ी, बक्सर, आरा और मुजफ्फरपुर में उम्मीदवारों ने रेलवे ट्रैक पर जोरदार प्रदर्शन किया। इसकी वजह से नालंदा में आउटर पर दिल्ली जा रही श्रमजीवी और दिल्ली से आने वाली श्रमजीवी ट्रेन रुकी रही। वहीं, बक्सर में अहमदाबाद-बरौनी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन का परिचालन बाधित रहा। इधर, मुजफ्फरपुर जंक्शन पर भी आक्रोशित छात्रों ने ट्रेनें रोक दी। नवादा में भी पुलिस पर रोड़ेबाजी की गई और मेंटेनेंस ट्रेन में आग लगा दी गई। वहीं वैशाली में हावड़ा- काठगोदाम एक्सप्रेस 45 मिनट तक रुकी रही। छात्रों ने सीतामढ़ी में जमकर बवाल काटा। पुलिस समझाने गई तो उनपर पथराव कर दिया। छात्रों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने 25 राउंड फायरिंग भी की। आरा में पथराव कर रहे छात्रों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े।

नवादा में आक्रोशित छात्र रेलवे ट्रैक पर उतरे
वहीं, नवादा में भी अभ्यर्थियों का आंदोलन शुरू हो गया है। 2000 से अधिक हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने नवादा रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर रेल ट्रैक को जाम कर नारेबाजी की। छात्रों ने नवादा रेलवे स्टेशन पर पथराव किया। रेलवे ट्रैक मेंटेनेंस इंजन में आग लगाई दी। रेलवे ट्रैक पर लगे पेंडू क्लिप को कबाड़ दिया। इतना ही नहीं छात्रों ने रेलवे ट्रैक को भी नुकसान पहुंचाया और रेल थाना हमला कर दिया। छात्रों के पथराव में जिला पुलिस बल का जवान रविंद्र सिंह जख्मी हुए हैं। स्टेशन प्रबंधक AK सुमन के मुताबिक, रेल परिचालन शुरू करा पाना मुश्किल है। कामाख्या, जमालपुर पैसेंजर गया स्टेशन पर खड़ी है। एक मालगाड़ी तिलैया स्टेशन पर खड़ी है।

छात्र संघ के जिला अध्यक्ष कुंदन राज ने बताया कि परीक्षा के बाद बोर्ड नियमों में परिवर्तन करके रिजल्ट जारी करता है। इसके कारण मेधावी छात्रों का रिजल्ट नहीं हो पाता है। बोर्ड जो भी नियम बनाए परीक्षा के पहले बनाए। ताकि हम लोग उसी तरह से तैयारी करें। इस बार के रिजल्ट में रुपए का खेल चला है। इसके कारण रिजल्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। अब रेलवे भर्ती बोर्ड ग्रुप डी के परीक्षा में गड़बड़ी कर रहा है।

मुजफ्फरपुर जंक्शन पर छात्रों ने रोकी ट्रेनें
मुजफ्फरपुर में परीक्षार्थियों ने जमकर बवाल किया। मुजफ्फरपुर जंक्शन पर बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस समेत दो ट्रेनों को रोक दिया। जमकर प्रदर्शन और हंगामा करने लगे। ट्रेन रोके जाने की सूचना पर RPF और GRP के अधिकारी और जवान पहुंचे। परीक्षार्थियों को समझाने का प्रयास कर रेलवे ट्रैक से हटने को कहा गया। ताकि ट्रेनों का परिचालन हो सके, लेकिन परीक्षार्थियों ने किसी की नहीं सुनी। इसे लेकर RPF और GRP जवानों के साथ जमकर नोकझोंक हुई। फिलहाल ट्रैक पर परीक्षार्थियों के कब्जा है। ट्रेनों का परिचालन ठप है।

आरा में मालगाड़ी को छात्रों ने रोका
इधर, आरा भी छात्रों का उग्र रूप देखने को मिला। ग्रुप D के परीक्षा में बदलाव से नाराज परिक्षार्थियों ने आरा रेलवे स्टेशन के पश्चिमी छोर पर मालगाड़ी को रोक दिया। सैकड़ों छात्र रेलवे ट्रैक पर उतर आए और हंगामा किया। इससे रेलवे परिचालन पूरी तरह बाधित हो गई। यहां सोमवार को भी छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों का जमकर पथराव किया। पथराव में मालगाड़ी का इंजन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने बचाव में आंसू गैस के गोले भी छोड़े।
पटना के भिखना पहाड़ी पर धरने पर बैठे छात्र

राजधानी पटना के भिखना पहाड़ी पर सुबह से ही छात्र जमा हो गए थे। इस कारण कई घंटों तक भिखना पहाड़ी मार्ग जाम रहा। छात्रों ने ऐलान किया है कि अभी तो यह शुरुआत हुई है आगे और भी उग्र तरीके से आंदोलन होगा अगर सरकार हमारी बात को नहीं सुनती है तो आगे भी आंदोलन होगा। वहीं राजद नेत्री ऋतु जयसवाल ने कहा कि RJD इन अभ्यर्थियों के साथ है। यही नहीं बिहार में जितने भी अभ्यर्थी हैं। इनके ऊपर पुलिस लाठी डंडे बरसा रही है। हम सब उनके साथ हैं और उनके हक दिलाने के लिए पूरी लड़ाई लड़ेंगे। एनडीए के सरकार ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था उन्हें रोजगार देना पड़ेगा।

मेहसौल रेलवे ओवर ब्रिज के पास छात्रों का हंगामा

रेलवे भर्ती बोर्ड के एनटीपीसी रिजल्ट में धांधली के आरोप को लेकर उम्मीदवारों ने मंगलवार को जिले के मेहसौल रेलवे ओवर ब्रिज के पास सैकड़ों की संख्या में पहुंचे उम्मीदवारों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन करने लगे। सड़क जाम की सूचना पर स्थानीय मेहसौल ओपी पुलिस, नगर थाना पुलिस के साथ सीओ घटना स्थल पर पहुंचे। वहीं छात्रों को समझाने की कोशिश की गई। लेकिन छात्र काफी उग्र दिख रहे थे जिसको लेकर मौके पर मौजूद पुलिस अपने वरीय अधिकारी को सूचना दी। इसके बाद घटनास्थल पर डीएसपी रामाकांत उपाध्याय घटनास्थल पर पहुंचे। इस दौरान छात्रों के द्वारा सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन परिसर को चारों तरफ से घेर लिया गया। वही करीब एक हजार की संख्या में छात्र जमकर रोड़ेबाजी भी की गई। काफी समझाने के बाद जब छात्र नहीं माने तो पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। पुलिस ने करीब 25 राउंड फायरिंग किया। छात्रों की पत्थरबाजी में दर्जनों पुलिसकर्मी वह पत्रकार गंभीर रूप से जख्मी हो गए। जख्मी हालत में सभी पुलिसकर्मी और पत्रकार को सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।

फतुहा और बक्सर स्टेशन पर प्रदर्शन के कारण ट्रेन परिचालन में बदलाव
दानापुर मंडल के फतुहा और बक्सर स्टेशन पर हो रहे प्रदर्शन के कारण कुछ ट्रेनों के परिचालन में निम्नानुसार बदलाव किया गया है।

परिवर्तित मार्ग से चलायी जाने वाली ट्रेन:
25.01.2022 को पटना से खुलने वाली 12568 पटना-सहरसा राज्यरानी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया पाटलिपुत्र-हाजीपुर-बरौनी के रास्ते।
25.01.2022 को पटना से खुलने वाली 15714 पटना-कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया पाटलिपुत्र-हाजीपुर-बरौनी के रास्ते ।
25.01.2022 को राजगीर से खुल चुकी 12391 राजगीर-नई दिल्ली श्रमजीवी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया आरा-सासाराम-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. के रास्ते।
25.01.2022 को पटना से खुल चुकी 13237 पटना-कोटा एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया दानापुर-पाटलिपुत्र-छपरा ग्रामीण-वाराणसी के रास्ते।
25.01.2022 को दानापुर से खुल चुकी 12792 दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया नेउरा-सासाराम-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. के रास्ते।
25.01.2022 को हावड़ा से खुल चुकी 12303 हावड़ा-नई दिल्ली पूर्वा एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया किऊल-गया-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. के रास्ते।
25.01.2022 को मधुपुर से खुलने वाली 22459 मधुपुर-आनंद विहार टर्मिनल हमसफर एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया किऊल-गया-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. के रास्ते।
आंशिक समापन / प्रारंभ कर चलायी जाने वाली ट्रेन:-
24.01.2022 को नई दिल्ली से प्रस्थान कर 25.01.2022 को इसलामपुर पहुंचने वाली 20802 नई दिल्ली-इसलामपुर मगध एक्सप्रेस का समापन पटना जंक्शन पर किया गया।
25.01.2022 को इसलामपुर से प्रस्थान करने वाली 18623 इसलामपुर-हटिया एक्सप्रेस इसलामपुर के बदले पटना जंक्शन से हटिया के लिए प्रस्थान करेगी।
परिचालन रद्द की गई ट्रेन
दिनांक 26.01.2022 को दुर्ग से खुलने वाली 13287 दुर्ग-राजेंद्र नगर टर्मिनल साउथ बिहार एक्सप्रेस का परिचालन रेक की अनुपलब्धता के कारण रद्द रहेगा।

गणतंत्र दिवस के मौके पर बिहार के 16 पुलिसकर्मियों होगे सम्मानित

इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर बिहार पुलिस के 16 पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जायेंगा । केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी सूची में बिहार के एडीजी ऑपरेशन सुशील मानसिंह खोपरे और एडीजी स्पेशल सुनील कुमार को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और 14 अन्य पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक दिया जाएगा ।

दो एडीजी के साथ इस लिस्ट में एसआई लक्ष्मण कुमार सिन्हा,एसआई दिनेश कुमार मिश्रा,पटना पुलिस,एसआई शुभकान्त चौधरी, डेहरी में तैनात बिहार सशस्त्र पुलिस बल के हवलदार उदय प्रताप सिंह और हवलदार मोहम्मद नसीम,पटना बिहार सशस्त्र पुलिस बल के हवलदार मदन तिवारी,बांका के कांस्टेबल भरत प्रसाद यादव,बोधगया स्थित बिहार सशस्त्र पुलिस बल के रमेश प्रसाद और सीआईडी पटना के ड्राइवर विजय कुमार समेत कई अन्य नाम हैं।

इन सभी पुलिसकर्मी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस पदक से सम्मानित करेंगे ।

युवाओं के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रही है सरकार

इस कड़ाके के ठंड में कल पटना और आरा में छात्र रेलवे ट्रैक को दस घंटों तक जमा रखा था जिस दौरान रेलवे को राजधानी सहित 5 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और 30 ट्रेनें घंटे जहां तहां फंसी रही है ।
आज सुबह से ही नालंदा सहित बिहार के कई जिलों से छात्रों द्वारा आज दूसरे दिन भी रेलवे ट्रैक को जाम करने कि खबर आ रही है, वजह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रेल मंत्रालय द्वारा 2019 में जो बहाली निकाली गई थी उस वेकेंसी में हेराफेरा का है ।
1–हंगामा की वजह क्या है
2019 में रेल मंत्रालय ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रेलवे के 21 बोर्ड के लिए ग्रेजुएट (स्नातक) स्तर पर बड़ी वेकेंसी जारी किया गया था जिसमें स्टेशन मास्टर ,गार्ड,टीसी,सहित सात पदों के लिए 35,277 लोगों को बहाल करना था ,वेकेंसी के एक वर्ष बाद 28-12–2020 को पहला परीक्षा हुआ और उसके बाद कोरोना की वजह से यह परीक्षा टल गया और 31 -07 -2012 तक चला , रेलवे बोर्ड 14 जनवरी 2022 को पीटी का रिजल्ट दिया है।
परीक्षा का जो मानक पहले से निर्धारित रहा है उसमें पीटी में कुल पद का 20 गुना रिजल्ट जारी किया जाता था लेकिन इस बार बोर्ड ने वेकेंसी के अनुसार पीटी में 7 लाख की जगह मात्र 2 लाख 76 हजार के करीब रिजल्ट जारी किया है और इस रिजल्ट में ही छात्रों का कैडर निर्धारित कर दिया है ऐसा कभी किसी परीक्षा में नहीं हुआ है मतलब पीटी में ही आपको कैडर गार्ड निर्धारित है तो आप को गार्ड की ही नौकरी मिलेगी चाहे फाइनल परीक्षा का आप टाँपर ही क्यों ना हो अगर रेलवे स्टेशन मास्टर का कैडर मिला तो आपको रेलवे स्टेशन के लिए जो वेकेंसी है उसी आधार पर आपको नौकरी मिलेगी ।
रेलवे का तर्क है कि जो वैकेंसी निकाली गयी है उसके अनुसार हम लोग पीटी में 20 गुना रिजल्ट जारी किये हैं रेलवे बोर्ड सही कह रहा है लेकिन इसके पीछे का खेल क्या है जरा आप भी समझ लीजिए।रेलवे बोर्ड जिन सात पदों पर बहाली कर रहा है हर पद के अनुसार 20 गुना रिजल्ट जारी कर दिया है उसमें चार लाख से अधिक ऐसे छात्र है जिसका रिजल्ट किसी का दो पद पर तो किसी का सातों पदों पर है इस वजह से मात्र 2 लाख 76 हजार छात्र पीटी पास किये हैं जबकि पीटी का रिजल्ट कम से कम सात लाख होना चाहिए खेला यही है क्यों कि बोर्ड कही ना कही जितनी वेकेंसी निकाला था उतना बहाल नहीं करना है इस खेल को छात्र समझ गये हैं और इसलिए आक्रोशित है ।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस तरह का खेल देश के युवा के साथ सरकार क्यों खेल रही है रेलवे को निजी हाथों में सौपना है तो एक बार सरकार निर्णय सुना दे गुप्त एजेंडा की जरुरत क्या है वैसे भी मोदी के सात वर्षो के कार्यकाल को देखे तो सरकारी नौकरी आधे से भी कम हो गया है जिसका हुआ भी है तो उसकी नियुक्ति प्रक्रिया वर्षो से बाधित है यूपीएससी तक में सीट की संख्या आधी कर दी गयी है और बाहर से भरा जा रहा है।

एनटीपीसी परीक्षा में धाधली को लेकर छात्रों का हंगामा

राजेंद्र नगर टर्मिनल स्टेशन पर प्रदर्शन के कारण ट्रेन परिचालन में बदलाव

आज दिनांक 24.01.2022 को दानापुर मंडल के राजेंद्र नगर टर्मिनल स्टेशन पर हो रहे प्रदर्शन के कारण कुछ ट्रेनों के परिचालन में निम्नानुसार बदलाव किया गया है:

🔸 24.01.2022 को राजेंद्रनगर टर्मिनल/पटना से प्रस्थान करने वाली ट्रेन जिनका परिचालन रद्द किया गया है:

  1. 12309 राजेंद्र नगर टर्मिनल-नई दिल्ली तेजस राजधानी एक्सप्रेस।
  2. 12393 राजेंद्र नगर टर्मिनल-नई दिल्ली संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस ।
  3. 13288 राजेंद्र नगर टर्मिनल-दुर्ग साउथ बिहार एक्सप्रेस ।
  4. 12352 राजेंद्र नगर टर्मिनल-हावड़ा एक्सप्रेस ।
  5. 13201 पटना-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस ।

🔸 परिवर्तित मार्ग से चलायी जाने वाली ट्रेन:-

NTPC परीक्षा में धांधली को लेकर हंगामा
  1. 24.01.2022 को भागलपुर से प्रस्थान करने वाली 12367 भागलपुर-आनंद विहार टर्मिनस विक्रमशिला एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया किउल-गया-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते ।
  2. 24.01.2022 को दानापुर से प्रस्थान करने वाली 13402 दानापुर-भागलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया पटना-पाटलिपुत्र-शाहपुर पटोरी-बरौनी-मुंगेर के रास्ते ।
  3. 24.01.2022 को हटिया से प्रस्थान करने वाली 18626 हटिया-पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया पटना-पाटलिपुत्र-शाहपुर पटोरी-बरौनी-मानसी के रास्ते ।

🔸 आंशिक समापन/प्रारंभ कर चलायी जाने वाली ट्रेन:-

  1. 23.01.2022 को नई दिल्ली से प्रस्थान कर 24.01.2022 को इसलामपुर पहुंचने वाली 20802 नई दिल्ली-इसलामपुर मगध एक्सप्रेस का आंशिक समापन पटना जंक्श्न में किया गया ।
  2. 24.01.2022 को इसलामपुर से प्रस्थान करने वाली 18623 इसलामपुर-हटिया एक्सप्रेस इसलामपुर के बदले पटना जंक्श्न से रांची के लिए प्रस्थान करेगी ।

मंडल और कमंडल के पाटन में फसा है देश

बात कोई 1991- 92 की है उस समय बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद हुआ करते थे ठीक उसी समय मेरा दाखिला एलएस कॉलेज(मुजफ्फरपुर)में हुआ था जहां तक मुझे याद है लालू प्रसाद एमडीडीएम कॉलेज के पास जुब्बा सहनी पार्क का उद्घाटन करने आये हुए थे ।वह पार्क एक से दो माह में बन कर तैयार हो गया था और इस दौरान उस पार्क के अंदर बड़ा बड़ा पेड़ भी लगा दिया गया था मेरे लिए कौतूहल का विषय यही था कि इतना हरा भरा पेड़ कैसे पार्क में रातो रात लगा दिया गया ।

खैर उस तरह का पार्क पहली बार देखने को मिला था बहुत अच्छा लगा बाद में जितेन्द्र सर के यहां छोटी कल्याणी पढ़ने जाते थे तो जब मौका मिलता था घूम लेते थे ।उद्घाटन के दूसरे दिन अखबार के मुख्य पृष्ठ पर लालू प्रसाद का भाषण छपा था उसमें लिखा था देश की आजादी हम पिछड़ों ने दिलाई लेकिन इतिहास लिखने वाला सारे सवर्ण थे बड़े लोग थे इसलिए आजादी के आन्दोलन में गरीब पिछड़ा और दलित के योगदान की चर्चा तक नहीं है जुब्बा सहनी शहीद हुए थे थाने पर चढ़कर थानेदार को मार दिया था और उस वजह से उन्हें फांसी दी गयी लेकिन कही इसकी चर्चा तक भी है यह पार्क आजादी के आन्दोलन में पिछड़ों का प्रतीक है।

कुछ दिनों के बाद अचानक कॉलेज में ही थे तो पता चला कि सरकार बिहार विश्वविद्यालय का नाम बदल कर बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय कर दिया है ,बड़ी हंगामा हुआ कई दिनों कर कॉलेज बंद रहा , उस समय भी सरकार का यही तर्क था कि बिहार के सारे शैक्षणिक संस्थान अगड़ी जाति के नाम पर है ऐसे में दलित नेता को सम्मान दिया गया तो अगड़ी जाति को नागवार गुजर रहा है बाद के दिनों में इस तरह के तर्क के सहारे बिहार में बहुत सारे काम हुए ,यहां तक की नरसंहार को भी सही साबित करने की कोशिश हुई ।

सामाजिक न्याय के नाम पर लालू 15 वर्षों तक बिहार के सत्ता पर काबिज रहे और पांच वर्षों तक केंद्र में रहे लेकिन सामाजिक न्याय से जुड़ी जो बुनियादी सवाल थे रोटी सरोजी और रोजगार वहां बिहार पिछड़ता चला गया शुरुआती दिनों में सामाजिक न्याय के नाम पर अगड़े को जरुर निशाना बनाया गया है लेकिन धीरे धीरे यह गांव के उस वर्ग तक पहुंच गया जो सामाजिक न्याय के हकदार थे जिनके सहारे लालू की सरकार चल रही थी ।बाद में यह वर्ग अपने को ठगा ठगा सा महसूस करने लगा और समाज में सामाजिक न्याय के नाम पर जो गुंडागर्दी शुरू हुई थी उसका शिकार कुछ दिनों के बाद छोटी पिछड़ी जाति होने लगी ,और उसी का परिणाम है कि लालू परिवार 20 वर्षो से सत्ता से बाहर है ।

वही आज नीतीश कमजोर हुए हैं उसकी भी वही वजह है अति पिछड़ा और महादलित की राजनीति के सहारे 15 वर्षो से अधिक समय से बिहार के मुख्यमंत्री जरुर बने हुए हैं लेकिन सामाजिक न्याय का जो बुनियादी सवाल है जिससे हर बिहारी हर दिन आज भी सामना कर रहा है रोजी ,रोटी और रोजगार के सवाल पर नीतीश भी पूरी तरह फेल हैं।

गोलगप्पा बेचने के लिए बिहारी काश्मीर जा रहा है समझ सकते हैं बिहार अभी भी कहां खड़ा है।यही हाल पिछले आठ वर्षो से मोदी सरकार की है इनके कार्यकाल को गौर से देखिए बिहार जैसे तीस वर्षो से जाति जाति का खेल चल रहा है ठीक उसी तरीके से मोदी हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान ,नेहरू ,सुभाष और पटेल जैसे भावनात्मक मुद्दों को लेकर खेल रहे हैं ,इस खेल के सहारे मोदी और बीजेपी आज पूरे देश पर राज कर रहा है और ये कब तक चलेगा कहना मुश्किल है लेकिन देश की जो बुनियादी सवाल है रोजी ,रोटी और रोजगार को लेकर मोदी भी पूरी तरह से फेल है।

देश की अर्थ व्यवस्था का हाल दिन प्रतिदिन खराब होता जा रहा है सरकार चलाने के लिए सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है कब तक ये चलेगा वही इस तरह के भावनात्मक मुद्दों के सहारे कब तक चुनाव जीतते रहेंगे कल सुभाष चन्द्र बोस के प्रतिमा के अनावरण के दौरान मोदी जो बोल रहे थे आजादी के बाद अनेक महान लोगों के योगदान को मिटाने की कोशिश हुई लेकिन आज देश उन गलतियों को ठीक रहा है ।

मोदी जिस अंदाज में बोल रहे थे वो अंदाज लालू प्रसाद द्वारा गांधी मैदान में बुलाये गये गरीब रैला की याद को ताजा कर दिया लालू भी अगड़े और पिछड़े के नाम पर कुछ इसी अंदाज में भाषण दे रहे थे।

ऐसा नहीं है कि सामाजिक न्याय की सरकार में सब कुछ गड़बड़ ही नहीं हुआ इस सरकार की देन है कि आज बिहार के समाज में उच्च नीच और अगड़े पिछड़े की सोच में बड़ा बदलाव आया है ।

इसी तरह से मोदी जिस नारे के सहारे राज कर रहे हैं उससे भी देश को लाभ हुआ है अब देश में तुष्टीकरण की राजनीति नहीं चलेगी जो भारत के सर्वधर्म समभाव के नारे को कही ना कही प्रभावित कर रहा था। इसलिए हमारे आपके लिए 30 वर्ष बहुत मायने रखता है लेकिन किसी देश के निर्माण के लिए ये 30 वर्ष कोई मायने नहीं रखता है बदलाव होगा और जरूर होगा झूठे नारे और भावनात्मक मुद्दे ज्यादा दिनों तक नहीं चलता है।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस तरीके से जनता लालू और नीतीश से सवाल कर रहे हैं मोदी से सवाल नहीं कर पा रहे हैं समस्या यही है नहीं तो जिस तरीके सरकारी उपक्रम को मोदी बेच रहे हैं रोजगार के अवसर धीरे धीरे खत्म हो रहे हैं लेकिन कहीं से भी सवाल खड़े नहीं हो रहे हैं खड़े भी हो रहे हैं तो वोट में नही बदल रहा है।

इस प्रवति के कारण भले ही देश को ऐसा नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई करना मुश्किल है फिर भी सोच में बदलाव दिख रहा है दास और भक्त जितनी गाली देते थे और मोदी को लेकर जितनी भक्ति दिखाया करते थे इतना तो शर्म अब दिख रहा है कि ऐसे लोग अपना सोशल मीडिया के पेज को लाँक कर लिया है या फिर पेज फर्जी है मतलब अब घर परिवार में भी भक्ति को लेकर सवाल खड़े होने लगे है और महंगाई,बेरोजगारी और रोजगार के मसले पर दास(भक्त) घर में भी घिरने लगा है इसलिए निराश होने कि जरुरत नहीं है देश करवट ले रहा है वो साफ दिख रहा है ।

नीतीश की खामोशी उनकी बेचारगी है -शिवानंद

बिहार में सरकार डवांडोल हैं । गठबंधन के नेता आपस में मुँह लड़ा रहे हैं । नीतीश जी ने मौन साध लिया है. गठबंधन पर उनकी पकड़ पहले जैसी नहीं रही । सरकार पाँच वर्ष की अवधि पुरा कर पाएगी, इस पर लोग संदेह करने लगे हैं ।

सरकार की डवांडोल स्थिति की वजह से प्रशासन भी उहापोह की स्थिति में है. अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है. बाकरगंज जैसे भीड़भाड़ वाले बाज़ार में कल अपराधियों जिस तरह का तांडव मचाया वह इसके पहले राजधानी में कभी नहीं हुआ था ।

आए दिन व्यापारियों को धमका कर उनसे रंगदारी माँगी जा रही है. जो नहीं दबते हैं उनपर गोली चलती है. पटना सरकार की नहीं बल्कि अपराध की राजधानी के रूप में तब्दील होता जा रहा है. नीतीश जी पर शराबबंदी का नशा सवार है. इसके अलावा बाक़ी सबकुछ उपेक्षित है ।

बिहार में भयंकर गैर बराबरी बढ़ी है.उसी अनुपात में ग़रीबी और बेरोज़गारी भी बढ़ी है. लाखों लोग अवैध और अपराध जनित कर्मों से अपना परिवार चला रहे हैं । हर ओर, चाहे जैसे हो, लखपति-करोड़पति बनने की होड़ मची हुई है. दिल्ली और पटना की सरकारों की नीतियों का यह नतीजा है । नीतीश जी की सरकार की विकास नीति ग़रीबी और बेरोज़गारी को दूर करने के बदले बढ़ा रही है. यह विकास नीति ही अपराध को भी बढ़ा रही है. इसीलिए अपराध के ख़िलाफ़ सरकार की सारी कार्रवाइयाँ पानी में लाठी पीटने के समान साबित हो रही हैं ।

लेखक – शिवानंद तिवारी

रिया इस तरह सुशांत सिंह राजपूत को याद किया

Sushant Singh Rajput Birth Anniversary: बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) का कल जन्मदिन था इस खास मौके पर फैन्स से लेकर सेलेब्स तक याद कर रहा था ।

सुशांत सिंह राजपूत और रिया को यादगार वीडियो

कल सुशांत सुबह से ही ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे थे और इस बीच सुशांत के साथ रिलेशनशिप में रहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती ने भी एक वीडियो शेयर किया है। रिया ने सुशांत का एक अनदेखा वीडियो शेयर किया है। जिसे फैन्स काफी पसंद कर रहे हैं और अभी तक लाखों लोग देख चूके हैं ।

बिहार में सैनिटरी नैपकिन का इस्तमाल स्कूली छात्र भी करता है

बिहार में आप एक से एक घोटाले की चर्चा सुने होंगे लेकिन आज हम आपको ऐसे घोटाले के बारे जानकारी दे रहे हैं जो पढ़कर आप हैरान हो जायेंगे। राज्य सरकार बिहार के सरकारी स्कूल में माहवारी के लिए लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन देती है छपरा के एक स्कूल से खबर आ रही है कि स्कूल के प्रिंसिपल साहब लड़कों को भी माहवारी नैपकिन बांट दिये हैं ऐसा स्कूल के उस रजिष्ट्रर से ज्ञात हो रहा है जिसमें सैनिटरी नैपकिन बांटने की जानकारी दर्ज है । 

मामला सारण के मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय में लड़कियों के लिए चलाई जा रही सैनिटरी नैपकिन (Sanitary Napkin)  का लाभ स्कूल के लड़कों को भी मिला है। यह घोटाला तब उजागर हुआ, जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक के सेवानिवृत्त होने के बाद दूसरे प्रधानाध्यापक लड़कों को दिया सैनिटरी नैपकिन योजना का लाभसारण जिले के एक सरकारी विद्यालय में लड़कियों के लिए चलाई जा रही सैनिटरी नैपकिन और पोशाक योजना का लाभ दर्जनों लड़कों को दे दिया गया।

मामला विद्यालय में नए प्रधानाध्यापक के पदस्थापन के बाद सामने आया। नए प्रधानाध्यापक से जब शिक्षा विभाग ने पुरानी योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगे, तब पाया गया कि करीब एक करोड़ रुपये की योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए हैं।

इसके बाद जब जांच शुरू की गई, तब बैंक स्टेटमेंट खंगालने के दौरान ज्ञात हुआ कि लड़कियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की राशि लड़कों के खातों में भी ट्रांसफर की जाती रही है। इस क्रम में यह भी पाया गया कि लड़कियों को दी जाने वाली सैनिटरीयह पूरा मामला बीते तीन वित्तीय वर्ष का है। तब इस विद्यालय में अशोक कुमार राय प्रधानाध्यापक थे।

उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद अब तक अपना प्रभार नव पदस्थापित प्रधानाध्यापक को नहीं सौंपा है। इस बीच घोटाला की जानकारी मिलने पर नए प्रधानाध्यापक रईस उल एहरार खान ने डीएम को पत्र लिखा, जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने जांच टीम का गठन कर दिया है।

शिक्षा विभाग ने जांच शुरू कर दी है। डीपीओ (DPO) राजन गिरी ने बताया कि जांच के बाद दोषियों पर कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी। जानकारों का मानना है कि इस तरह का घोटाला बिहार के अधिकांश स्कूलों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से चल रहा है क्यों कि हर जिले से इस तरह की शिकायतें अक्सर आती रहती है ।

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यूपी में बीजेपी के साथ नहीं हो सका गठबंधन जदयू अकेले लड़ने का किया एलान

यूपी चुनाव को लेकर JDU और BJP में गठबंधन को लेकर आरसीपी के पहल के बावजूद बीजेपी से बात नहीं बन पायी और आज JDU ने अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया हालांकि आज आरसीपी प्रेस वार्ता में मौजूद नहीं थे पिछले दिनों प्रेस वार्ता के दौरान ही कहां था कि गठबंधन को लेकर साकारत्मक बातचीत चल रही है और गठबंधन होगा यह तय मानिए ।

JDU के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि चरणवार उम्मीदवारों की सूची जारी होगी। सूची में जिन इलाकों पहले फेज और दूसरे फेज में पार्टी चुनाव लड़ाना चाहती है वहां के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई है।

सीट बटवारे को लेकर ललन सिंह ने आरसीपी सिंह को लिया आड़े हाथ

51 प्रत्याशियों की सूची तैयार
JDU के यूपी प्रभारी केसी त्यागी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और धर्मेंद्र प्रधान से बात की, लेकिन बात नहीं बनी। नतीजा ये रहा कि JDU को अब अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है । पार्टी ने 51 प्रत्याशियों की सूची भी तैयार कर ली है। आज 26 सीटों की पहली सूची जारी हुई है।

इंदिरा गांधी से प्रभावित नोबेल विजेता गेब्रियल गार्सिया मार्केज ने अपनी बेटी का नाम इंदिरा रखा था

इंदिरा गांधी से प्रभावित नोबेल विजेता गेब्रियल गार्सिया मार्केज ने अपनी बेटी का नाम इंदिरा रखा था

यूके स्थित समाचार पत्र ‘द टाइम्स’ ने बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया है कि कोलंबिया में जन्मे नोबेल पुरस्कार विजेता गेब्रियल गार्सिया मार्केज के 1990 के दशक में मैक्सिकन लेखक सुज़ाना काटो के साथ विवाहेतर संबंध थे और उनकी एक बेटी भी थी, जिसका नाम उन्होंने भारत के पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर ‘इंदिरा’ रखा था.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केज़, जो ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड’ और ‘लव इन द टाइम ऑफ कॉलरा’ जैसे सबसे ज्यादा बिकने वाले उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं, इंदिरा गांधी के बड़े प्रशंसक थे और जब उन्हें 1982 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तो प्रधानमंत्री गांधी उन्हें बधाई देने वाली पहली शख्स थीं.
उन्होंने सुज़ाना काटो, जो उनसे 33 साल छोटी थीं, के साथ दो फिल्मों की पटकथा (स्क्रिप्ट) पर काम किया था. उनकी बेटी इंदिरा काटो, जो अब 30 वर्ष की हो चुकी है, अपनी मां के उपनाम के साथ अपना जीवन जी रही है और वह मेक्सिको सिटी में एक वृत्तचित्र (डाक्यूमेंट्री) निर्माता है. उसने 2014 में मैक्सिको से गुजरने वाले प्रवासियों पर बनाई गई अपनी एक वृत्तचित्र के लिए कई पुरस्कार जीते हैं.
‘इंदिरा काटो’ का नाम रखे जाने के पीछे के आशय से जुडी ‘द टाइम्स’ की यह खबर इस दिवंगत लेखक के लंबे समय से गुप्त रहे व्यक्तिगत संबंध का खुलासा होने के दो दिन बाद आई है. कोलंबियाई समाचार पत्र ‘एल यूनिवर्सल’ रविवार को इस खबर को प्रकाशित करने वाला पहला समाचार पत्र था. इसके बाद अमेरिकी संवाद एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने मार्केज़ के दो रिश्तेदारों से बात कर इसकी पुष्टि की.
ये रहस्योदघाटन उनके निधन के तक़रीबन आठ साल बाद हुआ है.
‘द टाइम्स’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इंदिरा काटो’ के जन्म के समय गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ अपनी पत्नी मर्सिडीज बरचा के साथ एक ‘खुशहाल’ शादी में रह रहे थे और पांच दशक से अधिक समय तक चले उनके विवाह से उन्हें दो बच्चे भी थे.
एपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘एल यूनिवर्सल’ द्वारा उद्धृत मार्केज़ के परिवार के सदस्यों ने का कहना है कि इस लेखक के गुप्त संबंधों के बारे में पहले उन्होंने बरचा – जिनकी अगस्त 2020 में मृत्यु हो गई थी – के ‘सम्मान’ की वजह से कोई बात नहीं की थी.
एपी वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस कोलंबियाई लेखक के भतीजों में से एक, गेब्रियल एलिगियो टोरेस गार्सिया, जो सोशल मीडिया के माध्यम से इंदिरा काटो के संपर्क में बने रहते हैं, ने कहा कि सुज़ाना भी अपनी बेटी की वंशावली (विरासत) के बारे में चुप रहती थी, ताकि उसे गैरजरूरी सुर्खियों से दूर रखा जा सके.

लोकतंत्र में सवाल पुछना देशद्रोह नहीं हो सकता

राम राज्य पर जब सवाल उठ सकता है फिर जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के कामकाज पर सवाल ना करे यह कौन सा तर्क है और सवाल करने वाला देशद्रोही है ये कैसे हो सकता है,इतिहासकार जब मुहम्‍मद बिन तुगलक से राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले जाने पर सवाल कर सकता है तो मोदी से सवाल क्यों नहीं ।   आज जो मोदी कर रहे हैं बिहार पिछले 15 वर्षो से देख रहा है जो तर्क आज मोदी दे रहे हैं वही तर्क नीतीश भी देते थे , हर सवाल करने वाले को इसी तरह हंसी में उड़ा देते थे। 

 देश कांग्रेस के कार्यकाल को भी देखा है ,समाजवादियों के कार्यकाल को भी देखा है और इन लोगों को भी देख रहा है। संसद भवन किसने बनवाया किसी को याद भी है ,इंडिया गेट कौन बनाया किसी को याद भी है लेकिन मायावती हाथी का पार्क बनाई है जब तक वो पार्क रहेगा लोगों को याद आता रहेगा कि लोकतंत्र में एक कोई  शासक हुआ था जिसे देख कर तुगलक भी शरमा जाये ।                   

नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो जो काम आज मोदी कर रहे हैं ठीक उसी तरह से नीतीश कुमार ने भी बिहार में निर्माण का काम शुरु किये थे , पटना जंक्शन के सामने बुद्धा स्मृति पार्क बनाने का निर्णय लिया, उस समय बड़ी आलोचना हुई थी इतना बड़ा व्यावसायिक जगह पर पार्क बनाने का क्या औचित्य है वो भी बुद्धा से जुड़ा हुआ । किसी दिन मौका मिले तो दिन भर बुद्धा स्मृति पार्क के पास बैठिए देखिए वहां कौन कौन से लोग आते जाते हैं हाल यह है कि पार्क के रखरखाव में जो खर्च हो रहा है वो भी नहीं निकल पा रहा है ।               

इसी तरह पटना हाईकोर्ट के बाजू में जो पटना संग्रहालय बना है क्या कहेंगे आप ,दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के सामने इसकी क्या औकात है कुछ भी नहीं है अब कह रहे हैं पुराने संग्रहालय से नये वाले संग्रहालय में आने के लिए अंदर अंदर रास्ता बनेगा ताकी संग्रहालय देखने वालो को कोई परेशानी ना हो कितना करोड़ खर्च होगा अंडरग्राउंड रास्ता बनाने में सोच लीजिए और इस संग्रहालय में है क्या जो देखने के लिए लोग आयेंगे।              

इससे बात आगे बढ़ी तो  विधानसभा बनवाये तर्क कुछ नहीं दिल्ली की संसद भवन के साथ साथ सारा कार्यालय रहेंगा। विधानसभा भवन में हो क्या रहा है चार वर्ष से मैं यही देख रहा हूं कि सत्र की शुरुआत इस नये वाले विधानसभा भवन से होता है शेष सभी कार्य पुराने वाले विधानसभा भवन में ही चल रहा है ।                             

 इस दौर के नेता का एक और पागलपन है मेरे ही कार्यकाल में काम पूरा हो जाये इस जिंद की वजह से इस तरह के हेरिटेज वाली भवन बनाने को लेकर जो तैयारी होनी चाहिए वो नहीं हो पा रहा है ,एक इंडिया गेट बनाने में दस वर्ष लगा था लेकिन बिहार विधानसभा का नया भवन छह वर्ष में बन कर तैयार हो गया नतीजा क्या हुआ भवन के ग्राउंड फ्लोर पर हमेशा जमीन के अंदर से पानी निकलता रहता है जब यह समस्या सामने आयी तो रुड़की की टीम इसके समाधान के लिए बुलाया गया तो पता चला जहां यह भवन बना है वहां कभी सोन नदी बहती थी इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया, निर्माण इतना घटिया है कि आप बाथरूम नहीं जा सकते हैं हर जगह पानी का सिपेज आपको मिल जायेगा ।                                   

यही हाल बेली रोड में जो पुलिस मुख्यालय बना है 309 करोड़ खर्च आया है 2018 में उद्घाटन हुआ मौका मिले तो जा कर देख लीजिए तीन वर्ष में ही भवन का हाल बिगड़ने लगा है कही बाथरूम का पानी रिस रहा है तो कहीं बारिश का पानी टपक रहा है पचास से अधिक सफाई कर्मी रोजाना साफ सफाई में लगा रहता है ।कहा यह गया था कि पुलिस मुख्यालय भवन ऐसा बनाया जा रहा है कि भूकंप में पटना का रहा भवन भी गिर क्यों ना जाये पुलिस मुख्यालय को कुछ नहीं होगा और वही से राहत और बचाव कार्य का संचालन होगा क्यों कि पटना भूकंप के मामले में बहुत ही संवेदनशील इलाका है । इसके लिए पुलिस मुख्यालय के छत पर हेलीपैड बनाया गया है किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए लेकिन आज तक उसकी टेस्टिंग नहीं हुई है पक्का मानिए जिस दिन हेलीकॉप्टर लैंड किया क्या होगा आप सोच नहीं सकते हैं ।             

गांधी मैदान के सामने जो बापू सभागार बना है सरकारी कार्यक्रम के अलावे बहुत कम बुकिंग होता है हाल यह है कि उसके  मेंटेनेंस  का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है ।इसी तरह सत्ता संभालते ही विधायक और विधान पार्षद के लिए नये आवास के निर्माण का फैसला लिया गया बाद में मोदी भी दिल्ली में सांसद के लिए नया भवन बनाने का निर्णय लिये ।मतलब आज जो शासक वर्ग है वो इस तरह निर्माण में काफी रुचि ले रहे हैं ऐसे में सवाल उठना लाजमी है राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन और इंडिया गेट के बीच जिस तरीके से मोदी निर्माण का काम करवा रहे हैं इसकी जरूरत क्या है पीएम के लिए नया आवास बन रहा है ,वार मेमोरियल जा कर देख लीजिए जो खूबसूरती इंडिया गेट और राजपथ के बीच है उसके सामने इस मेमोरियल का कोई वजूद समझ में नहीं आ रहा है नया संसद भवन का क्या औचित्य है ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब मोदी,बीजेपी और संघ को देना ही पड़ेगा क्योंकि इस देश में जब गांधी की मूर्ति तोड़ी जा सकती है तो बाकी क्या बिसात है ।

जहरीली शराब पीने से छपरा में 14 लोगों की हुई मौत जॉच में जुटी पुलिस

सारण जिला में संदिग्ध परिस्थितियों में 14 लोगो की मौत की खबर मीडिया में आने के बाद छपरा परिसदन में बिहार के गृह सचिव के सेंथिल कुमार और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय सिंह के नेतृत्व में एक हाई लेबल मीटिंग हुई जिसमें सारण प्रक्षेत्र के कमिश्नर पूनम और डीआईजी सारण रविन्द्र कुमार के साथ एसपी सारण संतोष कुमार सहित जिला का सभी आलाधिकारी शामिल थे।

छपरा में जहरीली शराब से मौत मामले में जाँच शुरु

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय सिंह ने बताया कि शराब से हुई संभावित मौत को लेकर यह बैठक थी जिसमें यह बात सामने आई है कि कुछ लोगो ने शराब का सेवन किया था लेकिन शवो का दाह संस्कार हो जाने के कारण सिर्फ चार लोगों का पोस्टमॉर्टम हो पाया है जिसकी रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है।

सारण एसपी का बयान जॉच चल रही है दोषी बक्से नहीं जायेगें

वहीं एसपी सारण संतोष कुमार ने बताया कि 14 में से पाँच लोगो के शराब पीने से मौत की संभावना की बात सामने आई है वही अन्य लोगो की मौत बुढ़ापे बीमारी और बीमारी से होने की बात परिजनों ने बताया है। एसपी सारण ने कहा कि जागरूकता भी जरूरी है ताकि किसी के पास वैसा शराब हो तो उसे नष्ट कर दें या फेंक दें उसका सेवन ना करें।

बिहार विधनापरिषद के 24 सीटों को लेकर बीजेपी की दिल्ली में हुई बैठक बेनतीजा रहा

बिहार विधानपरिषद के 24 सीटों को लेकर आज दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक हुए जहाँ एनडीए घटक दल के बीच सीट बटवारे को लेकर चर्चा हुई।

बिहार विधानपरिषद चुनाव में सीट बटवारे को लेकर एनडीए में नहीं बनी है सहमति

इस समय बिहार विधान पार्षद में बीजेपी का 13 और जदयू का 11 सदस्य है हालांकि बीजेपी 13 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही वैसे गठबंधन के साथी हम ,लोजपा और भीआईपी भी विधान पार्षद का सीट चाह रहा है ऐसी स्थति में बीजेपी अपने कोटे से दो सीट गठबंधन के साथी लिए छोड़ सकती है

लोजपा सांसद चिराग पासवान का बड़ा बयान बिहार मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ रहा है

पटना — जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया. दिल्ली से पटना पहुंचने के बाद एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मौजूदा सरकार कभी भी गिर सकती है. राज्य में मध्यावधि चुनाव होने के पूरे आसार हैं. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समाज सुधार यात्रा के बहाने चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. बिहार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।

बिहार मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ रहा है

चिराग पासवान ने कहा, ” मुझे लगता है राज्य में एनडीए सरकार का जल्द ही पतन होने वाला है. बिहार में मध्यावधि होंगे ही. मेरा ऐसा मानना है. तथाकथित समाज सुधार यात्रा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकले थे. इसकी कोई जरूरत नहीं थी. सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्री ऐसी यात्रा पर तभी निकलते हैं, जब वो खुद चुनाव की तैयारियों में लगते हैं. हमने देखा है कि बड़ी-बड़ी घटना हो जाने पर भी मुख्यमंत्री बाहर नहीं जाते या किसी पीड़ित परिवार से मिलते हैं. तो उनकी इस यात्रा से स्पष्ट है कि वो चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं।

हालांकि इससे पहले नालंदा में जहरीली शराब पीने से मौत मामले में पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कि थी ।

बिहार सरकार शराबबंदी कानून में संशोधन का लिया फैसला जल्द ही प्रारुप को दिया जायेंगा अंंतिम रुप

बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन को तैयार हो गयी है इसके लिए महाधिवक्ता की अध्यक्षता में कानूनविदों की एक टीम को खास तौर पर जिम्मेवारी दी गयी है हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की टिप्पणी के बाद आये दिन हाईकोर्ट द्वारा शराबबंदी कानून को लेकर प्रतिकुल टिप्पणी के साथ साथ सरकार के सहयोगी दल बीजेपी और विपंक्ष के हमले को देखते हुए सरकार ने शराबबंदी कानून 2018 में संशोधन का फैसला लिया है ।

1—2016 शराबबंदी कानून
2016 में जो शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर कानून बनाया गया था उसमें शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा व एक लाख से दस लाख तक जुर्माना। शराब के नशे में पाए जाने पर सात साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना। शराब के नशे में अपराध, उपद्रव या हिंसा की तो कम से कम दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना।किसी परिसर या मकान में मादक द्रव्य या शराब बनाने, बरामद, उपभोग, बनाया, बिक्री या वितरण पर 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य जिम्मेवार माने जाएंगे जब तक वे अपने आप को निर्दोष होने का प्रमाणत न दे दें।

जहरीली शराब से मौत होने पर शराब बनाने वाले को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और दस लाख तक का जुर्माना। विकलांग होने पर ऐसे शराब बनाने वाले को दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और दो से 10 लाख तक जुर्माना।आंशिक चोट आने पर आठ वर्षों से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना।कोई हानि नहीं होने पर भी बनाने वाले को आठ से दस वर्ष तक की सजा और एक से पांच लाख तक का जुर्माना।कपट व छद्म तरीके से शराब का कारोबार करने पर दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना।अवैध तरीके से शराब का भंडारण करने पर आठ से दस वर्ष तक की सजा और दस लाख तक का जुर्माना। अवैध शराब व्यापार में महिला या नाबालिग को लगाया तो दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना। कोई व्यक्ति, वाहन या परिवहन के अन्य साधनों के माध्यम से इस कानून का उल्लंघन किया तो बिना वारंट के दिन-रात कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन गिरफ्तारी की सूचना डीएम को देनी होगी। इस अधिनियम के अधीन सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे।

2–2018 शराबबंदी कानून
2018 में नीतीश सरकार 2016 के शराबबंदी कानून में संशोधन करते हुए शराब पीते हुए गिरफ्तार होने पर जेल भेजने कि छूट दे दी थी संशोधित कानून के अनुसार शराब पीते पहली बार पकड़े जाने पर 50,000 रुपये जुर्माना देना होगा या तीन महीने की जेल होगी। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना अथवा छह महीने की सजा होगी। दो से अधिक बार पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा की अवधि दोगुनी होती जाएगी।

वही मकान-वाहन की जब्ती के कानून में भी संशोधन कर दिया था उसके अनुसार जिस कमरे से शराब बरामद होगा अब उसी कमरे को सील किया जायेंगा है, पूरे परिसर को सील नहीं करना है ।लेकिन जब बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बने तो शराबबंदी को लेकर जिले जिले में जागरुकता अभियान चलाना शुरु किये थे उसी दौरान उन्होंने पुलिस मुख्यालय की और से एक मौखिक आदेश जारी किया जिसमें 2018 में शराबबंदी कानून में जो संशोधन किया गया था जिसमें धारा 37 बी के तहत पहली बार पकड़े जाने पर 50,000 रुपये जुर्माना देना होगा या तीन महीने की जेल होगी। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना अथवा छह महीने की सजा होगी। दो से अधिक बार पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा की अवधि दोगुनी होती जाएगी।

डीजीपी ने इस धारा के तहत गिरफ्तारी करने पर रोक लगा दिया और सभी एसपी को कहां कि जो भी थानेदार ये धारा लगायेगा उसको संस्पेड करना है और इस निर्देश के बाद बिहार में फिर जितनी भी गिरफ्तारी हुई उसमें धारा 37 सी लगाया जाने लगा जिसमें शराब पीकर उपद्रव फैलाने का आरोप पुलिस द्वारा निर्धारित किया जाना है हालांकि इस धारा के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को भी कोर्ट दो से तीन दिन में जमानत दे देता है।

ये हैं संशोधन के प्रमुख प्रस्ताव:
शराब पीते अब कोई भी गिरफ्तार होगा तो सभी को धारा 37 के तहत समरी ट्रायल का प्रावधान होगा जिसके तहत गिरफ्तार व्यक्ति को दंडाधिकारी सरकार द्वारा निर्धारित जुर्माना के तहत जुर्माना करेगे और गिरफ्तार व्यक्ति जुर्माना देकर छुट जायेंगा जैसे परीक्षा के दौरान छात्र और अभिभावक के गिरफ्तारी पर दंडाधिकारी जुर्माना निर्धारित करते हैं और छात्र और अभिभावक जुर्माना जमा कर छुट जाता है ।इस प्रक्रिया में ट्रायल का कोई भी प्रावाधान नहीं होता है इसी तरह शराब पीते गिरफ्तार होने पर पहली बार कितना जर्माना लगेगा और कितने बार पकड़े जाने पर जमानता का प्रावधान नहीं रहेगा इस पर मंथन चल रहा है इसी समय शराब पीते गिरफ्तार होने पर 50 हजार रुपया जुर्माना है इसे कम करके पहली बार गिरफ्तार होने पर हजार रुपया करने पर विचार चल रहा है ।

धारा 55 को हटाया जाएगा। इसे हटाने पर सरकार कोर्ट में चल रहे लाखों मामलों को वापस ले सकती है अदालतों के अंदर या बाहर दो पक्षों के बीच समझौता हो सकता है।साथ ही धारा 57 को शामिल किया जाएगा ताकि शराब ले जाने के लिए जब्त किए गए वाहनों को जुर्माने के भुगतान पर छोड़ने की अनुमति दी जा सके।

प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई कल तक टली

पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था।कोर्ट को इसमें जानकारी दी गई कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी,2022 को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सीवान के डी एम भी शामिल थे।

इसमें कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने पर विचार तथा निर्णय लिया गया।

इस बैठक में जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आस पास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध
के लिए कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।

हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।

इस वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात अपनी रिपोर्ट में बताई।साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहां काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की खासी कमी थी।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई 22 जनवरी,2022 को होगी।

मैं बिहार पुलिस हूं मुझे आपको अपमानित करने का अधिकार है

ये बिहार है भाई यहां सब कुछ हो सकता है आप क्या है, आपकी पहचान क्या ,आपका देश और समाज में योगदान क्या है । उससे कोई मतलब नहीं रखता है मैं बिहार पुलिस हू मुझे आपको अपमानित करने का लाइसेन्स मिला हुआ है । जी हां इस बार यह मौका मुजफ्फरपुर पुलिस पुलिस को मिला है जहां टाउन थाना पर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के फैन सुधीर कुमार की एक पुलिसकर्मी ने पिटाई कर दी। सुधीर ने जिस टाउन थाना का उद्घाटन चीफ गेस्ट बनकर किया था, उसकी थाने के एक मुंशी ने उन्हें गाली दी और फिर मारने के लिए हाथ उठाया। यह था पूरा मामला क्या है ।

मुजफ्फरपुर टाउन थाना की पुलिस ने उनके चचेरे भाई किशन कुमार को हिरासत में लिया था। जब शाम को सुधीर दामोदरपुर अपने आवास पर पहुंचे तो उन्हें घरवालों ने इसकी जानकारी दी। बताया कि पुलिस ने किशन को उठा लिया है, लेकिन, क्या मामला है इस बारे में नहीं बता रहे हैं।

भाई को हवालात में कर रखा था बन्द
सुधीर भागते हुए टाउन थाना पहुंचे। देखा कि उनका भाई हवालात में बंद है। वे उससे पूछने लगे कि किस मामले में उठाया है। उसने बताया कि उसके एक दोस्त में जमीन खरीदा था। जमीन खरीदने में उसका नाम गवाह के रूप में दिया हुआ था। शायद उस जमीन को लेकर कुछ लफड़ा हुआ था। उसी में एक पक्ष ने FIR दर्ज कराया था। जबकि इसके बारे में उसे कुछ जानकारी भी नहीं है। फिर भी पुलिस उसे पकड़ कर ले आयी है।

…और मुंशी ने गाली देना शुरू कर दिया
सुधीर अपने भाई से बात कर रहे थे। तभी एक मुंशी गुस्से में सरिस्ता से बाहर निकले और विवाद करने लगे, फिर उन्होंने गाली देना शुरू कर दिया। जब सुधीर ने इसका विरोध किया तो उनके साथ थाना पर मारपीट की। इसके बाद सुधीर वहां से चुपचाप बाहर निकल गए। फिर DSP से शिकायत की।

सेलिब्रिटी बनकर किया था उद्घाटन
सुधीर ने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि आज से कुछ साल पहले जब यह थाना भवन नया बना था। उस समय उन्हें सेलिब्रिटी के तौर पर उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने फीता काटकर इसका उद्घाटन भी किया था। लेकिन, आज उसी थाना पर उनके साथ मारपीट की गई है। जब मेरे साथ इस तरह की घटना हो सकती है, तो आम जनता के साथ पुलिस कैसे पेश आती होगी। ये समझा जा सकता है।

बिहार विधान परिषद के बने रहने का औचित्य क्या है

बिहार विधान परिषद के बने रहने का औचित्य क्या है
सवाल लोकतंत्र का है ,सवाल जनता के मेहनत के पैसे का है ,ऐसे में सवाल तो बनता है कि बिहार में बिहार विधान परिषद के गठन का मतलब क्या है, जी है बिहार विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 75 है जिसमें 27 सदस्यों को बिहार विधान सभा के सदस्य चुनते हैं। 24 सदस्य स्थानीय निकायों(पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा चूने जाते हैं,शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से 6 और स्नातक क्षेत्र से 6 चुनाव जीत करके आते हैं और राज्यपाल कोटा से 12 लोगों का मनोनयन होता है।

काम क्या है विधानसभा में जो बिल पास होगा उस पर चर्चा करना और उस पर मोहर लगाना,विधानसभा में जिसका बहुमत होगा स्वाभाविक है विधानसभा सदस्यों द्वारा चुने गये 27 सदस्यों में से अधिक संख्या उन्हीं का होगा फिर राज्यपाल द्वारा जिन 12 विशिष्ठ व्यक्तियों का मनोनयन होता है वह भी सरकार जिसका नाम राज्यपाल को भेजता है उसी पर राज्यपाल को मोहर लगाना है ।मतलब सरकार का हमेशा बहुमत बना रहता है ।

संविधान कहता है कि राज्य के साहित्य, कला, सहकारिता, विज्ञान और समाज सेवा का विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव रखते हैं उनको विधान परिषद में भेजना है, हो क्या रहा है इस बार राज्यपाल जिन 12 लोगों को मनोनीत क्या है उसमें कौन से ऐसे लोग हैं जिसकी योग्यता संविधान द्वारा निर्धारित मानदंडों पर खड़े उतर रहा है। इस बार बिहार में राज्यपाल कोटे से जिन्हें मनोनीत किया है उनमें दो राज्य सरकार के कैबिनेट में मंत्री हैं. बीजेपी ने जिन छह चेहरों को विधान परिषद सदस्य बनाया है उनमें प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर, जनक राम, राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, देवेश कुमार और निवेदिता सिंह बीजेपी पार्टी से सक्रिय तोड़ पर जुड़ी हुई हैं।

वहीं जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा, संजय गांधी, ललन सर्राफ, रामबचन राय, अशोक चौधरी और संजय सिंह को विधान परिषद सदस्य बनाया है ये सारे के सारे चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे हैं मतलब संविधान में राज्यपाल कोटा से मनोनयन का लेकर जो विचार रखा गया उस विचार पर कहीं से कोई खड़ा नहीं उतर रहा है।

बात स्थानीय निकायों(पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा),चुने गये 24 सदस्यों का कर लेते हैं इनका क्या काम है ये पंचायत चुनाव जीत कर आये प्रतिनिधियों का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व करते हैं इन महाशय के कार्यकाल पर गौर करेंगे तो ब-मुश्किल पूरे कार्यकाल के दौरान एक दो सवाल पंचायत सरकार से जुड़ा हुआ है और फिर कैसे लोग चुन कर आ रहे हैं देख ही रहे हैं किस तरह से पैसे का खेल चलता है ,ऐसे में इन 24 सदस्यों के चुने जाने के मतलब क्या है जबकि पंचायत अपने आप में स्वतंत्र इकाई है ।

बिहार में स्नातक पास वोटर द्वारा चुने गये 6 प्रतिनिधियों की बात कर तो ये किसके प्रति जिम्मेवार है कभी तो नहीं देखा की बेरोजगारी ,नौकरी और पढ़ाई व्यवस्था पर ये लोग अलग से अपनी बात सदन में रखते हो इसके लिए सरकार पर दबाव बनाते हो ।

इसी तरह 6 प्रतिनिधि शिक्षक द्वारा चुन कर आते हैं इनका क्या काम है पिछले 30 वर्षो का सदन का इतिहास देख लीजिए ये जो प्रतिनिधि हैं अपने वोटर के साथ कभी खड़े दिखे हैं इनकी हैसियत यही है कि सरकार के साथ हां में हां मिलाये नहीं तो कोई पुछने वाला नहीं है जब सब कुछ सरकार के अनुसार ही चलनी है तो फिर विधान परिषद और विधान परिषद के कमिटी का मतलब क्या है ।

हर वर्ष विधानपरिषद सदस्यों के वेतन ,भत्ता ,इलाज ,यात्रा और अन्य सुख सुविधा के अलावे इस्टेब्लिश्मन्ट और विधान पार्षद विकास निधि की बात करे तो हर वर्ष तीन करौड़ के करीब खर्च होता है, इस खर्च का मतलब क्या है ।

वही विधान परिषद सदस्य बनने को लेकर जो खेल चलता है ऐसे में आप अपर हाउस से क्या उम्मीद कर सकते हैं अपर हाउस का गठन लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों के मनमानी को रोकने के लिए किया गया था वहां पढ़े लिखे लोग चुन कर जायेंगे तो विधानसभा के कामकाज का समीक्षा करेंगे लेकिन हो क्या रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इस संस्थान के रहने का मतलब क्या है जनता के पैसे पर मौज मस्ती और जनप्रतिनिधि के रुप जो विशेषाधिकार मिला हुआ है उसका दुरउपयोग करना ।