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बिहार पुलिस के कार्यशैली पर उठा सवाल रुपा और उसकी माँ की आत्महत्या के लिए कौन है जिम्मेवार

आत्महत्या जैसी घटना ना तो मीडिया के लिए कोई खबर है और ना ही समाज के पास वक्त है उस पर मंथन करने को,हां सुशांत सिंह राजपूत जैसे लोग आत्महत्या कर लेते हैं तो उस पर महीनों चर्चाए जरुर होती है ।लेकिन आज हम आपको बिहार की एक बेटी की आत्महत्या की वजह को लेकर आप से बात करना चाहते हैं शायद आपको उबाऊ लगे क्यों कि बिहार की वो बेटी ना तो कोई सेलिब्रिटी है ना ही यूपीएसपी की परीक्षा पास कि है।

पता नहीं क्यों जब से बिहार की उस बेटी का सुसाइड नोट पढ़ा हूं मैं ठीक से सो नहीं पा रहा हूं बार बार उसके सुसाइड नोट का हर एक शब्द सिस्टम और समाजिक मर्यादओं के सामने लाचार एक बिहारी और भारतीय का चेहरा मेरे आंखों के सामने नाचने लगता है।

पहले मां बेटी के सुसाइड करने का मजमून क्या है जरा इस पर चर्चा कर लेते हैं फिर बात सुसाइड नोट की होगी ,हुआ ऐसा है कि छपरा के मढ़ौरा में सोमवार को इसरौली पेट्रोल पंप के पास बाइक सवार पांच अपराधियों ने हथियार के बल पर कैशवैन से 40 लाख रुपए लूट लिया था ।

लूट की घटना के बाद सारण पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिला जिसके आधार पर घटना के बाद भाग रहे अपराधियों के मोटरसाइकिल का नम्बर पता चला उसी आधार पर पुलिस ने भेल्दी थाना क्षेत्र के खारदरा में अपराधी सोनू पांडेय के घर छापा मारा जहां से पुलिस को लूट की घटना में उपयोग किये गये मोटरसाइकिल के साथ साथ से छह लाख रुपए और एक देशी पिस्टल बरामद किया हलाकि सोनू घर पर मौजूद नहीं था लेकिन अवैध हथियार मिलने की वजह से पुलिस सोनू के पिता चंदेश्वर पांडेय को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने सोनू के पिता के साथ जिस तरीके मारपीट गाली गलौज और पत्नी और बेटी के सामने जलील किया उससे आहत होकर सोनू की मां और बहन ने आत्महत्या कर लिया ।हलाकि पुलिस ने सोनू के पिता के साथ जो व्यवहार किया उसमें अस्वभाविक कुछ भी नहीं है जिसको लेकर सिस्टम पर सवाल खड़े किये जा सके पुलिस तो ऐसा करती ही है इसमें ऐसा क्या है जो मां बेटी सुसाइड कर ली, लेकिन रुपा ने सुसाइड नोट के सहारे जो सवाल खड़े की है वह सवाल संकेत है आज की युवा पीढ़ी की सोच कितनी दूर तलक चली गयी और सिस्टम कहां पीछे छुट गया है इतना ही नहीं सवाल बिहार के युवक से भी जो चंद पैसे के लिए किस तरीके से गलत कदम उठा रहे हैं और उसका असर एक संवेदशील परिवार पर क्या पड़ रहा है ।

सुसाइड नोट में रुपा ने लिखा है भाई के कुकृत्य के कारण जिस तरीके से पुलिस हमलोगों के सामने पापा को जलील किया है ऐसी स्थिति में अब जिंदा रहने का कोई मतलब नहीं रहा गया है।

मेरे मां-बापा हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा और बेटी भविष्य में कुछ अच्छा काम करें लेकिन अफसोस उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। हम लोग गरीब जरूर हैं लेकिन गलत नहीं है और मेरे पापा हमेशा से हम सबको एक ही बात समझाते हैं कि बेटा मर जाना मगर कभी गलती ना करना। मेरे पापा बहुत बदनसीब हैं मेरे पापा का सपना पूरा ना हो सका।

रुपा ने सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि मेरे पापा को गलत ना समझें। प्लीज प्लीज प्लीज मेरे पापा खुद हमेशा सोनू से इस सब के कारण नाराज रहते थे। पापा हम आप की यह हालत नहीं देख सकते। हम कभी नहीं सोचे थे कि कोई आप पर ऐसे हाथ उठाए पर ऐसा हुआ। पुलिस किसी का सम्मान और दर्द नहीं समझती ऐसे में पापा मेरे जिंदा रहने का कोई मतलब नहीं है मां को भी साथ ले जा रहे हैं ।

रुपा तो चली गयी इस दुनिया से लेकिन हमारे आपके सामने कई सावल छोड़ गयी है एक मध्यवर्गीय परिवार के लिए आज भी मर्यादा और परिवार का इज्जत कितना मायने रखता है ऐसे में पुलिस को अपने कार्यशैली में बदलाव लाने कि जरुरत है नहीं तो आने वाले समय में इस तरह की कई घटनाए घट सकती है ।

बेटा अपराधी है तो बाप कहां से गुनहगार हो गया ।सोनू के कृत्य की सजा उसका परिवार क्यों भुगते छपरा एसपी को सोनू की मां और बहन की आत्महत्या करने को लेकर जिम्मेवारी तय करनी चाहिए इतना ही नहीं रुपा को इस दुनिया को छोड़ने की जो वजह रही है उस वजह के सहारे पुलिस के कार्यशैली में क्या सुधार लाया जा सकता है उस पर मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक को विचार करनी चाहिए।

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