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डॉल्फिन दिवस पर डॉल्फिन के संरक्षण का लिया संकल्प ।

‘‘डाल्फिन दिवस – 2021’’ के अवसर पर ‘एशिया के मृदुजल सिटैसियन (डाल्फिन) के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन संजय सभागार, अरण्य भवन, पीर अली खान मार्ग, पटना से हाईब्रिड मोड में किया गया। इसका उद्घाटन ‘‘श्री नीरज कुमार सिंह’’, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के कर-कमलों द्वारा किया गया।

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रो॰ गिरीश कुमार चैधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय द्वारा की गयी। उक्त अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅल्फिन मैन के नाम से विख्यात एवं पद्मश्री प्रो॰ आर॰ के॰ सिन्हा, कुलपति, माता वैष्णों देवी विश्वविद्यालय, जम्मू, श्री दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार एवं प्रो॰ ए॰ के॰ घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, पटना उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह में श्री राजीव रंजन मिश्र, भा.प्र.से., महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली एवं डा॰ धृति बनर्जी, निदेशक, भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण, कोलकता द्वारा आॅनलाईन संबोधित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा इस अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल वक्ताओं के वक्तव्य के सार-संग्रह की ‘स्मारिका’ का विमोचन किया गया, जिसमें माननीय मुख्य मंत्री, बिहार द्वारा शुभकामना संदेश दिया गया।

साथ ही, कोसी-महानन्दा में डाॅल्फिन एवं उसकी पारिस्थितिकी पर एक वृतचित्र भी मुख्य अतिथि द्वारा रिलीज किया गया। इस पूरे कार्यक्रम को सोशल मीडिया यथा यू-टयूब, ट्विटर एवं फेसबुक पर लाईभ प्रसारित किया गया। इस एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में उद्घाटन कार्यक्रम के उपरान्त दो तकनीकी सत्र संचालित किये गये जिसमें देश-विदेश से डाॅल्फिन संरक्षण पर कार्य करने वाले नामचीन वैज्ञानिकों, शोधकत्र्ताओं, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून, आई॰यू॰सी॰एन॰, भारत, राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण, चेन्नई एवं भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण के प्रतिनिधियों द्वारा संबोधन किया गया।

श्री प्रभात कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी)-सह-मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, बिहार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
उद्घाटन समारोह के उपरान्त प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता पद्मश्री प्रो॰ आर॰ के॰ सिन्हा द्वारा करते हुए गांगेय डाॅल्फिन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर प्रारम्भिक संबोधन दिया गया।

उनके द्वारा गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना-सांगू-कर्णफुली नदियों को प्रवाह में बसने वाली गांगेय डाॅल्फिन के व्यवहार, उनकी संख्या स्वरूप एवं डाॅल्फिन पारिस्थितिकी पर निर्भर समुदायों तथा मानवीय गतिविधियों से डाॅल्फिन अधिवास को होने वाली क्षति पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। डा॰ गिल टी॰ ब्राॅलिक, युनिवर्सिटी आॅफ सेंट एन्ड्रयू (स्काॅटलैंड), यू॰के॰ द्वारा गंगा एवं सिंधु नदियों की डाॅल्फिन पर अपने दो दशकों के शोध का सार आॅनलाईन प्रस्तुत किया गया।

डा॰ नचिकेत केलकर, वन्यप्राणी संरक्षण ट्रस्ट, मुम्बई द्वारा नदियों में मछली प्रबंधन की आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किये गये। प्रो॰ बेनाजीर अहमद, बंगलादेश द्वारा बंगलादेश में सिटैसियन के संरक्षण पर वार्ता की गयी। डा॰ कमर कुरेशी, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा डाॅल्फिन के जाल में फँसने से मृत्यु तथा तेल हेतु उनके शिकार पर चर्चा करते हुए उसके निराकरण के उपायों पर वक्तव्य दिया गया।

प्रो॰ सुनील कुमार चैधरी, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा दक्षिण एशिया जलीय डाॅल्फिन हेतु संभावित खतरे एवं उनके निराकरण की आवश्यकता पर चर्चा की गयी। डा॰ समीर कुमार सिन्हा, भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट द्वारा सांेस (डाॅल्फिन) के संरक्षण हेतु पर्यावरणीय एवं वन्यप्राणी संरक्षण नियमों को लागू करने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की गयी। श्री संदीप कुमार बहेरा, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नदी पारिस्थितिकी तंत्र में गांगेय डाॅल्फिन की पर्यावरणीय भूमिका पर चर्चा करते हुए उसके संरक्षण पर बल दिया गया।

डा॰ दीप नारायण साह, नेपाल द्वारा नेपाल में गांगेय डाॅल्फिन की वर्तमान स्थिति, संभावित खतरे एवं संरक्षण-प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया गया। डा॰ विवेक सक्सेना, पूर्व भारतीय प्रतिनिधि, आई॰यू॰सी॰एन॰ द्वारा सिटैसियन स्पेशलिस्ट ग्रुप के कार्यों की जानकारी दी गयी तथा जलीय जैव-विवधता संरक्षण पर चर्चा की गयी। श्री जस्टिन मोहन, निदेशक, भारतीय जैव-विविधता प्राधिकरण द्वारा भारत में मृदुजल जैव-विविधता के संरक्षण पर संबोधन किया गया।

श्री सुनील कुमार, सहायक महानिदेशक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट डाॅल्फिन के लक्ष्यांे एवं डाॅल्फिन संरक्षण हेतु उसकी प्रतिबद्धता पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। डा॰ अब्दूल वाकिड, भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली में डाॅल्फिन की पारिस्थितिकी एवं उनके संरक्षण पर विचार प्रस्तुत किये गये। डा॰ गोपाल शर्मा, भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण, पटना द्वारा गंगा एवं कोसी में डाॅल्फिन एवं उसके अधिवास से संबंधित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी।

डा॰ अनुपमा कुमारी, प्राणिशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय द्वारा डाॅल्फिन पर जहरीले जलीय पदार्थों से होने वाले प्रभाव पर विस्तृत वक्तव्य दिया गया। इसके अतिरिक्त अन्य वैज्ञानिकों एवं शोधकत्र्ताओं द्वारा भी संगोष्ठी के मुद्दे पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर श्री आशुतोष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (Hoff) बिहार, श्री प्रभात कुमार गुप्ता, श्री राकेश कुमार एवं श्री ए॰ के॰ प्रसाद, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, श्री अरविन्दर सिंह, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (कैम्पा), बिहार, श्री सुरेन्द्र सिंह, निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना, श्री गोपाल शर्मा, अंतरिम प्रभारी, राष्ट्रीय डाॅल्फिन शोध केन्द्र, पटना, वन विभागीय पदाधिकारीगण, पटना विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र-छात्रायें एवं मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

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